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चाणक्य एक योद्धा : राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी
चाणक्य एक योद्धा : राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी
चाणक्य एक योद्धा : राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी
Ebook126 pages1 hour

चाणक्य एक योद्धा : राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी

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About this ebook

मैं भारत हूं ,मैं आज आपको मेरी ही कहानी सुनाता हूं, जब इसासे 300 साल पूर्व मेसीडोनिया का राजा  सिकंदर भारत विजय के लिए निकला था ,यह वह समय था जब मेसिडोनिया का राजा सिकंदर भारत हर एक राजा को पराजित करते जा रहा था. सिकंदर दिल में दुनिया का ख्वाब  लिए एक से एक देश को रोगते  जा रहा था ,ऐसे खतरनाक राजा का खौफ अभी मेरी सीमाओं पर दस्तक दे रहा था, और मुझे इंतजार था उसका जो मुझे सिकंदर के संभावित खतरे से बचाता, मेरे इतिहास के सुनेरे  पन्नों को लिखने के लिए चुना गया तक्षशिला के महान आचार्य "आचार्य चाणक्य", समय ने एक और मेरी सीमाओं को असुरक्षित  किया था, लेकिन दूसरी ओर चन्द्रगुप्त मौर्य जैसा एक वीर योद्धा भी पैदा किया था ,चन्द्रगुप्त मौर्य था एक हीरा लेकिन अनगढित था , इसलिए उस हीरे को तराशने के लिए चाणक्य जैसे आचार्य को भी  उसी युग में पैदा किया, चाणक्य जिसके मन में अखंड भारत की  जबरदस्त इच्छा थी, और ये  चाहते थे कि भारत को एक ऐसा राजा मिले कि जो जोड़े छोटे-छोटे जनपदों को, जो भारत को एक सूत्र में बांधकर अजय बना दे.

Languageहिन्दी
Release dateFeb 21, 2023
ISBN9798215078341
चाणक्य एक योद्धा : राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी
Author

Abhishek Patel

My name is abhishek patel. I am author of this book. I am Professional biographical writer.

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    चाणक्य एक योद्धा - Abhishek Patel

    चाणक्य एक योद्धा

    राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, राजा बिन्दुसार, राजा अशोका की कहानी

    Publisher : Abhishek Patel – Self Publisher

    All Rights Reserved – Abhishek Patel

    No part of this book may be used reproduced in any manner whatsoever without written permission from the holder of the copyrights.

    First Copy  : 2019, 1000 copies

    Writer  : CALISHTHANICS (Yunan–Minister Of Sikandar Mahan )

    Co – Writer : Abhishek Mukti

    Story Writer & Biographical writer

    ––––––––

    Index

    Chapter 1 : प्राचीन भारत की कहानी

    Chapter 2 : आचार्य चाणक्य का बचपन

    Chapter 3 : आचार्य चाणक्य का स्वप्न

    Chapter 4 : विश्व विख्यात चाणक्य प्रतिज्ञा 

    Chapter 5 : चाणक्य का नए राजा को खोजने निकलना

    Chapter 6 : चन्द्रगुप्त के लिए हुयी पहली भविष्यवाणी

    Chapter 7 : आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त का मिलन

    Chapter 8 : चाणक्य द्वारा चन्द्रगुप्त की परीक्षा

    Chapter 9 : चन्द्रगुप्त को क्यों चन्द्रगुप्त मौर्य कहा जाता हे?

    Chapter 10 : चाणक्य ने दी धनानंद को दूसरीबार चेतावनी 

    Chapter 11 : चन्द्रगुप्त के माँ की हत्या

    Chapter 12 : चन्द्रगुप्त का तक्षशिला में प्रवेश

    Chapter 13 : आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त का घमंड तोडा

    Chapter 14 : राजा नहीं किन्तु सम्राट बनाना हे

    Chapter 15 : चन्द्रगुप्त ने बादल को वश में किया

    Chapter 16 : चन्द्रगुप्त के लिए हुयी दूसरीबार भविष्यवाणी

    Chapter 17 : चन्द्रगुप्त के लिए ३ सवाल

    Chapter 18 : जादुई कवच की कहानी

    Chapter 19 : चाणक्य का आदिवाशियों से मिलना

    Chapter 20 : राजा पोरस और सिकंदर महान

    Chapter 21 : चाणक्य की सिकंदर को परास्त करने की योजना

    Chapter 22 :  चाणक्य और महाराज पोरस का मिलना

    Chapter 23 ; कैलिसथेनिक्स और चाणक्य का मिलना

    Chapter 24 : सिकंदर महान और चाणक्य का आमना - सामना

    Chapter 25 : आचार्य चाणक्य सेना को हौसला देते हुए

    Chapter 26 : सिकंदर का भारत छोड़ना 

    Chapter 27 : धनानंद पर आक्रमण

    Chapter 28 : चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन काल

    Chapter 29 : महाराज बिंदुसार के जन्म की कहानी

    Chapter 30 : महाराज बिंदुसार का शासन काल

    Chapter 31 : तक्षशिला में विद्रोह

    Chapter 32 : आचार्य चाणक्य की हत्या

    Chapter 33 : बिंदुसार की मृत्यु

    Chapter 34 : चक्रवती सम्राट अशोक की कहानी

    Chapter 35 : सम्राट अशोक का साम्राज्य

    Chapter 36 : सम्राट अशोक की कलिंग से लड़ाई

    Chapter 37 : अशोक की मृत्यु

    Chapter 38 : विदेश में धर्मप्रचार का वर्णन

    Chapter 39 : स्वदेश में धर्मप्रचार का वर्णन

    Chapter 40 : अशोक के शिलालेख

    Chapter 41 : अशोक के लघु शिलालेख

    Chapter 42 : अशोक के अभिलेख

    Chapter 43 : अशोक के गुहा-लेख

    Chapter 1 : प्राचीन भारत की कहानी

    मैं भारत हूं ,मैं आज आपको मेरी ही कहानी सुनाता हूं, जब इसासे 300 साल पूर्व मेसीडोनिया का राजा  सिकंदर भारत विजय के लिए निकला था ,यह वह समय था जब मेसिडोनिया का राजा सिकंदर भारत हर एक राजा को पराजित करते जा रहा था. सिकंदर दिल में दुनिया का ख्वाब  लिए एक से एक देश को रोगते  जा रहा था ,ऐसे खतरनाक राजा का खौफ अभी मेरी सीमाओं पर दस्तक दे रहा था, और मुझे इंतजार था उसका जो मुझे सिकंदर के संभावित खतरे से बचाता, मेरे इतिहास के सुनेरे  पन्नों को लिखने के लिए चुना गया तक्षशिला के महान आचार्य आचार्य चाणक्य, समय ने एक और मेरी सीमाओं को असुरक्षित  किया था, लेकिन दूसरी ओर चन्द्रगुप्त मौर्य जैसा एक वीर योद्धा भी पैदा किया था ,चन्द्रगुप्त मौर्य था एक हीरा लेकिन अनगढित था , इसलिए उस हीरे को तराशने के लिए चाणक्य जैसे आचार्य को भी  उसी युग में पैदा किया, चाणक्य जिसके मन में अखंड भारत की  जबरदस्त इच्छा थी, और ये  चाहते थे कि भारत को एक ऐसा राजा मिले कि जो जोड़े छोटे-छोटे जनपदों को, जो भारत को एक सूत्र में बांधकर अजय बना दे,

    1435553835-3494.jpg

    Chapter 2 : आचार्य चाणक्य का बचपन

    हम चन्द्रगुप्त मौर्य की कहानी शुरू करने से पहले  अखंड भारत को खड़ा करने में जिस की महत्वपूर्ण भूमिका है पहले हम उनके बारे में जानेंगे, आचार्य चाणक्य - आचार्य चाणक्य के प्रेरणा स्त्रोत उनके पिता चणीक  थे , चाणक्य के बचपन का नाम विष्णुगुप्त था,

    किसी ज्योतिष ने विष्णुगुप्त के  मुंह के दांतो को देखकर चणीक से कहा कि आपका बेटा राजा बनेगा तभी चणीक ने विष्णुगुप्त के दांतों को तोड़ दिया और कहा कि मैं मेरे पुत्र को राजा नहीं एक ऐसा आचार्य बनाना चाहता हूं कि जो राजाओं को प्रशिक्षित करेगा और भारत को अखंडता में बदलने का काम करेगा ,उस समय  मगध के राजा महापद्मानंद थे,

    Chanakya.jpg

    जो कि काफी क्रूर  और अत्याचारी थे, उनके शासन में लोगो पर अत्याचार होते रहे ,लेकिन चणीक ने  महापद्मनंद के विरुद्ध  बोलने का प्रयास किया और जनता को समझाया गया कि अगर हमने शासक नहीं बदला तो फिर वह जनता को बदल देगा,

    और इसी तरह वो हम पर  अत्याचार करता रहेगा, विष्णुगुप्त के पिता चणीक  और  मगध के अमात्य  प्रमुख सत्तार दोनों मित्र थे,( अमात्य प्रमुख का मतलब हे सेनानायक) चणीक ने अमात्य सत्तार के जरिये कई बार महापद्मनंद को समजाने का प्रयास किया गया , लेकिन महापद्मानंद अपनी राजकीय मौज  शोक में इतने डूबे हुए थे कि उन्हें ना तो मगध की चिंता थी और ना ही मगध के  भोले भले  लोगों की , आचार्य चणीक अभी महापद्मनंद को खटक ने लगे थे क्योकि उनके द्वारा विद्रोह फेल ने लगा था , 

    इसलिए महापद्मानंद अमात्य प्रमुख सत्तार को

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