Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)
Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)
Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)
Ebook212 pages41 minutes

Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

नाम- डॉ. वी.के. शेखर आईपीएस (सेवानिवृत्त)
पिता का नाम- श्री बाबू राम आईआरएस (सेवानिवृत्त)
सेल नं.- 7906838651
जन्म तिथि- 27-07-1957
वर्तमान आवासीय पता- 214, जनहितकारी अपार्टमेंट, सेक्टर - 6, वसुंधरा, गाजियाबाद, यू.पी.
शैक्षिक योग्यता- स्नातकोत्तर- एमएससी- रसायन विज्ञान, रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, यूपी।
एम.ए.- राजनैतिक विज्ञान, रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, यू.पी.
एम.ए.- पत्रकारिता और जनसंचार, राजऋषि पुरुषोत्तम दास टंडन विश्व विद्यालय, इलाहाबाद।
पीएच.डी. -
राजनीति विज्ञान- रोहिलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, यूपी, वर्ष-2013.
खेलकूद- हॉकी, पावर-लिफ्टिंग और निशानेबाजी।
हॉबी- मानवीय मूल्यों का संवर्धन, पर्यटन, फोटोग्राफी, पढ़ना और लिखना।
पदक- राष्ट्रपति पुलिस पदक
पुरस्कार- भारत सरकार द्वारा साहित्य लेखन में पं गोविंद बल्लभ पंत पुरस्कार जब शायर अपनी शायरी में जीवन के यथार्थ की ओर मुड़ते हैं तो उनके सम्मुख जनजीवन के अनेक चित्र आ खड़े होते हैं। सामाजिक व राजनैतिक क्षेत्र की विद्रूपताएं, आर्थिक क्षेत्र की विषमताएं, धार्मिक क्षेत्र की नासमझियाँ और साहित्यिक क्षेत्र के अवमूल्यन, इन सब के विरुद्ध इंसानी जज़्बा और संघर्ष उन्हें कहीं न कहीं झकझोरते हैं और यही झकझोर उनकी शायरी में जब लफ़्ज़ बनकर चमक उठती है तो उनकी शायरी निखर उठती है।
मेरी किताब 'पीढ़ियों के वास्ते हम-आप ज़िम्मेदार हैं' आपके हाथों में है, आशा है कि यह आपकी सकारात्मक सोच को कुछ नए आयाम देने में सफल होगी।
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateDec 7, 2021
ISBN9789354868412
Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)

Related to Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)

Related ebooks

Related categories

Reviews for Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं)

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain (पीढ़ियों के वास्ते हम आप ज़िम्मेदार हैं) - V. K. Shekhar

    पीढ़ियों के वास्ते

    हम आप ज़िम्मेदार हैं

    eISBN: 978-93-5486-841-2

    © लेखकाधीन

    प्रकाशक डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.

    X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II

    नई दिल्ली- 110020

    फोन : 011-40712200

    ई-मेल : ebooks@dpb.in

    वेबसाइट : www.diamondbook.in

    संस्करण : 2021

    Pidhiyon Ke Vaaste Ham Aap Zimmedar Hain

    By - VK Shekhar IPS (Retd.)

    अपनी बात

    मन की कोई गहरी अनुभूति जब लयबद्ध ढंग से शब्दों में व्यक्त होती है तो अच्छी कविता का जन्म होता है। कविता की एक विधा शायरी भी है। कविता की विभिन्न विधाओं जैसे दोहा, चौपाई, कुण्डलियाँ आदि के कुछ विशिष्ट नियम होते हैं, इसी प्रकार शायरी के भी कुछ विशिष्ट नियम होते हैं जिनका पालन करना शायर के लिए ज़रूरी होता है। ग़ज़ल शेरों से मिलकर बनती है। अच्छे शेर में जीवन-यथार्थ का कोई-न-कोई ऐसा परिदृश्य निहित रहता है जो गहरी चिंतन-प्रक्रिया से गुज़रा हुआ होता है। यह लगता तो एकदम आसान-सा है लेकिन ज़रा-सा गौर करते ही पाठक अथवा श्रोता को पल भर में जटिल जिंदगी के किसी-न-किसी महत्त्वपूर्ण पहलू से एक झटके से रूबरू करा देता है। शेर कहा तो निहायत मासूमियत से जाता है परन्तु पाठक अथवा श्रोता के दिल पर इसका असर तत्काल होता है और यह असर लम्बे समय तक रहता है।

    अच्छी शायरी इंसानियत की हिमायती होती है और जज़्बात की दृष्टि से अच्छी शायरी में मानवता का पहलू ही सर्वोपरि होता है। शायर तो कागज़ पर मात्र अल्फाज़ की रेखाएं खींच देता है, किन्तु उसमें इंसानियत के नये-नये रंग स्वयमेव भरते चले जाते हैं और यह रंग वही होते हैं जो शायर, पाठक एवं श्रोता के दिलों में पहले से ही कहीं घुल रहे होते हैं और अनुकूल मौका पाकर खिल उठते हैं। शायरी में अतिसाधारणता में अतिअसाधारणता कुछ इस प्रकार घुली-मिली रहती है, कुछ ऐसे छुपी रहती है कि उसे ढूंढ़ना यद्यपि एकदम आसान तो नहीं होता है परन्तु बहुत मुश्किल भी नहीं होता है, बस प्रारंभ में थोड़ा मन लगाने की आवश्यकता होती है। बाद में मन अपने-आप लगने लगता है। साहित्य में छुपी असाधारणता (शायर के मंतव्य और संकेत) को ढूंढ लेने पर तो पाठक को आत्मिक आनंद मिलता ही है बल्कि ढूंढ़ने की प्रक्रिया में भी उसे अवर्णनीय सुख मिलता है।

    अच्छी शायरी में संकेतों और रूपकों के माध्यम से ज़िन्दगी व्याख्यायित होती है। चाहे ज्ञान का मार्ग हो या भक्ति का, कर्म का हो या प्रेम का इन सभी मार्गों में व्यक्ति की ‘अना’ (अहं) सबसे बड़ी बाधा है। इस अहं की बाधा को तोड़ कर ही आशिक़ (इंसान) अपने महबूब (ईश्वर) को पा सकता है। अहं की बाधा को तोड़ कर इंसान के ईश्वर को पाने के इस प्रयत्न में इंसान अपने कर्तव्य का सही प्रकार पालन करते हुए और अपनी कार्यक्षमता के स्तर को सर्वोच्च स्तर पर लाते हुए अपनी पूर्णता को प्राप्त करता है। इंसान को अपनी ज़िन्दगी जीने की दिशा को सही ढंग से निर्धारित करने में और ज़िन्दगी में अपने कर्तव्यों का सही प्रकार से पालन करने हेतु प्रेरित करने में शायरी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।

    शायरों ने प्रायः अपने महबूब के सौन्दर्य का वर्णन कुछ इस तरह किया है कि उसमें ईश्वर का सौन्दर्य प्रतिबिम्बित हो जाए। अच्छे शायर प्रायः मज़हब परस्त होते हुए भी इन्सानियत के हिमायती होते हैं। वे दूसरे मज़हब के लोगों को भी उदारता से देखने का सबक देते हैं। वे अपनी शायरी में वह सब कुछ लाना चाहते हैं, जिससे वे ख़ुदा के सामने अपने-आप को गुनहगार न समझें वरन् ख़ुदा का सच्चा बंदा साबित कर सकें और इसीलिए अपनी शायरी में वे उन सभी बातों को या तो छोड़ना चाहते हैं या उनका विरोध करना चाहते हैं, जो इन्सानियत के विरुद्ध हैं।

    बिना दूसरों के दुःख के एहसास के अच्छी शायरी हो ही नहीं सकती। किसी भी शायर की शायरी तभी अच्छी मानी जाती है जब उसके शेर समय-समय पर याद आएं, जीवन के सच्चे अनुभवों से जुड़े हों, इंसान के सुख-दुःख के

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1