कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 17)
By Raja Sharma
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About this ebook
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सत्रहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
Raja Sharma
Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.
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कथा सागर - Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 17)
राजा शर्मा
Copyright@2018 राजा शर्मा Raja Sharma
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कथा सागर: 25 प्रेरणा कथाएं (भाग 17)
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दो शब्द
बाघ की मूंछें Bagh Ki Moonchein
मैं तुच्छ हूँ Main Tuchh Hoon
राजा आर्थर और डायन King Arthur Aur Dayan
ख़ुशी का रहस्य Khushi Ka Rahasya
मैंने नहीं देखा Maine Nahi Dekha
लाभ आधा आधा Labh Adha Adha
बेईमान डॉक्टर Beimaan Doctor
तितली और गुलाब Titli Aur Gulab
एक भगवान् की संताने Ek Bhagwan Ki Santanein
सच्चा मित्र Sachha Mitra
दुष्ट सन्यासी Dusht Sanyaasi
सच्चाई यही है Sachhai Yahi Hai
इतने उत्तर Itney Uttar
हम सब नौकर हैं Hum Sab Naukar Hain
डॉक्टर ने कहा है Doctor Ne Kaha Hai
सौ सिक्के दे दो Sou SIkke De Do
बेटा, मुझे मार दो पर Beta, Mujhe Mar Do Par
चाय का कप Chai Ka Cup
उदारता की सीमा Udaarta Ki Seema
अपनी अपनी प्रवृत्ति Apni Apni Pravarti
अपने पैसे वापिस ले लो Apne Paise Wapis Le Lo
घर जल गया Ghar Jal Gaya
बत्तख याद है के नहीं Battakh Hai Ke Nahi
लोभ क्या होता है Lobh Kya Hota Hai
निन्यानवे का चक्कर Ninyaanve Ka Chakkar
दो शब्द
विश्व के प्रत्येक समाज में एक पीढ़ी द्वारा नयी पीढ़ी को कथाएं कहानियां सुनाने की प्रथा कई युगों से चलती चली आ रही है. प्रारंभिक कथाएं बोलकर ही सुनायी जाती थी क्योंकि उस समय लिखाई छपाई का विकास नहीं हुआ था. जैसे जैसे समय बीतता गया और किताबें छपने लगी, बहुत सी पुरानी कथाओं ने नया जीवन प्राप्त किया.
इस पुस्तक में हम आपके लिए 25 प्रेरणा कथाएं लेकर आये हैं. यह इस श्रंखला की सत्रहवीं पुस्तक है. हर कथा में एक ना एक सन्देश है और इन कथाओं में युवा पाठकों, विशेषकर बच्चों, के दिमाग में सुन्दर विचार स्थापित करने की क्षमता है. ये पुस्तक आपको निराश नहीं करेगी क्योंकि ये कहानियां दुनिया के विभिन्न देशों और समाजों से ली गयी हैं.
कहानियां बहुत ही सरल भाषा में प्रस्तुत की गयी हैं. आप अपने बच्चों को ऐसी कहानियां पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करके उनपर बहुत उपकार करेंगे. आइये मिलकर कथाओं की इस परम्परा को आगे बढ़ाएं.
बहुत धन्यवाद
राजा शर्मा
बाघ की मूंछें Bagh Ki Moonchein
कोरिया के एक गाँव में युन ओके नाम की एक जवान पत्नी अपने पति के साथ बहुत ही खुश थी. उसका पति उसको बहुत प्रेम करता था और उसकी हर सुविधा का ख़याल रखता था.
एक दिन उस जवान पत्नी के पति को युद्ध का बुलावा आ गया. वो युद्ध में गया और बहुत बहादुरी से लड़ा.
वापिस आने के बाद उसके पति का व्यवहार बिलकुल बदल गया. वो बात बात पर क्रोध दिखाने लगा और अपनी पत्नी को बात बात पर शिकायतें करने लगा.
पत्नी अपने पति से बहुत ही डरने लगी और उस घर में उसका जीना ही दूभर हो गया. वो उन दिनों को याद करती थी जब उसका पति बहुत ही विनम्र था.
गाँव के पास ऊँचे पहाड़ों में एक गुफा में एक सन्यासी रहता था. जब भी गांव में कोई रोग फैलता था या कोई विपत्ति आती थी तो गांव के लोग उस सन्यासी के पास दौड़े चले जाते थे.
सन्यासी उनकी समस्याओं का समाधान कर देता था. युन ओके कभी भी उस सन्यासी से कोई मदद लेने के लिए नहीं गयी थी.
एक दिन वो अपने पति के व्यवहार से भयभीत होकर उस सन्यासी की गुफा की तरफ चल पडी. उसने सन्यासी को पूरी बात बताई के कैसे उसके पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया था.
सन्यासी ने उसको कहा, प्रायः ऐसा होता है जब सिपाही युद्ध से वापिस घर आते हैं. तुम बताओ अब मैं क्या कर सकता हूँ?
उस जवान पत्नी ने सन्यासी से कहा, आप कोई ऐसी दवाई तैयार कर दीजिये या ऐसा कोई ताबीज़ दे दीजिये जिससे मेरे पति मेरे साथ पहले जैसा ही प्रेमपूर्ण व्यवहार करना शुरू कर दें.
सन्यासी ने उस जवान पत्नी को कहा, तुम्हारी समस्या और लोगों की जैसी नहीं है. वो लोग तो किसी रोग की दवाइयां लेने आते हैं, पर तुम्हारी समस्या तो व्यवहारिक समस्या है.
जवान स्त्री ने कहा, मैं जानती हूँ, महाराज.
सन्यासी ने कहा, ऐसा करो तुम तीन दिन के बाद आओ. मैं तुम्हारी समस्या पर विचार करूंगा.
तीन दिन बाद युन ओके फिर से सन्यासी के पास पहुँच गयी. सन्यासी ने उसका स्वागत किया और कहा, "तुम्हारे लिए एक अच्छी खबर है.
एक दवाई है जिससे तुम्हारे पति को हम पहले जैसा बना सकते हैं, परन्तु उस दवाई को बनाने के लिए किसी जीवित बाघ की मूछें चाहिए होंगी. तुम किसी जीवित बाघ की मूछ का एक बाल ले आओ."
युन ओके तो एक दम घबरा गयी, क्या? बाघ की मूंछ का बाल? ये तो असम्भव है!
सन्यासी ने कहा, "बिना बाघ की मूंछ के बाल