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प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2
राष्ट्र - भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #3
कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1
Ebook series3 titles

AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD

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About this series

 कवि मित्रों और पाठकों! भारतीय युवाओं और विद्यार्थियों को मेरे खण्ड काव्यों का यह तृतीय काव्य खण्ड ' राष्ट्र - भाव ' पूर्ण रूप से समर्पित है। इस खण्ड काव्य में मैंने भारत के युवाओं की वर्तमान स्थिति को दर्शाने का पूर्ण प्रयास किया है।

यह खण्ड काव्य ' राष्ट्र - भाव ' जो विशेष रूप से युवाओं और छात्रों को चिन्हित करते हुए व्यक्त किया गया है मैं वह प्रस्तुत कर रहा हूं।

आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; यह एक काव्य अभिव्यंजना है तो कृपया किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें।

अंततः मैं आपकी ओर से की गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप  ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई भी निर्देश दे सकते हैं या इस खण्ड काव्य पर कोई प्रतिक्रिया देने हो तो ट्विटर पर हैशटैग #YuvaanAshish लिख कर अपनी प्रतिक्रिया दें।

इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जो भी भाव व्यक्त किया गया है वह कवि की निजी भावनाओं से संबंधित हैं अतः यह पूर्णतः आप पर ही निर्भर करेगा कि आप कवि द्वारा रचित इस खण्ड काव्य के रंजन में रुचि रखते हैं या नहीं। 

और इस काव्य खण्ड ' राष्ट्र - भाव ' से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित की जाएगी; जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकेंगे।








 

                                                                              

                                                               - आशीष राजपूत ( लखनऊ )

                                                                 Twitter@YuvaanAshish

 

Languageहिन्दी
Release dateApr 30, 2021
प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2
राष्ट्र - भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #3
कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1

Titles in the series (3)

  • कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1

    1

    कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1
    कर्म भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #1

    कवि मित्रों! और सभी सामाजिक प्राणियों को मेरे काव्य का यह प्रथम काव्य खण्ड समर्पित है क्योंकि इसे रचने में मुझ को जो भी भाव मिला वह समाज से ही मिला और प्रेरणा भी समाज से ही मिली लेकिन मेरे सहपाठियों और गुरुओं ने भी जो कुछ काव्य के विषय में बताया और सिखाया उनके लिए मैं उन सभी का सदैव आभारी रहूंगा।  आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें। अंततः मैं आपकी ओर से कि गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप  ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई निर्देश दे सकते हैं। इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जहां कहीं भी हिंदी के शब्दों का प्रयोग ना करके फारसी, उर्दू, या अन्य किसी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है वह मात्र काव्य को रचनात्मक रूप देने के लिए किया गया है। यह काव्य खण्ड मात्र काव्य प्रेमियों हेतु निर्मित किया गया है। इस रचना खण्ड का प्रयोग हिंदी शिक्षा के क्षेत्र में वर्जित है।  जबकि इस काव्य खण्ड से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक में हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित किया गया है जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकते हैं।     आशीष राजपूत ( लखनऊ ) Twitter@YuvaanAshish

  • प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2

    2

    प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2
    प्रेम भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #2

     कवि मित्रों! और सभी सामाजिक, बौद्धिक और प्रेम भाव की सत्ता में विलीन मानव जनों को मेरे खण्ड काव्य का यह द्वितीय काव्य खण्ड ' प्रेम - भाव '  समर्पित है क्योंकि इसे रचने में मुझ को जो भी भाव मिला वह इन्हीं से ही मिला और प्रेरणा भी प्रेम भाव से ही मिली और मेरे आलोचकों और पाठकों ने प्रेम भाव के विषय में जो कुछ बताया और सिखाया इस खण्ड काव्य में उन सबका ही खंडन है। यह खण्ड काव्य ' प्रेम - भाव ' , जिसकी संकल्पना के साथ मेरी स्वयं की प्रेम के प्रति क्या भावनाएं है , मैं वह प्रस्तुत कर रहा हूं। आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें। अंततः मैं आपकी ओर से की गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप  ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई भी निर्देश दे सकते हैं।   इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जहां कहीं भी हिंदी के शब्दों का प्रयोग ना करके फारसी, उर्दू, या अन्य किसी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया गया है वह मात्र काव्य को रचनात्मक रूप देने के लिए किया गया है। यह काव्य खण्ड मात्र काव्य प्रेमियों हेतु निर्मित किया गया है। जबकि इस काव्य खण्ड ' प्रेम - भाव ' से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित की जाएगी; जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकेंगे।                                                                                                                        - आशीष राजपूत ( लखनऊ )                                                                                                                    Twitter@YuvaanAshish  

  • राष्ट्र - भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #3

    3

    राष्ट्र - भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #3
    राष्ट्र - भाव: AN INTRODUCTION TO THE WORLD OF THE WORLD, #3

     कवि मित्रों और पाठकों! भारतीय युवाओं और विद्यार्थियों को मेरे खण्ड काव्यों का यह तृतीय काव्य खण्ड ' राष्ट्र - भाव ' पूर्ण रूप से समर्पित है। इस खण्ड काव्य में मैंने भारत के युवाओं की वर्तमान स्थिति को दर्शाने का पूर्ण प्रयास किया है। यह खण्ड काव्य ' राष्ट्र - भाव ' जो विशेष रूप से युवाओं और छात्रों को चिन्हित करते हुए व्यक्त किया गया है मैं वह प्रस्तुत कर रहा हूं। आप सभी काव्य प्रेमियों और पाठकों से मेरा निवेदन है कि जब भी आप इस काव्य का रंजन करें तब पूर्ण रूप से ही करें ; यह एक काव्य अभिव्यंजना है तो कृपया किसी पंक्ति का संकुचित रूप से अर्थ ना निकालें। अंततः मैं आपकी ओर से की गई आलोचना और निर्देशों कि प्रतीक्षा करूंगा। इस इलेक्ट्रॉनिक युगीन संसार में आप  ट्विटर खाते @YuvaanAshish पर सीधे मुझे कोई भी निर्देश दे सकते हैं या इस खण्ड काव्य पर कोई प्रतिक्रिया देने हो तो ट्विटर पर हैशटैग #YuvaanAshish लिख कर अपनी प्रतिक्रिया दें। इन पंक्तियों का रंजन करने से पूर्व आपको यह सूचित किया जाता है कि इस काव्य खण्ड में जो भी भाव व्यक्त किया गया है वह कवि की निजी भावनाओं से संबंधित हैं अतः यह पूर्णतः आप पर ही निर्भर करेगा कि आप कवि द्वारा रचित इस खण्ड काव्य के रंजन में रुचि रखते हैं या नहीं।  और इस काव्य खण्ड ' राष्ट्र - भाव ' से संबद्ध सभी खण्ड एकत्र कर एक अन्य स्पष्ट पाठ सहित पुस्तक हिंदी भाषा के क्लिष्ट और सरल शब्दों को परिभाषित करते हुए प्रकाशित की जाएगी; जिससे आप भी हिंदी भाषा को और अपने हिंदी वक्तव्य को मनोवैज्ञानिक ढंग से शिक्षित कर सकेंगे।                                                                                                                                                 - आशीष राजपूत ( लखनऊ )                                                                  Twitter@YuvaanAshish  

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