प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2
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About this ebook
कवि मित्रों! और सभी सामाजिक, बौद्धिक और प्रेम भाव की सत्ता में विलीन मानव जनों को मेरे खण्ड काव्य का यह द्वितीय काव्य खण्ड ' प्रेम - भाव ' समर्पित है क्योंकि इसे रचने में मुझ को जो भी भाव मिला वह इन्हीं से ही मिला और प्रेरणा भी प्रेम भाव से ही मिली और मेरे आलोचकों और पाठकों ने प्रेम भाव के विषय में जो कुछ बताया और सिखाया इस खण्ड काव्य में उन सबका ही खंडन है।
यह खण्ड काव्य ' प्रेम - भाव ' , जिसकी संकल्पना के साथ मेरी स्वयं की प्रेम के प्रति क्या भावनाएं है , मैं वह प्रस्तुत कर रहा हूं।
आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें।
अंततः मैं आपकी ओर से की गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई भी निर्देश दे सकते हैं।
इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जहां कहीं भी हिंदी के शब्दों का प्रयोग ना करके फारसी, उर्दू, या अन्य किसी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है वह मात्र काव्य को रचनात्मक रूप देने के लिए किया गया है। यह काव्य खण्ड मात्र काव्य प्रेमियों हेतु निर्मित किया गया है।
जबकि इस काव्य खण्ड ' प्रेम - भाव ' से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित की जाएगी; जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकेंगे।
- आशीष राजपूत ( लखनऊ )
Twitter@YuvaanAshish
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