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काव्य सरगम
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Ebook133 pages41 minutes

काव्य सरगम

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About this ebook

प्रस्तुत पुस्तक"काव्य सरगम "करूणा के सागर गौतम बुद्ध, अखण्ड भारत के निर्माता लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर एवं विभिन्न आपदाओं से जुड़े तमाम अनुछुए पहलुओं से विधिवत रूबरु कराने वाले हिंदी साहित्य के विभन्न छंद विधान पर रचित गीतों का अनूठा संगम है।

Languageहिन्दी
Release dateApr 7, 2023
ISBN9789391470807
काव्य सरगम

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    Book preview

    काव्य सरगम - Satyendra Patel ‘Prakhar’

    समर्पण

    Free Photo of Golden Gautama Buddha Stock Photo

    विश्व जगत को प्रेम व मानवता का पाठ पढ़ाने वाले, विश्व ज्ञान के प्रतिमान,करूणा के सागर, तथागत गौतम बुद्ध जी के श्री चरणों को सादर समर्पित।

    अपनी बात

    प्रिय सुधी पाठकों,

    आप सभी के अनवरत प्यार, आलोचना, समालोचना, उत्साहवर्धन का ही परिणाम रहा है कि अब तक मेरे द्वारा हिंदी साहित्य में (गद्य और पद्य संग्रह के रूप में व्यक्तिगत रूप से तेरह और साझा संग्रह के रूप में दो) कुल पन्द्रह पुस्तक रचनाओं को पूर्ण करते हुए उन्हें सकुशल संपादित करते हुए प्रकाशित कर सका।

    प्रस्तुत पुस्तक काव्य सरगम मेरे द्वारा रचित चौदहवीं व्यक्तिगत रचना है, जिसमें आप सभी सुधी पाठक गण पद्य साहित्य की विभिन्न विधाओं यथा दोहा, चौपाई, आल्ह छंद (सवैय्या) एवम मुक्त छंदों पर आधारित गीतों और कविताओं के एक सुंदरतम समूह का रसास्वादन करते हुए इनका परिशीलन भी कर सकेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।

    इस पुस्तक रचना की विषय वस्तु को कुल छह अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। प्रथम अध्याय में ईश्वर स्वरूप अपने माता- पिता की वन्दना करते हुए उनकी अतुलनीय योगदान और भावनाओं को आपके सम्मुख लाने का प्रयास किया गया है।

    पुस्तक काव्य सरगम के दूसरे अध्याय में करूणा के सागर तथागत गौतम बुद्ध जी के जीवन, कृतित्व एवम व्यक्तित्व से आम जनों को सुपरिचित करवाते हुए मानव कल्याण को समर्पित करते हुए बुद्ध चालीसा एवम बुद्ध जीवन चरित शीर्षक पर आधारित रचनाओं का समावेश किया गाया है।

    अध्याय तीन में अखण्ड भारत के निर्माता, लौहपुरुष, सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जीवन, कृतित्व एवम व्यक्तित्व से आम जनमानस को सुपरिचित करवाने एवम राष्ट्रवाद के लिए उन सभी को प्रेरित करने के आशय से प्रमुख रूप से श्री वल्लभ चालीसा व अमर तुम वल्लभ वीर महान शीर्षक पर आधारित रचनाओं को समावेशित किया गया है।

    चौथा अध्याय, आपदाएं: परिचय एवम प्रबंधन से सम्बन्धित है, इसमें आम जनमानस को जागरूक बनाने के उद्देश्य से विभिन्न आपदाओं यथा; आग, आकाशीय बिजली, बाढ़, लू - लहर, शीत - लहर, सर्पदंश जैसी प्राकृतिक एवम गैर प्राकृतिक आपदाओं और उनके स्वरूपों एवम बचाव की प्रक्रियाओं से सुपरिचित करवाने वाली रचनाओं का समावेश किया गया है।

    अध्याय पांच में भारतीय संविधान सभा व इसके निर्माण की प्रक्रिया, संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकार एवम संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित बाइस भाषाओं से आम जनमानस को सुपरिचित करवाने के आशय से उक्त शीर्षकों पर ही रचित रचनाओं का समावेश किया गया है।

    अध्याय छह विविध विषयों पर आधारित रचनाओं से सम्बन्धित ऐसा समूह है, जिसमें बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोकतंत्र की रक्षा हेतु मतदान के लिए प्रेरणा एवम निवेदन के साथ - साथ अन्य सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित रचनाएं हैं जिनमें कहीं वेदना, कहीं प्रेरणा और कहीं पर एकीकरण तो एकाध जगह कुछ विषमताओं पर सख़्त नाराजगी को व्यक्त करने वाली रचनाओं को भी इस अन्तिम छठवें अध्याय का हिस्सा बनाया गया है।

    अस्तु मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि आप सभी सुधी पाठक/मित्र/आलोचक/समालोचक/मार्गदर्शक महानुभाव पूर्व की ही भांति निःसंकोच मेरी जमकर घुटाई करेंगे।

    पुनः आप सभी विद्वत जनों का हार्दिक आभार

    जय सरदार

    धन्यवाद

    शुभेच्छु

    सत्येन्द्र पटेल 'प्रखर'

    अध्याय एक : मात-पिता

    १- मां की महिमा

    बचपन बिस्तर गीला करता,

    चमत्कार हो जाता था।

    आँख खुले तो नीचे बिस्तर,

    क्यों सूखा हो जाता था?

    भगवानों की कहाँ ज़रूरत,

    कहाँ धर्म से नाता था।

    बिना कहे या माँगे मुझको,

    क्यों कैसे मिल जाता था?

    सच में मेरी मम्मी जी को,

    शायद सब कुछ आता था।

    प्यार पकाती ख़ूब खिलाती,

    जो मन को अति भाता था।।

    होशियार बन ग़लती ढूंढ़ी,

    अर्थ न गिनती आती थी।

    पहले सहज मानती ग़लती,

    फ़िर उसको दुहराती थी।।

    जैसे प्रखर पटाख़े माँगू,

    फुलझड़ियां मँगवाती थी।

    और रोटियाँ एक मांग लूँ,

    दो लेकर ही आती थी।।

    माँ का प्यार समर्पण देखो,

    सागर नहीं समाता है।

    उसकी तिरछी नज़र पड़े तो,

    आसमान झुक जाता है।।

    चरण वंदना मात करूँ नित,

    सहज शांति सुख पाता हूँ।

    मातृ शक्ति के चरणों में फिर,

    पुनि-पुनि शीष नवाता हूँ।।

    * * *

    २- मां का रूप

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