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Vyaktitva Vikas Ek Prayas
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Ebook191 pages1 hour

Vyaktitva Vikas Ek Prayas

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About this ebook

"व्यक्तित्व विकास: एक प्रयास" एक बहुत अच्छी किताब है जो हमें अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनाने और अपने आप को समझने में मदद करती है। इसमें व्यक्तित्व विकास के कई पहलुओं पर बातचीत की गई है, जैसे कि खुद को समझना, अच्छे संवाद कौशल, आत्मविश्वास, समय का सही तरीके से प्रबंधन, आत्म-समर्पण, और पॉजिटिव सोच। जिससे आप खुद को बेहतर बना सकते हैं।

इस किताब में हमें अभ्यास, मानसिक स्वास्थ्य, और जीवन के विभिन्न अनुभवों का संग्रह है, जो हमें व्यक्तित्व विकास की दिशा में मदद करते हैं। इसके साथ ही, किताब में व्यक्तित्व विकास के विभिन्न तरीकों पर विस्तृत चर्चा भी है। यह किताब हमें व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को समझने और अपनी ताकतों का उपयोग करके स्वयं को समझने में मदद कर सकती है।

Languageहिन्दी
Release dateApr 8, 2024
ISBN9789394234048
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    Vyaktitva Vikas Ek Prayas - Sandeep Vishwakarma

    व्यक्तित्व विकास का परिचय और पहचान।

    व्यक्तित्व विकास क्या है ?

    इस किताब को लिखने से पहले मैंने अपनी पूरी जिंदगी का अनुभव अपने गुरुओं से सीखा हुआ ज्ञान और अपनी जिंदगी के खट्टे मीठे सारे अनुभव को इस किताब में समाहित किया है। मुझे विश्वास है कि आप सबको यह किताब बहुत पसंद आएगी।

    कहते हैं, खूबसूरती से सिर्फ प्रभावित किया जा सकता है, लेकिन व्यक्तित्व से किसी का भी दिल जीता जा सकता है। वैसे तो व्यक्तित्व विकास की बहुत सारी परिभाषाएं हो सकती हैं। लेकिन जहां तक मैं सोचता हूँ, इंसान को खुद के अंदर वह सभी आवश्यक गुण जो खुद को बेहतर बनाते हैं, जिससे समाज में हमारी पहचान और हमारा चरित्र और व्यवहार झलकता है, और हमारा व्यक्तित्व सबसे अलग बन जाता है, जिससे इंसान का व्यक्तित्व खुद की नजर में, और लोगों की नजर में सुधर जाता है, जिससे उसके निजी जीवन और व्यावसायिक जीवन में विकास हो जाता है, उसे व्यक्तित्व विकास कहते हैं। इंसान का व्यक्तित्व तो उसकी असली पहचान होती है। किसी भी इंसान के व्यक्तित्व को उसके व्यवहार, उसकी भाषा शैली, उसका पहनावा तथा उसके द्वारा किए गए कार्य से उसके व्यक्तित्व का आकलन करने लगते हैं, सही मायने में देखा जाए तो जिस इंसान ने अपने व्यक्तित्व का विकास कर लिया उसने जीवन में सफलता को पा लिया। क्योंकि इंसान की सफलता और असफलता के पीछे उसके व्यक्तित्व की अहम भूमिका होती है। बहुत बार हम किसी के बाहरी स्वरूप को देखकर उनको समझने की कोशिश करने लगते हैं। लेकिन बाहरी और आंतरिक व्यक्तित्व को देखना बहुत जरूरी है। व्यक्तित्व ही एक ऐसी चीज है जिसके द्वारा एक आम इंसान भी खुद को खास बना सकता है। व्यक्तित्व 2 प्रकार का होता है - आंतरिक और बाहरी। बाहरी रूप से हम कैसे दिखते हैं, हमारा रूप रंग क्या है, हम कैसे कपड़े पहनते हैं, हमारी शारीरिक भाषा कैसी है। लेकिन अंदर से देखना इंसान को बहुत मुश्किल होता है। किसी (इंसान) का स्वभाव क्या है, उसका व्यवहार कैसा है, उसके संस्कार कैसे हैं, उसका चरित्र कैसा है। तो अंदर से जो बदलाव होता है, वही बाहरी रूप से हमें दिखता है। असल मायने में हमें व्यक्तित्व को निखारने के लिए अपने आंतरिक व्यक्तित्व पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

    व्यक्तित्व विकास क्यों जरूरी ?

    व्यक्तित्व विकास के बिना इंसान अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं कर पाता है। क्योंकि कई बार हम अपनी पर्सनालिटी को नजर अंदाज करते हैं। और समाज में हमारा मजाक बनता है। हमारे पास कौशल, अनुभव, क्षमताएं, ज्ञान होने के बावजूद भी लोग हमें हमारे आत्मविश्वास की कमी की वजह से ज्यादा महत्व नहीं देते हैं, इसलिए हमें अपने रहन-सहन, पहनावे, और आत्मविश्वास को महत्व देना चाहिए। हमारी सफलता में हमारे व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। अगर आप चाहते हैं कि हम जिंदगी में बहुत कामयाब हों, तो हमें अपने व्यक्तित्व को निखारना ही होगा। क्योंकि आपका व्यक्तित्व ही आपकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आपका व्यवहार कैसा है? आपका चरित्र कैसा है? आपका प्रभाव कैसा है? आप लोगों की नजर में किस तरह से बसे हुए हैं? ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं। अगर आपके व्यक्तित्व का विकास हो जाता है, तो आप लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। लोगों को आप अपनी बातें मनवा सकते हैं, लोगों के दिल में अपनी छाप छोड़ सकते हैं। अगर आपने अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बना लिया है, तो लोग खुद व खुद आपसे प्रभावित होने लगेंगे।

    इसको हम एक रियल कहानी से समझते हैं- एक बार की बात है जब मैं अपनी कंपनी के लिए लोन की आवश्यकता थी। मैं अपनी कंपनी को विकसित करना चाहता था। इसके लिए मैं अलग-अलग बैंकों में जाकर बात कर रहा था। एक दिन मैं अचानक छतरपुर में एक बैंक में गया जो कि एक लोकल बैंक थी। तो उस दिन मुझसे गलती हो गई कि मैं नॉर्मल कपड़े पहन कर गया यानी कि शर्ट और पेंट वह कपड़े कैजुअल्स (कैजुअल कपड़ों की पहचान- वे कपड़े होते हैं जो हम प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं और शादी फंक्शन में पहनते हैं जो प्रिंटेड होते हैं एक से ज्यादा कलर होता है या बहुत ज्यादा चमक करते हैं) थे। और मैं जब बैंक में गया, तो वहां सामने गार्ड बैठा हुआ था, मैंने उससे बोला कि मुझे आपके मैनेजर से मिलना है, तो वह बोला मैनेजर तो नहीं है, मेरे बॉस हैं। तो मैंने कहा ठीक है मैं उनसे मिल लेता हूं। गार्ड ने पूछा काम क्या है? मैंने कहा मुझे काम बॉस से है, मैं उनसे बात करूंगा। और मैं उनके पास गया। और जब उनके बॉस ने मुझे देखा तो मुझसे पहले बोले कौन हो तुम? तो मैंने कहा गुड मॉर्निंग सर मुझे आपसे दो मिनट बात करनी है‌। लेकिन उन्हें मुझसे बिना पूछे बिना कुछ सोचे समझे चिल्लाना शुरू कर दिया, तुम बिना पूछें मेरे केबिन में कैसे आए? निकालो यहां से कैसे-कैसे लोग आ जाते हैं। मैंने कहा सॉरी सर 2 मिनट बात तो कर लीजिए। वह फिर से बोले निकलते हो या मैं धक्का देकर बाहर निकालू। मैंने कहा सर मैं आपकी बैंक से लोन लेने के लिए आया था मेरी एक कंपनी है। लेकिन कुछ सुनने को तैयार नहीं थे और मुझे बाहर निकाल दिया। लेकिन जब मैं रूम पर आया तो मैंने सोचना शुरू किया कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? इतना गलत दुर्व्यवहार क्यों किया गया? मुझे बेइज्जत क्यों किया गया? सामने वाले ने मेरी उम्र और कपड़ों, यानी पहनावे को आधार मानकर एक मेरी छवि बना ली शायद इसीलिए। तो मैंने बहुत सोचने के बाद निर्णय लिया कि इसमें कहीं ना कहीं मेरी गलती तो है, सबसे पहले मुझे अपने पहनावे और अपने प्रेजेंटेशन पर ध्यान देना था, लेकिन उससे ज्यादा गलती बैंक के जो मालिक है उनकी है क्योंकि उन्हें अपने व्यक्तित्व का और अपने व्यवहार का पता ही नहीं कि हमें अपने ग्राहक से कैसे बात करनी है, हमें कार्यस्थल पर कैसे धैर्य रखना है। इस घटना से मैंने अपने पहनावे में बहुत सुधार किया और खुद की व्यक्तित्व, रहन-सहन, बात करने के तरीके, और आत्मविश्वास पर काफी ध्यान दिया। यही व्यवहार हमें हमारे व्यक्तित्व की पहचान कराते हैं। लेकिन आज मैं किसी भी कंपनी, संस्था, स्कूल, कॉलेज, या किसी भी अच्छे और प्रतिष्ठित सफल व्यक्तित्व से मिलता हूं, तो मुझे इस तरह की शर्मिंदगी माहसूस नहीं होती क्योंकि मैं जान लिया है। कैसे प्रस्तुत होना है, किस जगह पर कौन से इंसान से बात करनी है, किस तरह के कपड़े पहनने, हमारी भाषा कैसी होनी चाहिए, भाषा किस तरह की होनी चाहिए। और हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ बात करनी है और कम समय में लोगों का ध्यान कैसे अपनी ओर आकर्षित करें, कम शब्दों में ज्यादा बातें कैसे बोलें, ये सभी बातें आपको समझ में आ जाती हैं। तो आप भी व्यक्तित्व के धनी बन जाते हैं। और यह मैंने बहुत जल्दी ही समझ लिया था। अब मैं बिना झलक, बिना डर के किसी से भी बात कर लेता हूं। और उसको प्रभाव भी होता

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