Safalta Ke Sopan - (सफलता के सोपान)
By Swett Marden
()
About this ebook
स्वेट मार्डेन की पुस्तकों के अध्ययन से करोड़ों व्यक्तियों ने आत्मशुद्धि, कार्य में निष्ठा के साथ-साथ जीवन में उत्साह व प्रेरणा प्राप्त की है। आप भी इन्हें पढ़िये और अपने मनोरथों को प्राप्त करने का आनंद उठाइये। प्रस्तुत पुस्तक कदम-कदम पर मार्गदर्शन करती हुई आपका जीवन बदल सकती है।
Read more from Swett Marden
Aap Kya Nahin Kar Sakte - (आप क्या नहीं कर सकते) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAage Badho - (आगे बढ़ो) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ka Rahasya - (सफलता का रहस्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ki Kunji - (सफलता की कुंजी) Rating: 3 out of 5 stars3/5Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo - (चिन्ता छोड़ो सुख से जिओ) Rating: 5 out of 5 stars5/5Aatmvisvas Ki Poonji - (आत्मविश्वास की पूंजी) Rating: 5 out of 5 stars5/5Jeevan Aur Vayavhar - (जीवन और व्यवहार) Rating: 5 out of 5 stars5/5Avsar Beeta Jaye - (अवसर बीता जाए) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHanste Hanste Kaise Jiyen : हंसते-हंसते कैसे जियें Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVikas Ka Path - (विकास का पथ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related to Safalta Ke Sopan - (सफलता के सोपान)
Related ebooks
Vikas Ka Path - (विकास का पथ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAatmvisvas Ki Poonji - (आत्मविश्वास की पूंजी) Rating: 5 out of 5 stars5/5JEEVAN ME SAFAL HONE KE UPAYE Rating: 1 out of 5 stars1/5Jeevan Aur Vayavhar - (जीवन और व्यवहार) Rating: 5 out of 5 stars5/5Zid Karo Aur Safalta Pao Rating: 5 out of 5 stars5/5Sikhen Jeevan Jeene Ki Kala (सीखें जीवन जीने की कला) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAap Bhi Leader Ban Sakte Hain - आप भी लीडर बन सकते हैं (Hindi Translation of The Leader In You) by Dale Carnegie Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKya Aap Aamir Banana Chahate Hai (क्या आप अमीर बनना चाहते है) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ki Unchi Chhalang (सफलता की ऊँची छलांग) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ka Jadoo Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSamridhshali Jeevan Jiyein (समृद्धशाली जीवन जिएं) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsChunoutiyon Ko Chunoutiyan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafal Leader Banein (सफल लीडर बनें) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsभीम-गाथा (महाकाव्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMahila Sashaktikaran Aur Bharat - (महिला सशक्तीकरण और भारत) Rating: 5 out of 5 stars5/5Sangharsh Se Sikhar Tak: संघर्ष से शिखर तक Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ke Sutra (सफलता के सूत्र) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsModi Ka Jaadu Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKhushi Ke 7 Kadam: 7 points that ensure a life worth enjoying Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKamyabi Ke Badhate Kadam Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकहानी नए भारत की: Politics, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsLok Vyavhar Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsOut from the Heart (दिल से निकले उद्गार : Dil Se Nikle Udgaar) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAatamvishwas Safalta Ka Aadhar - (आत्मविश्वास सफलता का आधार) Rating: 3 out of 5 stars3/5Swayam Ko Aur Dusro Ko Pehchanane Ki Kala: स्वयं को और दूसरों को पहचानने की कला Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHow to stop worrying & start living in Hindi - (Chinta Chhodo Sukh Se Jiyo) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAap aur Aapka Vyavhar : आप और आपका व्यवहार Rating: 5 out of 5 stars5/5Jeet ya Haar Raho Tayyar Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsVirangna Ahilyabai Holkar (वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Ke Achook Mantra Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for Safalta Ke Sopan - (सफलता के सोपान)
0 ratings0 reviews
Book preview
Safalta Ke Sopan - (सफलता के सोपान) - Swett Marden
परिस्थितियां
1. मनुष्यता
मानव-इतिहास में जो लोग शक्तिशाली, सत्ताधारी या वैभव संपन्न हुए हैं, उन्होंने मानवीय सभ्यता के निर्माण और प्रसार में उतना योगदान नहीं दिया जितना उन गिने-चुने व्यक्तियों ने दिया है जिन्होंने स्वयं अपना जीवन ईमानदारी और सदाचार से जीया और दूसरों को भी वैसा ही जीवन जीने की प्रेरणा दी।
आज के इस आणविक युग में, जहां मानव का संहार करने के लिए कुछ लोग भयानक शस्त्रों के निर्माण में व्यस्त हैं, वहां विश्व की अधिसंख्य जनता सम्पूर्ण विश्व में शान्ति स्थापित करने और उसे फिर स्थायी बनाने के लिए प्रयत्नशील है। आज विश्व में अशान्ति क्यों है? यह शीत युद्ध निरन्तर क्यों जारी है? इसका कारण केवल समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्रों की भूमि-लिप्सा ही नहीं है। इसके अनेक कारण हैं और वे कारण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नहीं, केवल मानवीय कारण हैं। आज के इन्सान की वे सभी मानवीय भावनाएँ समाप्त हो गई हैं जिन्होंने मिलकर उसे इन्सान बनाया था।
सबसे पहले हम चरित्र को ही लेते हैं। चरित्र का निर्माण होता है ईमानदारी और सदाचार से। आज के युग में कितने व्यक्ति हैं जो ईमानदारी और सदाचार से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। मानव-इतिहास में जो लोग शक्तिशाली, सत्ताधारी या वैभव सम्पन्न हुए हैं उन्होंने मानवीय सभ्यता के निर्माण और प्रसार में उतना योगदान नहीं दिया जितना उन गिने-चुने व्यक्तियों ने दिया है जिन्होंने स्वयं ही अपना जीवन ईमानदारी और सदाचार से नहीं जीया, बल्कि दूसरों को भी वैसा ही जीवन जीने की प्रेरणा दी। इस अंधेरे युग में आज वे प्रकाश-स्तम्भ की तरह भटके हुए मानव समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
इन व्यक्तियों में साबरमती के सन्त महात्मा गांधी और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के उदाहरण दिए जा सकते हैं। महात्मा गांधी और अब्राहम लिंकन का समूचा जीवन ईमानदारी और सदाचार का आदर्श प्रमाण है। उनका जीवन निष्कलुष और निर्दोष रहा, जिन्होंने अपनी प्रसिद्धि और प्रभाव का कभी कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं उठाया। स्वयं को भ्रष्टाचार के हाथों कभी बिकने नहीं दिया।
इसका प्रधान कारण यह था कि उन्होंने जीवन के आरम्भ से ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था और उसी को अपने जीवन का वास्तविक तथा महत्त्वपूर्ण ध्येय और कर्तव्य मानकर निरन्तर उसे प्राप्त करने के लिए अथक परिश्रम करते रहे। जब कोई व्यक्ति अपने जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य निर्धारित कर लेता है तो उसकी समस्त चेतना तथा शक्ति उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करती रहती है। वह इधर-उधर न भटकने के कारण बिक नहीं सकता। उसे कोई खरीद नहीं पाता।
मनुष्य का चरित्र ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है जिसके सामने संसार की समस्त शक्तियां झुक जाती हैं। क्योंकि उसका चरित्र उसे अडिग और अटल रखता है। वह कभी कोई ऐसा काम नहीं कर सकता जिसे उसकी आत्मा स्वीकार न करती हो। अधिकांश लोग अपने पेशे या व्यवसाय को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लेते हैं। उसमें सफलता पाने के लिए वे सहज ही अपने-आपको बेच देते हैं। अनेक ऐसे काम करने के लिए विवश हो जाते हैं जो ईमानदारी और सदाचार के विरुद्ध होते हैं। ऐसे लोगों पर न तो भरोसा किया जा सकता है और न उन पर निर्भर ही रहा जा सकता है। वे कितने ही सुशिक्षित, कुशल और अपने व्यवसाय के विशेषज्ञ क्यों न हों लेकिन उन्हें कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से खरीद सकता है। चरित्र का यह एक दोष ही उनके समस्त गुणों के प्रभाव को नष्ट कर देता है।
आप किसी भी विशेषज्ञ डॉक्टर या कुशल वकील को आसानी से खोज सकते हैं। वे अपने व्यवसाय में अत्यधिक निपुण हो सकते हैं लेकिन यह बिल्कुल आवश्यक नहीं है कि वे ईमानदार और सदाचारी भी हों, उनका चरित्र निर्मल और विश्वसनीय हो। एक आसानी से मिल सकता है लेकिन ऐसा उपदेशक मिलना कठिन है जिसकी कथनी और करनी में कोई अन्तर न हो। जिसका चरित्र तपे हुए सोने के समान निष्कलुष और शुद्ध हो। सफल व्यापारी का मिलना कठिन नहीं है लेकिन ऐसे सफल व्यापारी को खोज पाना बहुत कठिन है जो अपने चरित्र को व्यापार से ऊपर रखता हो। यानी जिसका व्यापार उसके चरित्र का हनन न कर पाया हो।
आज विश्व को ऐसे मनुष्यों की आवश्यकता है जिनके पास चरित्र हो। जो अपने व्यापार में लगे होने पर भी अपने चरित्र को व्यापार की अपेक्षा प्रमुखता दें और सिद्धान्तों तथा नियमों का पालन करते हों।
लेकिन आज हमें जीवन के हर क्षेत्र में चालाक, धूर्त्त और बेईमान लोगों की संख्या ही अधिक दिखाई देती है। व्यापारी अधिक से अधिक धन प्राप्त करने के लिए ग्राहकों की आंखों में जो धूल झोंकते हैं, वास्तव में वे ग्राहकों की आंखों में नहीं, अपनी ही आंखों में धूल झोंकते हैं। उनकी नजरों में ईमानदारी और सदाचार का कोई मूल्य और महत्त्व नहीं होता लेकिन वे यह नहीं जानते कि दूसरों को नहीं, स्वयं को ही ठग रहे हैं।
लोगों का ख्याल है कि जिस व्यक्ति के पास धन है, वही व्यक्ति संसार में सबसे सुखी और सबसे बड़ा आदमी है। संसार के समस्त सुख और सुविधाएँ उसके सामने हाथ बांधे खड़ी रहती हैं। वह सब कुछ कर पाने में समर्थ होता है। लेकिन उन लोगों का यह विचार वास्तविकता से कोसों दूर होता है। ऐसे व्यक्तियों के पास चरित्र की शक्ति नहीं होती। क्योंकि धन की लालसा और धन इकट्ठा करने के स्रोत उनकी ईमानदारी और सदाचार का गला घोंट देते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि वे हर समय चिन्तित और भयभीत रहते हैं। उन्हें हर समय इस बात की चिन्ता और भय लगा रहता है कि न जाने कब उनके व्यापारिक प्रतिष्ठानों और धन-सम्पत्ति की जांच-पड़ताल न होने लगे। कहीं कोई व्यक्ति उनके रहस्य को जानकर उन्हें ब्लैकमेल करने या उनके व्यापार को चौपट करने का प्रयत्न न कर बैठे। जनता उनके कारनामों को जान न जाए।
संसार में धन-सम्पन्न व्यक्तियों की संख्या बहुत कम है। हर समाज में गिने-चुने लोग ही धन-सम्पन्न होते हैं। अधिकांश लोग इसीलिए उनसे ईर्ष्या करते हैं। हालांकि वे उन्हें धन ही नहीं, साधन और शक्ति-सम्पन्न तथा प्रभावशाली भी मानते हैं फिर भी उनके और अपने बीच उन्हें एक ऐसी दीवार खड़ी दिखाई देती है जिसे वे तोड़ पाने में समर्थ नहीं होते। लेकिन ईर्ष्या के कारण वे निरन्तर इसी प्रयास में लगे रहते हैं कि किसी न किसी तरह उन्हें आर्थिक या सामाजिक हानि पहुंचाई जाए। इसके लिए वे निरन्तर उनके ऐसे रहस्यों को जानने के प्रयत्न में लगे रहते हैं जो उनके चेहरों पर से सज्जनता की नकाब हटा सके और उनका वास्तविक स्वरूप जन-साधारण देख सके। यही एकमात्र कारण होता है उनकी चिन्ता और भय का।
लेकिन जिन व्यापारियों के जीवन का लक्ष्य या एकमात्र उद्देश्य व्यापार नहीं होता, व्यापार के प्रति ईमानदारी उन्हीं लोगों में पायी जा सकती है। क्योंकि वे व्यापार को इतना महत्त्व नहीं देते जितना अपने उस लक्ष्य या उद्देश्य को देते हैं, जिसे वे अपने व्यापार से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण और मूल्यवान मानते हैं। ईमानदारी और सदाचार ऐसे व्यापारियों को ही उन्नति की चरम सीमा तक पहुंचा देते हैं। और वही वास्तविक रूप से आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और सम्मान प्राप्त कर पाते हैं। उन्हें अपने यश का अर्जन करने के लिए विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता। उनकी ईमानदारी और सदाचार को देखकर नाम और कीर्ति स्वयं उनकी ओर खिंची चली आती है।
ऐसे ईमानदार और सदाचारी व्यक्ति के जीवन में गोपनीयता के लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं होती। उनका जीवन खुली हुई पुस्तक की तरह होता है। उनका जीवन पारदर्शक, स्वच्छ, निर्मल और निष्कतुष होता है इसलिए उन्हें किसी से कोई भय नहीं होता है और न उन्हें किसी प्रकार की कोई चिन्ता ही होती है। उनकी ईमानदारी और उनका सदाचार उनमें निर्भीकता के साथ-साथ विश्व-बन्धुत्व, मानवता, समानता, दया और पर-दुःख कातरता की आदर्श तथा शाश्वत भावनाएँ भर देते हैं। ऐसे व्यक्ति भले ही जीवन में कभी धनहीन हो जाएं लेकिन उनके मान-सम्मान में कोई कमी नहीं आती। लोगों के हृदय में, आंखों में, उनकी वही मूर्ति और छवि बसी रहती है। धनाभाव ऐसे लोगों को सन्मार्ग से विचलित नहीं कर पाता। साधनहीन हो जाने पर भी वे अपने लक्ष्य को नहीं भूलते और न उस मार्ग को ही छोड़ते हैं जिसे उन्होंने जीवन के आरम्भ में ही निर्धारित कर लिया था।
अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट को कौन नहीं जानता! रूजवेल्ट ने अपने सार्वजनिक जीवन का आरम्भ करते समय निश्चय किया था कि भले ही कुछ भी हो, उन्हें अपने कार्यों तथा प्रयत्नों में सफलता मिले या न मिले, लोग उनके भले ही विरोधी और शत्रु बन जायें, भले ही अपना सर्वस्व खो देना पड़े, लेकिन वे ईमानदारी और सदाचार का सौदा किसी भी दशा में नहीं करेंगे। अपने आदर्श और अपने सिद्धान्तों पर अटल तथा अडिग बने रहेंगे। उन्हें जनता से यश और सम्मान नहीं, स्नेह और विश्वास अर्जित करना है।
अपने आदर्शों और अपने सिद्धान्तों पर अटल-अडिग रूजवेल्ट की राजनीतिक ईमानदारी केवल संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के इतिहास में ही नहीं बल्कि विश्व के राजनीतिक इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। अपने राजनीतिक जीवन का आरम्भ उन्होंने किया ही था कि ऐसे अनेक अवसर आए जबकि वह बेईमान और भ्रष्ट लोगों के साथ अपनी ईमानदारी और सदाचार का सौदा करके अथाह सम्पदा इकट्ठी कर सकते थे। अनेक प्रलोभन भरे अवसर आये। यदि उनके स्थान पर कोई सिद्धान्तहीन, अवसरवादी व्यक्ति होता तो सहज ही उसकी गणना अमेरिका के चोटी के धन-वैभव सम्पन्न व्यक्तियों में होने लगती। लेकिन बेईमानी और भ्रष्टाचार उन्हें किसी भी दशा में आकर्षित नहीं कर पाये। राजनीतिक पद और सत्ता-प्राप्ति के लिए तोड़-फोड़ करना उनके सिद्धान्तों के विरुद्ध था। उन्होंने कभी भी किसी व्यक्ति को उसके पद से गिराने का प्रयास नहीं किया। षड्यंत्र और हथकंडों से उन्हें बुरी तरह चिढ़ थी।
रूजवेल्ट