Devi Katha Bhavamrit
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'देवी कथा भवामृत' नामक यह पुस्तक भक्तों के लिए साक्षात माँ भगवती का आशीर्वाद है, जिसमें देवी की लोक कल्याणकारी कथा का गान बड़े ही सुन्दर तरीके से किया गया है। 'सदा प्रसन्न व्यास' जी द्वारा विरचित इस काव्य ग्रंथ का न कि केवल धार्मिक महत्व है बल्कि यह साहित्य की दृष्टि से भी पूर्णतया नूतन एवं उत्कृष्ट ग्रंथ है। इस पुस्तक में 'दुर्गा सप्तशती' की लोक मंगलकारी अतिपावन कथा का गान सरल हिंदी में पूर्णतया मौलिक तरीके से किया गया है, जो साहित्य जगत में आज से पहले कभी नहीं रचा गया है। इसके अलावा कई भिन्न सुंदर भावपूर्ण स्तुतियां संस्कृत और हिंदी में भी की गई हैं, जो भक्तों को भावविभोर कर देंगी। कम शब्दों में देवी भक्तों के लिए इस ग्रंथ का महत्व 'रामचरितमानस' से कम नहीं है। आप सभी भक्तजन इस पवित्र ग्रंथ का अध्ययन करें और विश्व में भी इस ग्रंथ का प्रचार करके देवी की महिमा का विस्तार करें।
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Devi Katha Bhavamrit - Sada Prasanna Vyas
आशीर्वचन
भारतीय वाङ्गमय में ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं जहाँ कवित्त महज मानवीय प्रतिभा न होकर साक्षात दैवीय अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्फुटित हुआ है। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि, महाकवि कालिदास, महर्षि द्वैपायन व्यास, गोस्वामी तुलसीदास और विद्यापति जैसे उदाहरण ये सिद्ध करते हैं कि आगम व निगम के असीमित और गुह्य ज्ञान को भी दैवीय आदेश पर देश व काल के अनुरूप लिपिबद्ध किया जा सकता है। लेखक महोदय श्री सदा प्रसन्न व्यास भी संभवतः उसी श्रेणी के देवी भक्त व कवि हैं। जिसकी पुष्टि ग्रंथ को पढ़ते समय आध्यात्मिक रस के अनुभव के साथ महसूस होती है। स्पष्ट रूप से यह दैवीय आदेश ही है कि लेखक ने देवी के गूढ़ व गहन स्वरूप जिसके विषय में विद्वानों के भिन्न-भिन्न मत हैं, के विषय में एक महान ग्रंथ ‘देवी कथा भावामृत' के रूप में रच दिया है। वैष्णव परंपरा से दीक्षित होते हुए भी भगवती तारा के परम् भक्त श्री व्यास सिर्फ साहित्य ही नहीं अपितु संगीत और नाट्य सहित कई शास्त्रों के मूर्धन्य पंडित हैं। यह ग्रंथ न केवल साधकों के लिये अपितु काव्य रसिकों व भक्ति कीर्तन परंपरा के लिये भी काफी उपयोगी सिद्ध होगा। वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल यह दैवीय 'ग्रंथ' सुधि पाठकों के बीच लोकप्रिय हो, ऐसी भगवती तारा से प्रार्थना करता हूँ। अस्तु
- दैवज्ञ श्री पं. शैलेन्द्र तिवारी जी (जाने-माने ज्योतिषाचार्य तथा धर्म शास्त्रों, दर्शन, संगीत एवं भाषा के विद्वान)
हमारी आराध्य कुल देवी माँ भद्रकाली जी की कृपा से हमारे परिवार के कुल दीपक सदा प्रसन्न द्वारा माता की साधना और आराधना की यह अर्चना माँ की प्रेरणा से रचित है। माँ सभी का कल्याण करें और आशीर्वाद दें, यही प्रार्थना है। जय माई की।
- श्री प्रबोध व्यास जी (जाने-माने वरिष्ठ, जनप्रिय एवं लोकप्रिय नेता, भाजपा)
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सदा प्रसन्न द्वारा माँ भगवती की कथा, स्वरूप और चरित पर रचित यह कृति कल्याणकारक सिद्ध हो, मैं जगतजननी माँ से ऐसी प्रार्थना करता हूं।
- श्री प्रणवीर सिंह ‘हीरा’ जी (राष्ट्रीय अध्यक्ष 'विंध्य पुनरोदय मंच', जाने-माने लोकप्रिय नेता तथा वरिष्ठ साहित्यकार)
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अतीव प्रसन्नता का अवसर है कि सदा प्रसन्न भैया जी के माध्यम से अनादि एवं परम मंगलमयी, करुणामयी, दया रूपी मां जगदंबा के आशीर्वाद के रूप में देवी की महिमा को काव्य रूप में संलग्न किया गया है। मां तारा देवी की कृपा से निरंतर आपका ज्ञान तथा आपका यश सदा बढ़े। आप सदा प्रसन्न रहें। हनुमान जी के आशीर्वाद से आपका नाम सूर्य की किरण की तरह फैलता रहे।
- श्री गिरीश कुमार द्विवेदी जी (धर्म एवं शास्त्र विद तथा भाषा के जानकार)
मेरे बेटे सदा प्रसन्न ने माता रानी का जो यशगान इस काव्यग्रंथ के माध्यम से किया है, वह निस्संदेह ही कल्याणकारी और देवी भक्तों के लिए वरदान स्वरुप है। ये ग्रन्थ जन-जन की वाणी बने मैं ऐसी मंगलकामना करती हूँ।
- श्रीमती भारती शर्मा जी (जानी-मानी समाजसेविका)
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मेरे पुत्रवत सदा प्रसन्न ने देवी की कथा का सुन्दर गान और भगवती की जो सुन्दर स्तुति की हैं वह अतुलनीय और प्रशंसा की परिधि से भी बढ़कर है। मैं इस पुण्य कार्य के लिए सदा प्रसन्न को हृदय से आशीर्वाद देता हूँ और माँ भगवती को अनंत बार नमन करता हूँ।
- श्री जयराम शुक्ल जी (देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यविद, समाजसेवी, हमारे मार्गदर्शक)
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आज के इस व्यवसायिक दौर में जब हर इंसान अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मान कर चल रहा हो, दैवीय और आध्यात्मिक शक्तियों को लगातार नकार रहा हो। ऐसे समय में देवी पर काव्य सृजन निश्चय ही स्तुतनीय है।