फिट तो रहना है, लेकिन कैसे?
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About this ebook
इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में स्वस्थ रहना कितना ज़रूरी और मुश्किल हो गया है इसको बताने की ज़रूरत नहीं है। हम अपने ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। खान-पान, जीवनशैली और स्वस्थ रहने के बहुत से सुझावों को लिए पुस्तक "फिट तो रहना है, लेकिन कैसे?" आपको जीवन में बेहद उपयोगी लगेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते हैं, व्यस्त दिनचर्या में भी स्वस्थ रहना चाहते हैं उन्हें यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।
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आहार/पोषण विशेषज्ञ कल्पना शुक्ला अपनी इस किताब से लोगों को खानपान-पोषण सम्बंधी बारीकियों से रूबरू करायेंगीं. अपनी सोच, आहार और जीवनशैली में किये हुये छोटे-छोटे परिवर्तन हमारे परिवार के संपूर्ण विकास में कितने प्रभावशाली हो सकते हैं, कल्पना शुक्ला ने इस किताब के द्वारा हम सभी को ये जानकारी देने का सराहनीय प्रयास किया है। वैसे तो कल्पना साहित्य में परास्नातक हैं परन्तु स्वास्थ्य संतुलित, पोषक और स्वास्थ्यप्रद आहार में रुचि होने के कारण इन्होंने आहार-विज्ञान(पोषण विज्ञान) और पोषण का प्रशिक्षण लिया।
लेकिन इन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि कल्पना जी एक अनुभवी गृहणी हैं जिन्होंने अपने जीवन के उतार-चढाव और अनुभवों के आधार पर और काफ़ी अध्ययन के बाद ठोस परिणामों के आधार पर बहुत ही आसान सुझावों वाली किताब लिखी है। सरल भाषा के प्रयोग के कारण यह किताब अत्यंत दिलचस्प और प्रभावकारी हो गयी है।
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Book preview
फिट तो रहना है, लेकिन कैसे? - Kalpana Shukla
ISBN : 978-9388202657
Published by :
Rajmangal Publishers
Rajmangal Prakashan Building,
1st Street, Sangwan, Quarsi,
Ramghat Road, Aligarh-202001, (UP) INDIA
Cont. No. +91- 7017993445
www.rajmangalpublishers.com
rajmangalpublishers@gmail.com
sampadak@rajmangalpublishers.in
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प्रथम संस्करण : मार्च 2020
प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन
राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट, सांगवान,
क्वार्सी, रामघाट रोड, अलीगढ़, उप्र. - 202001
फ़ोन : +91 - 7017993445
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First Published : March. 2020
eBook by : Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)
Cover Design : Rajmangal Arts
Copyright © कल्पना शुक्ला
इस पुस्तक को प्रकाशक या लेखक की अनुमति के बिना प्रकाशित, मुद्रित या वितरित नहीं किया सकता है। किसी भी परिस्थिति में, इस पुस्तक का कोई भी हिस्सा पुनर्विक्रय के लिए फोटोकॉपी नहीं किया जा सकेगा। इस पुस्तक के प्रिंटर, प्रकाशक और डिस्ट्रीब्यूटर किसी भी तरह से इस पुस्तक में लेखक द्वारा व्यक्त किए गए विचार एवं लेख के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। किसी भी प्रकार के वाद-विवाद की स्थिति में न्यायालय क्षेत्र अलीगढ़, उप्र. भारत होगा।
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लेखक द्वारा : इस पुस्तक में दिये गये सुझाव मेरे व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित हैं। ये सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी के लिये दिये गये हैं। इन्हें किसी भी तरह से चिकित्सीय परामर्श (medical advice) ना समझें। किसी विशेषज्ञ (expert) की सलाह लिये बिना ही यदि आप सुझावों का अनुशरण करते हैं तो वह पूरी तरह से आपकी ज़िम्मेदारी होगी। इसीलिए, किसी भी तरह का फ़िटनेस प्रोग्राम शुरू करने या ख़ान-पान में कोई परिवर्तन करने से पहले हमेशा किसी डॉक्टर, न्यूट्रीशनिस्ट या डायटीसियन से consult अवश्य करें।
आपको समर्पित
(Dedicated to You)
अनुक्रमणिका
शीर्षक
1 - परिचय
2 - हमारा खान-पान और हमारी जीवनशैली
3 - संतुलित आहार (Balanced Diet)
4 - स्वयं को परखें-समझें
5 - दिनचर्या और आदतों में छोटे-छोटे बदलाव
6 - स्वस्थ्य शरीर और लंबी आयु के लिए योग और व्यायाम
7 - हमें खाना चबा-चबाकर क्यों खाना चाहिए?
8 - सवेरे का नाश्ता ज़रूरी क्यों है ?
9 - खाना बनाते समय ध्यान देने वाली कुछ छोटी पर ज़रूरी बातें
10 - नियमित चलना जीवन के सात साल बढ़ा सकता है
11 - हमारे भोजन में स्वाद और ज़ायके का महत्व
12 - चाय भी गुणकारी हो सकती है
13 - Foods जिन्हें Superfoods भी कहा जाता है।
14 - छुट्टियों में बाहर घूमते हुए सेहत का ख़याल कैसे रखें
15 - संवेदनशील बातें
16 - इनपर भी गौर करें।
नोट:
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परिचय
मुझे हमेशा से ही पढ़ने का शौक था। विशेषकर, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व से जुड़े लेख पढ़ना और उन्हें सीखकर अपनी आदतों में ढालना बहुत अच्छा लगता था। परन्तु, अधिकांश लोगों की तरह मेरे पास भी अपने लिए वक़्त नहीं रहता था। परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करते-करते कैसे वक़्त गुज़र गया पता ही नहीं चला।
जीवन में आने वाले तमाम उतार-चढ़ाव हमारे ऊपर भी अपना प्रभाव छोडते हैं। इनका प्रभाव जाने-अनजाने हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है लेकिन समय रहते जल्दी समझ में नहीं आता है।
मेरे साथ भी बिलकुल ऐसा ही हुआ। आए दिन कोई न कोई स्वास्थ्य-संबंधी समस्या हो ही जाती थी। मेरे साथ-साथ परिवार के सभी सदस्य परेशान हो जाते थे। धीरे-धीरे जब बच्चे बड़े होकर अपने साथ मेरा भी ख़याल रखने वाले हो गए तो मुझे भी अपने लिये थोड़ा वक़्त मिलने लगा।
तब सबसे पहले मैंने अपने खान-पान में सुधार किया। मैं मीठी चाय पीना बहुत पसंद करती थी और इतना ही नहीं उसके साथ तरह-तरह के पराँठे बनाकर खाना बहुत पसंद था। योग या व्यायाम का तो दूर-दूर तक पता नहीं था। तो मैंने चाय से चीनी को bye-bye कहा, पराँठे खाना कम किया, सलाद आदि खाना शुरू किया