Tumahari Kalam Se
By Arun Sagar
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शायरी की दुनिया में मेरा सफ़र जारी है। तमाम ख़ुशियों और बेतरतीब ग़मों को अपने शेरों में पिरोने का सिलसिला चल रहा है। ज़िंदगी में जो बेहद करीब थे, वो दूर चले गये, जिसका असर ज़ेहन के साथ-साथ मेरी शायरी पर भी पड़ा। मगर मुझे ऐसा लगता है कि दर्द उससे ज़्यादा बढ़ गया है, मेरे हर शेर में, जिसकी झलक आपको दिखायी देगी। मैंने अपने दर्द के साथ-साथ ज़माने के दर्द को भी शेरियत प्रदान करने की कोशिश की है जो दिखायी देता है, जो सुनायी देता है, शेर में उतारने की कोशिश करता हूं। इस सफ़र में तमाम मुश्किलें सामने रहती हैं, कुछ अपनों द्वारा खड़ी की गयीं, तो कुछ गैरों द्वारा। फिर भी कोशिशें जारी हैं। हौसला है तो सिर्फ उनका जो हमें सीधे-सीधे या आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के माध्यम से सुनते हैं। साथ ही उन पाठकों का, जो मेरी किताब पढ़ते हैं। अब तक मेरी दो किताब ‘तनहाइयों का शोर’ और ‘रहगुज़र’ प्रकाशित हो चुकी हैं जिन्होंने मुझे शायरी की बज़्म में पहचान बनाने में मदद की है। तीसरी किताब ‘तुम्हारी कलम से’ आपके सामने है।
मैं आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में रहूंगा।
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Book preview
Tumahari Kalam Se - Arun Sagar
तुम्हारी कलम से
eISBN: 978-93-8597-537-0
© लेखकाधीन
प्रकाशक: डायमंड पॉकेट बुक्स (प्रा.) लि.
X-30 ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-II
नई दिल्ली-110020
फोन: 011-40712100, 41611861
फैक्स: 011-41611866
ई-मेल: ebooks@dpb.in
वेबसाइट: www.diamondbook.in
संस्करण: 2015
तुम्हारी कलम से
लेखक: अरुण सागर
यह किताब आवरण पृष्ठ पर
दर्ज़ क़लम और कलाई
को समर्पित है
शेर हमारे दर्द तुम्हारे
दोस्तो!
शायरी की दुनिया में मेरा सफ़र जारी है। तमाम ख़ुशियों और बेतरतीब ग़मों को अपने शेरों में पिरोने का सिलसिला चल रहा है। ज़िंदगी में जो बेहद करीब थे, वो दूर चले गये, जिसका असर ज़ेहन के साथ-साथ मेरी शायरी पर भी पड़ा। मगर मुझे ऐसा लगता है कि दर्द उससे ज़्यादा बढ़ गया है, मेरे हर शेर में, जिसकी झलक आपको दिखायी देगी। मैंने अपने दर्द के साथ-साथ ज़माने के दर्द को भी शेरियत प्रदान करने की कोशिश की है जो दिखायी देता है, जो सुनायी देता है, शेर में उतारने की कोशिश करता हूं। इस सफ़र में तमाम मुश्किलें सामने रहती हैं, कुछ अपनों द्वारा खड़ी की गयीं, तो कुछ गैरों द्वारा। फिर भी कोशिशें जारी हैं। हौसला है तो सिर्फ उनका जो हमें सीधे-सीधे या आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के माध्यम से सुनते हैं। साथ ही उन पाठकों का, जो मेरी किताब पढ़ते हैं। अब तक मेरी दो किताब ‘तनहाइयों का शोर’ और ‘रहगुज़र’ प्रकाशित हो चुकी हैं जिन्होंने मुझे शायरी की बज़्म में पहचान बनाने में मदद की है। तीसरी किताब ‘तुम्हारी कलम से’ आपके सामने है।
मैं आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में रहूंगा।
‒अरुण सागर
परिचय
जन्म -तिथि-05.10.1971
स्थान -बलिया
पूरा नाम-अरुण शंकर राय
शिक्षा-परा-स्नातक (प्राचीन इतिहास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
प्रकाशित कति-1. तनहाइयों का शोर 2. रहगुज़र
प्रकाशकाधीन-‘तुमसा कोई मीत नहीं’
सम्मान -
कायाकल्प साहित्य कला फाउंडेशन ‘साहित्य श्री’ सम्मान
हरिश्चंद्र त्यागी फाउंडेशन ग़ाज़ियाबाद का ‘नवोदित प्रतिभा सम्मान’
अखिल भारतीय सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति ‘दामोदर चतुर्वेदी सम्मान’, पं. राम गोपाल चतुर्वेदी सम्मान, भाषा-भारती सम्मान,
पं. राम प्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन का बिस्मिल सम्मान -2013
अखिल भारतीय हिन्दी विधि प्रतिष्ठान शाखा, ग़ाज़ियाबाद का हिन्दी दिवस सम्मान -2013’
गीताभ संस्था, ग़ाज़ियाबाद का ‘युवा गीतकार सम्मान, 2013
सर्व भाषा संस्कृति समन्वय समिति का ‘संस्कृति समन्वय सम्मान -2014’
विक्रमशिला विद्या पीठ का ‘विद्या वाचस्पति’ ‘सम्मान 2014
व्यवसाय -डिप्टी कमिश्नर, वाणिज्य कर नोएडा।
लेखन-गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहा।
काव्य पाठ- दूरदर्शन डी डी 1, राष्ट्रीय सहारा, जी न्यूज, इंडिया टी वी, न्यूज नेशन, समाचार प्लस, आकाशवाणी, प्रसार भारती आदि पर काव्य -पाठ एवं साहित्य परिचर्चा में सहभागिता।
अभिरुचि -काव्य लेखन, काव्य-पाठ, काव्य-गोष्ठियों एवं साहित्यिक परिचर्चाओं एवं कवि-सम्मेलनों का आयोजन एवं भारत भ्रमण।
संपर्क :
Tower T-707
Amrapali Silicon City
Sector -76 Noida 201301
Mobile No. 09871006902
Email ID : arunsagar71@gmail.com
प्रतिक्रिया
अलौकिक संगीत की सरगम
किसी भी देश का साहित्य वहां की संस्कृति-सभ्यता का समग्र प्रतिबिम्ब होता है। काव्य किसी देश-काल के परिवेश में अनुभूति की