ख़्वाबों से हकीकत का सफर
By Shabina Naaz
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About this ebook
जिंदगी ख्वाबो का सफर
जिंदगी हकीकत की जुबां
जिंदगी गमों का तर्जुमा
जिंदगी रंज-ए- बयान
जिंदगी फिर भी हसीन
जिंदगी फिर भी (जवां) जवा ❤️
इसी खयाल को लफ्जों में पिरो कर (ख्वाबों से हकीकत का सफर) शुरू हुआ और उम्र के साथ साथ चलता गया और मेरा हमेशा से ये यकीन है, खुदा ए बरतर की जात पर, कि चाहे आप के सामने कितनी ही मुश्किलें दर पेश आ जाएं, अगर आप खुदा के ऊपर सब छोड़ देते हैं और अपना जो आपका फर्ज बनता है वो करते रहेंगे, तो यकीन जानिए, आप को पता ही नहीं लगेगा कब आपने अपने ख्वाबों को हकीक़त की शक्ल में ढलते हुए पा लिया।
ख्वाबों से हकीकत का सफर वो सफर है जिस के लिए एक मुख्तसर सा शेर यूँ है के-
मैं अकेला ही चला था जनि _ बे _ मंजिल मगर
लोग साथ आते गये और कारवाँ
बनता गया
आप इस सफर को शुरू कीजिए आप सच्चे है तो मंजिले खुद आप को तलाश करेगी बस ये कलम यही बयान कहती है
इतना तो कोई इंसा खुद आप सम्भल जाए
ये गर्दिशे दौरा भी कतरा के निकल जाए
हालात के मारो पर अब कौन तरस खाए
बेहतर है कि कांटों मे गुल और भी खिल जाए!!!!!
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ख़्वाबों से हकीकत का सफर - Shabina Naaz
अपनी बात
बात उन दिनों की है जब मैं जूनियर हाई स्कूल में पढ़ रही थी तब स्कूल में एक मुशायरा आयोजित किया गया था। क्यूँ के बचपन से ही मैंने अपने अब्बु को घर में पढ़ते हुए देखा था और उनकी आवाज में तो जेसे जादू था और उनको खुदा ने शायरी का शरफ बख्शा था। सो हमने भी बढ़े शौक से अपना नाम लिखा दिया और यही मेरे अन्दर जेसे एक लेखिका ने जन्म ले लिया और उस के बाद नहीं मालूम लिखते 2 कब मास्टर्स किया कब Bachelor of education diploma in computer science किया पता ही नहीं चला बस हाथ में कलम आ गया और जिंदगी का सफर चलता गया और फिर वक़्त के पन्नों की तरह जिंदगी ने करवट ली भारत से दुबई आ गए यहां पर शौहर और बच्चों के साथ बहुत सुकून की जिंदगी में हमारे शौक ने फिर कहा लिखो बस फिर दिल ने कहा शायरी करना तो ऐसी करना जिस से कोई ख्वाब की सी बात ना हो उसे हकीकत का जामा भी पहनाने की कोशिश करना कई बार में ने अपने वालिद साहब (Syed Muhammad kamil Dy SP police) को भी अपना लिखा हुआ कलाम सुनाया तो उन्होंने आँखों में आंसू ले आकर प्यार किया और कहा बेटी तू तो बहुत अच्छा लिखती है तू लिखना मत छोडना मेरी फुफो (बुआ) भी बहुत अच्छी शायरा थी सो ये शायरी यू कहिये के मुझे विरासत में मिली थी।
लेकिन मेरे लिखने के शौक को सब से ज्यादा मेरी हौसला अफजाई करने में मेरे शौहर Syed Gulzar Alam ने मुझे आगे बढाया उन के सहयोग के बिना मेरा लिखना नामुमकिन था। इसके लिए हम हमेशा उन के आभारी रहेगे।
अपने पढ़ने वालों को बस मेरा यही कहना है के अपना भरोसा खुदा पर हमेशा रखना क्यूँ के जो उस पर भरोसा रखता है तो वो उपरवाला उसे अपना दोस्त रखता है जिस तरह खुशी नहीं ठहरती उसी तरह मुश्किल वक़्त भी नहीं ठहरता अपने ख्वाबों को हकीक़त बनाने के लिए एक सफर हिम्मत और हौसलों का तय करना ही पढ़ता