Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

कौन है वो
कौन है वो
कौन है वो
Ebook164 pages1 hour

कौन है वो

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

यह पुस्तक डरावनी कहानीयों का संकलन है इसमें सामाजिक कहानी भी है जो आपको पढ़ने पर आनन्द के साथ समाज का परिदृश्य के बारे में ज्ञान देती है हर कहानी के अंत में कोई ना कोई सामाजिक सन्देश है जिससे समाज में परिवर्तन आये और लोग खुद में परिवर्तन लाये | 

Languageहिन्दी
PublisherARUN GUPTA
Release dateSep 27, 2020
ISBN9781393785910
कौन है वो
Author

ARUN GUPTA

Hi,  I am Arun Gupta. I am a teacher. I like to write on social issues and love related poems.  My Email- arungupta25j@gmail.com

Read more from Arun Gupta

Related to कौन है वो

Related ebooks

Related categories

Reviews for कौन है वो

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    कौन है वो - ARUN GUPTA

    कहानी सूची

    कहानी का नाम  पृष्ठ संख्या

    कौन है वो   2-6

    ओ स्त्री कल आना   7-13

    वो हॉस्टल   14-19

    रहस्यमय कब्रिस्तान   20-25

    डरावना सपना   26-36

    दण्ड सज्जनता का   37-43

    वो परछाई   44-49

    वो जंगल   50-57

    वो पत्नी   58-68

    वो आम का बाग़   69-75

    डरावना किला   76-81

    वो खूनी कुआँ  82-92

    संगति का प्रभाव  83-99

    बोलने वाला पेड़    100-104

    वो कौन थी

    ––––––––

    सुनो ! यहाँ ज़्यादा बाहर भी निकलना मैने सुना है यह क्षेत्र ठीक नहीं सरला ने अपने पति और बेटे की ओर देखते हुए कहा | यह हमारे शहर जैसा नहीं की रात मे कितने भी बजे तक बाहर घूमो यह गाँव है समझ आया | रोहन ने, सरला की ओर ध्यान से देखते हुए क्या मम्मी आप मुझे डरा रही हो में कोई छोटा बच्चा नहीं अब मैं बड़ा हो गया हूँ मेरी उम्र सोलह वर्ष  की हो गयी है |

    मुझे किसी से कोई डर नहीं लगता, रोहन ने मुँह टेड़ा करते हुए कहा...

    रोहन के पिता राजेश, सरला से बोले तुम भी ना फालतू ना डराया करो हम यहाँ गाँव मे छुट्टी बिताने आये हैं यहाँ तो और खूब मस्ती करेंगे अपने खेत देखेंगे और रात मे गाँव के लोगो के साथ तास खेलेंगे और रोहन मे यहाँ के लोगो को जान पायेगा, तुम हमें डराओ नहीं |

    सरला बोली देखो जी, ऐसा है मैने सुना है यहाँ कोई वैम्पायर है जो रात के समय लोगो को उठा ले जाता है और उनका खून पी जाता है, थोड़ी देर पहले ही मुझे हमारे पड़ोस मे रहने वाली ये अम्मा बता रही थी की किसी को रात मे बाहर नहीं जाने देना, कोई है जो लोगो को पकड़ रहा है और उन्हें मार देता है कुछ दिन पहले ही सिर कटी लाश मिली है किसी की, अब मुझे नहीं पता यह सच है या नहीं लेकिन अगर सच है तो इससे बुरा कुछ नहीं, सरला ने डरते हुए कहा..

    रोहन बोला मम्मी आप भी कहाँ सबकी बातों मे आ जाती हो,अब यह कुछ  नहीं होता यह तो सब बनावटी बातें है कुछ नहीं होता |

    सरला बोली हाँ हाँ ठीक है, तुम जानो तुम्हारा काम, जब तुम्हे वो वैम्पायर मिलेगा तब पता चलेगा, हम्म... सरला यह कहते हुई रसोई घर मे चली गयी |

    शाम को रोहन और उसके उसके पिता राजेश खेत पर गए, वहाँ रोहन ने पहली बार टूबवेल  देखा, रोहन ने वहाँ पर बहुत मस्ती की और देखते ही देखते अँधेरा हो गया

    राजेश बोले अरे ! रोहन जल्दी घर चलो अँधेरा हो गया है |

    रोहन बोला अरे पापा चलता हूँ बस दो मिनट और,

    राजेश ने हाँ, हाँ  जल्दी करो,

    रोहन बोला, जी पापा

    फिर दोनों घर की ओर चल दिए, थोड़ी दूर ही चल पाए थे खेत से तभी उन्होंने एक कुत्ते को पड़ा देखा जिसका सर नहीं था यहाँ वहाँ खून पड़ा था |

    कुत्ते को देख कर रोहन चिल्लाया, पापा इसका सिर कहाँ है ?

    इसे किसने मारा ?

    राजेश बोले अरे, डरो मत आया होगा कोई भेड़िया जो इस पर हमला कर के इसका सिर ले गया होगा l अब चलो जल्दी घर |

    रोहन और उसके पिता राजेश दोनों घर पहुँचे, और सभी ने रात का खाना खाया और रोहन अपने विस्तर पर जा कर लेट गया, वो और उसी कुत्ते के बारे मे सोचने लगा |

    रात के दो बजे थे, कुत्तों के भौंकने की आवाज़ बहुत तेज़ आ रही थी रोहन को कुछ समझ नहीं आया और यह आवाज़ लगतार सुबह पाँच बजे तक आती रही तभी अचानक पूरे गाँव मे शोर मच गया, सब तेज़ से चिल्लाये, अरे! यह किसका शव है ?

    राजेश और रोहन दोनों दौड़ कर पहुँच गए उन्होंने देखा वो लाश किसी बूढ़े व्यक्ति की थी और उसका गला कटा हुआ था और यहाँ वहाँ खून पड़ा था |

    राजेश ने पूछा यह किसका शव है?

    रामवती बोली अरे शव की पहचान तो तब हो जब इसका मुँह दिखे, इसका मुँह ही कुचल दिया दिया और ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने इसके गले पर काटा हो और सारा खून पी लिया हो |

    वहाँ किसी को कुछ समझ नहीं आया तभी रामबाबू ने लाश को बहुत ध्यान से देखा और बोला अरे ! यह तो हुलसी है यह बेचारा पास के ही दूसरे गाँव मे रहता है, इसके बेटे दूसरे शहर मे रहते है, यह यहाँ अकेला रहता था |

    हे ! भगवान यह क्या हो रहा है ? ना जाने कौन आ गया है ऐसा जो खून पी रहा है |

    रोहन बहुत डर गया |

    राजेश ने कहा देखो मुझे तो लगता है कोई जानवर है जो ऐसा कर रहा है |

    रामबाबू बोला अरे नहीं बाबू, आप तो शहर से आये हो आपको कुछ नहीं पता, यह जानवर का काम नहीं है

    अगर जानवर का काम होता तो वो इसका शरीर का मांस खाता केवल खून ही नहीं पिता देखो ! कैसा पीला पड़ गया है यह, मुझे तो लगता है वो वैम्पायर फिर आ गया है |

    राजेश बोला कौन फिर आ गया है ?

    क्या पहले भी ऐसा हुआ था ?

    रामबाबू बोला हाँ साहब अब से दस साल पहले भी ऐसा ही कुछ हुआ था, बहुत लोगो की जान गयी हम सभी ने कुछ दिनों के लिए यह गाँव छोड़ दिया था और पास के गाँव मे चले गए थे, कोई अपने रिश्तेदारों के यहाँ चला गया था फिर कुछ दिन बाद हम बापस आ गए |

    क्या करते किसी के यहाँ कितना रुका जा सकता है, लेकिन फिर कोई घटना भी नहीं घटी और अब कुछ दिन से फिर यह सब शुरू हो गया

    राजेश ने कहा यदि ऐसा है तो हम सबको बहुत ध्यान से रहना होगा, हम ऐसा भी कर सकते है की हम मे से कुछ लोग रात मे पहरा दें जिससे जो भी हो वो पकड़ा जाये , और किसी की ऐसे जान ना जाये |

    सभी बोले हाँ यह ठीक रहेगा अब पाँच लोग रोज पहरा देंगे |

    सभी ने हुलसी का अंतिम संस्कार कर दिया, और अपने अपने घर चले गए |

    सरला ने राजेश से कहा देखो मुझे लगता है बस हो गयी छुट्टियाँ  ख़त्म अब हमे अपने शहर चलना चाहिए मैं नहीं चाहती की हमारे साथ कुछ भी गलत हो

    राजेश बोला तुम डर रही हो, अरे यह गाँव वाले अनपढ़ लोग है मुझे लगता है कोई गाँव का ही आदमी है जो यह सब कर रहा है तुम देखना मैं उसे बहुत जल्दी पकड़ लूँगा और पूरा गाँव मेरी तारीफ करेगा.... राजेश ने मुस्कुराते हुए कहा

    सरला बोली मुझे लगता है यहाँ ठीक नहीं है तुम क्यों नहीं समझते |

    राजेश ने कहा ठीक है तुम बस दो दिन मुझे यहाँ और रुकने दो फिर चलेंगे |

    ****** *** ** ****

    आज मेरी ड्यूटी लगी है पहरेदारी पर, राजेश ने सरला से कहा

    इतना सुनते ही सरला बोली तुम पागल हो गए हो, तुम्हे कुछ हो गया तो मैं क्या करुँगी, नहीं, नहीं... तुम नहीं जाओगे और कोई करे पहरेदारी लेकिन तुम नहीं करोगे |

    राजेश बोला अरे! तुम डरो नहीं कुछ नहीं होगा मुझे देखो मैं आज ही उसे पकड़ लूँगा और मैं कोई अकेला नहीं करूँगा पहरेदारी मेरे साथ और भी लोग हैं गाँव के |

    सरला बोली मैं कुछ नहीं जानती तुम नहीं जाओगे बस, चाहे कोई भी जाये

    राजेश बोला अगर सब यही सोचेंगे फिर क्या होगा, मुझे मेरा काम करने दो

    राजेश ने अपना डंडा उठाया और बाहर चला गया, उसके साथ गाँव के ही कुछ लोग और भी थे सभी लोग यहाँ वहाँ टहलने लगे तभी संजय तेज़ से चिल्लाया जो राजेश के साथ पहरेदारी कर रहा था

    वो देखो ! कोई है वहाँ सफ़ेद कपड़े पहने है उसने

    राजेश और संजय दोनों उसकी तरफ भागे लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था, राजेश बोला लगता है तुम्हे नींद आ रही है या कोई वहम है चलो यहाँ से कोई नहीं है दोनों बापस मुड़े और चलने लगे और एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए तभी संजय के चेहरे पर खून की कुछ बुँदे गिरी संजय खून देखते ही डर गया, वो राजेश से बोला देखो यह खून कहाँ से आया संजय ने जब पेड़ के ऊपर की ओर देख तो वहाँ एक सिर कटी एक बच्चे की लाश लटक रही थी यह देख संजय तो बेहोश हो गया राजेश तेज़ से चिल्लाया अरे ! अरे जल्दी आओ इसे भी मार दिया पता नहीं यह किसका बच्चा होगा |

    पूरा गाँव एकत्र हो गया, संजय के मुँह पर पानी डाला गया संजय को होश आ गया और फिर लाश को नीचे उतारा, लाश के नीचे आते ही संजय की पत्नी फूंट  फ़ूट  कर

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1