कुन्ती: Epic Characters of Mahabharatha
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'पृथा' कुंती का दूसरा नाम है। वह वसुदेव की छोटी बहन, श्रीकृष्ण की माता देवकी की मौसी थी। इसे राजा कुंतीभोज ने शूरराज की पुत्रि के रूप में गोद लिया था। उसने अपने विवाह से पूर्व महर्षि दूर्वास की सेवा अत्यंत निष्ठता पूर्वक किया और उसके बदले कई वरदान भी प्राप्त किया। इस के कारण वह किसी भी देवता का निमंत्रण करके अपनी इच्छा पूर्ण कर सकती थी। इस वरदान का परीक्षा करने की इच्छुकता से सूर्य देवता को आमंत्रित किया। उसके अंश से कर्ण का जन्म हुआ। परन्तु लोकापवाद के डर से उसने उस शिशु को एक पेटी में लिटाकर नदी में बहादिया। तत्पश्चाद् उसने पाण्डु से विवाह रचाया। विवाह के कई वर्ष बीतजानेपर भी उसे संतान प्राप्त नही हुआ, तब वह मंत्रो की महिमा से युद्धिठिर, भीम और अर्जुन को जन्म दिया। अंत समय में वह तपस्या करने वन चली गई पर अग्नी ज्वाला मे पूरे वनका नाशहोने पर उसकी मौत होगई।
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Book preview
कुन्ती - Dr. M.K. Bharathiramanachar
प्रस्तावना
श्रीरंग सदुरुवे नमः
नारायण स्मरण
वेदव्यासजी से लिखित `श्री मन्महाभारत' भारतीय संस्कृति और धर्म का मणिदर्पण है । यह ग्रंथ सार्वभौम तथा सार्वकालिक तत्त्वों का प्रचार करते हुए वेद के प्रतीक के रूप में पंचमवेद माना गया है । अपने सीधे उपदेशों से, उपाख्यान कथाओं से और सत्यम्-शिवम्- सुन्दरम तत्त्वों को हृदय तक पहुँचाते हुए प्रभु-सम्मित, मित्रसम्मित और काँतासम्मित नामक तीनों प्रकारों से युक्त यह ग्रंथ एकमात्र उपदेशात्मक ग्रंथ माना जाता है । यह तो सर्वोत्तम इतिहास, पुराण, काव्य और अनेक ग्रंथों का आधार ग्रंथ है । बेंगलोर की एक जानी मानी संस्था `भारत दर्शन' ने 32 भागों में इस अनुपम ग्रंथ महाभारत का कन्नड़ में प्रकाशन किया है जो अतीव कम दाम पर प्राप्त किये जा सकते हैं ।
इस प्रकाशन से प्रेरणा और स्फूर्ति पाकर `भारत संस्कृति प्रकाशन संस्था' इस अनुपम देन बच्चों के साहित्य के लिए प्रदान कर रही है । उसके इस शुभोद्यम के लिए हमारे अनंत-अनंत प्रणाम ।
छोटे आयुवाले बच्चों के लिए महाभारत के प्रमुख पात्रों का परिचय कराने का स्तुत्य प्रयत्न यहाँ देखने को मिलता है । साथ-साथ बच्चों का मन तथा गुणों का स्तर ध्यान में रखने हुए संक्षेप में, सरल तथा ललित शैली में विषयों की प्रस्तुति की गयी है । कथावस्तु के केवल प्रमुख भागों को प्रस्तुत करके बच्चों में अभिरुचि पैदा करते हुए महभारत की संपूर्ण कथा का आस्वादन कराने का प्रयत्न किया गया है । इसमें कोई संदेह नहीं कि यह एक छोटी पुस्तिका है । हम आशा करते हैं कि आजकल के किशोर इसमें चित्रित पात्रों के गुणदोषों की विवेचना करके अपने चारित्र्य को शुध्द बनाए रखने का प्रयत्न करें और उत्तम नागरीक बनें ।
आदर्श पात्रों में भी कुछ अनादर्श गुण देखने को मिलते हैं । इसी प्रकार अनादर्श पात्रों में भी कुछ आदर्शा गुण मिलते हैं । इसे मानव का स्वाभाविक दृष्टिकोन समह्मकर उन पात्रों से प्राप्त होनेवाले केवल उत्तम गुणों का ही हमें अनुकारण करना चाहिए ।
देखा जाता है कि आयु में बड़े होने पर भी ऎसे अनेक लोग देखने को मिलते हैं जो भारत कथा से अनभिज्ञ हैं या अनेक कारणों से गलत धारणा में आबध्द हैं । अनके लिए भी महाभारत पर आधारित ये पात्र परिचय उपयुक्त होगे ।
हम यह मनोकामना करते हैं कि भारत संस्कृति प्रकाशान संस्था के द्वारा इस प्रकार के और भी अनेक पुस्तक प्रकाशित हों ।
अष्टाँग योग विज्ञान मंदिरम, बेंगलोर
बहुधान्य संवत्सर के श्रवणशुद्ध द्वितीया
बेंगलोर
नारायणस्मरणों के साथ
श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद स्वामीजी
कुन्ती
श्रियै नमः
श्री गुरुभ्यो नमः
भारतीय नारी
सत्य, सहनशीलता, त्याग, सेवा आदि सद्गुणों की खान है भारतीय नारी । आजकल का दोषपूर्ण विद्याभ्यास मानव को मथनेवाला, कुसंस्कार बोनेवाला सिनेमा, दूरदर्शन, विज्ञापन पाश्चात्य संस्कृति आदि के तूफान की धूल में अदृश्य