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सपनों की उड़ान: Motivational, #1
सपनों की उड़ान: Motivational, #1
सपनों की उड़ान: Motivational, #1
Ebook297 pages2 hours

सपनों की उड़ान: Motivational, #1

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About this ebook

यह किताब मेरे कमजोर वक्त की कृति है और मुझे यह कहने मे जरा सा भी संकोच नहीं है कि मेरा वक्त कमजोर था मै नहीं मै अपने लक्ष्य को लेकर अडिग था मुझे पता था ये वक्त है आज नहीं तो कल बीतेगा ही! जिस तरह मै अपने कमजोर वक्त से ताकतवर बनके  वापस लौटा उसी प्रकार मै चाहता हूँ कि आप भी अपने कमजोर वक्त से लड़े, गिरे पर हार नहीं माने! आने वाला अगला सूरज आपका होगा!!

About The Author

शायान अतीक एक भारतीय लेखक है, जो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव जगमलपुर (बिंदवल) से ताल्लुक रखते है। इनका जन्म 25 फरवरी 2001 को शेख परिवार मे हुआ था। यह अतीक अहमद और नासरीन बानो के बेटे है इन्हें लिखने के बारे में इतना पता चला है कि वह सीखते है कि  वह वास्तव में कौन है और उस सोच के पीछे से निकलना जिसने उसे लिखने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने सेंट जेवियर हाई स्कूल आजमगढ़ से अपनी स्कूली शिक्षा की, और एकेटीयू से 2 साल फार्मेसी की पढ़ाई पूरी की, सी०पी० इलेक्ट्रो होम्योपैथीक इंस्टीट्यूट आजमगढ़ से डॉक्टरी की पढ़ाई और वीबीएसपीयू जौनपुर से विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई पूरी की! और इस वक्त स्नातकोत्तर से जारी है!!

Languageहिन्दी
Release dateMay 15, 2022
ISBN9789391078706
सपनों की उड़ान: Motivational, #1

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    Book preview

    सपनों की उड़ान - Shayan Ateeque

    Authors Tree Publishing

    KBT MIG - 8, Housing Board Colony

    Bilaspur, Chhattisgarh 495001

    First Published By Authors Tree Publishing 2022

    Copyright © Shayan Ateeque 2022

    All Rights Reserved.

    प्रकाशक: Authors Tree Publishing

    प्रथम संस्करण

    मूल्य: Rs.249/-

    ISBN: 978-93-91078-70-6

    कॉपीराइट @ शायान अतीक

    उद्देश्य: शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास

    This book has been published with all reasonable efforts taken to make the material error-free after the consent of the author. No part of this book shall be used, reproduced in any manner whatsoever without written permission from the author, except in the case of brief quotations embodied in critical articles and reviews. The author of this book is solely responsible and liable for its content including but not limited to the views, representations, descriptions, state-ments, information, opinions and references [content]. The content of this book shall not constitute or be construed or deemed to reflect the opinion or expression of the publisher or editor. Neither the publisher nor editor endorse or approve the content of this book or guarantee the reliability, accuracy or completeness of the content published herein and do not make any representations or warranties of any kind, express or implied, including but not limited to the implied warranties of merchantability, fitness for a particular purpose. the publisher and editor shall not be liable whatsoever for any errors, omissions, whether such errors or omissions result from negligence, accident, or any other cause or claims for loss or damages of any kind, including without limitation, indirect or consequential loss or damage arising out of use, inability to use, or about the reliability, accuracy or sufficiency of the information contained in this book.

    सपनों

    की उड़ान

    शायान अतीक

    परिचय

    शायान अतीक एक भारतीय लेखक है जो उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव जगमलपुर (बिंदवल) से ताल्लुक रखते है। इनका जन्म 25 फरवरी 2001 को शेख परिवार मे हुआ था। यह अतीक अहमद और नासरीन बानो के बेटे है इन्हें लिखने के बारे में इतना पता चला है कि वह सीखते है कि वह वास्तव में कौन है और उस सोच के पीछे से निकलना जिसने उसे लिखने के लिए प्रेरित किया। इन्होंने सेंट जेवियर हाई स्कूल आजमगढ़ से अपनी स्कूली शिक्षा की, और एकेटीयू से 2 साल फार्मेसी की पढ़ाई पूरी की, सी०पी० इलेक्ट्रो होम्योपैथीक इंस्टीट्यूट आजमगढ़ से डॉक्टरी की पढ़ाई और वीबीएसपीयू जौनपुर से विज्ञान से स्नातक की पढ़ाई पूरी की! और इस वक्त स्नातकोत्तर से जारी है!!

    दो शब्द

    यह किताब मेरे कमजोर वक्त की कृति है और मुझे यह कहने मे जरा सा भी संकोच नहीं है कि मेरा वक्त कमजोर था मै नहीं मै अपने लक्ष्य को लेकर अडिग था मुझे पता था ये वक्त है आज नहीं तो कल बीतेगा ही! जिस तरह मै अपने कमजोर वक्त से ताकतवर बनके  वापस लौटा उसी प्रकार मै चाहता हूँ कि आप भी अपने कमजोर वक्त से लड़े, गिरे पर हार नहीं माने! आने वाला अगला सूरज आपका होगा!!

    आभार

    Authors Tree Publishing, शफात अनवर सर, डॉ. इफ्तेखार अहमद (नाना); अरुन यादव सर और  स्नेहा राय, कमर अबरार, शिवम मिश्रा, रूबी बानो मैम !  जो कि मेरे सलाहकार रहे मुझे दुबारा जिंदगी दी मेरा हौसला बढ़ाते रहे! मै आजीवन आपका कर्जदार रहूंगा!

    मेरे पिता अतीक अहमद और माता नासरीन बानो जिनकी बदौलत मै एक एक  दिन जी सका और अपनी गरिमा बनाए रखा और जिंदा रह सका! मेरे जीजा फहद फरान, बहन कहकशाँ बानो और भाई रइय्यान अतीक और मेरी भांजी इनाया (मुनिया) मै आप सभी का हमेशा शुक्रगुज़ार रहूंगा! साथ ही साथ मै अपने दोस्तों का तहे दिल से धन्यवाद करता हूँ  कि आप सब हमेशा साथ खड़े रहे और मेरी मदद करते रहे!!

    अनुक्रमणिका

    सफल होना है तो चलना ही होगा!

    आपने कभी बहती हुई नदी को ध्यान से देखा है। बड़ी तेजी के साथ अपने मूल बिंदु से बहना शुरू करती है। शुरुआत से ही उसका लक्ष्य अपनी रास्ते में हजारों बाधाएं आने पर भी वह लगातार बहती रहती है। भले ही कुछ जगहों पर उसकी रफ़्तार कम हो जाए लेकिन वह रूकती कभी नहीं है। अपनी सुरीली आवाज के साथ बहती हुई नदी अपनी मंजिल की ओर लगातार बढ़ती रहती है! और कैसे भी हो अपना लक्ष्य प्राप्त करके ही रहती है!

    सोचो यदि नदी बीच में ही बहना छोड़ दे तो क्या होगा? उसका पानी ठहर जायेगा और वह कुछ ही दिनों में सूख कर नष्ट हो जाएगी!

    दोस्तों! यही हमारी जिंदगी में होता है! यदि सफल होने के लिए आप कोई लक्ष्य तय करते हैं तो उस लक्ष्य तक पहुंचने की पहली शर्त यह है कि आपको लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना है! यदि कहीं रुके तो असफलता निश्चित है!

    अपने मनपसन्द लक्ष्य तक पहुंचना आसान कार्य नहीं होता! यदि आसान होता तो आज दुनिया के सभी लोग सफल होते! सफलता के रास्ते में बहुत सी बाधाएं सामने मुँह फैलाये खड़ी मिलती हैं! यह बाधाएं हमें रोकने की पूरी कोशिश करती हैं!

    जो लोग मन से कमजोर होते हैं,वह इन परेशानियों के आगे झुक जाते हैं और असफलता को स्वीकार कर लेते है और बाद में अपने भाग्य को कोसते हैं! लेकिन आप जैसे वीर लोग इन परेशानियों का सीना तान कर सामना करते हैं! भले ही लक्ष्य तक पहुंचने की गति में कुछ समय के लिए कमी आ जाए लेकिन रुकते कभी नहीं है! और जो रुकते नहीं है उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने से कोई रोक ही नहीं सकता!

    ध्यान रखिये! लक्ष्य तक पहुंचने के लिए लगातार चलते रहना पहली शर्त है! लगातार बहती नदी ही अपनी मंजिल प्राप्त कर पाती है!

    समय हमेशा चलता रहता है इसलिए दुनिया का हर इंसान समय का गुलाम है! हवा हमेशा चलती रहती है, कभी कम रफ्तार से तो कभी तेजी से, लेकिन रूकती कभी नहीं है इसलिए दुनिया के किसी भी जीव का जीवन हवा के बिना संभव ही नहीं है! चाहते हैं तो आज से ही अपनी कमर कस लीजिये और खुद से वादा कीजिये कि रुकना कभी नहीं है!

    विवेकानंद जी ने सही ही कहा है,उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको!

    सोचो कि जो लोग अपना लक्ष्य केवल इसलिए छोड़ देते हैं कि इसके लिए चलना बहुत पड़ेगा. इससे ज्यादा बड़ी असफलता कोई नहीं हो सकती  क्योंकि सफलता व असफलता तो बाद की बात है, खुद को बिना प्रयास के असफलता की ओर धकेल देना, इससे बुरा कुछ हो ही नहीं सकता!

    आपका दिल आपका सबसे बड़ा दोस्त है, वह आपके लिए, केवल आपके लिए हमेशा धड़कता रहता है ताकि आप अपनी मंजिल प्राप्त का सकें! आपके शरीर के खून की हर एक बूँद हमेशा चलती रहती है, कभी नहीं रुकती, किसके लिए? केवल आपके लिए! आपके शरीर के बहुत से अंग हमेशा चलते रहते हैं और संदेश देते रहते हैं कि लगातार चलना ही सफल जीवन है आपके कान हमेशा सुनते हैं और आपकी आँख हमेशा देखती है किसके लिए? केवल और केवल आपके लिए ताकि आप सफलता की ओर हमेशा बिना रुके बढ़ते रहे!!

    आखिरी प्रयास

    एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया! राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया!!

    महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें चालीस स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी! चालीस स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा.पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा! वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती! महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था! इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया! पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया। पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और चालीस स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता!

    मित्रों हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं. कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं. जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता. यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये!!

    मुसीबत में न घबराएं!

    एक समय की बात है! एक कलाकार अपने औजारों को थैले में भरकर जा रहा था! तभी उसे एक सुंदर पत्थर मिला! उसने सोचा इससे क्यों न मैं एक मूर्ति बनाऊं! उसने अपने थैले से औजार निकालकर मूर्ति तराशना शुरू ही किया था कि तभी पत्थर से आवाज आई  अरे भाई, रहने दो, दर्द होता है!

    ऐसा सुनकर कलाकार अपने औजारों को थैले में रखकर चला गया! अचानक कलाकार को फिर एक पत्थर मिला! इस बार फिर उसने मूर्ति बनाने की सोची और अपने औजारों को निकाल कर भगवान की मूर्ति तराशनी शुरू कर दी तथा कुछ समय बाद एक सुंदर मूर्ति का निर्माण हो गया! फिर वह कलाकार उस कलाकृति को छोड़ कर आगे बढ़ गया! चलते-चलते कलाकार एक गांव में पहुंचा, जहां पर मंदिर का निर्माण हो रहा था! कलाकार ने सरपंच से कहा यहां मंदिर बन रहा है क्या? सरपंच ने उत्तर दिया ! मदिंर का निर्माण हो चुका है लेकिन मूर्ति नहीं है! कलाकार ने कहा,सरपंच जी, आप मूर्ति की चिंता न करें! मैंने आगे वाले रास्ते में एक मूर्ति का निर्माण किया है! गांव के कुछ लोगों ने मूर्ति तथा उस पत्थर को लाकर मंदिर में स्थापित कर दिया! मूर्ति के

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