अनूठा जानवर (रहस्य...उपन्यास)
By शलभ सिंह
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अनूठा जानवर (रहस्य...उपन्यास)
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तालिका
दो शब्द
दोस्त के घर
असमंजस
फिर दोस्त के घर
दोस्त की हालत
गणेश की चिंता
इंसानों की कहानियाँ तो आपने बहुत पढ़ी होंगी और खूब आनंद भी प्राप्त किया होगा, लेकिन अगर किसी कहानी में एक जानवर कुछ इंसानो के जीवन में उथलपुथल मचा दे तो आप अवश्य ही आकर्षित होंगे!
जी हाँ, ये कहानी रहस्य और रोमांच से भरी एक ऐसी कहानी है जो आपको बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देगी; इसमें आपको शुरू से अंत तक बाँध कर रखने की एक अद्भुत क्षमता है जो आपके दिमाग पर हमेशा के लिए एक बहुत गहरा प्रभाव छोड़ देगी; तो लीजिये तैयार हो जाइये हमारे इस उपन्यास का आनंद लेने के लिए!
शुभकामना
शलभ सिंह
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अनूठा जानवर (रहस्य...उपन्यास) - शलभ सिंह
दो शब्द
इंसानों की कहानियाँ तो आपने बहुत पढ़ी होंगी और खूब आनंद भी प्राप्त किया होगा, लेकिन अगर किसी कहानी में एक जानवर कुछ इंसानो के जीवन में उथलपुथल मचा दे तो आप अवश्य ही आकर्षित होंगे!
जी हाँ, ये कहानी रहस्य और रोमांच से भरी एक ऐसी कहानी है जो आपको बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देगी; इसमें आपको शुरू से अंत तक बाँध कर रखने की एक अद्भुत क्षमता है जो आपके दिमाग पर हमेशा के लिए एक बहुत गहरा प्रभाव छोड़ देगी; तो लीजिये तैयार हो जाइये हमारे इस उपन्यास का आनंद लेने के लिए!
शुभकामना
शलभ सिंह
Chapter 2
दोस्त के घर
पहली नजर में जब मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ तो मैंने एक बार फिर पिंजरे की तरफ देखा। पिंजरे में जो जानवर था उसको देखकर मैं हैरान रह गया।
मैंने जंगलों में, चिड़ियाघरों में, और अन्य कई जगहों में बहुत से जानवर देखते थे पर ऐसा जानवर मैंने अपने जीवनकाल में कभी नहीं देखा था।
मैंने अपने दोस्त की तरफ देखा। वह खुशी से मुस्कुरा रहा था। वह संतुष्ट था और उसी मुस्कराहट को चेहरे पर कायम रखे मेरी तरफ देख रहा था।
तुमने इस जानवर को कितने में खरीदा है?
मैंने अपने दोस्त पूछ लिया।
बहुत पैसे खर्च हो गए, मेरे दोस्त, बहुत ही ज्यादा; बेशकीमती है ये जानवर!
उसने कहा।
मुझे पूरा यकीन था कि मेरे दोस्त ने उस जानवर को खरीदने के लिए वास्तव में ही बहुत बड़ी राशि खर्च की होगी। नहीं तो वह मुझे रकम बताने से नहीं कतराता; अगर छोटी मोटी रकम होती तो वो तुरंत ही बता