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आजादी के दिन
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आजादी के दिन

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About this ebook

नमस्कार मित्रों मेरी नई पुस्तक " आजादी के दिन " में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी इस पुस्तक में भिन्न भिन्न लेखक लेखिकाओं ने आजादी, स्वतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता सेनानी,वीर सपूतों,भारत के वीर जवान, देशप्रेम, देशभक्ति आदि विषयों पर अपने विचार साझा किए हैं ।
ये सभी लेखक लेखिकाएं देश के हर कोने छोटे , बड़े शहर , गांव , कस्बे से आते हैं । इस पुस्तक में सभी लेखक लेखिकाओं के लेख का संकलन है । 
इस पुस्तक की संकलन कर्ता सृष्टि शिवहरे जी ने अलग अलग प्रांतों से ऐसे लेखकों को चुना है जो अपना लेख प्रकाशित होने का सपना वर्षों से संजोए थे , उनके उन सपनों को साकार करने का प्रयास किया है । और सृष्टि शिवहरे का मुख्य उद्देश्य यही है कि ऐसे प्रत्येक लेखक लेखिकाओं के सपनों को एक उम्मीद की नई किरण देकर उन्हें और आगे जाने के लिए प्रोत्साहित करना है ।
उम्मीद है आप सभी को ये पुस्तक पढ़कर भिन्न भिन्न प्रांतों से आए लेखक लेखिकाओं एवं उनके विचारों से रूबरू होने का मौका मिलेगा और आप भी एक देशभक्त होने के नाते देश को प्रगति की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे ।। और आप मेरी इस पुस्तक को उससे अधिक प्यार दोगे जितना अब तक की पुस्तकों को दिया है आपके प्यार के कारण ही आज मैं यहां हूं और सबकी मदद कर पा रही हूं ।

Languageहिन्दी
Release dateAug 16, 2023
ISBN9798223189671
आजादी के दिन

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    आजादी के दिन - SRISHTI SHIVHARE

    आजादी के दिन

    स्वतंत्रता दिवस पर आधारित संकलन

    ––––––––

    सृष्टि शिवहरे

    संस्थापक

    सृष्टि शिवहरे

    ––––––––

      स्वतंत्रता ही हमारी अद्भुत धरोहर है, उसके लिए हमें सदैव   कर्तव्यपरायण रहना चाहिए । स्वतंत्रता दिवस की बधाई 

    Copyright © , 2023  , Srishti Shivhare

    All Rights Reserved.

    This book has been self-published with all reasonable efforts taken to make the material error-free by the author. No part of this book shall be used, reproduced in any manner whatsoever without written permission from the author, except in the case of brief quotations   embodied   in critical   articles and reviews. 

    The Author of this book is solely responsible and liable for its content including but not limited to the views, representations, descriptions, statements, information, opinions and references [Content]. The Content of this book shall not constitute or be construed or deemed to reflect the opinion or expression of the Publisher or Editor. Neither the Publisher nor Editor endorse or approve the Content of this book or guarantee the reliability, accuracy or completeness of the Content published herein and do not make any representations or warranties of any kind, express or implied, including but not limited to the implied warranties of merchantability, fitness for a particular purpose. The Publisher and Editor shall not be liable whatsoever for any errors, omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause or claims for loss or damages of any kind, including without limitation, indirect or consequential loss or damage arising out of use, inability to use, or about the reliability, accuracy or sufficiency of the information contained in this book. 

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    Made with ❤ SRSD Publication

    ––––––––

    Srishti Shivhare

    CEO,Founder,Compiler,Editor

    SRSD Publication

    प्रिय पाठकों , नमस्ते...

    हर किसी के जीवन में एक विशेष व्यक्ति होता है मेरी जिंदगी में मेरे मां पापा हैं जिन्होंने मेरा पालन पोषण किया है और उन्होंने मेरे सपने को पूरा करने के लिए मुझे प्रेरित किया है। वह व्यक्ति शायद हममें से कई लोगों के लिए हमारी माँ या पिता होते है या कोई और मेरे मामले में मेरे पिताजी ने मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया था। मैं अपने पिताजी को बापू कहकर पुकारती थी ,मेरे बापू की बदौलत ही में आज इस मुकाम पर हूं। मेरे पिता श्री रामहरी शिवहरे जी एक प्रतिभाशाली कवि थे , जिन्होंने मुझे लिखने के लिए प्रोत्साहित किया ।

    जब मैं छोटी थी , ममता शिवहरे जी ( मेरी माँ ) ने हमेशा मेरा समर्थन किया और पिताजी ने मुझे कविता व गज़ल पढ़कर, सुनाकर मेरी रूचि लेखन के प्रति बढ़ायी । वे ही हैं जिन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हमेशा मेरा मार्गदर्शन किया है, मुझे प्रोत्साहन दिया है ।

    किंतु दुर्भाग्यवश मेरे पिता का साया मुझसे 16 मई 2021 को छिन गया , उनके जाने के बाद ऐसा लगा मानो मैं जिंदा लाश हो गई थी, मेरा दिल ये मानने को कतई तैयार नहीं था कि मेरे बापू मुझसे दूर चले गए ।

    मैं रोज रोती बिलखती बस इक उम्मीद में कि प्लीज भगवान बस इक बार मेरे बापू को मुझसे मिला दें । सच कहूं तो मेरे बापू मेरे दिल की धड़कन थे और आज भी है , उनके बिना मैं इक पल भी नहीं रह सकती हूं । उनकी मृत्यु के बाद मैं मानसिक तनाव में चली गई , फिर घरवालों ने बड़ी मुश्किल से मुझे संभाला , मुझे समझाया कि बेटी तुम अपने बापू का नाम रोशन करो वो कहीं नहीं गए तुम्हारे पास ही है । फिर जैसे तैसे मैंने होश संभाला मैंने ठान लिया कि हर हालत में मैं अपने बापू का मेरा लेखक बनने का सपना पूरा करूंगी । पर सच कहूं भले दो साल तीन महीने बीत गए उस बात को पर एक भी ऐसा पल नहीं बीता जिस दिन मैंने अपने बापू को याद नहीं किया । रोज आसमान में देखकर सोचती रहती हूं कि मेरे बापू मुझे देख कर खुश हो रहे हैं कि मेरी लाडो ( सृष्टि ) ने सपना पूरा कर दिखाया ।  बापू की कमी हमेशा खलती है मुझे काश वो आज होते   तो देख पाते कि लाडो बहुत अकेली पड़ गई है उनके बिना ।

    मेरी यह विशेष पुस्तक और अब तक की सारी पुस्तकें मेरे बापू को समर्पित है।

    आपकी प्यारी लाडो

    सृष्टि शिवहरे

    प्रस्तावना

    आज हम इस किताब के जरिये आप से अपने दिल की बात कहना चाहेंगे मेरा नाम सृष्टि शिवहरे है और मैं एक लेखिका हूँ । सबसे पहले मैं सभी से क्षमा चाहती हूँ अगर मेरी बात से किसी को कोई आपत्ति हो तो ,,

    आज भारत की आज़ादी को 76 साल हो गए हैं हम आज भी अपनी आज़ादी का दिन बहुत प्यार से मनातें हैं । और अपने उन वीरों को याद करते हैं जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए बलिदान दिया है। हमारे लिए इतना कठिन परिश्रम किया है उन सभी को मैं और मेरे सभी देशवासी श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं ।।

    लगभग 76 साल पहले, 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक तारीख को, भारत ब्रिटिश प्रभुत्व से मुक्त हो गया। ना जाने कितनों का खून बहा तब जाकर ये आजादी मिली । यहां कई आंदोलनों और संघर्षों की परिणति थी जो 1857 के ऐतिहासिक विद्रोह सहित ब्रिटिश शासन के समय में व्याप्त थे। यह स्वतंत्रता कई क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई थी, जिन्होंने इस संघर्ष को आयोजित करने का बेड़ा उठाया तब जाकर देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुईं। हालांकि वे सभी विभिन्न विचारधाराओं के थे, लेकिन सब ने मिलकर एक जुट होकर हमारे देश भारत को स्वतंत्रता दिलाई । भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को हर भारतीय के दिल में अमर कर दिया जिसकी छबि अमिट है ना जाने कितने ही दिनों सालों घर से दूर रहे और आखिर में खुद को ही बलि चढ़ा

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