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लघुकथा मंजूषा 5
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लघुकथा मंजूषा 5
Ebook57 pages21 minutes

लघुकथा मंजूषा 5

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About this ebook

“क्यों बे! बाप का माल समझकर मिला रहा है क्या?" गिट्टी में डामर मिलाने वाले लड़के के गाल पर थप्पड़ मारते हुए ठेकेदार चीखा।
"कम डामर से बैठक नहीं बन रही थी ठेकेदार जी। सड़क अच्छी बने यही सोचकर डामर की मात्रा ठीक रखी थी।" मिमियाते हुए लड़का बोला।
"मेरे काम में बेटा तू नया आया है। इतना डामर डालकर तूने तो मेरी ठेकेदारी बंद करवा देनी है।" फिर समझाते हुए बोला, "यह जो डामर है इसमें से बाबू, इंजीनियर, अधिकारी, मंत्री - सबके हिस्से निकलते हैं बेटा। खराब सड़क के दचके तो मेरे को भी लगते हैं। चल! इसमें गिट्टी का चूरा और डाल।" मन ही मन लागत का समीकरण बिठाते हुए ठेकेदार बोला।

Languageहिन्दी
Release dateJul 6, 2020
ISBN9781005599614
लघुकथा मंजूषा 5
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    लघुकथा मंजूषा 5 - वर्जिन साहित्यपीठ

    लघुकथा मंजूषा

    5

    वर्जिन साहित्यपीठ सम्पादन मंडल

    ललित कुमार मिश्र एवं ममता शुक्ला

    वर्जिन साहित्यपीठ

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    9971275250 / sonylalit@gmail.com

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - जुलाई 2020

    कॉपीराइट © 2020 वर्जिन साहित्यपीठ

    ISBN

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता। सामग्री के संदर्भ में किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में जिम्मेदारी लेखक की रहेगी।

    पेट का सवाल

    सतीश राठी

    "क्यों बे! बाप का माल समझकर मिला रहा है क्या?" गिट्टी में डामर मिलाने वाले लड़के के गाल पर थप्पड़ मारते हुए ठेकेदार चीखा।

    कम डामर से बैठक नहीं बन रही थी ठेकेदार जी। सड़क अच्छी बने यही सोचकर डामर की मात्रा ठीक रखी थी। मिमियाते हुए लड़का बोला।

    मेरे काम में बेटा तू नया आया है। इतना डामर डालकर तूने तो मेरी ठेकेदारी बंद करवा देनी है। फिर समझाते हुए बोला, यह जो डामर है इसमें से बाबू, इंजीनियर, अधिकारी, मंत्री - सबके हिस्से निकलते हैं बेटा। खराब सड़क के दचके तो मेरे को भी लगते हैं। चल! इसमें गिट्टी का चूरा और डाल। मन ही मन लागत का समीकरण बिठाते हुए ठेकेदार बोला।

    लड़का बुझे मन से ठेकेदार का कहा करने लगा। उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर ठेकेदार बोला, बेटा, सबके पेट लगे हैं। अच्छी सड़क बना दी और छह माह में गड्ढे नहीं हुए तो, इंजीनियर साहब अगला ठेका किसी दूसरे ठेकेदार को दे देंगे। इन गड्ढों से ही तो सबके पेट भरते हैं बेटा।

    इमेज

    ममता

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