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लक्ष्मण: Epic Characters  of Ramayana (Hindi)
लक्ष्मण: Epic Characters  of Ramayana (Hindi)
लक्ष्मण: Epic Characters  of Ramayana (Hindi)
Ebook72 pages32 minutes

लक्ष्मण: Epic Characters of Ramayana (Hindi)

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About this ebook

सुमित्रा पुत्र थे लक्ष्मण, लक्ष्मण-शत्रुघ्न सुमित्रा के जुड़वा संतान थे। लक्ष्मण को आदिशष का अवतार भी मानाजाता है। विश्वामित्र, यज्ञ रक्षणा के लिए राम-लक्ष्मण को अपने साथ ले जाते हैं। सीता स्वयंवर के पश्चात् लक्ष्मण का विवाह ऊर्मिला से होतीहै। राम जब चौदह वर्ष की वनवास करने निकलते है तब लक्ष्मण भी उनके साथ चलता है। शूर्पनखी का कान-नाख काटकर उसे विद्रूप करता है। मारीच जब मायामृग का रूप धारण कर सीता राम के समक्ष से निकलता है। तब राम ने उसे अपने बाण से वध किया तब वह जोर जोर से हा लक्ष्मण। हा सीता चिल्लाकर मरजाता है। तब सीता लक्ष्मण को भेजती है। लक्ष्मण अपने आश्रम के सामने तीन रेखाँओं को खींचकर उसे पार कर के बाहर ना जाने की सीता को अनुरोध कर, निकलता हैं। इसी को "लक्ष्मण रेखा" कहते है। राम-रावण युद्ध के समय लक्ष्मण रावण का पुत्र इंद्रजीत का वध करता है। लक्ष्मण का भ्रातुप्रेम ओर त्यागजीवन सब के लिए अनुकरणीय हैं।

Languageहिन्दी
Release dateMay 24, 2019
ISBN9789389020816
लक्ष्मण: Epic Characters  of Ramayana (Hindi)

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    लक्ष्मण - Prof. T. N. Prabhakar

    प्रस्तावना

    श्रीरंग सदुरुवे नमः

    नारायण स्मरण

    `भारत संस्कृति प्रकाशन संस्था' बेंगलोग के भारत दर्शन महान संस्था की ज्ञान संतान मानी जाती है । `महाभारत के महापात्र' इस संस्था का प्रथम पुष्प है । हमने इसका स्वागत किया था । अब इसका द्वितीय कुसुम है - `रामायण के महापात्र' । इसका भी स्वागत करते हुए हम आशीर्वाद देते हैं ।

    रामायण और महाभारत ग्रंथों में शैलीभेद पाथा जाता है । इसमें कोई संदेह नहीं की पात्रों के रूप - आकार समय - रचनाकाल आदि में भी काफी अंतर हैं । रामायण तो प्रधान रूप से काव्य है । सात काँडों में 24 हज़ार श्लोकों में ग्रंथित है । प्रधानतया त्रेतायुग के पात्रों के चित्रण से युक्त यह काव्य उसी युग के समकालीन कवि से रचित ग्रंथ रत्न है । लेकिन महाभारत तो प्रधानरूप से इतिहास है । 18 पर्वों में एक लाख श्लोकों का महाग्रंथ है । अधिकतर द्वापरयुग के पात्रों के चित्रण से युक्त है । उसी युग के समकालीन महाकवि से रचित ग्रंथरस्न है । हम यह मानने के लिए तैयार नहीं है कि ये दोनों भारत के पृथक पृथक भातों की संस्कृतियों को दर्शाते हैं अनेक कवियों से रचित हैं और आर्यों के आक्रमण के अलग अलग काल तथा परिस्तितियों का चित्रण करते हैं । ऐसा होने पर भी ये दोनों वेदों के प्रतीक आर्षग्रंथ है । भारतीय संस्कृति के दर्पण हैं । भारत के राष्ट्रीय ग्रंथ हैं । भारत के सैकड़ों ग्रंथो के आकर ग्रंथ हैं । काव्यानंद के स्त्रोत होने के साथ - साथ धर्म - अर्थ - काम - मोक्ष नामक चारों पुरुषायों के अक्षय निधि हैं । पात्रों के बीच युद्ध का चित्रण करके धर्म विजय की `दुंदुभि' बजानेवाले भव्य सारस्वत हैं । सार्वभौमिक तथा सार्वकालिक सत्यों का प्रचार करनेवाले विश्वसहित्य में स्थान पाए हुए अमर ग्रंथ हैं ।

    नारायण स्मरण के साथ हम यह आशा करते हैं कि संस्था के प्रथम ग्रंथमाला की शैली में ही रचित यह द्वितीय ग्रंथमाला भी पाठकों के आस्वादन का विषय बने; अवांछित साहित्य के दुर्गंध से रुपित किशोरों के मन को सुरभियुक्त बनाएँ; उनको सुशिक्षण देकर उनमें अच्छे आदर्श की अभिरुचि उत्पन्न कर दे; जनता में सुख शांति भर दे ।

    अष्टाँग योग विजान मंदिरम, बेंगलौर

    बहुधान्य संवत्सर के श्रवणशुद्ध द्वितीया

    बेंगलौर

    नारायणस्मरणों के साथ

    श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद स्वामीजी

    लक्ष्मण

    श्रियै नमः

    तपःस्वाध्याय निरतं तपस्वी वाग्विदां वरम् ।

    नारदं परिपप्रच्छ वालमीकिर्मुनि पुंगवम् ॥

    लव-कुश नकुल-सहदेव ये जुड़वे पुत्र थे । एक का नाम लेने मात्र से ही दूसरे का नाम किसी चिन्तन या प्रयत्न के बिना ही जिह्वा पर आ जाता है । इसी प्रकार पति पत्नियों में राम-सीता; दुष्यंत शकुंतला, नल-दमयंती आदि के नाम भी एक साथ लिए जाते हैं । इसी प्रकार ‘राम’ कहते ही लक्ष्मण का नाम भी स्मरण में आ जाता है ।

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