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प्रत्यक्ष: Poetry, #1
प्रत्यक्ष: Poetry, #1
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Ebook84 pages25 minutes

प्रत्यक्ष: Poetry, #1

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About this ebook

प्रिय पाठकों,
मेरा परिचय, रमेश सिंह गौर, "निराला साहित्य संगम" का सदस्य हूँ। इस मंच के माध्यम से लेखन का सफर शुरू किया। आदणीय मंच को प्रणाम करता हूँ।
मन के विचारों, व्यथा और सोच को इन कविताओं में संजोने की प्रेरणा, मुझे पूज्य महापुरुषों, आदर्णीय पूर्वजों, माता-पिता भाई बन्धुओं के स्नेह और आशीर्वाद से मिला है।
सोचता हूँ की आज के कलयुगी समाज में क्या हो रहा है। इस पर कुछ रचनायें लिखने का प्रयास किया है। यह आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ। मुझे अपना स्नेह, प्रोत्साहन और आशीर्वाद प्रदान करें, जिससे मैं और भी नयी रचनाओं का लेखन कर सकूँ।
पाठकों, इस पुस्तक के लेखन में मेरे प्रिय मित्रों का महत्वपूर्ण सहयोग और समर्थन मिला है। ईश्वर श्री गणेश की कृपा से आज लेखक के रूप में आपके समक्ष हूँ । इन रचनाओं में मेरे परिवार का अभुत्व सहयोग मिला। मेरी मित्र मेरी पत्नि और पुत्र-पुत्रियों का धन्यवाद है।
मेरे मंचन शायरो - कवियों को आभार व्यक्त करता हूँ। (श्री) जनाब स्व. असगर अली, (श्री) जनाब जे आलम, श्री रामेश्वर गुप्ता, श्री राम प्रकाश (ओझा), (श्री) जनाब झाँसी कोंचवी, श्री० अखिलेश (एडवोकेट)।
सभी को दिल से धन्यवाद।

लेखक का संक्षिप्त परिचय

नाम- रमेश गौर
पिता- स्वः श्री गणेश सिंह गौर
माता- स्वः श्रीमती यशोदा सिंह गौर
         स्व: श्रीमती देवकी सिंह गौर
जन्म तिथि - 10-10-1950
जन्म-स्थान- फिरोजपुर (पंजाब)
मूल निवासी- जयपुर (राजस्थान)
स्थायी निवासी- झाँसी (उ० प्र०)
रुचि- गायन-वादन-साहित्य सेवा तथा सामाजिक कार्यों में सहयोग व नाटक आदि कार्यों में सक्रिय भागीदारी।
लेखन- पत्र-पत्रिकाओं तथा अन्य संकलनों में रचनायें प्रकाशित।
प्रकाशित कृति- भजन मंजरी (भजन संग्रह)।
 

Languageहिन्दी
Release dateJan 19, 2022
ISBN9789391078805
प्रत्यक्ष: Poetry, #1

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    प्रत्यक्ष - Ramesh Gour

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