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दीप जलाओ: ताज़ा ग़ज़ल, #1
दीप जलाओ: ताज़ा ग़ज़ल, #1
दीप जलाओ: ताज़ा ग़ज़ल, #1
Ebook73 pages13 minutes

दीप जलाओ: ताज़ा ग़ज़ल, #1

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About this ebook

यह पुस्तक महफ़िल ए गजल व्हाट्सप्प समूह के विभिन्न शायरों द्वारा एक ही जमीन पर लिखी गई गजलें शामिल हैं जिनमें 200 से अधिक शेर हैं | ऐसा करने का उद्देश्य गजल गायकों को एक ही बहर और धुन के बहुत सारे शेर उपलब्ध करवा देना है |गायक अपनी सुविधा और आवश्यकता अनुसार शेर अपने गाने के लिए चुन सकता है | गायक से अपेक्षा की जाती है कि इन शेरों के लिए लेखक को क्रेडिट अवश्य दे | यदि यह प्रयोग गायक मित्रों को पसंद आता है और पुस्तक उपयोगी रहती है तो इसी प्रकार की और भी पुस्तकें आगे  प्रकाशित करने का प्रस्ताव है |

Languageहिन्दी
PublisherAmit Sharma
Release dateOct 28, 2022
ISBN9798215996027
दीप जलाओ: ताज़ा ग़ज़ल, #1
Author

रवि कांत अनमोल

1997 से भारत के विभिन्न भागों में सेकंडरी स्कूलों में गणित, कंप्यूटर और हिन्दी भाषा के शिक्षण के साथ साथ रवि कांत अनमोल ने बच्चों में भाषा और गणित की रुचि बढ़ाने के लिए विभिन्न सफ़ल प्रयोग किए हैं। उन्होंने न केवल स्वयं कविताएं, निबंध और कहानियां लिखी हैं बल्कि अपने विद्यार्थियों को भी प्रेरित करके उनसे रचना करवाई है। गणित और कविता में उनकी विशेष रुचि रही है।

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    दीप जलाओ - रवि कांत अनमोल

    भूमिका

    तरह मिसरा लेकर गज़लों की रचना करना ग़ज़ल की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है | इस में कई शायर एक पंक्ति को आधार मान कर उसके छंद में उसी के तुकांत के साथ अपनी अपनी ग़ज़लों की रचना करते हैं | इस से शायरों का अभ्यास बढ़ता है और उनकी किसी भी बहर में किसी भी तुकांत के साथ शेर कहने की सलाहियत प्रकट भी होती है और बढ़ती भी है | तरही मुशायरे भी इसी प्रकार के अभ्यास और बुद्धि परीक्षा का एक साधन हुआ करते हैं | पुराने समय से इन मुशायरों में नौसिखिया शायरों से लेकर उस्ताद शायर तक हिस्सा लेकर शेर कहने के अपने हुनर को निखारते और उसका प्रदर्शन करते रहे हैं | तरह मिसरा की बंदिश के साथ ज्यादा से ज्यादा और उम्दा से उम्दा शेर कहना एक तरह की बुद्धि परीक्षा ही है |  आधुनिक काल में ग़ज़ल पर आधारित विभिन्न व्हाट्सप्प समूहों ने इस परंपरा को नया रंग दिया है, इन समूहों में बहुत सारे शायर रोजाना या हफ्ते में एक दो बार एक

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