Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

Man Lauta Hai
Man Lauta Hai
Man Lauta Hai
Ebook118 pages30 minutes

Man Lauta Hai

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

आमुख

जब फ्मन लौटता हैय् को तरतीब से व्यवस्थित करना प्रारंभ किया तब.. मन न जाने कितने गलियारों से होता हुआ स्वयं तक पहुँचा! चालीस वर्षों के बहाव में टंकी थीं अनगिनत कवितायें... कुछ पन्नों पर अपने प्रारूप में, कुछ डायरी में कलमब(, कुछ तो समय के बहाव में बह गयी थीं, मुँहशुबानी कुछ भी याद नहीं था!

गत तीस वर्षों से अपनी कविताओं के भाव कागश और कैनवस पर रँगों के माध्यम से उतार रही हूँ, किन्तु कलम कब तूलिका बनेगी और तूलिका कलम, मैं नहीं.. वे ही निश्चित करती हैं! अब तक देश विदेश की प्रतिष्ठित कलावीथिकाओं में मेरी सौ से भी अधिक एकल, साझा कला प्रदर्शनियों व कला कार्यशालाओं का हिस्सा बनीं!

नार्थ सेंट्रल शोन कल्चर सेंटर द्वारा आयोजित मेरी चित्राकला प्रदर्शनी का शुभारम्भ करने के उपरान्त गुलशार साहिब ने लिखा था....

फ्निर्मला सिंह की कविता और उनके चित्रा एक दूसरे को पूर्णता प्रदान करते दिखते हैंय्!

वहीं हिन्दुस्तान टाइम्स ने स्टोरी का टाइटल बनाया था ...

श्ब्वउचसमउमदजपदह अपेनंसे ूपजी चवमजतलश्

फ्मन लौटता हैय् वो अनुभूति है जो हर स्त्राी के अन्तः में पलती है, जब वह अपने समस्त कर्तव्यों दायित्वों का निर्वहन कर एक लम्बे अन्तराल के बाद स्वयं तक लौटती है! बहुधा.. सेवा त्याग तपस्या के उपरान्त स्वयं से किये वादे पूरे करने को लौटना अपने आप में एक उपलब्धि है!

फ्ठहरा हुआ पानीय् एक स्थिर मनश्चेतना है, तो वहीं फ्नीम की डाल परय् में संवेदनायें मुखर हैं!

फ्दरकते वक़्तय् में काल में आये आमूलचूल परिवर्तन के आभास हैं और फ्खिड़की की चैखटय् में यादों के खूँटे गड़े हैं! जीवन के हर आयाम में मैं कविता देखती हूँ, गूढ़ जटिल शब्द मुझे उलझन में डालते हैं, मुझे लगता है कि सरल सहज भाषा में बुनी कविता सीधे आँखों से उतर मन की तहों तक समा जाती है, उसके लिए किसी शब्दकोष की आवश्यकता नहीं होती!समकालीन कवि विवेक चतुर्वेदी जी कहते हैं....

फ्निर्मला सिंह की कविता की ख़ुसूसियत साथ बैठने की है, ये चैंकाने वाली कविता नहीं है, ये चिल्लाने वाली राजनैतिक कविता भी नहीं है!य्

यह गोबर से लिपे आँगन में कंधे पर गमछा डालकर उकडूं बैठ बात करने की कविता है

ये छुए हुए अनुभवों की कविता है और उन्हें शिल्प से दूर से ही तराशा गया है ताकि अनुभूति आहत न हो!

यदि मुझे एक शब्द में कहना पड़े तो मैं यही कहूँगा कि निर्मला सिंह की कविता फ्मित्रा कविताय् है

निर्मला सिंह

Languageहिन्दी
Release dateOct 4, 2021
ISBN9788194000419
Man Lauta Hai

Read more from India Netbooks Indianetbooks

Related to Man Lauta Hai

Related ebooks

Reviews for Man Lauta Hai

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    Man Lauta Hai - INDIA NETBOOKS indianetbooks

    dZabook_preview_excerpt.htmlXn7 4h^m?@Vɂc2\YPZA*+ e? ɵEC 99gp?;_dz~:km]ݺֹ[WŨuӺq_Ӻe[\nU}[\`h* d?ݵ 4~ewx792LcMV)3'> $$!읷7g?-iw4G*Fᐁܯa b ;hyOKFZ{ |? ,s;ťEP}ت29&nq] lMMbz t1:=yCI>!HKq(l1Y\E/ߢfT5t ^g<{G@Ve<2EW%E>Ⱄ%%GdkL+ZYk#Bd4`Gpjkxo;r3n?lWh$_D[]ĝm`5Y?\R2UKmJ9)V߲dƂ̐X5)}ɾH Tg&m ȹ$I+:^3U3(Dt H?Ȋ+zHvV)Eq &6Z)#Kf(ohAcOaZ6Iə= ƲéEX;/ ,N+Tb#Ȝ ;y0uDMae5f /MFΐQ3+%Mp'(%@v1~Ⱦ%.v"!;](iYclh. mհR$i%6E- FjP#S%L4hV'G ցq7 u/qSnƜH&OHKݯ5^"@}UWd 1Y[ zI;Jz[ )\.@hf Xr,SDŽuV]jʶv|m(&qdwvB"UJ5ˋeyd/>ZMtƞvJŋ/ɚVφJ(yOc$:I{E[SBO~4X_+I5NJo7iM'~ tZ (۱I+PZI,HfD\yb۠MZd&'ߙ7Ժǜ4rЕujrv`PKOUG";gf"N~U;=ת3 pCa"[{M<0-爨TX~(}=.d *NA^@Wsqc/r.9$?i*V|X=mN>R~+Py_Nil6;}k][zÒ߿q
    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1