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एक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2
एक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2
एक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2
Ebook61 pages24 minutes

एक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2

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About this ebook

डाक्टर अनुभव जल्दी से जल्दी उस दवा का परीक्षण करवाना चाहते थे। बंगलुरु लौट कर वे अनुपमा से मिले और उसे कहा, "मैं इसका अपने अस्पताल के लैब में परीक्षण कराने के बाद सरकार से इसके क्लीनीकल परीक्षण की अनुमति लेना चाहूंगा।

Languageहिन्दी
Release dateDec 3, 2020
ISBN9781393159599
एक अपूर्व समस्या: अष्ट योगी, #2

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    एक अपूर्व समस्या - रवि रंजन गोस्वामी

    1

    अगस्त, 2019

    केरल से लौटने के बाद, विष्णुदेव ने अष्ट योगियों को उनके घरों को भेज दिया और एक दिन पूर्ण विश्राम किया।विष्णुदेव  शीघ्र ही पूरनदेव से मुलाकात की उम्मीद कर रहे थे और वह उससे मिलने के लिए तैयार थे। वह पूरनदेव के द्वारा केरल में बाढ़ के दौरान वायनाड के लोगों के लिये किये गये सेवा कार्य  से खुश थे। पूरन देव ने अपने स्वभावानुकूल एक कबूतर द्वारा सन्देश भेजा कि वह उस दिन शाम 5 बजे शिव-पार्वती मंदिर में उनसे मिलना चाहता था। विष्णुदेव शाम 5 बजे मंदिर पहुंचे। पूरनदेव पहले से ही अपने तीन शिष्यों के साथ मंदिर के पास जमीन पर बैठे थे।

    अपने पिछले व्यवहार के विपरीत, वह एक पुराने दोस्त की तरह स्नेह के साथ विष्णुदेव से मिला।

    विष्णुदेव को उसके मधुर व्यवहार से सुखद आश्चर्य हुआ।

    पूरनदेव ने मुस्कुराते हुए विष्णुदेव से पूछा , क्या आप मुझ में परिवर्तन से आश्चर्यचकित नहीं हैं ?

    विष्णुदेव ने कहा, हां। मैं आश्चर्यचकित हूं और खुश भी हूं।

    पूरनदेव ने कहा, मैं कभी आपका दुश्मन नहीं था। मैं आपको एक प्रतियोगी मानता था, जिसे मैं कभी भी नहीं हरा सकता था। मुझे आपसे थोड़ी इर्ष्या थी और इससे मुझे तंत्र के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद मिली।

    विष्णुदेव ने उससे पूछा, भविष्य के लिए आपकी क्या योजना है।

    पूरन ने उत्तर दिया, सीखने के लिए बहुत कुछ है । मैं एक नए गुरु की तलाश में जाऊंगा। "

    विष्णुदेव , आप कुछ दिनों के लिए मेरे आश्रम में मेरे साथ रह सकते हैं ।

    पुरनदेव , पिछले कई वर्षों से मैं श्मशान में सो रहा हूँ। मुझे रात होने से पहले कोई स्थान  मिल जाएगा। हर गाँव या शहर में एक श्मशान तो होना ही चाहिए, वह हँसा।

    जाने से पहले वह विष्णुदेव से गले मिला । वह अपने तीन शिष्यों के साथ मंदिर के किनारे ढलान  पर उतर  गया ।

    2

    अक्टूबर 2019

    विष्णुदेव को दीवाली की प्रतीक्षा थी, दीपावली 27 अक्टूबर को थी। इस दीपावली को हिमालय के 8 वरिष्ठ योगियों की सभा होना थी। वे योगीजन  श्रीकश्यप, साध्वी योगमाया, स्वामी वशिष्ठ, अमिष, वीरासामी, शिवगिरी, गोस्वामी योगानन्द, और वह स्वयं थे। सभा स्थल  बुलंद चोटियों से घिरी हुई

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