Fifty-Fifty (Vyang-Kavitayen) फिफ्टी-फिफ्टी (व्यंग-कविताएं)
()
About this ebook
एक सार्थक व्यंग्य रचना किसी व्यक्ति या व्यवस्था का उपहास नहीं करती बल्कि समाज सुधारक की भूमिका भी निभाती है। व्यंग्य की भाषा पाठक के मन में चभन तो पैदा करती ही है, नकारात्मकता के विरुद्ध वितृष्णा भी उत्पन्न करने के साथ आनंद की भी अनुभूति कराती है।
श्री मंजीत सिंह हास्य व्यंग्य के शानदार धारदार कवि हैं। उनके पास देश विदेश के अनभुवों का अकूत खज़ाना है। धारदार भाषा का अप्रतिम भंडार है। हास्य बोध होने के कारण उनकी व्यंग्य रचनाओंमें हास्य के सहज पुट उसी तरह से मिल जाते हैं जैसे कड़वी औषधियां मीठी चाशनी के लेप के साथ लोगों को खिलाई जाती हैं। 'इक लैला के पांच हैं मजनू', 'लोहे का पुल', 'सरकारी ट्यूबलाइट', 'और चिपको टीवी से', 'कम उम्र के नसु्खे', 'वोटर की जेब', 'कुंभकरण और नेता', 'लेडीज सीट', शीर्षक रचनाएं ऐसी सहज अनुभूतियों को सहेजने में पूरी तरह से समर्थ हैं।
Related to Fifty-Fifty (Vyang-Kavitayen) फिफ्टी-फिफ्टी (व्यंग-कविताएं)
Related ebooks
Risthon Ke Moti (रिश्तों के मोती) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAadam Grehan Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPremchand Ki 11 Anupam Kahaniyan - (प्रेमचंद की 11 अनुपम कहानियाँ) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsDeenu Ki Pukaar (Hasya Vayangya) : दीनू की पुकार (हास्य व्यंग्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPanch Parmeshwar & Other Stories Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNirmala Rating: 5 out of 5 stars5/5Do Bailon Ki Katha & Tatha Anya Kahaniya Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMix Vegetable (मिक्स वेजिटेबल) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsPremchand Ki 41 Lokpriya Kahaniyan - (प्रेमचंद की 41 लोकप्रिय कहानियाँ) Rating: 5 out of 5 stars5/5मुट्ठी में सूरज (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSeva Sadan - (सेवासदन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsShresth Sahityakaro Ki Prasiddh Kahaniya: Shortened versions of popular stories by leading authors, in Hindi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकविता की नदिया बहे Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकफ़न के लुटेरे Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकाव्यादर्श (काव्य संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsडफरं Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकुछ अनसुनी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBharat Ratna Lata Mangeshkar (भारत रत्न लता मंगेशकर) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBoss Dance Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsBathroom Mein Haathi Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअब तिमिर की आँख में कवि Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJad Se Ukhade Hue: Naari Sanvednaon ki kahaniyan (जड़ से उखड़े हुए ... कहानियां) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsमहाकवि ‘उन्मत्त’ की शिष्या (व्यंग्य संकलन) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsMurgasan (Hasya Vayangya) : मुर्गासन (हास्य व्यंग्य) Rating: 0 out of 5 stars0 ratings51 Shreshth Vyangya Rachnayen: Lality Lalit (51 श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएं लालित्य ललित) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsCheekhati Aawazein Rating: 0 out of 5 stars0 ratings21 Shreshtha Kahaniyan (21 श्रेष्ठ कहानियां) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलघु कथाएँ Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsHindi Ki 11 kaaljayi Kahaniyan (हिंदी की 11 कालज़यी कहानियां) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNandita Mohanty ki Shestra Kahaniya Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Related categories
Reviews for Fifty-Fifty (Vyang-Kavitayen) फिफ्टी-फिफ्टी (व्यंग-कविताएं)
0 ratings0 reviews
Book preview
Fifty-Fifty (Vyang-Kavitayen) फिफ्टी-फिफ्टी (व्यंग-कविताएं) - Manjeet Sardar Singh
लोहे का पुल
ठेकेदार ने
पुल
नहर की बजाय
कागज पर बनाया
सीमेंट इंजीनियर पी गया
लोहा ठेकदार ने निगल लिया
शेष विभाग वालों ने पचाया।
पांच साल बाद
रंग रोगन करने वाला
ठेकेदार
हो गया परेशान
उसे न तो पुल मिला
न ही उसका कोई निशान।
पता करते-करते वो
पुल बनाने वाले ठेकेदार के घर आया
वो बेहोश होते-होते बचा
जब उसे पता लगा कि
ठेकेदार ने
तो नहर पर
पुल ही नहीं बनाया।
पुल वाला ठेकेदार
पेंट वाले से बोला
तुम ठेकेदार अभी कच्चे हो
इस फील्ड में बिल्कुल बच्चे हो
राष्ट्र के निर्माण में
तुम भी
अपना हाथ बंटाओ
लोहे का पुल
हमने खा लिया है
पेंट तुम पी जाओ।
❑
सरकारी टयूबलाइट
बिजली के
खम्भे पर लगी
ट्यूबलाइट की फट्टी
अंधेरी सड़क का
मुंह चिढ़ा रही है
और
नगरपालिका की फाइलों में
फूट चुकी टयूबलाइट
कर्मचारी के घर के
शौचालय में
जगमगा रही है।
❑
इक लैला के पांच हैं मजनूं
छुटभैये पॉकेटमारों की पहली मंजिल थाना है,
चाहे जितना माल उड़ा लें फिर तो जेल में जाना है।
चूल्हा तवा नहीं है फिर भी गांव दिया है पूरा न्यौत,
नेता जी ने आश्वासन का ऐसा आटा साना है।
इक लैला के पांच हैं मजनूं, रांझे की छत्तीस हीरें,
डेटिंग करते बदल-बदल के, आया नया ज़माना है।
टाट और पट्टी नहीं स्कूल में, फर्श पे बच्चे बैठे हैं,
टीवी पर साइंस का चैप्टर टीचर ने दिखलाना है।
❑
नाम परिवर्तन
कई दिनों बाद
अपने मित्र
रामलाल के घर पहुंचा
तो उसकी नेमप्लेट देखकर
हो गया हैरान
उसने अपना