हिंदू धर्म के प्रमुख देवता
By ईशा रिया
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पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव सर्वोच्च शक्तिसंपन्न देवता हैं और त्रिमूर्ति के सदस्य हैं। ये प्रकृति के नियंता हैं। इनकी आज्ञा के बिना यहाँ पत्ता भी नहीं हिलता। एक विशेष बात और - सभी देवी-देवता के काम बँटे हुए हैं। कोई किसी के क्षेत्र-विशेष में हस्तक्षेप नहीं करता। कार्य के संपादन के लिए सभी को तत्संबंधी शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं। इन सबके अलावा हिंदू धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि गाय में संपूर्ण 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। अनेक वृक्षों, नदियों, पशु-पक्षियों, पर्वतों आदि को यहाँ ईश्वर मानकर पूजा जाता है।
धर्म और मानवता की रक्षार्थ हिंदू देवी-देवताओं ने अनेक अवतार भी लिए हैं। इनमें भगवान् विष्णु के 10 अवतार प्रमुख माने जाते हैं - मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि। कल्कि अवतार भगवान् विष्णु का चौबीसवाँ अवतार है जो वर्तमान कलिकाल के अंत में होना तय है। देश-विदेश में उनके विभिन्न रूपों की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आराधना की जाती है। धर्म ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि देवता अलग-अलग नामवाले हो सकते हैं, लेकिन सब समान रूप से अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न हिंदू देवताओं की उत्पत्ति की कथाएँ दी गई हैं। कुछ कथाओं में आपस में साम्यता भी हो सकती है। इन्हें हमने वेद, पुराणों और उपनिषदों से संकलित किया है। आशा है, पाठकों को रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक लगेंगी।
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हिंदू धर्म के प्रमुख देवता - ईशा रिया
हिंदू धर्म के प्रमुख देवता
ईशा रिया
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पुस्तक के बारे में
हिंदू धर्म बहुत उदार है। यह शाश्वत है और इसमें अनेक देवी-देवता होने के बावजूद यह एकेश्वरवाद का समथ् क है। हिंदुवादियों का मानना है कि ईश्वर एक ही है, बस नाम अनेक हैं। किसी को पीड़ा पहुँचाना सबसे बड़ा पाप और परोपकार सबसे बड़ा पुण्य। प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा है। हिंदुत्व का वास - हिंदुत्व के मन, संस्कार और परंपराओं में है।
हिंदू धर्म में देवी-देवता रंग-बिरंगी हिंदू संस्कृति के अभित्र अंग हैं। वैदिक काल के मुख्य देवता हैं - इंद्र, अग्नि, सोम, वरुण, प्रजापति, सविता और देवियाँ सरस्वती, उषा, पृथ्वी, इत्यादि। बाद के हिंदू धर्म में कई अवतारों के रूप में नए देवी-देवता आए जैसे-गणेश, श्रीराम, श्रीकृष्ण, हनुमान, कार्तिकेय, सूर्य, चंद्र आदि और देवियाँ जिन्हें माता कहा जाता है जैसे - दुर्गा, पार्वती, लक्ष्मी, शीतला, सीता, राधा, संतोषी, महाकाली इत्यादि। ये सभी देवी-देवता पुराणों में उल्लिखित हैं और इनकी कुल संख्या 33 कोटि बतायी जाती है।
पुराणों के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और शिव सर्वोच्च शक्तिसंपन्न देवता हैं और त्रिमूर्ति के सदस्य हैं। ये प्रकृति के नियंता हैं। इनकी आज्ञा के बिना यहाँ पत्ता भी नहीं हिलता। एक विशेष बात और - सभी देवी-देवता के काम बँटे हुए हैं। कोई किसी के क्षेत्र-विशेष में हस्तक्षेप नहीं करता। कार्य के संपादन के लिए सभी को तत्संबंधी शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं। इन सबके अलावा हिंदू धर्म में गाय को भी माता के रूप में पूजा जाता है। यह माना जाता है कि गाय में संपूर्ण 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। अनेक वृक्षों, नदियों, पशु-पक्षियों, पर्वतों आदि को यहाँ ईश्वर मानकर पूजा जाता है।
धर्म और मानवता की रक्षार्थ हिंदू देवी-देवताओं ने अनेक अवतार भी लिए हैं। इनमें भगवान् विष्णु के 10 अवतार प्रमुख माने जाते हैं - मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नरसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि। कल्कि अवतार भगवान् विष्णु का चौबीसवाँ अवतार है जो वर्तमान कलिकाल के अंत में होना तय है। देश-विदेश में उनके विभिन्न रूपों की पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आराधना की जाती है। धर्म ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि देवता अलग-अलग नामवाले हो सकते हैं, लेकिन सब समान रूप से अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न हिंदू देवताओं की उत्पत्ति की कथाएँ दी गई हैं। कुछ कथाओं में आपस में साम्यता भी हो सकती है। इन्हें हमने वेद, पुराणों और उपनिषदों से संकलित किया है। आशा है, पाठकों को रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक लगेंगी।
-लेखक
विषय-सूची
पुस्तक के बारे में
1. भगवान शिव
2. भगवान विष्णु
3. भगवान ब्रह्मा
4. भगवान राम
5. भगवान श्रीकृष्ण
6. भगवान गणेश
7. हनुमान
8. देवताओं के राजा इंद्र
9. अग्निदेव
10. चित्रगुप्त
11. कामदेव
12. धन्वंतरी
13. यमराज
14. सूर्य देव
1. भगवान शिव
shiva.jpgशिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। ये व्यक्ति की चेतना के अंतर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र स्कंद और गणेश हैं।
शिव अधिकतर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में की जाती है। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं।
शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है, तो दूसरी ओर विषधर सर्प भी उनके गले का हार है। गृहस्थ होते हुए