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डॉ. प्रभांशु की कलम से: Poetry, #1
डॉ. प्रभांशु की कलम से: Poetry, #1
डॉ. प्रभांशु की कलम से: Poetry, #1
Ebook177 pages51 minutes

डॉ. प्रभांशु की कलम से: Poetry, #1

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मेरी पुस्तक "डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह" मेरा दूसरा काव्य संग्रह है। इस संग्रह की अधिकतर कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित है। मेरी कविताओं के कैनवास पर समाज के सभी रंग बोलते है। समय और समाजिक समकालीन विषयों से संवाद करती, मेरी कविताओं में समीकरण है, जोकि समाज का प्रतिबिंब है। मेरा काव्य संग्रह जहाँ एक ओर बचपन की यादें समेटे हुए हैं, तो वही दूसरी ओर इसमें श्रृंगार का वचन भी है।
अगर देखे तो मेरी कुछ रचनाएँ - "कूड़े वाला आदमी", "लेबर चौराहा" समाज के नीचे तबके के आदमी के जीवन को परिभाषित करती है । भारतीय संस्कृति का पुनः नवजागरण करती मेरी कुछ रचनाएँ- "ईश्वर कभी सोता नहीं है" "आस्था का कुंभ" से हमारी संस्कृति की महक सी आती है।
 मेरी कविता "जिंदगी एक सींख" बच्चों से लेकर बूढ़ो तक में नवजीवन का संचार करती है।
  "डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह" आपके हाथों तक पहुंचाने का सारा श्रेय मैं अपने माता-पिता और मेरी हृदयस्पर्शी धर्मपत्नी एवं लेखिका श्रीमती सविता को प्रदान करता हूं और इनके सहयोग के लिए मैं इनका सहृदय आभारी हूँ ।
अन्त में दो शब्द लिखते हुएं- मैं अपनी कविता "कोरोनावायरस: एक वैश्विक संक्रमण" के माध्यम से इस कोरोना महामारी मे मरे समस्त लोगों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मैं "साहित्नुयरागी प्रकाशक *Authors Tree Publishing*" की कृपा एवं उदारता का भी आभारी हूँ।

Languageहिन्दी
Release dateSep 9, 2021
ISBN9789391078980
डॉ. प्रभांशु की कलम से: Poetry, #1

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    Book preview

    डॉ. प्रभांशु की कलम से - Dr. Prabhanshu Kumar

    Authors Tree Publishing

    KBT MIG - 8, Housing Board Colony

    Bilaspur, Chhattisgarh 495001

    Published By Authors Tree Publishing 2021

    Copyright © Dr. Prabhanshu Kumar, 2021

    All Rights Reserved.

    ISBN: 978-93-91078-98-0

    MRP: Rs. 299/-

    This book has been published with all reasonable efforts taken to make the material error-free after the consent of the author. No part of this book shall be used, reproduced in any manner whatsoever without written permission from the author, except in the case of brief quotations embodied in critical articles and reviews. The author of this book is solely responsible and liable for its content including but not limited to the views, representations, descriptions, state-ments, information, opinions and references [content]. The content of this book shall not constitute or be construed or deemed to reflect the opinion or expression of the publisher or editor. Neither the publisher nor editor endorse or approve the content of this book or guarantee the reliability, accuracy or completeness of the content published herein and do not make any representations or warranties of any kind, express or implied, including but not limited to the implied warranties of merchantability, fitness for a particular purpose. the publisher and editor shall not be liable whatsoever for any errors, omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause or claims for loss or damages of any kind, including without limitation, indirect or consequential loss or damage arising out of use, inability to use, or about the reliability, accuracy or sufficiency of the information contained in this book.

    डॉ. प्रभांशु

    की

    कलम से

    (काव्य संग्रह)

    ––––––––

    डॉ. प्रभांशु कुमार

    दो शब्द

    मेरी पुस्तक डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह मेरा दूसरा काव्य संग्रह है। इस संग्रह की अधिकतर कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित है। मेरी कविताओं के कैनवास पर समाज के सभी रंग बोलते है। समय और समाजिक समकालीन विषयों से संवाद करती, मेरी कविताओं में समीकरण है, जोकि समाज का प्रतिबिंब है। मेरा काव्य संग्रह जहाँ एक ओर बचपन की यादें समेटे हुए हैं, तो वही दूसरी ओर इसमें श्रृंगार का वचन भी है।

    अगर देखे तो मेरी कुछ रचनाएँ - कूड़े वाला आदमी, लेबर चौराहा समाज के नीचे तबके के आदमी के जीवन को परिभाषित करती है । भारतीय संस्कृति का पुनः नवजागरण करती मेरी कुछ रचनाएँ- ईश्वर कभी सोता नहीं है आस्था का कुंभ से हमारी संस्कृति की महक सी आती है।

    मेरी कविता जिंदगी एक सींख बच्चों से लेकर बूढ़ो तक में नवजीवन का संचार करती है।

    डॉ. प्रभांशु की कलम से: काव्य संग्रह आपके हाथों तक पहुंचाने का सारा श्रेय मैं अपने माता-पिता और मेरी हृदयस्पर्शी धर्मपत्नी एवं लेखिका श्रीमती सविता को प्रदान करता हूं और इनके सहयोग के लिए मैं इनका सहृदय आभारी हूँ ।

    अन्त में दो शब्द लिखते हुएं- मैं अपनी कविता कोरोनावायरस: एक वैश्विक संक्रमण के माध्यम से इस कोरोना महामारी मे मरे समस्त लोगों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। मैं साहित्नुयरागी प्रकाशक *Authors Tree Publishing* की कृपा एवं उदारता का भी आभारी हूँ।

    डॉ. प्रभांशु कुमार

    बधाई संदेश

    माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा

    C:\Users\admin\Downloads\WhatsApp Image 2021-08-21 at 10.24.10 PM.jpeg

    शुभकामना संदेश

    माननीय संसद सदस्य जी के द्वारा

    C:\Users\admin\Downloads\WhatsApp Image 2021-08-20 at 9.29.07 PM.jpeg

    बधाई संदेश

    C:\Users\admin\Downloads\WhatsApp Image 2021-08-21 at 10.56.24 AM.jpeg

    फौजदार माली

    उप सूचना निदेशक (से. नि)

    एवं प्रतिष्ठित साहित्यकार

    (उ. प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा सन् 2013 में विजय देव नरायण शाही पुरस्कार से पुरस्कृत।)

    मैं, "डॉ. प्रभांशु कुमार की रचनाओं" के विषय में दो शब्द प्रस्तुत करते हुए बहुत ही प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ।

    आपकी रचनाओं में कल्पना और जीवन की वास्तविकता का अद्भुत संगम है । आपने अपनी रचनाओं में भारतीय समाज के विभिन्न रंगों को भरने का प्रयास किया है। आपकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति के अनोखेपन को दर्शाती है।

    अन्त में, मै आपके पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई देते हुए, आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

    बधाई संदेश

    C:\Users\admin\Downloads\WhatsApp Image 2021-08-21 at 10.23.20 PM.jpeg

    अजामिल

    सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय साहित्यकार

    प्रयागराज

    युवाकवि प्रभांशु कुमार की कविताएं आज के समय को बेहद ईमानदारी से व्यक्त करती हैं। प्रभांशु जी अपनी कविताओं में मौजूदा सामाजिक विसंगतियों और विकृतियों को गहराई से समझने और समझाने के विनम्र प्रयास किया हैं।

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