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Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा)
Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा)
Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा)
Ebook229 pages55 minutes

Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा)

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About this ebook

इस पुस्तक में व्यवसाय व विषय विशेष पर केंद्रित कुछ रचनाएं हैं साथ ही ग़ज़ल, तज़मीन, मुक्तक, नज़्म, गीत व पैरोडी भी हैं। रचनाओं में एक नयापन और कलाम की पुख्तगी साफ जाहिर है। हमें पूरा यकीन है कि पाठकों से इसे भरपूर प्यार मिलेगा
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateDec 21, 2023
ISBN9789356844711
Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा)

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    Wo Chand Pyara Pyara (वो चाँद प्यारा प्यारा) - Dr. Vijay Mittal

    व्यवसाय व विषय विशेष

    1. अध्यापक

    पढ़ लिख जग में नाम कमाना सिखलाता है अध्यापक

    सब उदंडता तुम बच्चों की सह जाता है अध्यापक

    ज्ञानदान से बेहतर कोई दान नहीं है जीवन में

    हर मुमकिन कोशिश से तुमको समझाता है अध्यापक

    कक्षा कभी न छोड़ के जाते होता अगर ज़रा एहसास

    तुम्हें पढ़ाने ख़ुद कितना पढ़ कर आता है अध्यापक

    डांट-डपट कर, हाथ उठा कर, ख़ुशी नहीं मिलती हरगिज़

    दंड अगर दे, बाद में ख़ुद ही, पछताता है अध्यापक

    उसके जीवन के अनुभव से सीख लो जितना सीख सको

    जाने कब वो बात पते की कह जाता है अध्यापक

    लाख कोशिशों बाद सफलता जो ना मिल पाई ख़ुद को

    छात्र वो हासिल कर ले कितना सुख पाता है अध्यापक

    2. जज

    सब की ख़ातिर सही समय पर न्याय जो एक बराबर हो

    फिर हर इंसां के दिल में कानून का डर और आदर हो

    ईष्या काम क्रोध लालच पर अंकुश सब रक्खें जग में

    क्यूँ इतने अपराध हों गर इंसां को ईश्वर का डर हो

    तर्कयुक्त विश्लेषण हो तो मिल जाये उपयुक्त सज़ा

    बहस सबूत गवाह हों सच्चे नैतिक जज हो लॉयर हो

    सर्वोपरि कानून रहे निष्पक्ष अदालत हो हरदम

    चाहे अपराधी हो अफ़सर अभिनेता या मिनिस्टर हो

    मजिस्ट्रेट जज जस्टिस न्यायाधीश मि लार्ड योअर ऑनर

    भेदभाव बिन न्याय दिलाये क़लम में ऐसी पावर हो

    3. एडवोकेट

    एडवोकेट अटॉर्नी काउन्सिल सॉलिसिटर और बैरिस्टर

    कितने अलगअलग नामों से जाना जाता है लॉयर

    इस पेशे में केवल नियमों का ही ज्ञान नहीं काफ़ी

    सफल वही जो करे समीक्षा विश्लेषण चिंतन बढ़ कर

    लॉ प्रोफेशन में अनुभव का और रसूक का मोल बहुत

    फीस किसी की एक मुश्त है या किश्तों में पेशी पर

    हर सूरत में केस जीतने का दबाव होता ऐसा

    आत्महत्या और नशे की लत पड़ जाती है इनको

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