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हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं
हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं
हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं
Ebook74 pages39 minutes

हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं

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About this ebook

कुछ शब्द
मेरी रूममेट
दफ्तर जाने से पहले
उस दिन की बात
टूटे दिल के साथ
नयी सुबह
मुंबई में
सच का सामना

कुछ कहानियां या उपन्यास आप पढ़ना तो शुरू करते हैं पर कुछ ही पन्नो को पढ़ने के बाद रख देते हैं, कुछ किताबों को आप सिर्फ शीर्षक या प्रस्तावना पढ़कर ही रख देते हैं, लेकिन कुछ कहानियां या किताबें ऐसी भी होती हैं जिनको आप पढ़कर संजो कर रख लेते हैं और अपने आस पास के लोगों को भी उस किताब या कहानी के बारे में समय समय पर बताते रहते हैं।

ऐसा ही एक उपन्यास है के. सिंह जी के द्वारा लिखा हुआ 'हम प्यार और शरीर से प्यार करते हैं' जो निश्चय ही आपके दिल और दिमाग में हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेगा।

ये नलिनी की कहानी है, ये विक्रम की कहानी है, ये सुष्मित की कहानी है, पर सिर्फ ये जानकार ही निष्कर्ष मत निकाल लीजियेगा के ये आम कहानियों की तरह ही कोई प्रेम के विषय पर लिखा हुआ उपन्यास है! नहीं, ऐसा नहीं है! प्रेम की पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ ये एक ऐसा उपन्यास है जो समाज की उस हकीकत को उजागर करता है जिससे आप शायद आज तक अवगत ना हुए हों!

हम यकीन से कह सकते हैं के के. सिंह जी की लिखाई की कला आपके दिल और दिमाग पर अपनी एक अमित छाप छोड़ देगी!

शुभकामना

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 20, 2024
ISBN9798215000045
हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं

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    हम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं - K. Singh

    कुछ शब्द

    कुछ कहानियां या उपन्यास आप पढ़ना तो शुरू करते हैं पर कुछ ही पन्नो को पढ़ने के बाद रख देते हैं, कुछ किताबों को आप सिर्फ शीर्षक या प्रस्तावना पढ़कर ही रख देते हैं, लेकिन कुछ कहानियां या किताबें ऐसी भी होती हैं जिनको आप पढ़कर संजो कर रख लेते हैं और अपने आस पास के लोगों को भी उस किताब या कहानी के बारे में समय समय पर बताते रहते हैं।

    ऐसा ही एक उपन्यास है के. सिंह जी के द्वारा लिखा हुआ 'हम प्यार और शरीर से प्यार करते हैं' जो निश्चय ही आपके दिल और दिमाग में हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेगा।

    ये नलिनी की कहानी है, ये विक्रम की कहानी है, ये सुष्मित की कहानी है, पर सिर्फ ये जानकार ही निष्कर्ष मत निकाल लीजियेगा के ये आम कहानियों की तरह ही कोई प्रेम के विषय पर लिखा हुआ उपन्यास है! नहीं, ऐसा नहीं है! प्रेम की पृष्ठभूमि पर लिखा हुआ ये एक ऐसा उपन्यास है जो समाज की उस हकीकत को उजागर करता है जिससे आप शायद आज तक अवगत ना हुए हों!

    हम यकीन से कह सकते हैं के के. सिंह जी की लिखाई की कला आपके दिल और दिमाग पर अपनी एक अमित छाप छोड़ देगी!

    शुभकामना

    Chapter 2

    मेरी रूममेट

    गर्मियां दिल्ली में जितनी असहनीय होती हैं सर्दियाँ उतनी ही काटने वाली, पर दिन के समय बहुत सुख देने वाली होती हैं। वो सोमवार की सुबह थी और उस दिन भी सर्दियो के किसी अन्य दिन की तरह ही बहुत ठण्ड थी।

    मैं तो गर्मियों में भी सोकर देर से उठने की आदी थी तो फिर सर्दियों में जल्दी कैसे उठ जाती। उस दिन सुबह का तापमान करीब सात डिग्री सेल्सियस था। मैं बिस्तर में रजाई के नीचे सिकुड़ कर सुबह की नींद का मजा ले रही थी। मैंने आंख खोलकर खिड़की से देख लिया था के सूरज बादलों के अंदर से बाहर झाँकने की कोशिश कर रहा था। मैं अभी कुछ देर और सोना चाहती थी।

    तभी मुझे बाथरूम में से प्लास्टिक की बाल्टी में नल से पानी भरने की आवाज आयी। मेरी नींद पूरी तरह से खुल गयी।

    मेरे कमरे में कुछ दिन पहले ही मेरी नयी रूममेट (कमरे की साथी) आयी थी। उसका नाम अरुणिमा था। वो हर दिन ही मुझसे जल्दी उठ जाती थी और मुझसे बहुत पहले ही नहा धोकर तैयार हो जाती थी। उस दिन भी वो बाथरूम में थी और स्नान करने की तैयारी कर रही थी।

    अरुणिमा ने कुछ दिन पहले ही हमारी विज्ञापन कंपनी में काम करना शुरू किया था। सुबह वो कभी कभी जल्दी चली जाती थी पर शाम को हम दोनों साथ साथ ही घर वापिस आते थे।

    मेरे साथ काम करने वाली एक और लड़की, दीपिका, पहले से ही अरुणिमा को जानती थी। मैं अपने तीन कमरों के फ्लैट में पिछले तीन वर्षो से अकेली ही रह रही थी इसलिए दीपिका ने ही मुझसे अनुरोध किया था के मैं अरुणिमा को अपने साथ अपने फ्लैट में रहने की जगह दे दूँ। वैसे भी मैं अकेली ही थी इसलिए मैंने अरुणिमा को अपने साथ ही फ्लैट में रख लिया।

    पिछले तीन सालों से अकेली रहती हुई मैं भी काफी निराश महसूस करने लगी इसलिए मैंने सोचा के अरुणिमा के आ जाने के बाद कम से कम

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