प्रेम प्रसून (काव्य संग्रह)
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'प्रेम' मात्र शब्द नहीं है। यह ऐसा पवित्र एहसास है, जिसे प्राणिमात्र अनुभव करता है व आनन्द प्राप्त करता है। वस्तुतः प्रेम में वह शक्ति है जिससे मनुष्य प्रभु को भी अपना बना लेता है। जब तक सांसारिक या दैहिक स्तर पर प्रेम का अनुभव है तब तक त्रुटि का स्थान हो सकता है; आध्यात्मिक स्तर पर प्रभु स्वयं भक्त के बन्धन में आ बंधते हैं।
प्रस्तुत काव्य संग्रह "प्रेम प्रसून" में सांसारिक प्रेम बोध या सामान्य मानव हृदय के भावों की अभिव्यक्ति की गई है। उसके हर पहलू को छूने की कोशिश है। भाव प्रवणता में यदि कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा चाहूँगी।
'प्रेम' मात्र शब्द नहीं है। यह ऐसा पवित्र एहसास है, जिसे प्राणिमात्र अनुभव करता है व आनन्द प्राप्त करता है। वस्तुतः प्रेम में वह शक्ति है जिससे मनुष्य प्रभु को भी अपना बना लेता है। जब तक सांसारिक या दैहिक स्तर पर प्रेम का अनुभव है तब तक त्रुटि का स्थान हो सकता है; आध्यात्मिक स्तर पर प्रभु स्वयं भक्त के बन्धन में आ बंधते हैं।
प्रस्तुत काव्य संग्रह "प्रेम प्रसून" में सांसारिक प्रेम बोध या सामान्य मानव हृदय के भावों की अभिव्यक्ति की गई है। उसके हर पहलू को छूने की कोशिश है। भाव प्रवणता में यदि कोई त्रुटि हुई हो तो क्षमा चाहूँगी।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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प्रेम प्रसून (काव्य संग्रह) - वर्जिन साहित्यपीठ
प्रेम प्रसून
(काव्य संग्रह)
✍
डॉ उपासना पाण्डेय
वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
virginsahityapeeth@gmail.com / 9971275250
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - जुलाई, 2020
कॉपीराइट © 2020
लेखक
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डॉ उपासना पाण्डेय
8318764116
pandeyupasana009@gmail.com
जन्मस्थान प्रयाग (14-10-1980)
पिता स्व० हरिनारायण पाण्डेय
माता श्रीमती सावित्री पाण्डेय
पति श्री मृत्युंजय पाण्डेय
पता
नौलखा पाली प्लास्ट, ए-146 (एफ-4)
रिको इन्डस्ट्रियल एरिया, भिवाड़ी-301019, राजस्थान
शिक्षा
परास्नातक (संस्कृत) - लब्ध