कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 40)
By Raja Sharma
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About this ebook
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 40)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
Smashwords Edition
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 40)
Copyright
दो शब्द
मैं अमीर मरूंगी Main Amir Marungi
भगवान् से क्या मांगू? Bhagwaan Se Kya Mangu?
गुलाम को गुरु माना Gulam Ko Guru Mana
असली राजकुमार Asli Rajkumar
आइंस्टाइन और उनका ड्राइवर Einstein Aur Unka Driver
अगले जन्म में वापिस देना Agley Janm Mein Vapis Karna
एक गुलाम था Ek Gulam Tha
कौन था मूर्तिकार? Koun Tha Murtikaar?
लिंकन की एक चिट्ठी Lincoln Ki Ek Chitthi
वो डाकुओं का सरदार था Wo Dakuon Ka Sardar Tha
बुरे का बुरा होता ही है Burey Ka Bura Hota Hi Hai
वचन की कीमत Vachan Ki Kimat
उसका जन्मदिन Uska Janmdin
कच्चा पक्का नारियल Kachha Pakka Nariyal
तुम्हारा बंगला कहाँ है? Tumhara Bangla Kahan Hai?
ग्रन्थ भी पूर्ण नहीं Granth Bhi Poorn Nahi
कचरा फेंकने वाले Kachra Fenkne Waale
अखबारों में लिपटा हुआ बच्चा Akhbaron Mein Lipta Hua Bachha
अंधी बेटी Andhi Beti
माँ बाप की सेवा Maa Baap Ki Sewa
चाबी का खेल Chabi Ka Khel
दसवां आदमी Dasvaan Admi
कब्रिस्तान का रास्ता Kabristan Ka Rasta
बिना आँखों सफल Bina Ankhon Safal
ऐसे पाया गुरु Aise Paya Guru
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की चालीसवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
मैं अमीर मरूंगी Main Amir Marungi
इसाबेल ध्यान से अपनी अस्सी बरस की माँ को देख रही थी. उसकी माँ बहुत ही सावधानी से समाचारपत्र में जीतने वाले लाटरी के टिकटों के नम्बरों को अपने टिकटों से मिला रही थी.
बहुत देर तक नंबर मिलाने के बाद माँ के मुंह से निकला, इस बार भी नहीं मिला.
वो नहीं जानती थी के उसकी बेटी उसको देख रही थी.
इसाबेल ने कहा, माँ, क्या हुआ?
इसाबेल जानती थी के माँ क्यों गुस्से में थी. उसकी माँ ने इसाबेल की तरफ सर उठा कर देखा और मुस्कुराने लगी.
वो अस्सी साल की होते हुए भी बहुत ही जवान दिखती थी. उनका एक भी बाल सफ़ेद नहीं हुआ था और उनके मुंह में सभी दांत सलामत थे.
माँ ने कहा, निकलेगी लाटरी, मुझे चिंता नहीं है, मैं जानती हूँ बस कुछ ही समय की बात है.
इसाबेल को अपनी माँ की आवाज़ में आत्मविश्वास स्पष्ट सुनायी दिया.
हालाँकि माँ को इटली से अमेरिका आये हुए पचास बरस से अधिक हो चुके थे, परन्तु माँ के उच्चारण में इटली की झलक आ ही जाती थी.
इसाबेल ने रसोई में माँ के साथ वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा, माँ, लाटरी जीतने का मौका एक करोड़ में शायद एक ही होता है.
उसने अपनी माँ का हाथ अपने हाथ में ले लिया.
इस तरह मेरे हाथ को सहलाया मत करो. मैं कोई पालतू जानवर नहीं हूँ,
माँ ने अपना हाथ वापिस खींचते हुए कहा.
इसाबेल उठ कर खड़ी हो गयी, ठीक है! आप हर हफ्ते लाटरी की टिकटें खरीदती रहिये और हर हफ्ते निराश होती रहिये. मुझे फरक नहीं पड़ता.
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, पड़ेगा फरक, बेटी, फरक पड़ेगा, जब मैं करोड़पति हो जाउंगी. तुम्ही सबसे पहले पंक्ति में खड़ी हो जाओगी.
इसाबेल ने कहा, माँ, आप मुझको इस तरह क्यों सताती रहती हैं. मैं आपको इतना प्रेम करती हूँ और मैं ये भी जानती हूँ के आप कितनी गरीब हैं. क्या आपके अमीर हो जाने के बाद मैं आपको और अधिक प्रेम करने लगूँगी?
शायद, ऐसा ही होगा,
माँ ने उसकी तरफ बिना देखे ही कहा.
इसाबेल गैस के चूल्हे पर उबलती हुई कॉफ़ी की तरफ बढ़ चली, क्या आप अपनी उस बेटी के हाथ से जो आपको आपके पैसे के लिए ज्यादा प्रेम करेगी एक कप कॉफ़ी पीना पसंद करेंगी?
"ये क्या मूर्खता है,