An Extra-Marital Affair
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About this ebook
यह किताब आज के दौर के मैरिड कपल की जिंदगी को परिभाषित करती है | शादी के बाद भी अगर मैरिड कपल एक दूसरे से प्यार नहीं कर रहे है , समय नहीं दे रहे है तो यह उनके , उनके परिवार और समाज के लिए बहुत ही गंभीर समस्या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स का न्योता है | समाज में चल रहे इस ट्रेंड को इस पुस्तक में उजागर करने की कोशिश की गयी है |
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Book preview
An Extra-Marital Affair - Sanket Tantuway
भोली माँ
मेरी माँ जैसी कोई नहीं यह तो बहुत कहता था तू यह कहकर रानी रोने लगी , और उसके तीनों बच्चे गौरव प्रतीक्षा और मुनमुन हंसी से लोटपोट हुए जा रहे थे |
रानी तीन बच्चों की माँ , कर्मठ जुझारू मेहनती महिला थी, सुबह उठकर सबसे पहला काम अपनी गाय भैंस को चारा देना, भूसा देना और फिर पूरे घर झाड़ू लगाना , मासूमियत और भोलापन तो नस-नस में भरा था , रानी इतनी मासूम थी कि अपने बैलों को बेचने के बाद उसकी आँखों में पानी आ गए पूरे दो दिनों तक पूरे घर में हंगामा मचा रखा अपने पतिदेव श्री राजेश , उनकी तो खटिया खड़ी कर दी और फिर कैसे भी ढूंढ के अपने दोनों बैलों को घर वापस लेकर आई | बैलों को वापस लेकर आई और सार में बांध रही थी भूसा डाल ही रही थी की बड़े वाले बैल ने उसकी बांयी आँख में सींग मार दिया , उसकी बांयी आँख में सूजन आ गई , खून की लकीर बन गई लेकिन रानी ने उफ्फ ना किया, कहती है मेरे बच्चे ने मारा है तो क्या हो गया भैया है मेरा | गौरव ने बहुत गुस्सा किया बहुत सुनाया की बैलों को तो काम होता है खेत जोतना आपने वापस लेकर आ गए और उसी ने आपकी आँखों में मारा जिसका जो काम है उसे करने दो ना आप क्यों इतना लाड़ प्यार करते हैं , कल को मेरी नौकरी बाहर लग जाएगी तब भी आप ऐसे ही करोगे मुझे जाने नहीं दोगे बाहर , भगवान ने हर किसी को किसी न किसी काम के लिए बनाया है तो करने दो ना काम , इतना सुनकर भी रानी सिर्फ मुस्कुरा रही थी और कहती है चल डॉक्टर को दिखा दे , और इसी कारण गौरव प्रतीक्षा और मुनमुन अपनी माँ को यही कहते हैं , मेरी भोली माँ |
अभी कुछ समय पहले गौरव का एक दोस्त अभय गौरव के घर आया हुआ था दोनों साथ में बचपन से पढ़े हैं गौरव ने अपनी माँ रानी से बोल रखा था आप खाना-वाना बना लीजिएगा , गौरव का दोस्त काफी लंबे अरसे के बाद गौरव से मिलने आया था , जैसे ही अभय घर पर आया रानी ने जल्दी-जल्दी चाय बनाना नाश्ता बनाना शुरू कर दिया , गौरव और अभय बात कर रहे थे | अभय कह रहा था कि उसे दिल्ली में जॉब लग गई है , और उसकी बहन अदिति पुणे में पढ़ाई कर रही है , रानी उनकी बातों को बड़े गौर से सुन रही थी , तभी अचानक अभय का मोबाइल बजा , रानी को समझ आया अभय अपनी माँ से बात कर रहा है बातों ही बातों में अभय ने अपनी माँ से कहा माँ मेरे कपड़े आप धुल दीजिएगा , रानी का यह सुनना हुआ और उसके दिल पर पहाड़ टूट पड़ा उसने खुद ही हवा महल बनाना शुरू कर दिया | उसे लगने लगा अभय जिसको बचपन से जानती है , कितना नेक सुशील लड़का इतना बड़ा होकर अपनी माँ को कपड़े धोने के लिए कह रहा है तब तो यह माँ से और भी काम करवाता होगा अपनी माँ को गुलाम जैसा बना के रखता होगा , वह दिन दूर नहीं जब यह शादी करके अपने माँ -बाप को घर से निकाल देगा , गौरव का तो वह बहुत अच्छा दोस्त है गौरव भी इसी से सीख लेगा इसी के जैसे रहेगा और विदेश जाकर सारी प्रॉपर्टी अपने नाम कर लेगा और हमको भी घर से बाहर निकाल देगा , रानी के दिमाग में इतना चल ही रहा था कि अभय की आवाज उसके कानों तक आई वह अपनी माँ से कह रहा था माँ तीन चम्मच निरमा से ज्यादा ना डालना नहीं तो झाग ज्यादा रह जाती है , यह बात सुनकर रानी हंसने लगी और कहती है , अरे भैया इनके घर तो वाशिंग मशीन आ गई है हम भी जल्दी लेब अपनी वाशिंग मशीन , गौरव नौकरी करी तो लेकर आ जाएगा वाशिंग मशीन , फिर रानी ने गौरव और अभय को नाश्ते की प्लेट लगाई और खूब सारी गप्पे हुई और आखिर में अभय ने रानी प्रतीक्षा मुनमुन के पैर छुए , गौरव को गले लगाया और उन्हें अलविदा कहा |
प्रतीक्षा 28 वर्षीय , सुंदर सुशील अपनी माँ के विपरीत स्वभाव की , अपने सारे निर्णय सोच समझकर भली भांति परख कर बिना भावुक हुए लेने वाली लड़कियों में से एक , वर्तमान में आईएएस एग्जाम की तैयारी करती हुई , हालांकि आईएएस एक्जाम का प्री निकाल कर मेंस की तैयारी करने के लिए दिल्ली का प्लान बनाती हुई , गौरव का दोस्त अभय अभी घर से गया था तो गौरव और प्रतीक्षा बैठकर दिल्ली जाने का और वहां पर ठहरने को लेकर आपस में चर्चा कर रहे थे |
श्री राजेश अच्छी कद काठी भरा पूरा शरीर रोज सुबह उठकर सबसे पहले कसरत , दंड , उठक बैठक करके अपने दिन की शुरुआत करते उसके बाद ठीक 7:00 पर स्नान करके श्री राम भगवान की भक्ति में अपने आप को विलीन कर देते , धार्मिक जान पड़ते थे | राजेश पेशे से सरकारी बैंक मैनेजर , ऑफिस से घर आकर कुर्सी में बैठकर अपने जूते खोल ही रहे थे कि भागी हुई मुनमुन हाथ में एक गिलास का पानी अपने पापा के लिए लेकर आती है |
मुनमुन उमर 22 बरस , घर में सबसे छोटी सबसे ज्यादा लाड़ली , बहुत चुलबुली , प्रतीक्षा और गौरव की जान , हाल ही में बी ए एलएलबी में ग्रेजुएशन पूरा करके न्यायाधीश की तैयारी करती हुई | चुलबुली होने के साथ-साथ प्रतीक्षा और गौरव दोनों से कहीं ज्यादा अव्वल कहीं ज्यादा बुद्धिमत्ता वाली लड़की , और घर में भी दोनों भाई-बहन उसे सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश ही बुलाते थे , घर में सब की बात टल सकती थी लेकिन अगर मुनमुन ने कह दिया तो उसकी बात को टालने वाला कोई नहीं |
राजेश का सवाल था प्रतीक्षा कहां है , मुनमुन ने बताया प्रतीक्षा दीदी और गौरव भैया दिल्ली जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं और माँ को तो आप जानते ही हैं मेरी भोली माँ , अपने गाय बैलों को चारा भूसा डाल रही होगी , राजेश के चेहरे पर भी हंसी आ जाती है और मुनमुन खिल खिलाकर हंस उठती है , राजेश कहते हैं हां बेटा मैं जानता हूं तुम्हारी भोली माँ को , राजेश मुनमुन से कहते हैं जरा प्रतीक्षा और गौरव को बुलाकर लाओ , मुनमुन प्रतीक्षा और गौरव को बुलाने के लिए उनके कमरे की ओर चली जाती है , तभी रानी गाय बैल को भूसा सानी देकर हाथ धुलती हुई राजेश की तरफ इशारा करके आ गए ऐसा सवाल करती है , राजेश इशारों में सर हिलाते हैं, रानी का अगला सवाल होता है आज आप 2:00 बजे ही आ गए ?? टिफिन तो रख दिया था मैंने , राजेश कहते हैं आज प्रतीक्षा की दिल्ली जाने का टिकट हुई है , शाम को 4:00 बजे उसकी ट्रेन सिहोरा से दिल्ली के लिए रवाना होगी , इसलिए आज जल्दी आ गया | रानी ने प्रेम पूर्वक अपने पतिदेव श्री राजेश से चाय के लिए पूछा राजेश ने अपना सिर हिलाकर चाय के लिए मना किया |
प्रतीक्षा , गौरव , मुनमुन , राजेश और रानी सभी अपनी-अपनी जगह पर बैठे हुए थे , बात प्रतीक्षा की दिल्ली जाने के लिए हो रही थी , राजेश प्रतीक्षा की सेहत को लेकर थोड़ा चिंतित थे , प्रतीक्षा को अक्सर सर्वाइकल पेन जैसी समस्या से जूझना पड़ता था , अभी कुछ दिन पहले ही प्रतीक्षा को डॉक्टर ने ना के बराबर काम करने का सजेशन दिया है , उसी समय प्रतीक्षा ने अपना आईएएस का प्री क्लियर किया तो डॉक्टर ने प्रतीक्षा को कुछ प्रिकॉशन बताकर दिल्ली जाने के लिए अलाउ किया |
प्रतीक्षा दिल्ली जाने के लिए तैयार थी, आखिर रानी और राजेश तो माँ -बाप है | माँ -बाप के दिल में कैसी हलचल होती है यह तो सिर्फ ममाँ -बाप ही जानते हैं| आखिर होते भी क्यों ना उनकी बेटी जो बीमारी से जूझ रही हो उसे परदेस भेज रहे थे पढ़ाई की खातिर , राजेश और रानी अपने दिल को कठोर बनाते हुए अपना दर्द छुपाते हुये , बेमन से प्रतीक्षा के जाने के लिए सहमत हुए , क्योंकि गौरव की एक बहन सलीना खान भी दिल्ली में थी , वह भी आईएएस एग्जाम की तैयारी कर रही थी उसका भी आईएएस का प्री निकल चुका था |
सलीना गौरव के स्कूल की जूनियर , जिसे गौरव , प्रतीक्षा और मुनमुन से कम नहीं समझता था , वह सलीना से हर रक्षाबंधन में राखी बंधाता था , सलीना बचपन से ही प्रतिभाशाली और मेधावी लड़की थी , उसके विचार औरों से बिल्कुल अलग होते थे , वह हर एक शब्द बहुत ही सोच समझकर बहुत ही नपे तुले भाव में व्यक्त करती थी , उसकी उम्र अभी लगभग मुनमुन के बराबर थी और इस उम्र में उसने आईएएस प्री एग्जाम क्लियर किया था | यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी | राजेश और रानी काफी मर्तबा सलीना से मिल भी चुके थे , उसके घर जा चुके थे उसके माँ -बाप से मिल चुके थे , वह भी घर का एक हिस्सा बन चुकी थी | राजेश और रानी ने सलीना से प्रतीक्षा के विषय में काफी गहन चर्चा कर रखी थी | सलीना ने उन्हें आश्वासन दिया प्रतीक्षा मेरी भी दीदी है , हम दोनों साथ मिलकर पढ़ाई करेंगे प्रतीक्षा दीदी का ध्यान में रखूंगी आप भरोसा रखिए अब्बू जान |
प्रतीक्षा के जाने का समय अब आ गया था , जैसा की एक भारतीय महिला अपने बच्चों से बेहद मोहब्बत करती है , जैसे ही रानी ने सुना की प्रतीक्षा के जाने का समय हो गया है , रानी की अश्रु धारा चालू हो गई , इसी बीच गौरव कहता है माँ आपने फिर चालू कर दिया दीदी को अच्छी विदाई देने की जगह आप रोकर विदा कर रही हैं , दीदी का मन खराब कर रही है , दीदी पढ़ाई करने जा रही है , और मुझे भी बहुत जल्दी पुणे मेरे इंटरव्यू का के लिए जाना पड़ सकता है , मैं इतनी जगह बाहर जाता हूं कोई ना कोई काम होता है , हम कुछ गलत करने तो जाते नहीं , यह सुनकर रानी भोलेपन से कहती है मुझे क्या पता तू क्या करने जाता है ?? रानी का यह कहना था और सब जोर-जोर से हंसने लगे , सबको जोर-जोर से हंसता देखकर रानी और जोर-जोर से रोने लगी और फिर कहती है तू तो कहता है मेरी माँ के जैसा कोई नहीं और खुद ही बच्चे अपनी माँ को रुलाते हैं , यहां रानी का रोना और यहां सबके चेहरे से हंसी छूटना , वहीं पीछे से मुनमुन बैकग्राउंड म्यूजिक देती है मेरी भोली माँ |
राजेश और गौरव, प्रतीक्षा को लेकर रेलवे स्टेशन तक आए , राजेश ने सलीना को फोन किया, प्रतीक्षा का कोच नंबर और सीट नंबर बताने के साथ-साथ उसका ध्यान रखने के लिए आग्रह किया , सलीना निजामुद्दीन स्टेशन आकर प्रतीक्षा दीदी को रिसीव करने की बात कहते हुए नमस्ते अब्बू कहकर फोन कट कर देती है | ट्रेन आ चुकी होती है गौरव ने उसका सारा सामान उसकी सीट के नीचे रख दिया होता है | गौरव प्रतीक्षा के गले लगकर उसके पैर पड़ कर उसे जल्दी से आईएएस बनने के लिए ढेर सारी बधाई देता है , राजेश मुस्कुराते हुए चेहरे से प्रतीक्षा को अंतिम विदाई देते हैं |
प्रतीक्षा
मैनेजर साहब राजेश प्राय सुबह 5:00 बजे उठकर कसरत व्यायाम शुरू कर देते थे | लेकिन आज पूरी रात ना वो ढंग से सो पाए और ना ही ढंग से जाग पाए , और होता भी कैसे उनकी प्यारी गुड़िया प्रतीक्षा जिसके स्वास्थ्य पर उनकी चिंता लटकी हुई थी , वह दिल्ली भी तो जा रही थी |
खैर राजेश आज सुबह 4:00 बजे उठकर ट्रेन नंबर 22181 जबलपुर -निजामुद्दीन गोंडवाना सुपरफास्ट एक्सप्रेस , की लाइव लोकेशन चेक करने लगे | ट्रेन तो अभी ग्वालियर पहुंची थी और निर्धारित समय से 1 घंटा 10 मिनट देरी से चल रही थी | ट्रेन के निजामुद्दीन पहुंचने का अनुमानित समय सुबह 8:20 बता रहा था | फिर भी एक बारी राजेश ने प्रतीक्षा को फोन कर ही लिया | प्रतीक्षा ने फोन उठा भी लिया और कहती है सुप्रभात पापा जी | राजेश साहब ने पूछ ही लिया बेटा तबीयत तो ठीक है ना , पीठ में दर्द तो नहीं हो रहा ? प्रतीक्षा ने कहा नहीं पापा दर्द नहीं हो रहा है सब कुछ ठीक है | आखिरकार प्रतीक्षा से बात करके राजेश को सुकून मिला कि उनकी गुड़िया ठीक है | राजेश ने यह बोलते हुए फोन कट किया कि बेटा सो जाओ ट्रेन सुबह 8:10 पर निजामुद्दीन पहुंचेगी |
वैसे तो राजेश शरीर से बाहुबली थे लेकिन जितना उनका शरीर बलवान था दिल से उतने ही नाजुक थे | एक समय के जाने-माने गुंडे बदमाश रह चुके राजेश , पारिवारिक जिम्मेदारियां में आकर उनका स्वभाव इतना परिवर्तित हो गया की कोई उन्हें गाली भी दे दे तो मुस्कुरा कर चले जाये | लेकिन आज भी उनके नाम का डंका बजता था | मजाल की कोई उनके सामने एक शब्द बोल जाए | राजेश के परम मित्रों में से एक दिनेश शर्मा जो आजकल रायपुर छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं के साथ उठना बैठना करते हैं | ये भी राजेश से कोई कम नहीं थे | इन लोगों की एक मंडली हुआ करती थी और गांव वाले तो आज भी बोलते हैं अगर राजेश , दिनेश और उनकी मंडली सुधरी नहीं होती , तो ये सब छानी में जाकर होरा भूंजते | खैर समय-समय की बात होती है कल जो आदमी किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थे हर किसी से लड़ाई झगड़ा करने को बिल्कुल तैयार खड़े रहते थे , आज उसके बच्चे हैं उसकी भी धर्मपत्नी है | जिसने राजेश और दिनेश और उनकी मंडली को पूरी तरह बदल दिया | अब सभी अपनी अपनी जिंदगी शांतिपूर्वक गुजर बसर कर रहे हैं |
ले भैया खा ले गुस्सा क्यों हो गया अरे तेरे ऊपर गुस्सा नहीं कर रही थी भैया, तू तो बुरा मान गया मेरा राजा बेटा | यह कहते हुए रानी अपने गाय भैंस को भूसा डालते हुए प्यार दिखा रही थी |
भोर का समय था जब अंधेरे को मात देती हुई सूरज की किरणें कोसों दूर से धरती पर पहुंचने की कोशिश करती है | यह एक ऐसा समय होता है जब इंसान खर्राटे लेकर सो रहा होता है | लेकिन ऐसा दृश्य देखने वालों से कभी पूछना उन्हें क्या ताजगी , क्या सुकून की अनुभूति होती है | सोने पे सुहागा तो तब जब किसानो की तरह इस दृश्य को खेत खलिहानों में जाकर देखो जंहा सारे पेड़ पौधे और फसल हवा में लहराते हुए इस भोर की आवभगत मे हाथ जोड़ खड़े हुए होते हैं, इस तरह के दृश्य को देखने वाले किसानों का एक अलग ही उत्साह होता है |
गौरव अपने बिस्तर में था , उसकी नींद खुली और उसने तुरंत ट्रेन की लाइव लोकेशन का जायजा लिया , ट्रेन अभी मथुरा जंक्शन ही पहुंची थी | निजामुद्दीन पहुंचने में अभी 1 घंटे 25 मिनट और था | फिर भी उसने अपनी बहन सलीना को फोन करके उसे बताना जरूरी समझा | गौरव ने सलीना को फोन किया और उसे बताया की बेटा ट्रेन अभी मथुरा जंक्शन पहुंची है निजामुद्दीन पहुंचने में उसे अभी 1 घंटे 25 मिनट और लगेंगे | सलीना ने कहा हां भैया मैं भी लाइव लोकेशन चेक कर रही हूं और जल्द ही मुखर्जी नगर से निजामुद्दीन के लिए निकल जाऊंगी आप बिल्कुल फिक्र ना करें यह कहकर सलीना ने बाय भैया कहते हुए फोन कट किया |
सलीना निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुंच चुकी थी , गाड़ी नंबर 22181 जबलपुर से चलकर निजामुद्दीन को आने वाली गोंडवाना सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्लेटफार्म क्रमांक 3 पर आने वाली है , यह अनाउंसमेंट सुनकर सलीना सीधे प्लेटफार्म नंबर 3 पर पहुंच जाती है, उसे आभास था कि गौरव भैया का फोन आता ही होगा इसलिए उसने गौरव को