वसिष्ठ: Maharshis of Ancient India (Hindi)
By Sri Hari
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ब्रम्हाजी के एक और मानसपुत्र, सारे वेद-शास्त्रो के ज्ञाता, इन के अरुंधति थी। इन की सलहा के अनुसार राम और लक्ष्मण को राजा दशरथ ने विश्वामित्र के साथ भेजते है। वे राजा दशरथ के कुलगुरु थे। सौदास अपने शाप की वजह से राक्षस का जन्म पाकर वसिष्ठ जी के पुत्रों का वध करता है। पुत्रशोक से पीडित वसिष्ठ जी आत्महत्या करने की कोशिष करते हैं। परन्तु पुत्र "शक्ती" के कारण पुनश्चेतना प्राप्त कर के सौदास के अपराथ क्षमा करते हैं। सहनशीलता का प्रतिरुप वसिष्ठ जी के विषय में जानना अत्यंत पुण्यदायक है।
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वसिष्ठ - Sri Hari
श्री रंग सदुरुवे नमः
भारतीय संस्कृति का परिचय छोटे बच्चों को कराने, उनमें अच्छे पुस्तकों को पढ़ने की अभिरुची को विकसित करने की उद्धेश्य से पुस्तकों को प्रकाशित करने भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था ने संकप्ल किया । इसलिए
रामायण और महाभारत का मुख्य पात्र के दो पुस्तक झृंखलाओं को कई भाषाओं मे प्रकाशित किया है । इसे विद्यालयों ने सार्वजनिक संस्थाओं ने ओर सर्कार ने स्वागत किया है । इसी दिशा में
महापूज्य महर्षियाँ नामक् छोटे पुस्तको के गुच्छे को इस संस्था द्वारा प्रकटित करना हमें अति प्रसन्नता हुई है ।
इस पुस्तक श्रृंखलाओं का उद्देश्य हमारी भव्य संस्कृती का निर्माता कुछ महर्षियों का परिचय कराना है । ऋषियों ने सत्य का साक्षत्कार कर के अपने अनुभवों को जनहित और लोक कल्याण करने की उद्देश्य से अपने वाकू और ग्रंथों द्वारा लोगों तक पहुँचाया । उन्होंने अपने आत्मानुभव और अत्मगुण से अपनी बुद्धि श्रेष्ठता का परिचय दिया । सामान्य मानव जैसे लौकिक ख्याती, धन संग्रह, पूजा आदी के लालच में ना पडकर लोका समस्ता सुखिनो भवंतु
समस्त विश्व में सुख प्रदान हो इस धार्मिक बुद्धि से अपने अनुभवों को अनुग्रहित किया । ऐसे महात्माओं में किन्हीं मुख्य पुरुषों का परिचय हमें इन छोटे पुस्तकों द्वारा मिलता है । इन्हें पढ़कर और विचार करने से बच्चों में सत्य निष्ठता, सदाचार और सद्गुण निर्माण होगा और देश के सभ्य नागरिक बनने में सहायक सिद्ध होग
यही हमारा आशय है ।
भारत संस्कृती प्रकाशन संस्था की ओर से इसी किसम् के कई पुस्तकें प्रकाशित हो जिससे आत्मकल्याण और लोककल्याण करने सहायक सिद्ध हो । इन पुस्तकों को लिखने और परिष्कृत करने में सहायता करनेवाले विद्वद्जनों और पंडितों का मंगल कामना करते हैं ।
अष्ठंगा योग विज्ञान मंदिरम्
श्रावण शुक्लद्वितीय, रवीवा
बेंगलोर
22-07-2001
नारायण स्मरण
श्री श्री रंगप्रिय श्रीपाद श्रीः
ब्रह्मर्षि वसिष्ठ
श्रियै नमः
श्री गुरुभ्यो नमः
परम पूज्य ब्रह्मदेव ने अपनी अपार शक्ति से बहुत समय पहले इस संसार की सृष्टि किया । उसके पश्चात्, संसार में धर्म-स्थापन करने और उसका संरक्षण करने के लिए महातेजस्वी, करुणापूरित, सकलशास्त्रों के ज्ञाता ने सात ऋषियों को अपने मनोसंकल्प से सृष्टित किया । यह थे मरीचि, अत्री, अंगीरस, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु तथा वसिष्ठ । इन धर्मात्मा सप्तर्षियो के ब्रम्हाजी के मन से जनने के कारण यह सप्तब्रह्म,