हर बात में तेरा ज़िक्र : 'नज़्में'
()
About this ebook
तारों की सरगोशियों में जब नींद से कोई बात न हो तब नज़्में कहती हैं वो सारे एहसास जो जज़्बात की ज़मीन से महक-बहक कर फूटे हैं और उछालें मारते हैं कभी एक नव यौवना हिरनी के जैसे तो कभी तेज़ रफ़्तार से आ कर सिमट जाते हैं सागर में भाटा हो जैसे। पल-पल बदलते से एहसास मगर मजाल है कि मुहब्बत ज़रा भी कम हो। इस कसक में कोई अपनी कसक महसूस न करे… हो ही नहीं सकता!
ऐसे ही हसीन जज़्बातों से लबरेज कुछ हर्फ़, कुछ अल्फ़ाज़, कुछ नए अन्दाज़, कुछ पुराने छूटे आग़ाज़ से उठी हुई नज़्मों का संग्रह है- 'हर बात में तेरा ज़िक्र'। नज़्मकारा करुणा राठौर 'टीना' ने हर नज़्म में अपनी धड़कनें पिरोयी हैं। गहरे जज़्बातों में गूँथी ये नज़्में पढ़ कर आप अपनी मुहब्बत में आये उतार चढ़ावों की संजीदगी भी महसूस कर सकते हैं।
Related to हर बात में तेरा ज़िक्र
Related ebooks
तुम पलाश, मैं फूल तुम्हारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्यांजलि - जीवन एक मौन अभिव्यक्ति Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJis Raah Jana Zaruri Hai... Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसब तुम्हारा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsतरुणाई के तीर (गीत-संग्रह) Rating: 5 out of 5 stars5/5प्रेम प्रसून (काव्य संग्रह) Rating: 5 out of 5 stars5/5परवाज़ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMere He Shunya Mein Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसत्यार्थ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsफुहार एक हल्की सी (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsZindagi, Dard Aur Ehsas Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकोमल कलियाँ: दिल से लिखी गई कविताओं का संग्रह Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBhataktein Shabd Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsEk Baar To Milna Tha Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPathik Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAatm Sangeet (आत्म संगीत) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings30 दिन 30 रातें 30 कविताएँ उफ़नते अनगिनत जज्बात Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबांसुरी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsज़िंदगी एक अहसास Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsReshami Siharan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsप्रेम-प्रतिमा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBikhra Sach Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजीवन के रंग व्यंग्य Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआरजू Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजीवन रागिनी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबीइंग हार्ट: Poetry, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभीगे जज़्बात ( एक काव्य संग्रह ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsUnmukt Chhand Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAnubhutiyan (अनुभूतियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsबिक रही हैं बेटियाँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related categories
Reviews for हर बात में तेरा ज़िक्र
0 ratings0 reviews
Book preview
हर बात में तेरा ज़िक्र - Karuna Rathor 'Tina'
समर्पण
मेरी पहली पुस्तक
मैं मेरे पूज्य माता-पिता,
श्रीमती शशि पुनिया
एवं
श्री उदयभान पुनिया
को समर्पित करती हूँ
जो मुझे हर परिस्थिति में
सदैव सकारात्मक एवं कर्मशील
रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
"वो फ़रमाइश, वो ख़्वाहिश वो आरज़ू तो न थी
वो इत्तिफ़ाक़ वो मुलाक़ात कोई गुफ़्तगू तो न थी
जो गुज़री है हम पर तेरी इनायत-ओ-करम है
फ़ेहरिस्त ख़्वाबों की थी तेरी जुस्तजू तो न थी।"
- करुणा राठौर ‘टीना’
शुभकामना सन्देश
डॉ० पाली चन्द्रा
हर बात में तेरा ज़िक्र
ये टीना का पहला काव्य संग्रह है। शीर्षक जितना भाव परिपूर्ण है उससे कहीं ज्यादा रचनाएँ। ये तुम्हारी कविताएँ मुझे फिर से उसी राह पर ले जा रही हैं जहाँ मैं अपने प्यार को महसूस किया करती थी। मुझे लगता है कि एक समय के बाद ज़िन्दगी के विभिन्न आयामों में कभी कभी आप भूल जाते हो कि प्यार में होना कैसा होता था और कभी- कभी गुस्सा आ रहा है कि मैं उनको भूल क्यों गई। बहुत ही संवेदनशील भाव और एक नृत्यांगना की नज़र से बड़ा ही लयात्मक और रसात्मक है जिसमें कितने ही तरह के भेदों का प्रयोग किया जा सकता है जैसे कि गति भेद, चारी भेद, भ्रूव भेद, ग्रीवा भेद, दृष्टि भेद इत्यादि। यहाँ शब्द बड़ा ही गतिमान है।
भाषा जो है एक संस्कृति को ले कर आती है और तुम्हारा लेखन विभिन्न संस्कृतियों से मिलवाता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे एक नदी विभिन्न किनारों की मिट्टी को अपने साथ लेती रहती है और बहती रहती है। तुम्हारी रचनाओं में भी वही प्रवाह है जो न केवल विभिन्न संस्कृतियों बल्कि लोगों को और उनके भावों एवं विचारों को गीतात्मक रूप में लयबद्ध करता है।
अनुभव एक यात्रा है जिसे तुमने जीया है। चाहे हर पहलू अपनी कविताओं में न जीया हो मगर कुछ हिस्सा तो किसी और से जोड़ कर और फिर उसको गहराई से महसूस कर के शब्दों मे ढाला, तुम दूसरों की ज़िन्दगियों को भी बहुत अंदर तक समझ सकती हो और यही तुम्हारी ख़ूबी है। इसीलिए तुम्हारी कविताओं में मुझे तुम्हारा अनुभव तो दिखता ही है लेकिन एक संदेश भी मिलता है कि ज़िन्दगी का जो आईना होता है उस आईने से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिये।
जब भी आप उन पलों को याद करो जब आपने उन ख़ास लम्हों को जीया था यह ज़रूरी नहीं कि हर बार वो यादें आपको ख़ुशी दे जायें क्योंकि शायद ये सब अब नहीं है और इसीलिए स्मृतियाँ आपको उदास करने लगती हैं। मुझे लगता है कि तुम्हारी ये कविता मुझे सी-सॉ झूले की तरह कभी ख़ुशी और कभी उदासी में साथ साथ ले कर जा रही हैं और यही बात तुम्हें अति संवेदवनशील बनाती