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संकल्प
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Ebook77 pages39 minutes

संकल्प

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About this ebook

मामला इतना सा था। बाजार में बालकिशन ने देखा एक अग्रेज नवयुवक एक साईकिल रिक्शे वाले को पीट रहा था। बालकिशन को कारण तो पता नहीं था न उसने जानने की जरूरत समझी क्योंकि रिक्शेवाला चुपचाप मार खा रहा था और वह युवक उसे मारता ही जा रहा था। बालकिशन ने जाकर रिक्शेवाले को उससे अलग किया और उस अंग्रेज युवक का गिरेवान पकड़ कर दोनों गालों पर आठ दस थप्पड़ रसीद कर दिये।

Languageहिन्दी
Release dateJul 5, 2021
ISBN9781005422134
संकल्प
Author

Ravi Ranjan Goswami

Ravi Ranjan Goswami is a popular Hindi author from Jhansi, India. He writes in English too. He is an IRS officer and lives in Cochin, Kerala India.

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    संकल्प - Ravi Ranjan Goswami

    संकल्प

    लघु उपन्यास

    रवि रंजन गोस्वामी

    समर्पण

    केश कुमारी गोस्वामी, दिविताहरीकृष्णन

    अस्वीकरण

    यह एक काल्पनिक कृति है। जब तक अन्यथा इंगित न किया गया हो, इस पुस्तक के सभी नाम, पात्रव्यवसाय, स्थान, और घटनाएँ या तो लेखक की कल्पना की उपज हैं या काल्पनिक तरीके से उपयोग किए गए हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है।

    आमुख

    गोपीनाथ घर पहुंचे तो देखा पत्नी का रो रो कर बुरा हाल था । पता लगा कि उनके बड़े सुपुत्र बालकिशन ने बाज़ार में किसी अंग्रेज को थपप्पड़ मार दिया था।

    क्योंकि इस घटना में एक हिंदुस्तानी ने अंग्रेज को थप्पड़ मारा था।मामला संगीन समझा गया। पुलिस बालकिशन को पकड़ कर थाने ले गयी। गोपीनाथ को समझ में नहीं आया क्या करें। किन्तु उनकी पत्नी ने उन्हें ज्यादा सोचने नहीं दिया। रो चिल्ला कर उन्हें तुरंत थाने जाने को मजबूर कर दिया ।

    1

    1941,कोंच,भारत

    अङ्ग्रेज़ी ड्रेस

    पंडित गोपीनाथ कोंच ग्राम के सरकारी प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर थे। ग्राम के अधिकांश लोग उन्हें पंडितजी या मस्साब कहते थे । वह स्कूल में अपने कमरे में बैठे पत्राचार की फाइल देख रहे थे । एक प्रशासनिक पत्र पढ़ कर उनके पसीने छूट गये। मई का महिना प्रारम्भ हो चुका था और अच्छी ख़ासी गर्मी पड़ने लगी थी ।उस दिन 5 तारीख थी । पत्र में सूचना थी की आने वाली दस तारीख को स्कूल का इंस्पेकशन होगा और मशविरा था कि सभी शैक्षणिक स्टाफ उस दिन इंगलिश ड्रेस पहनें।

    पंडित जी धोती –कुर्ता पहने के आदी थे । ऊन के लिए पतलून पहनना बहुत मुश्किल काम था। उन्हें अपने विवाह की घटना याद आ गयी । उनकी शादी के वक्त यार दोस्तों ने जिद करके एक सूट सिला दिया था। कोट तो फिर भी गनीमत था। पैंट पहनते हुए एक दो बार वो लड़खड़ा कर गिरने को हुए। एक दोस्त ने उनकी पेंट पहनने में मदद की। लेकिन उन्हें लगा उनकी कमर के नीचे का हिस्सा जड़ हो गया। उनसे न ठीक से चला जा रहा था और न उठा बैठा जाता था।उन्होने जैसे तैसे घुड़चढ़ी की रस्म अदा की और उसके तुरंत बाद ही उन्होंने कोट पेंट त्याग दिया और अपनी देशी पोशाक में आ गये। शादी के लिए खास सिल्क का कुर्ता धोती मंगवाया था।

    वह इन सब खयालों में खोये थे तभी उप प्रधानाचार्य श्रीराम मिश्र ने दरवाजे से आवाज दी,क्या मैं अंदर आ सकता हूँ ।

    गोपीनाथ ने कहा, आइये मिश्रा जी । प्रशासन यह जताने से नहीं चूकता कि हम पर किसका शासन है।

    मिश्राजी ने पूछा, क्यों ? क्या हुआ ।

    गोपीनाथ ने उन्हें फाइल देकर वह पत्र पढ़ने को कहा।

    मिश्राजी ने पत्र पढ़ कर कहा, " आप जल्दी घबरा जाते है । एक दिन की ही तो बात है। वल्कि कुछ घंटों की। मिश्राजी को कोट पेंट पहनने में न कोई परेशानी थी और न परहेज। .

    मिश्राजी ने गोपीनाथजी को खुश करने के लियेआगे कहा ,आप तो सूट पहनकर बहुत जचेंगे । इंस्पेक्टर साहब खुश हो जायंगे ।

    इंस्पेक्टर डिसूजा इंडियन ही था लेकिन तौर तरीके और रहन सहन में किसी अंग्रेज से कम न था।

    गोपीनाथ ने मिश्रा से हँसते हुए प्रश्न किया,निरीक्षण स्कूल का होना है या हमारा।

    मिश्रा ने कहा ,"स्कूल में हम सब भी शामिल हैं।

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