Modi Ka Jaadu
By Kumar Pankaj
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Modi Ka Jaadu - Kumar Pankaj
मोदी का जादू
सन् 2014 में भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को चेहरा बनाकर लोकसभा का चुनाव लड़ा। प्रचार के दौरान मोदी जी ने लगातार अनगिनत सभाओं को संबोधित किया। उनकी प्रचारक शैली ने कांग्रेस की जड़ों को हिलाकर रख दिया और बच्चे-बच्चे की जुबां पर एक ही नाम था- ‘मोदी’। ऐसा लग रहा था कि मोदी के सिवाय कोई और नेता है ही नहीं। सभाओं में उमड़े जनसैलाब ने बहुमत से जिताकर बता दिया कि मोदी के व्यक्तित्व में कितना आकर्षण है। प्रधानमंत्री बनने के तीन साल बाद आज भी मोदी का जादू बरकरार है। अब मोदी का यह जादू दुनियाभर में सर चढ़कर बोल रहा है। आइए जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी के ऐसे कौन से खास गुण हैं जिन्होंने उन्हें इतना लोकप्रिय बनाया-
1. रोचक भाषण कला : मोदी जी अपनी भाषण कला से श्रोताओं को अपना बनाना जानते हैं। विदेशों के दौरे पर पहले भी कई प्रधानमंत्री गए किंतु मोदी जी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने वहां रह रहे भारतीयों को अपने भाषण के दौरान संबोधित किया व उनसे मिले। उन्हें पहले से तैयार किए गए भाषण को पढ़कर बोलने की आवश्यकता नहीं होती। उनकी वाक् शैली में सम्मिलित शब्द और हाव-भाव लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
2. आकर्षक व्यक्तित्व : प्रधानमंत्री मोदी जी आज न सिर्फ भारतीय बल्कि विश्वस्तरीय नेता हैं। उनका आकर्षक व्यक्तित्व और मजबूत इरादे उन्हें अन्य प्रधानमंत्रियों से अलग करते हैं। देश की युवा-पीढ़ी की उम्मीदों पर खरे उतरने वाले मोदी जी ही हैं जिनके नेतृत्व में देश विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और बढ़ता रहेगा।
3. निर्णय लेने की क्षमता : मोदी जी की खूबियों में एक खूबी उनकी निर्णायक क्षमता भी है। वे ‘तुरंत’ निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। यह क्षमता भारतीय नेताओं में बहुत कम पायी जाती है, वे कहते हैं- ‘देखेंगे। जो उचित होगा करेंगे।’ और यही कारण है कि मोदी जी आज बेहद लोकप्रिय नेता हैं। अन्य नेतागण किन्हीं मजबूरियों के चलते वोट पाने के लालच में या अन्य किसी कारणवश फैसले नहीं लेते या लेने में बहुत अधिक समय लगा देते हैं। किन्तु उनके विपरीत नरेन्द्र मोदी निर्णयों पर तुरंत क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करना जानते हैं।
4. स्पष्ट दूरद्रष्टा : मोदी जी दूर की सोच रखते हैं। उनकी दूरदृष्टि या विजन बिल्कुल स्पष्ट होता है। उनकी इसी दूरदर्शिता का नतीजा है कि उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए विदेश यात्राएं कीं और गुजरात को विकास मॉडल बनाया। अपने चुनावी भाषणों में उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया कि भारत को भ्रष्टाचार मुक्त कर विकसित देशों की सूची में शामिल करेंगे और वे ऐसा कर भी रहे हैं।
5. सुदृढ़ समर्थन : मोदीजी के साथ एक और अच्छी बात यह रही कि गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर राजग के प्रधानमंत्री पद के दावेदार घोषित होने तक उनकी अपनी ही पार्टी उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी। उनकी पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता उनके समर्थन में खड़े रहे और इसी तरह के समर्थन के बल पर उन्होंने पार्टी के सूरमाओं, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज को पीछे छोड़ प्रधानमंत्री बनने की दावेदारी हासिल की थी।
6. अनुशासनप्रिय : नरेन्द्र मोदी देश के पंद्रहवें प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने सदैव जीवन भर अनुशासन को महत्त्व दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बालस्वयंसेवक बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक उनकी दिनचर्या में अनुशासन स्पष्ट दिखाई पड़ता है। यह बात बताती है कि जो दृढ़ निश्चय और अनुशासन उनमें आठ वर्ष की उम्र में भी दिखता था, वही 64 वर्षीय प्रधानमंत्री के रूप में भी मौजूद है।
7. कुशल योजना निर्माता : मोदी जी विभिन्न स्तरीय लोगों का ध्यान रखते हुए कुशलता से बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाते हैं। इसका उदाहरण उनके चुनाव प्रचार से मिलता है। मोदी जी ने 400 रैलियों को संबोधित किया और 3.5 लाख किमी से ज्यादा की यात्राएं कीं। वे ऐसे क्षेत्रों में गए जहां पर आमतौर पर चुनाव प्रचारक जाना नहीं पसंद करते। सुविधाजनक जनसभाएं कर झूठी, लुभावनी बातें कर जनता को बेवकूफ बनाते हैं लेकिन मोदी जी कुशल योजनाओं के बल पर ही लोकप्रियता और बेहतर परिणाम हासिल कर सके।
8. तकनीकी रुझान : मोदी आधुनिक तकनीक के समर्थक हैं और वे खुद को तकनीक के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों से अपडेट रखते हैं। वे घटनाओं के बारे में तुरंत ही ट्वीट पोस्ट करते हैं। यहां तक कि वे इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि उनकी फेसबुक अपडेट है या नहीं। उनसे सीखा जा सकता है कि तकनीक का प्रयोग कर लोगों की अनगिनत समस्याओं को कैसे कम समय में सुलझाया जा सकता है और इससे कैसे लाभ उठाया जा सकता है।
9. फिटनेस के प्रति जागरूकता : मोदी योग के लाभ से बहुत प्रभावित हैं और वे योगा करना कभी नहीं भूलते। भले ही वे कितने ही व्यस्त क्यों न हों, उनके योगाभ्यास में कभी बाधा नहीं आती है। शायद इसी कारण से वे 67 साल की उम्र में भी इतने सक्रिय और स्वस्थ हैं। उनकी यह जागरूकता सभी को प्रेरित करती है।
10. उत्साहित जीवन : नरेन्द्र मोदी अपने जीवन के हरएक दिन को उत्साह से जीते हैं। उनका मानना है कि सफलता में उत्साह का खास महत्त्व है। बिना उत्साह के व्यक्ति अपनी सामर्थ्य को दूसरों के समक्ष नहीं ला सकता। कुछ समय पहले ही उन्होंने अपनी जापान यात्रा के दौरान ड्रम बजाया था और शिक्षक दिवस पर बच्चों के साथ बातचीत की व उनके सवालों के भी जवाब दिये थे। उनके व्यक्तित्व में भरपूर उत्साह नजर आता है।
11. विचलित न होना : उनकी प्रत्येक योजना से आत्मविश्वास का भाव स्पष्ट होता है। वे ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना अधीरता दिखाए परिणामों को लेकर शांत रहते हैं। धैर्य बनाए रखना और हर हालत में मानसिक संतुलन बनाए रखना उनकी खूबी है। वे बहुत कम गुस्सा होते हैं।
12. नेतृत्व क्षमता : एक बार मोदीजी ने वादा किया था कि वे अपने सहकर्मियों से एक घंटा अधिक काम करेंगे। इस तरह की बात कोई कुशल नेता ही कह सकता है। वे एक सक्षम नेता हैं उनमें नेता के वे सभी गुण हैं जिनसे नेता नेतृत्व का अधिकारी बनता है। वे हम सभी के लिए प्रेरणास्वरूप हैं।
13. विनम्र स्वभाव : भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। और मोदी जी उसके प्रधानमंत्री हैं। लेकिन इस बात का उन्होंने कभी अहंकार नहीं किया। ‘फलों से लदा पेड़ झुका ही रहता है।’ यह कहावत नरेन्द्र मोदी जी के गुणों को ध्यान में रखते हुए एकदम साबित होती है। वे सामान्य लोगों के साथ भी विनम्रता से पेश आते हैं और उनसे जो कुछ पूछा जाता है वे उसका जवाब भी देते हैं। उनका विश्वास है कि विनम्रता से आप कितनी भी बड़ी सफलता पा सकते हैं।
मोदी सरकार की बैलेंस शीट
किसी भी बैलेंस शीट में लोकप्रियता और जनभावना का कोई स्थान नहीं होता। मोदी जी की लोकप्रियता में किसी प्रकार का शक नहीं किया जा सकता, न ही इसमें कि शहरी मध्यमवर्गीय बहुसंख्यकों का विश्वास मोदी सरकार में बना हुआ है। इन तीन सालों में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को यूपी सहित कई क्षेत्रों में भारी जीत मिली।
आम लोगों का कहना है- ये मोदी सरकार है, ये बीजेपी या एनडीए की सरकार नहीं है, इसलिए सरकार के कामकाज का आकलन करते हुए उसमें से मोदी जी को अलग कर पाना मुश्किल है, लेकिन ‘परफॉर्मेंस’ अलग चीज है और ‘परसेप्शन’ अलग। ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ के मामले में मोदी सरकार ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस सरकार ने धार्मिक-सांस्कृतिक भावनाएँ जिन्हें हमेशा मुद्दा बनाया जाता था, पर बहस की गुंजाइश लगभग खत्म कर दी है।
मोदी सरकार सबका साथ, सबका विकास में विश्वास रखती है। सरकार के विविध कार्यक्रमों में देखा जा सकता है कि यह सरकार जात धर्म के भेदभाव से परे है। मौजूदा सरकार ने सिर्फ भारतीयता को महत्त्व देते हुए प्रत्येक भारतवासी के बारे में सोचा है, विचार किया है।
मोदी जी के वादों की एक लंबी फेहरिस्त है जिसपर वे निरंतर कार्यरत हैं। खास तौर पर रोजगार और विकास के मामले में, सरकारी आँकड़े ही बता रहे हैं कि रोजगार के नए अवसर और बैंकों से मिलने वाला कर्ज, दोनों इतने ऊपर पहले कभी नहीं गए। जन-धन योजना के तहत 25 करोड़ खाते खुलना और उज्ज्वला स्कीम के तहत गरीब घरों तक गैस पहुँचाना निस्संदेह कामयाबी है।
इसमें कोई बड़बोलापन नहीं हैं बल्कि बीबीसी हिंदी मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर उन मुद्दों की पड़ताल कर रही है जिन्हें बैलेंस शीट पर परखा जा सकता हो, यानी पक्के आंकड़े हैं और उनके सही संदर्भ, इसके अलावा कुछ नहीं।
लव जिहाद, एंटी रोमियो स्क्वॉड, गोरक्षा, घर वापसी, राम मंदिर और हिंदू राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे इन तीन सालों में सरकार के लिए रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से कम अहम नहीं रहे हैं।
‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘नोटबंदी’ जैसे दो फैसले भी हुए जिनके विस्तृत और विश्वसनीय परिणाम अब तक जनता या मीडिया के सामने आए हैं, इन दोनों का भावनात्मक लाभ भी सरकार को जरूर मिला है। ‘मोदी जी ने कुछ तो किया होगा तभी इतने लोकप्रिय हैं’, इस तरह सोचने को विपक्ष मजबूर है। ठोस तर्कों के आधार पर जनता द्वारा मोदी सरकार की कितनी तारीफ की जा सकती है? यही सवाल अन्य दलों की परेशानी का कारण बना हुआ है।
बीबीसी हिंदी ने तय किया है कि भावनात्मक मुद्दों को परे हटाकर, मोदी की लोकप्रियता और उनकी शख्सियत से अलग जाकर, रोजगार, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्वच्छ भारत’ जैसे वादों का आकलन किया जाए।
बीबीसी के संवाददाता इस काम में निष्पक्ष जानकारों की मदद ले रहे हैं, नए-पुराने आँकड़े खंगाल रहे हैं और आप तक सही तस्वीर पहुँचा रहे हैं, ताकि बैलेंस शीट बताए कि बड़े वादों पर सरकार ने क्या हासिल किया।
मोदी सरकार की सफलता
नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर अपने तीन साल पूरे कर चुके हैं। हमें उनके कामकाज के आकलन को अलग-अलग बिंदुओं पर सिलसिलेवार तरीके से देखना चाहिए।
राजनीतिक रिकॉर्ड : मोदी न सिर्फ अपने दल के बल्कि जनता के भी सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। तीन साल पहले उनका जो आभामंडल था, उसे वह कायम रखने में कामयाब हुए हैं।
लगभग हर जनमत सर्वेक्षण ने दिखाया है कि उनकी लोकप्रियता अभी भी 70 फीसदी के आसपास है। ऐसे सर्वेक्षणों को अमरीकी एप्रूवल रेटिंग कहते हैं। इस आंकड़े पर भरोसा किया जा सकता है। क्योंकि पिछले दशक में भारत में जनमत सर्वेक्षण काफी हद तक सही रहे हैं। मोदी जी को संभवतः इस बात से भी मदद मिल रही होगी कि उनके प्रतिद्वंद्वियों में ना तो करिश्मा है और ना ही वे सक्षम नजर आ रहे हैं। वहीं अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के पास अपनी क्षमता को कार्यरत करने के लिए उतना बड़ा मंच नहीं है।
लेकिन इसे निश्चित तौर पर स्वीकार किया जाना चाहिए कि मोदीजी के ऊपर लोगों का जितना भरोसा है, उतना किसी दूसरे नेता पर नहीं दिखता। लगभग सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी का रुदतबा लगातार बढ़ रहा है और विरोधी पार्टी धीरे-धीरे गायब होती नजर आ रही है।
अर्थव्यवस्था : पी. चिदंबरम से उनकी किताब के विमोचन पर पूछा गया कि वे प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों की आलोचना कहीं ज्यादा कठोरता से तो नहीं कर रहे हैं?
आपके लिखे मुताबिक अगर निर्यात और उत्पादन के आंकड़े कम भी हुए हैं और कंपनियों का मुनाफा भी कम हुआ है, तो भी आर्थिक मोर्चे पर मोदी जी के प्रदर्शन को आंकने के लिए दो साल का समय तो निश्चित तौर पर कम है?
ऐसा पूछने पर चिदंबरम ने कहा- नहीं, यह कुल कार्यकाल का 40 फीसदी समय है।
भ्रष्टाचारः वर्ष 2014 का आम चुनाव जिन मुद्दों पर लड़ा गया था, उनमें एक मुद्दा भ्रष्टाचार भी था। यह कहा जा सकता है कि मोदी जी ने केंद्र सरकार में बढ़े भ्रष्टाचार को खत्म कर दिया है। गुजरात में, मोदी व्यक्तिगत तौर पर इस मुद्दे को देखते थे।
मैं गुजरात में उन कारोबारियों को जानता हूं, जिनसे निचले स्तर पर रिश्वत की मांग की जाती है। हालांकि गुजरात की तरह ही, मैं ये जानता हूं कि मोदी लोगों को व्यक्तिगत तौर पर फोन करके पूछते हैं कि क्या उनके मंत्री और अधिकारियों से कोई समस्या हो रही है? वे लोगों को समस्या बताने के लिए कह रहे हैं। वे अपने सही उद्देश्य के साथ सक्रिय हैं।
शासन और कानूनः केंद्र सरकार का प्रथम उत्तरदायित्व नए कानून बनाना होता है। इससे, एक तरह से राज्य पर नियंत्रण रहता है और दूसरी ओर यह केंद्र की जिम्मेदारी भी है।
क्योंकि केंद्र सरकार कुछ सौ आईएएस अधिकारियों के साथ पूरे देश पर शासन करती है।
कानून बनाने के लिहाज से देखें तो सरकार कामयाब हुई है और उद्देश्य भी दिखता है। अगर हम मनमोहन सिंह सरकार को इस नजरिए से देखें तो हमें सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार, आधार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, शिक्षा का अधिकार, रोजगार का अधिकार जैसे कानून याद आते हैं।
मोदी के कामकाज में इनके प्रति फोकस दिखता है। मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान अच्छी पहल हैं।
मोदी की विदेश नीतिः यह काफी अच्छी बात है कि विशेषज्ञों की राय और आम लोगों की राय में कोई अंतर नहीं है। प्रधानमंत्री दुनिया भर के कई देशों में उनके कई भव्य कार्यक्रमों में शरीक हुए थे, लोग बड़े पैमाने पर उन्हें सुनने के लिए आए थे। इसे विदेश नीति की कामयाबी के तौर पर देखा जाता था, और आज भी ऐसा ही है।
वास्तविकता यह है कि मोदी जी की व्यक्तिगत कूटनीति पूर्ण रूप से कामयाब रही है और पाकिस्तान को लेकर हमारी नीति ऐसी है जिसे विशेषज्ञ अच्छी तरह समझते हैं।
मोदी सरकार का कामकाज यह दर्शाता है कि वे विदेश नीति के प्रति गंभीर हैं। चीन के मामले में भी, उनकी सोच और समझ जरूर काम आयेगी।
अगर हम लोकप्रियता की बात करें तो मोदी जी का कार्यकाल कामयाब दिख रहा है क्योंकि लोकतंत्र में कामयाबी के लिहाज से मतदाताओं में लोकप्रियता इकलौता पैमाना है, कोई विश्लेषक मोदी के बारे में क्या लिख रहा है और क्या कह रहा है, इसका कोई मतलब नहीं है।
मोदी जी भारतीय जनता पार्टी का चेहरा बने रहेंगे और सदैव विस्तार देते रहेंगे परिणामस्वरूप कांग्रेस को समेटते हुए, वे कामयाब माने जाएंगे।
सबका साथ, सबका विकास!
भारतीय सरकार के इतिहास में ऐसा कोई भी राजनेता नहीं हुआ है, जिसने एकता का ऐसा जबर्दस्त और ठोस संदेश दिया हो। मोदी जी राजनीतिक संवाद से काफी आगे निकल गए हैं। भारत में अधिकतर राजनेता सांप्रदायिक भावनाओं के खिलाफ लोगों को भड़काकर स्वयं लाभ उठाते हैं और अपना वोट बैंक तैयार करते हैं। यही नहीं कुछ राजनीतिक दल औद्योगिक विकास के खिलाफ जन भावनाओं से खिलवाड़कर, उन्हें भड़का कर चुनाव के दौरान अपनी रोटियां सेंकते हैं।
किन्तु, नरेन्द्र मोदी के विचारों ने नए विचारों का संचार करते हुए एकता को सही मायने पर प्रस्तुत किया। नरेन्द्र मोदी एकता और विकास के दूत बनकर उभरे हैं और उन्होंने गुजरात में दिखा दिया है कि अपने शब्दों को कैसे मूर्त रूप देते हैं।
उनके भाषणों में हर जगह सबका साथ, सबका विकास संदेश गुंजायमान होता है। उन्होंने दिखा दिया है कि किसी का विकास और उन्नति दूसरे की कीमत पर नहीं होनी चाहिए, बल्कि विकास की प्रक्रिया में सभी को शामिल करना चाहिए।
मोदी जी पटना में हुंकार रैली को संबोधित करने गए थे। उनका भाषण शुरू होने ही वाला था कि गांधी मैदान में बम फूटने लगे। मोदी जी की जगह कोई अन्य नेता होता तो विचलित हो जाता या आतंकी योजना या विपक्ष के खिलाफ भीड़ को उकसाता। ऐसे हालात में भी नरेन्द्र मोदी ने अपनी बात रखते हुए जनसामान्य को शांति और एकता का संदेश दिया। उन्होंने अनुरोध किया कि हिंदू और मुसलमानों को एक दूसरे