Sunahare Kal Ki Oar
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About this ebook
This magnum opus by Sh. Joginder Singh is a treatise on self improvement. This win-win story is based on the secrets of success as to how to become an achiever. And the success mantra that he espouses for you: Make the best of all opportunities; dream big and work hard-dreams will turn sheer realities. You only need to hone your skills and attitude to become a winner.
Remember that success is always a choice. You can choose to be successful by putting the required labour and sacrifices. Today is what matters most. What you expect can happen only if you are focussed-motivation is the bottom line of success.
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Sunahare Kal Ki Oar - Joginder Singh
अभ्यास
कुछ मेरी ओर से...
जीवन कठिन चुनौतियों से भरा है। यदि दोनों वस्तुएं आपके लिए आनंददायी हो तो उनमें से एक का चुनाव कर पाना कठिन हो जाता है। एक बार निर्णय लेने के पश्चात् पीछे न हटें तथा परिणामों का डट कर मुकाबला करें। यदि आपने परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए श्रेष्ठ निर्णय लिया है तो अपने चुनाव के पक्ष में खड़े होने का साहस रखें। प्रत्येक विकल्प आपको आपकी काल्पनिक छवि के निकट लाता है। अपनी योग्यता पर संदेह कर, इस प्रक्रिया में बाधा न दें।
यह जानने का प्रयास करें कि आप जीवन से क्या चाहते हैं तथा आप इसके लिए क्या कर सकते हैं? सफलता प्राप्ति के लिए आप किन नीतियों का पालन करना चाहेंगे? सफलता के पीछे कौन-सा रहस्य छिपा है? स्वयं को प्रतिदिन ऊर्जान्वित करें। जब भी लक्ष्य तक पहुंचने का कोई पड़ाव पूरा हो तो पीछे मुड़ कर वहां अवश्य देखें जहां से आप चले थे। अपने स्वप्नों को साकार करने का विश्वास उत्पन्न करें। जब भी किसी संकट का सामना करना पड़े तो उसे सफलता प्राप्ति की प्रक्रिया का ही एक हिस्सा मानें। सफलता के प्रति प्रतिबद्ध रहें इस प्रकार आप सफलता के लिए पथ सुनिश्चित कर सकते हैं। यह प्रसन्नता की ओर आपका पहला कदम होगा यह कठोर भी हो सकता है। किसी एक राह को चुनते समय आपको दूसरी संभावनाओं को नकारना भी पड़ सकता है पर एक बार आगे बढ़ कर कदम पीछे न हटाएं निःसंदेह यह पथ कठोर व कांटों से भरा होगा।
साहसी बनें व जीवन का सामना करें। कार्य के अतिरिक्त भार से छुटकारा पाना है तो कार्य करने का निरंतर अभ्यास विकसित करें। काम के अतिरिक्त बोझ का दबाव आपकी आत्मा पर भी पड़ता है। यदि हममें पहचानने की क्षमता हो तो हम अपने चारों ओर बनी प्रसन्नता को भी अपनाएं। बीती बातों पर रोने व स्वयं पर दया दिखाने में समय नष्ट न करें। ‘यदि ऐसा होता’ की कल्पनाओं में कीमती समय न खोएं। अपने विश्वास व क्षमता पर अविश्वास व असंदेह को हावी न होने दें।
सफलता के विषय में दिए गए सुझावों पर अपना ध्यान केंद्रित करें। अधिकांश व्यक्ति अपने ही शत्रु होते हैं। कठोर आत्मालोचक होने के नाते वे स्वयं को प्रसन्न करने व प्रोत्साहित करने की बजाय यही विश्वास दिलाते रहते हैं कि वे कभी भी सफल नहीं हो सकते। इसके बजाय आपको अपने आपसे मित्रवत् व्यवहार करना चाहिए तथा कुछ अच्छा कर लेने पर प्रशंसा भी देनी चाहिए।
कुछ लोगों की अपने विषय में राय कुछ अच्छी नहीं होती। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए आपको अपनी छवि में सुधार लाना होगा। जांच करें कि आप अपने विषय में क्या सोचते हैं तथा आप स्वयं को नीचा दिखाने के लिए प्रयासरत क्यों हैं? थोड़ा और गहराई में जाकर जानने का प्रयत्न करें कि आपकी ऐसी छवि क्यों बन गई जिसे आप स्वयं भी पसंद नहीं करते? स्वयं से संबंधों में सुधार लाएं तथा मधुर संबंधों की पहल करें। अपने अतीत में हुई भूलों के लिए स्वयं को क्षमा देकर संबंधों की शुरुआत की जा सकती है।
हम सबके व्यक्तित्व में कुछ ऐसा अवश्य होता है जिसे हम पसंद करते हैं। निःसंदेह आपके व्यक्तित्व में भी ऐसा कोई न कोई आकर्षण अवश्य होगा। आप वहीं से प्रारंभ करें। स्मरण रहे, हम सबके जीवन का कोई न कोई उद्देश्य अथवा सार्थकता है। ईश्वर ने हमें इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए क्षमता प्रदान की है। जीवन की किसी भी घटना तथा किसी भी बड़े स्वप्नों को छोटा न मानें। मार्शा सिनेटर कहती हैं‒
अपनी ही आत्मा की खोज व जीवंतता के प्रति आग्रह ही आपके जीवन में विशेष महत्त्व रखता है। आप और मैं पूर्णतया विशिष्ट बनने के लिए ही पैदा हुए हैं। यही प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का सार्थक उद्देश्य होना चाहिए।
नोरमन विनसेन्ट इसी विषय में आगे कहते हैं‒
जो व्यक्ति अपने ही रोमांचपूर्ण विचारों पर अमल करते हैं तथा नए विचारों पर शासन करते हैं, वे ही नए संसारों का अन्वेषण करते हैं। रोमांच बढ़ता है और नए अवसर सामने आते चले जाते हैं।
अपने लक्ष्य के प्रति सदा आग्रही रहें। अपने सपनों को हृदय व आत्मा में बसने दें तथा अपनी दिनचर्या की वास्तविकताओं द्वारा उसे सशक्त बनाएं। लक्ष्य के प्रति उत्सुकता बनाए रखने का हर संभव प्रयास करें। अपने आप को उत्साहित करने व प्रसन्नता देने के लिए कॉलेज के दिनों की छरहरी आकृति का ध्यान करें। लक्ष्य प्राप्ति के लिए आपको स्वयं को नियमित रूप से पुरस्कृत करने का अभ्यास भी करना होगा ताकि आप प्रेरित हो सकें। छोटी से छोटी उपलब्धि पाने पर भी स्वयं को पुरस्कृत करना व पीठ थपथपाना न भूलें।
अपने भीतर की वास्तविकता को पहचानें व प्रशंसा दें। अनुमान लगाएं कि आपकी शक्तियां क्या है तथा आप किस काम को भली भांति कर सकते हैं। अपनी दुर्बलताओं की अपेक्षा शक्तियों व सकारात्मक विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करें। इस तथ्य को स्वीकारें कि जीवन संभावनाओं से भरपूर है तथा उन्हें वास्तविकता में बदलने के अनेक अवसर सामने आएंगे‒‘जब तक आप सफलता के लिए निर्धारित विशेषताओं का पालन नहीं करते तब तक आप स्वयं को नहीं पहचान सकते।’
जीवन में सकारात्मक रवैया आपके बहुत काम आएगा। आत्मा को भेद देने वाली कुंठा व तनाव का सामना करते समय तो इसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। संघर्षों और कठिनाइयों का उजला पक्ष आपको दुख, पीड़ा व गहरी उदासी से बचा सकता है। यहां तक कि बद से बदतर हालात में भी स्वयं को सकारात्मकता के लिए प्रोत्साहन दें। रॉल्फ वाल्डो इमर्सन कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति एक विशिष्ट प्रतिभा के साथ जन्म लेता है। अपनी आत्मा को सदैव सार्थक व जीवंत जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करें। अपनी प्रतिभाओं के समुचित प्रयोग से आप ऐसा कर पाएंगे। चित्रकला, नृत्यकला, संगीत, लेखन व पाककला आदि रुचियां हमारे जीवन को आंनददायक संतुष्टि प्रदान करती हैं। हमें सदा अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए। जीवन के इस पहलू को उपेक्षित कर हम प्रसन्नता को बाधित कर देते हैं।
इसे आप एक अभ्यास बना लें तब जीवन में प्रसन्नता पाने के अवसर और भी बढ़ जाते हैं। जीवन की छोटी-छोटी बातों में भी इसका ध्यान रखें। बड़ी व छोटी निराशाएं आपके जीवन से लुप्त हो जाएंगी यदि आप सकारात्मक रवैया बनाए रखें। ताओ दार्शनिक युआंग के शब्दों में‒समय के प्रवाह में बहें तथा मस्तिष्क को मुक्त रखें। जो भी करें, उसी में केंद्रित रहें। यही सार्वभौमिक सत्य है।
हृदय की गहराइयों से
विकास व वृद्धि के लिए किए गए सभी प्रयासों में यही महत्वपूर्ण है कि नीरस व कठिन कार्य मनुष्यों को न दे कर यंत्रों को सौंप दिए जाएं। सफलता पाने के लिए उन तरीकों पर तो ध्यान दिया ही जाना चाहिए जिन्हें अब तक नहीं अपनाया गया। इसके अतिरिक्त उन प्रक्रियाओं पर भी ध्यान देना चाहिए जिन्हें प्रयोग में लाने की कोई आवश्यकता नहीं रही। ‘क्यों’ से जुड़े सभी प्रश्नों का मनोवांछित उत्तर मिलना भी अनिवार्य है। यह प्रश्न हमारे जीवन में प्रायः उठते ही रहते हैं। काम करने से बेहतर विकल्प तलाशने के साथ-साथ अनावश्यक व खर्चीले अभ्यासों पर भी रोक लगानी चाहिए। स्पष्ट नजरिए व महत्वाकांक्षा द्वारा ही श्रेष्ठ प्रणाली विकसित होती है। हम दिन भर ई-मेल, फोन कॉल व फिल्मों आदि में अपनी बहुत-सी ऊर्जा का क्षय कर, अनेक अवसर गंवा देते हैं जो कि हमारे लिए बहुत खास व महत्वपूर्ण हो सकते हैं। आपको जानना ही होगा कि उपलब्धियों की ओर जाने वाली राह पर आप किस ओर हैं? प्रगति व विकास के नए आयामों को पाने के लिए निजी व संस्थागत दृष्टिकोण का स्पष्ट होना अत्यावश्यक है। आपको अपनी जिंदगी, अपने दिन, अपने कैरियर की शुरुआत करते समय भावी भूमिका को पूरी तरह ध्यान में रखना चाहिए। यह अपने आप में काफी शक्तिशाली व उज्ज्वल होना चाहिए। आपको दिन के उजाले में अपने कार्यों के मूल्यांकन का अभ्यास करना होगा। अपने कार्यों व उत्पादकता को कभी भ्रमित न करें।
किसी भी व्यवसाय को प्रभावी ढंग से चलाने के लिए एक तयशुदा प्रणाली की आवश्यकता होती है जबकि बड़े संस्थानों में प्रायः अपरिवर्तनशीलता राजशाही अस्त व्यस्तता का कारण बन जाती है। केवल कुछ बुद्धिमान व योग्य व्यक्ति ही ऐसे संस्थानों का संचालन कर पाते हैं। ऐसी संस्थाओं द्वारा दी गई सेवाएं भी कुछ खास नहीं होतीं। किसी भी संगठन को शिखर तक पहुंचाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता रहती है जो लोगों के कार्य को शीघ्रता व गुणवत्ता की ओर आकर्षित करने वाली प्रणालियां विकसित कर सके। किसी भी संगठन की प्रभावोत्पादकता वहां काम करने वाले व्यक्तियों पर निर्भर करती है। संगठन को निरंतर प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि नियमित दिनचर्या में शिथिलता न आने पाए। सही प्रश्न ही किसी समस्या का आधा समाधान हो सकते हैं। यह लोगों को इस योग्य बनाते हैं कि वे जांच कर सकें कि वे अपने कार्य को कैसे व किस तरह कर रहे हैं। यह एक तथ्य है कि अनेक चर्चाएं सही प्रश्नों से ही उपजती हैं, तथा इसी से सुधार के अनेक सुझाव भी आमंत्रित किए जा सकते हैं। व्यापार का नेटवर्क ही सफलता की ओर ले जाता है। यह योग्य साथी की निर्भरता पर हो जो आपको व्यवसाय चलाने में तथा केंद्र से बाहर पहुंच चुकी वस्तुओं के केंद्रीयकरण में सहायता देता है। बड़ी सोच व सहायता के बल पर आप किसी संगठन के नजरिए को विस्तृत व मजबूत कर सकते हैं। ऐसा कोई व्यवसाय जो घर में ही सब कुछ करना चाहे, कठिनाई में पड़ सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेला सब कुछ नहीं कर सकता है और न ही श्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकता है। योग्य साथी की सहायता न लेना भी एक बड़ी भूल हो सकती है। कार्यक्षमता व प्रदर्शन का प्रतिदिन आंतरिक मूल्यांकन होना चाहिए। दल के साथ प्रभावी संप्रेषण द्वारा इस समस्या को सहजता से हल किया जा सकता है। तभी आप जान सकते हैं कि प्रणाली में बदलाव चाहिए या प्रयासों की तुलना में प्राप्ति असंतुलित है। काम करते हुए लोगों की बातचीत सुनना तथा संगठन की गतिविधियों व उत्तरदायित्वों के प्रकाश में उन्हें पुर्नमूल्यांकित कर अधिकतम लाभ की अपेक्षा की जा सकती है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस शब्दकोश के अनुसार‒
प्रभावशाली : इच्छित परिणाम पाने वाला।
दक्ष : व्यर्थता से परे दक्षतापूर्वक कार्य करने वाला।
प्रभावशीलता व दक्षता लक्ष्य प्राप्ति के बेहतर साधन व उपकरण हैं। वहीं दूसरी ओर यह कहना भी अनुचित नहीं होगा कि किसी के प्रदर्शन व दक्षता में सुधार ही अपने आप में लक्ष्य हो सकते हैं तथा उत्पादकता में निखार लाते हैं। सक्षमता व दक्षता को सीखा जा सकता है तथा निरंतर प्रयोग से यह आपका अभ्यास बन सकते हैं। यह किसी भी लक्ष्य-प्राप्ति के लिए मूल्यवान संपत्ति से कम नहीं है। प्रभावोत्पादकता एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा आप नियत नीतियों के माध्यम से नियोजित लक्ष्य अथवा, उद्देश्य को पाया जा सकता है। प्रत्येक चरण का मूल्यांकन करें तथा पूरे मिशन से इसकी तुलना न करें। संपूर्ण उपलब्धि में प्रत्येक चरण के योगदान के आधार पर ही नीतियां निर्धारित की जानी चाहिए। यदि कोई प्रणाली अथवा तरीका आपकी कुल उपलब्धियों के योगदान में बाधा दे रहा है तो उसे समाप्त कर दें। आप अन्य समान स्तर की सफल परियोजनाओं से भी कुछ सीख सकते हैं। लक्ष्य के प्रति सफलता पाने के लिए नए विचारों, तरीकों व नीतियों के पालन का विचार भी बुरा नहीं है।
लक्ष्य प्राप्ति की व्यस्तता के दौरान, आपको प्रयासों के मूल्यांकन की प्रक्रिया को भी कमतर नहीं आंकना चाहिए। सदा अपने मस्तिष्क में लक्ष्य की स्पष्ट तस्वीर रखें तथा निश्चित करें कि आपका प्रत्येक कदम आपको लक्ष्य के और निकट ले जा रहा है। इस कार्य के लिए आप कैलेंडर की सहायता भी ले सकते हैं। विश्लेषण व अनुसरण आपको प्रोत्साहित तो करेगा ही, साथ ही सही दिशा में भी ले जाएगा। आपको अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के प्रति सदैव केंद्रित रहना होगा। अधिकतम परिणाम पाने के लिए आप एक से अधिक नीतियों का पालन कर सकते हैं। एक बार में एक ही कदम उठाएं, आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
किसी भी प्रदर्शन या काम के लिए कोई बंधे-बंधाए ‘सुनहरे नियम’ नहीं होते। स्पष्ट तस्वीर व प्रत्येक अवसर को पाने की उत्कंठा द्वारा ही आप आगे बढ़ सकते हैं।
यह एक ऐसी मीटिंग की कहानी है जहां किसी संगठन के प्रबंधक प्रसाधनशालाओं में गुप्त कैमरे लगाने पर विचार कर रहे थे क्योंकि प्रायः वहां से महंगे शैंपू व अन्य प्रसाधन चोरी हो जाते थे। उनमें से एक प्रबंधक ने कोई भी निर्णय लेने से पूर्व एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से सुझाव लेने को कहा। उक्त व्यक्ति ने सुझाव दिया कि शैंपू की बोतलों के ढक्कन उतार दिए जाएं। बिना किसी खर्च के समस्या सुलझ गई। अतः कभी-कभी सामान्य से विचार भी बेहतर हो जाते हैं। दूसरों की विचार क्षमता को भी कभी कम न आंकें। सदा प्रत्येक कार्य को बेहतर तरीके से करने की तलाश में रहें।
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कई बार हम न चाहते हुए भी काम के बोझ तले स्वयं को दबा पाते हैं। अधिक काम होने पर यह निर्णय लेना भी कठिन हो जाता है कि उसे कहां से आरंभ किया जाए? यहां इस विषय में कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं। दिए गए काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें। यदि आपको बहुत से कागज संभालने हैं तो एक बार में एक ही ढेर निबटाएं। उन्हें देखें व रद्दी कागजों को कूड़ेदान के हवाले कर दें। इस छंटाई में ध्यान रहे कि आपको पुनः उस प्रक्रिया को दोहराना न पड़े। इन कागजों को छांटते समय यह मान कर चलें कि आप किसी अन्य व्यक्ति का कार्य कर रहे हैं। इसे शीघ्र से शीघ्र निबटाने की कोशिश करें। इसके बाद दूसरे अंबार की ओर बढ़ें तथा तब तक इस प्रयास को जारी रखें जब तक आपके पास साफ-सुथरा वातावरण तैयार नहीं हो जाता।
अपनी अलमारी को सहेजने के लिए समय को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट लें। सारा काम एक साथ न करें। अपने संगठित कार्यक्षेत्र का ढांचा दिमाग में खींच लें। योजना बना कर कार्य करने से आप केंद्र बिन्दु पर ध्यान दे पाएंगे। आप निश्चित समयावधि में काम करने के लिए अपने आप से वायदा कर सकते हैं। काम समय पर पूरा हो तो स्वयं को पुरस्कृत करना भी न भूलें। स्पष्ट दृष्टिक्रम के अभाव में आपका कोई भी काम दिए गए समय में पूरा नहीं हो सकता। प्रतिदिन एक मास्टर लिस्ट बनाएं। यह आपके दिमाग को शांत व तनावमुक्त रखेगी। इसका सीधा सा अर्थ है कि आपने दिमाग का बोझ कागज पर उड़ेल दिया अन्यथा यह सारा दिन आपके दिमाग में घूमेगा। इस विषय में विशेषज्ञ भी अपनी सेवाएं दे सकता है। काम नियमबद्ध रूप से हो, इस बात का ध्यान अवश्य रखें। नियमित समय पर काम छोड़ने का अभ्यास भी होना चाहिए। संगठन क्षमता से आपकी योग्यताओं में वृद्धि होगी। यदि आप स्वयं को पूरी तरह असंगठित पाते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप कोलाहल से घिरे हैं। इस वातावरण से निकलने के लिए आपको क्षमताओं तथा अभ्यासों में सुधार लाना होगा। भ्रमित न हों। जो भी देखें, निरीक्षक बन कर देखें, इस तरह आप शीघ्र ही अपना लक्ष्य पा लेंगे।
सकारात्मकता का प्रतिबिंब
जब भी आप किसी समस्या से घिर जाएं तो याद करें कि आपने पहले ऐसी मुश्किल का सामना किस तरह किया था। क्या तब आपकी यही इच्छा थी कि आप अलग तरीके से उस समस्या को हल करेंगे? आपने ऐसा विचार क्यों किया था? क्या आपने भविष्य के लिए भी इस समस्या के उत्तरदायी घटना व व्यक्ति के प्रति कोई निर्णय लिया था। ऐसे कुछ तरीकों की सूची बनाना लाभप्रद होगा जिसमें कुछ लोग दूसरों से चालाकी करते हैं, तथा ऐसे व्यवहार का संभव समाधान व उत्तर भी तलाशना होगा। ऐसा रिकार्ड भविष्य में आपके काफी काम आ सकता है। कठोर भावनाओं से छुटकारा पाने के लिए आप उक्त व्यक्ति को पत्र लिख सकते हैं जिसने आपकी भावनाओं को चोट पहुंचाई हो परंतु उस पत्र को उसे प्रेषित न करें ताकि भविष्य में मुक्त भाव से भेंट की संभावना बनी रहे।
आशा बनी रहे तो हृदय के घाव जल्द ही भर जाते हैं। आशा अपने आप में एक उपचारक है। यह किसी भी चोट को अन्य की तुलना में शीघ्रता से अच्छा कर सकती है। विकट से विकट परिस्थिति में भी आशा का दामन न छोड़ें। इस बात का ध्यान रखें कि आपको अपने जीवन के साथ क्या करना है तथा आप स्वयं को किस तरह प्रयोग में ला सकते हैं। अपने बारे में सदा ऊँचा दृष्टिकोण रखें तथा आत्मा को मुक्त अनुभव होने दें किसी भी हालत में अपनी नजर में प्रतिष्ठा बनाए रखें। सैम्युअल जोन्सन कहते हैं‒किसी भी कार्य को सहजतापूर्वक करने के साथ-साथ तत्परता का पालन भी करना चाहिए।
याद रखें कि सफलता रातोंरात मिलने वाली वस्तु नहीं है। यदि आपको पूरी समग्रता से लक्ष्य पाना चाहते हैं तो आपको आवश्यक समय व प्रयास देने ही होंगे। सफलता गहरा मोल चाहती है, यह कोई ऐसी वस्तु नहीं जो मांग रखते ही प्रस्तुत की जा सके। आपको अपने सपनों के प्रति पूरी तरह ईमानदारी बरतते हुए कड़ा परिश्रम करना होगा।
आप क्या बनना चाहते हैं व करना चाहते हैं, इस विषय में निपुणता पाएं तब उस काम को बेहतर तरीके से करें। एक बार इसका अहसास होने पर आप अपने सपनों को बेहतर तरीके से साकार कर पाएंगे। फ्रांसिस वेलैंड कहते हैं‒
हम जो भी हैं, अपने कारण ही हैं, दूसरों के कारण नहीं, इसी के कारण हमें युगों-युगों तक याद रखा जाता है।
निष्कर्ष व महत्वपूर्ण जीवन जीने पर ध्यान केंद्रित करें। अपने मूल्यों, स्तर व नैतिक नियमों का आदर करें ताकि आपको सशक्त चारित्रिक विशेषताओं से भरपूर व्यक्ति के रूप में जाना जाए। मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाला जीवन जीने का प्रयास करें। यदि आवश्यक जान पड़े तो जीवन में परिवर्तन लाएं ताकि आप अपने आदर्शों को पूरा मान दे सकें। अपने प्रति सच्चाई बरतें, आपके चारों ओर प्रसन्नता छाई रहेगी। मूल्यों को आदर देने से आपकी सेहत व कैरियर में भी निखार आएगा।
जीवन को नियमित रूप से जीएं। बराजून के शिक्षा नियमानुसार‒ ‘ध्यान केंद्रित करने की सामान्य किंतु कठिन कला, मस्तिष्क व अपना संगठन, सटीक ध्यानाकर्षण आदि कलाएं यूं ही नहीं आ जातीं। किसी भी विषय की कठिनाइयां इनका पाठ पढ़ाती हैं। इन्हें आप किसी एक पाठ्यक्रम अथवा वर्ष में नहीं परंतु अनेक व्यक्तियों के संपर्क में आ कर ही सीख पाते हैं। जिस तरह एक खिलाड़ी अच्छे शरीर सहयोग व संकल्प शक्ति के अभाव में दूसरों के साथ खेलने की बजाए खेल के मैदान में अकेले ही खेलता हैं।’
यदि आप अपने आत्मविश्वास के स्तर में निखार चाहते हैं तो किसी दूसरे व्यक्ति को नीचा दिखाने वाला वार्तालाप न करें। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आपको अपनी धारणाओं व व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इसी तरह आप जीवन में आत्मीयता व मित्रता पा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति जिन्होंने आपको कष्ट दिया उनके प्रति कठोर भावनाएं व्यक्त करने से बचें। इस व्यवहार में स्थान पर अधिक सकारात्मक रवैया अपनाएं। उन लोगों की पीठ पीछे अच्छी व आनंदप्रद बातें ही कहें। इस अभ्यास को आप विकसित कर सकते हैं।
दूसरों के विषय में आपके नकारात्मक विचार प्रायः आपकी अपनी असुरक्षा व भय को प्रतिबिंबित करते हैं। दूसरों के साथ आपके संबंधों की विशेषता ही दर्शाती है कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं। दोगले मित्र प्रायः खतरनाक होते हैं। वे सामने तो हंसाते हैं किन्तु पीठ मोड़ते ही आपको रोने पर बाध्य कर देते हैं। किसी के मुँह पर उसकी आलोचना करना तथा पीठ पीछे उसे नीचा दिखाना दोनों में पर्याप्त अंतर है।
अनुपस्थित लोगों के विषय में ऐसी बातें करना अमानवीय है। आपके संबंधों की मधुर मांग यही है कि पीठ पीछे किसी की बुराई न करें। यद्यपि यह स्वाभाविक है कि आपसी मनमुटाव या किसी अहम् के कारण आप किसी को पसंद न करते हों परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि आप उसे नीचा दिखाने का कोई मौका हाथ से जाने न दें। यदि आप किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कहना चाहते तो अपना मुंह बंद रखें।
हम सबको अच्छी तरह अहसास है कि हम लोगों को उनकी दुर्बलताओं से परिचित करवा कर ठेस पहुंचाते हैं। चूंकि हमारे पास अधिकार है, सब कुछ हमारे नियंत्रण में है या हम उक्त व्यक्ति की कमजोरियां पहचानते हैं और उसे ठेस पहुंचाते हैं तो यह हमारे स्वभाव की विशेषता नहीं कही जाएगी। आपके मुख से ऐसे शब्द सुनने वाले आपको छोटा, हीन या निम्न कोटि का मान सकते हैं। याद रखें कि हम जब भी किसी दूसरे को चोट पहुंचाते हैं तो हम स्वयं को भी दुख देते हैं। यदि आपका व्यवहार भी ऐसा है तो कुछ भी बोलने से पहले दो बार सोचें।
यदि कोई दूसरों के विषय में कुछ गलत बोलता है तो आप ऐसे में निंदा के पात्र के प्रति सहानुभूति दर्शाएं व उसका पक्ष लें। ज्यादा महत्वपूर्ण यही होगा कि आप आलोचक को स्पष्ट कर दें कि आपको पीठ पीछे बुराई सुनना पसंद नहीं है। मित्रता व सामंजस्य को बढ़ावा देने की कोशिश करें। परिवर्तन तभी आता है जब हम परिवर्तन की पहल करते हैं। अपने व दूसरों के विषय में नकारात्मकता आसानी से पैठ सकती है। बेहतर इंसान बनने के लिए हमें अपनी दुष्ट प्रवृत्तियों से ऊपर उठना होगा।
हमें दूसरों को अपशब्द कहने के बुरे अभ्यास से बचना चाहिए। जब आप क्रुद्ध हों तो अपने आप से प्रश्न करें कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं। याद रखें कि दूसरों को गलत शब्द कहने या नीचा दिखाने से उनमें बदलाव नहीं आएगा। जिसकी आलोचना की जा रही है वह ज्यों का त्यों ही रहेगा केवल आप ही दूसरों की नजर में छोटे व हीन हो जाएंगे। किसी को रुलाने से आपकी छवि में निखार नहीं आता इससे आपकी ईर्ष्या, घृणा, क्रोध व भय का आभास होता है।
इस तरह का व्यवहार करने से स्वयं को रोकने की शक्ति हम सबके पास है। आपका गुस्सा किसी को भी बदल नहीं सकता। हमें अपने जीवन की नकारात्मक प्रभावों से रक्षा करनी होगी। इस जीवन में जो भी खुशियां हैं वो हमसे छीन सकती हैं। जीवन व प्रसन्नता पर कठिन संबंधों का बोझ न लादें। कठिन लोगों से निबटते समय हमारे सामने दो ही विकल्प होते हैं‒या तो आप उन्हें उपेक्षित कर सकते हैं या फिर उन्हें किसी उचित समाधान के प्रति सचेत कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति की आपके जीवन में क्या अहमियत है या आप उन्हें कितनी ओट देना चाहते हैं। यही समझ आपको मुक्ति दे सकती है। इस तरह आप पीड़ादायी व्यवहार से उबर कर जीवन को उसके भरपूर सौंदर्य के साथ जी सकते हैं। आपकी अपनी सुरक्षा भावना में ही दीर्घकालीन, सकारात्मक व मधुर संबंधों का रहस्य छिपा है। निश्चित करें कि आपकी समग्रता से सकारात्मकता ही प्रतिबिंबित हो।
सपनों का साकार रूप
स्पष्ट व निर्धारित तथा लिखित लक्ष्यों को ले कर चलने वाले व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की तुलना में आसानी से अपना लक्ष्य पा सकते हैं। ऐसा सभी स्थितियों में सार्वभौमिक रूप से