अर्पण
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पुस्तक परिचय
जीवन के रंगों से सजी यह काव्य पुस्तक 'अर्पण'
* ईश-भक्ति,
* राष्ट्रीय चेतना,
* सामाजिक चेतना,
* प्रकृति,
* जीवन शक्ति ,
* हास्य-व्यंग्य
* अटूट रिश्ते
नामक खंडों में विभाजित है| विभिन्न भाव पुष्पों से गुलदस्ते की तरह सजी हुई, इस कृति में कहीं ईश्वर के प्रति समर्पण भाव है तो कहीं राष्ट्रीय भावनाओं की तरंग है| जीवन से जुड़ी इन कविताओं में कहीं सामाजिक कुरीतियों के खंडन और प्रकृति संरक्षण की प्रेरणा है, तो कहीं हास्य व्यंग्य की फुलझड़ियाँ | नैतिक मूल्यों के प्रति सजग करती हुई यह रचना 'अर्पण' ई पुस्तक के रूप में आप सभी काव्य प्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत है |
सुनीता माहेश्वरी
जीवन के विभिन्न भावों को काव्य रूप में सजाने में निपुण सुनीता माहेश्वरी का जन्म १ जून १९५१ में अलीगढ़ (उ.प्र.) में एक संपन्न परिवार में हुआ| इनकी माता श्रीमती चंद्रवती केला तथा पिता श्री राम स्वरूप जी केला धार्मिक प्रवृत्ति के थे | सुनीता माहेश्वरी के व्यक्तित्व में अपने माता- पिता के संस्कारों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है| मन वचन और कर्म से भारतीयता तथा राष्ट्रीयता का भाव, उनके व्यक्तित्व की गौरव पूर्ण निधि है| सुनीता जी की शिक्षा अलीगढ़ में ही हुई | इन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम. ए. तथा एम. एड. किया | तत्पश्चात अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. किया | सुनीता जी ने निर्मला कॉन्वेंट स्कूल तथा दी आदित्य बिड़ला पब्लिक स्कूल, रेनुकूट में शिक्षण कार्य किया| इन्हें अपने छात्रों पर बहुत गर्व है | साहित्य पठन - पाठन में इनकी सदैव रुचि रही | इस कार्य में उन्हें अपने पति श्री हरी कृष्ण माहेश्वरी का सदैव सहयोग मिलता रहा | सेवा निवृत्ति के बाद ये साहित्य सृजन कार्य कर रही हैं | इनकी कुछ कविताएं विश्व मैत्री मंच से प्रकाशित ‘बाबुल हम तोरे अँगना की चिड़िया’ पुस्तक में प्रकाशित हुई हैं| इसके अतिरिक्त पत्रिकाओं में कविताएं एवं कहानियां प्रकाशित होती रहती हैं| प्रतिलिपि .कॉम तथा स्टोरी मिरर. कॉम पर कहानियां एवं कविताओं का प्रकाशन होता रहता है | आकाशवाणी नाशिक एवं रेडियो विश्वास नाशिक से इनकी कविताएं एवं कहानियां प्रसारित होती हैं | सुनीता माहेश्वरी साहित्य सरिता हिन्दी मंच नाशिक (कार्यकारिणी सदस्या) , अखिल भारतीय साहित्य परिषद नाशिक (कार्यकारिणी सदस्या),अखिल हिंदी साहित्य सभा , विश्व मैत्री मंच की महिला कार्यकारिणी सदस्या के रूप में हिन्दी साहित्य की सेवा में तत्पर हैं |
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