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हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह)
हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह)
हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह)
Ebook184 pages46 minutes

हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह)

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About this ebook

ग़ज़ल संग्रह "हुई हैं चाँद से बातें हमारी" एक ऐसा ग़ज़ल संग्रह है जो ग़ज़ल के सभी अवयवों से सुसज्जित है। सभी ग़ज़लों में भाव-प्रवरता एवं छन्दानुशासन का आकर्षक संतुलन देखने को मिलता है जो ग़ज़लों को सहज लालित्य प्रदान करता है।

 

एक साहित्यकार में मूलतः तीन तत्वों का होना ज़रूरी है- अनुभूति, अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की क्षमता। डा. अर्चना गुप्ता की इन सभी ग़ज़लों में अवयवों की यह त्रिवेणी स्वतः उपस्थित है जो इन ग़ज़लों को पूर्णता प्रदान करती है।

Languageहिन्दी
Release dateAug 29, 2023
ISBN9788119476862
हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह)

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    हुई हैं चाँद से बातें हमारी (ग़ज़ल संग्रह) - Dr. Archana Gupta

    हुई हैं चाँद से बातें हमारी

    डॉ. अर्चना गुप्ता

    Shape Description automatically generated with low confidence

    Published by:

    Sahityapedia Publishing

    Noida, India – 201301

    www.sahityapedia.com

    Contact - +91-9618066119, publishsahityapedia.com

    Copyright © 2023 Dr. Archana Gupta

    All Rights Reserved

    First Edition – 2023

    ISBN - 978-81-19476-86-2

    No part of this book may be reproduced, stored in or introduced into a retrieval system, or transmitted, in any form, or by any means (electrical, mechanical, photocopying, recording or otherwise) without the prior written permission of the author & the publisher.

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    The publisher of this book is not responsible and liable for its content including but not limited to the statements, information, views, opinions, representations, descriptions, examples, and references. The Publisher does not endorse the content of this book or guarantee the completeness and accuracy of the content. The Publisher does not make any representations or warranties of any kind.

    मन की बात

    जब मेरा पहला ग़ज़ल संग्रह 'ये अश्क होते मोती' आया था तभी सोचा था शीघ्र ही दूसरा ग़ज़ल संग्रह लाऊँगी। लेकिन कई विधाओं में लिखने के कारण मेरे दो कुण्डलिया संग्रह, 'अर्चना की कुण्डलिया भाग-1' और 'अर्चना की कुण्डलिया भाग-2' पहले आये। इसके बाद एक गीत संग्रह 'मेघ गोरे हुए साँवरे' आया। इसी क्रम में दो बाल कविता संग्रह 'नन्ही परी चिया' और 'अक्कड़ बक्कड़' प्रकाशित हुए। अब मैं अपनी सातवीं पुस्तक के रूप में ये ग़ज़ल संग्रह ('हुई हैं चाँद से बातें हमारी') लेकर उपस्थित हूँ। संग्रह की इन इन्द्रधनुषी ग़ज़लों में सामाजिक चिंतन, श्रृंगार, देशभक्ति, ख़ुशी, ग़म, ज़िन्दगी आदि विषयों का समावेश किया गया है। इस संग्रह में ग़ज़लों को विभिन्न इक्कीस बहरों के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। ये मेरे ऊपर माँ शारदे की ही विशेष कृपा है जो मैं कुछ सृजन कर पा रही हूँ। उनके श्री चरणों में मेरा शत-शत नमन। यही कामना करती हूँ कि माँ का आशीष मुझ पर सदैव यूँ ही बना रहे।

    आदरणीय लव कुमार 'प्रणय' जी जिनका मेरी इस साहित्यिक यात्रा में बहुत बड़ा योगदान है उनका दिल से आभार व्यक्त करती हूँ। आपसे प्रेरणा, मार्गदर्शन और स्नेह मुझे सतत मिलता रहता है। आपको मेरा सादर नमन।

    आदरणीय भूपेंद्र सिंह 'होश' जी का किन शब्दों में आभार व्यक्त करूँ। आपने अपना बहुत सारा बहुमूल्य समय अपने आशीर्वाद के साथ इस संग्रह को दिया। आपसे बहुत कुछ सीखने को भी मिला। इस पुस्तक की भूमिका लिखकर आपने जो अपना अगाध स्नेह प्रदान किया उसके लिए मैं हृदय से नमन करती हूँ। आशा है आपका आशीष मुझे सदैव मिलता रहेगा।

    परिवार का सहयोग न हो तो कोई कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता। मैं अपने आपको भाग्यशाली समझती हूँ क्योंकि मुझे हर क़दम में अपने जीवन साथी अतुल गुप्ता जी और बच्चों का पूरा साथ और प्यार मिला।

    साहित्यपीडिया पब्लिशिंग की टीम का आभार व्यक्त करती हूँ जिनके अथक परिश्रम के कारण ये ग़ज़लें एक सुंदर पुस्तक का रूप ले सकीं।

    इसके अतिरिक्त मैं अपने उन सभी मित्रों का आभार व्यक्त करती हूँ जिनसे मुझे लगातार प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता रहता है।

    मुझे आशा है मेरा ये ग़ज़ल संग्रह भी आपको मेरी अन्य पुस्तकों की ही तरह अवश्य पसन्द आएगा।

    इसी कामना के साथ

    - डॉ. अर्चना गुप्ता

    अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... हुई हैं चाँद से बातें हमारी

    यदि पद्य-साहित्य की चर्चा की जाए तो बिना किसी संदेह के आज के समय में यह कहा जा सकता है कि ग़ज़ल सबसे लोक-प्रिय विधाओं में से एक है। स्वाभाविक है कि साहित्य के पटल पर एक बहुत बड़ी संख्या ग़ज़लकारों की है जिसमें मुसलसल इज़ाफ़ा हो रहा है। नतीजतन ग़ज़ल-संग्रहों का प्रकाशन भी बढ़ रहा है। ग़ज़ल मूलतः क्या है और समय के साथ परिववर्तित हो कर आज क्या हो गई है इससे आप सभी वाक़िफ़ हैं। फिर भी मैं संक्षेप में बदलाव की दो बातों का ज़िक़्र करूँगा जो स्पष्ट नज़र आती हैं।

    1. विषय-वस्तु :

    ग़ज़ल की विषय-वस्तु [मौलिक रूप में] महबूब से गुफ़्तुगू थी यानी प्रेमिका या ख़ुदा से बात-चीत। ग़ज़ल का ये प्रारम्भिक रूप है जो

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