कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1
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About this ebook
कवि मित्रों! और सभी सामाजिक प्राणियों को मेरे काव्य का यह प्रथम काव्य खण्ड समर्पित है क्योंकि इसे रचने में मुझ को जो भी भाव मिला वह समाज से ही मिला और प्रेरणा भी समाज से ही मिली लेकिन मेरे सहपाठियों और गुरुओं ने भी जो कुछ काव्य के विषय में बताया और सिखाया उनके लिए मैं उन सभी का सदैव आभारी रहूंगा।
आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें।
अंततः मैं आपकी ओर से कि गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई निर्देश दे सकते हैं।
इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जहां कहीं भी हिंदी के शब्दों का प्रयोग ना करके फारसी, उर्दू, या अन्य किसी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है वह मात्र काव्य को रचनात्मक रूप देने के लिए किया गया है। यह काव्य खण्ड मात्र काव्य प्रेमियों हेतु निर्मित किया गया है। इस रचना खण्ड का प्रयोग हिंदी शिक्षा के क्षेत्र में वर्जित है।
जबकि इस काव्य खण्ड से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक में हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित किया गया है जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकते हैं।
आशीष राजपूत ( लखनऊ )
Twitter@YuvaanAshish
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