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प्रकृति रहे निज प्रकृति में
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Ebook118 pages29 minutes

प्रकृति रहे निज प्रकृति में

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About this ebook

प्रकृति रहे निज प्रकृति में नामक पुस्तक कवयित्री इंदु पाराशर द्वारा लिखित प्रकृति की अद्भुत, असीम सत्ता को समर्पित, सुंदर मनोहरी कविताओं का मनोरम कोलाज़ है।

कंक्रीट के जंगलों में, स्व केंद्रित, यंत्रवत जीवन बिताते मानवों के बीच रहते हुए भी, यदि इन कविताओं को आप पढ़ेंगे तो आप स्वयं को प्रकृति की उसी विराट, अनुपम, उदार गोद में बैठे नन्हे शिशु सा आल्हादित महसूस करने लगेंगे।

एक ओर प्रकृति के प्रति हमारे द्वारा किए अन्याय व उसके परिणाम का एहसास आपको होगा तो भविष्य के प्रति आशा का संचार भी।

अत्यंत सुकोमल, मर्मस्पर्शी, उपमाओं का प्रयोग कदम-कदम पर आपके मन को रोमांचित कर आनंद से सराबोर कर देगा।

Languageहिन्दी
Release dateJul 7, 2023
ISBN9789389100877
प्रकृति रहे निज प्रकृति में

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    प्रकृति रहे निज प्रकृति में - Indu Parashar

    समर्पण

    प्रकृति रहे निज प्रकृति में, कभी न बदले चित्र,

    है अनंत शुभकामना, अक्षुण्ण  रहे पवित्र।

    धरती, अंबर, अनल और,  अनिल, नीर अवदान।

    जड़ चेतन सबको मिलें, प्रकृति के वरदान।

    प्रेम समर्पित प्रकृति को, जीवन का आधार।

    हैं कृतज्ञ नित प्रकृति के, बार-बार आभार।

    परिचय

    जन्म: 27 अक्टूबर 1954 पिपरिया, मध्य प्रदेश।

    शिक्षा: रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि, संस्कृत कोविद, इंदौर में 20 वर्ष रसायन शास्त्र व्याख्याता के रूप में अध्यापन कार्य। विज्ञान विषय को सरल सुरुचिपूर्ण और मनोरंजक बनाने के लिए एक अभिनव प्रयोग, जिसमें कक्षा 1 से कक्षा आठवीं तक के विज्ञान विषय को पाठ्यक्रम के अनुसार, कक्षावार, प्रत्येक पाठ को सरल, सुरुचिपूर्ण, गेय, मनोरंजक कविता में प्रस्तुत किया। यह प्रयोग 30, 000 से अधिक बच्चों के हाथों तक पहुंचाया गया, यह अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है। इसे राज्य शासन ने श्रेष्ठ नवाचार के रूप में पुरस्कृत व सम्मानित किया। आई.आई.एम. अहमदाबाद में सन 2015 एवं 2019 में इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन क्रिएटिविटी एंड इन्नोवेशन एट ग्रास रूट में श्रेष्ठ नवाचार के रूप में सहभागिता रही।

    अनेक साझा संकलनों में उपस्थिति दर्ज।

    अनेक पुस्तकों का संपादन।

    मंच संचालन में सिद्धहस्त व सोशल मीडिया पर सक्रिय।

    आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि से 1992 से संबद्ध।

    वामा साहित्य मंच (अध्यक्ष), साहित्य भारती मालव प्रांत (उपाध्यक्ष), रंजन कलश, हिंदी परिवार, मध्यप्रदेश लेखक संघ, आदि संस्थाओं से संबद्ध।

    फिल्म एवं प्रकाशन- 2008 में पिंकू कुन्नी नानी के घर जाएँगे नाम से एनिमेशन फिल्म का निर्माण। (हिंदी इंग्लिश दोनों भाषाओं में यूट्यूब पर उपलब्ध)

    प्रकाशित पुस्तकें-

    1. हरिवंश राय बच्चन एक अपराजित योद्धा, खंडकाव्य (हरिवंश राय बच्चन की जीवन गाथा)

    2. भाव सरिता (विविध समसामयिक भावों का प्रवाह)

    3. अंतर ज्वालाएँ काव्य-नाटिकाएँ (पौराणिक कथाएं नया दृष्टिकोण)

    4. भावगीता (श्रीमद्भगवद्गीता के संपूर्ण 18 अध्यायों का भावानुवाद काव्य में)

    5. मेरी डायरी (रिश्ते मोती हो गए)

    6. प्रकृति रहे निज प्रकृति में

    बाल साहित्य-

    7. कविता में विज्ञान भाग 1

    कक्षा एक से कक्षा 8 तक के संपूर्ण विज्ञान की कविता में प्रस्तुति।

    8. कविता में विज्ञान भाग 2 (पर्यावरण ज्ञान)

    पर्यावरण के संपूर्ण विज्ञान की कविता में प्रस्तुति।

    9. काव्य मंजूषा (बहु प्रचलित कथाओं का काव्यानुवाद)

    10. विचार वृक्ष (प्रेरणादाई विचारों का काव्य संग्रह)

    11. बच्चो देश तुम्हारा (देशभक्ति की कविताएँ)

    12. सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा

    पुरस्कार व सम्मान-

    विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संस्थानों से पुरस्कृत। काव्य कौस्तुभ 2016, विद्यावाचस्पति 2016, काव्य कलानिधि 2017, ज्ञान रत्न 2018, शब्द प्रवाह साहित्य अभ्युदय 2018 आदि अनेक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त।

    संप्रति- स्वतंत्र लेखन, एवं वामा साहित्य मंच के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत, कई साहित्यक एवं सामाजिक सरोकारों में

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