Nostradamus Ki Achook Bhavishyavaniyaan - (नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियां)
By Ashok Kumar Sharma and D.Phil
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पूर्व प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की एक काली स्त्री द्वारा हत्या से सम्बन्धित नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियों को उत्तफ़ जघन्य हत्या से बहुत पहले ही, संसार में सर्वप्रथम डायमंड बुक्स द्वारा 1991 में प्रकाशित नास्त्रेदमस की सम्पूर्ण भविष्यवाणियाँ में अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित बेस्टसेलिंग नॉन-फिक्शन लेखक अशोक कुमार शर्मा, डीफिल ने प्रस्तुत क्या था। सेवानिवृत्त प्रथम श्रेणी शासकीय अधिकारी डॉ- शर्मा एक नामी कौशल-विकास विशेषज्ञ के रूप में अनेक संस्थानों के लिए कार्य कर रहे हैं। इस बार वह व्याख्या कर रहे हैं, अगले 50 साल से सम्बन्धित भविष्यवाणियां की।
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Nostradamus Ki Achook Bhavishyavaniyaan - (नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियां) - Ashok Kumar Sharma
भविष्यवाणियाँ
अध्याय-एक
भविष्य का तिलिस्म
हर इंसान अपना, अपने समाज और इस दुनिया के अनदेखे भविष्य का तिलिस्म समझना चाहता है। यही कारण है कि दुनिया में, भविष्य में झाँकने के सैकड़ों तरीके प्रचलित हैं। भविष्यकथन का कारोबार मानवता के इतिहास का ऐसा धंधा है, जिसमें लाखों करोड़ रूपये कमाए और खर्च किये जाते हैं। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जिनको ज्योतिष और भविष्यवाणियों पर यकीन ही नहीं। इसके बावजूद भविष्यवाणियों की दुनिया इतनी फल-फूल रही है कि संसार में आज हर देश में ज्योतिष की कोई ना कोई विधा प्रचलित है। इस्लाम में भविष्यकथन को पाप माना गया है, इस्लामी कानूनों के मुताबिक भविष्य जानने में दिलचस्पी लेनेवाले को इस्लाम से बेदखल (निष्कासित) करने का प्रावधान है। इसके बावजूद कट्टर मुस्लिम राष्ट्रों में भी ज्योतिष का अस्तित्त्व इल्म-अन-नजूम, इल्म-अन-फलक और इल्म-ए-ज़फर के रूप में कायम है।
भविष्यवाणी विधियां
भविष्यवाणी करने की बहुत सी विधियां हर देश में कमोबेश प्रचलित हैं, यद्यपि यह स्पष्ट नहीं कि इन तरीकों का आधार कोई वैज्ञानिक तर्क है। आप लोगों में से कई लोग भी चेहरे, हाव-भाव और अपने अनुभव से लोगों के बारे में बहुत कुछ जान जाते होंगे। मोटे तौर पर भविष्यदर्शन के लिए निम्नलिखित प्रमुख तरीके आजमाए जाते हैं:
1. पक्षी ज्योतिष (एलेक्ट्रोमैंसी): इसमें पिंजरे में बंद प्रशिक्षित चिड़िया बाहर आकर वहां कतार में रखे अनेक भविष्य-लिखित कार्डों में से किसी को भी चुन लेती है। इसी आधार पर व्याख्या करके भविष्यवाणी की जाती है।
पक्षी ज्योतिष
2. उड़ान विश्लेषण (ऑगरी): आसमान में उड़नेवाले पक्षियों को देख कर किसी प्रकार का भविष्य कथन करना।
3. धर्म संकेत विज्ञान (बिब्लियोमैन्सी): किसी भी धर्म में आस्था रखनेवाले की श्रद्धा के मुताबिक चुने गए पवित्र धार्मिक ग्रंथ के किसी पृष्ठ को अचानक खोलकर भविष्य बताना।
4. अस्थि-आकृति ज्योतिष (बोन कॉस्टिंग): एक बड़े से बर्तन या झोले में पक्षियों या छोटे जानवरों की हड्डियों के विभिन्न आकृति वाले टुकड़े रख कर, उनको अचानक भूमि पर फेंकने पर निश्चित क्षेत्र में बने आकार से भविष्य बताया जाता है। इस तरीके में कुछ आदिवासी कौड़ियों, पंख, रंगीन चमड़ा, लकड़ी के टुकड़े और सींग से बने पासे भी इस्तेमाल करते हैं।
5. ताश ज्योतिष (कार्टोमैन्सी): टैरो कार्ड की तरह ताश के पत्तों से भविष्य बताना।
6. मोम-आकृति ज्योतिष (सेरोमैन्सी): पिघलते मोम से बननेवाले आकारों के आधार पर भविष्य बताना।
7. ची-ची (कौउ सिम): बांस की खोखली नली में धूप-बत्ती इत्यादि डालकर उनसे बने लिपिचिह्नों से भविष्य कथन की चीनी पद्धति।
8. हस्तरेखा शास्त्र (कीरोमैंसी): हाथ की रेखाओं से भविष्य बताने की इस प्राचीन कला को पामिस्ट्री भी कहते हैं। यह लम्बे समय से ज्योतिष की सबसे लोकप्रिय और सफल विधियों में गिनी जाती है।
9. शुभाशुभ कथन (क्रोनोमैंसी): किसी व्यक्ति के जीवन की प्रमुख शुभ-अशुभ घटनाओं, शुभ-अशुभ दिन, सप्ताह, माह और वर्ष के आधार पर भविष्यवाणी करना।
10. दूर-ज्योतिष (क्लेयरवॉयेन्स): आध्यात्मिक या अन्तर्दृष्टि द्वारा बहुत दूर से किसी व्यक्ति से मिले बिना ही उसके बारे में जानकर भविष्य बताना।
11. स्फटिक ज्योतिष (क्रिस्टलोमैंसी): बहुत ही प्राचीन समय से भविष्य बताने की यह पारम्परिक और लोकप्रिय कला अनेक घुमंतू जनजातियों में बहुत अधिक प्रचलित रही है। इसमें किसी स्फटिक के कटोरे में भरे पानी, चमकते शीशे या रत्नों के भीतर झाँक कर या पारदर्शी कांच से बनी एक बहुत बड़ी गेंद (ग्लोब) के भीतर देख कर भविष्य को महसूस किया जाता है। नास्त्रेदमस सहित संसार के अनेक प्रसिद्ध भविष्यवक्ता भी इसी तरीके का इस्तेमाल करते थे।
स्फटिक ज्योतिष
12. आंत्र लक्षण ज्योतिष (एक्सटिसपाइसी): इसमें जानवरों की अंतड़ियों को हवा में उछाल कर निर्धारित स्थान में उनके गिरने पर बनी आकृति को देखकर भविष्य बताया जाता है।
13. मुखाकृति विज्ञान (फेस रीडिंग): इस में चेहरे के रूप-रंग, नाक, आंख, मुंह इत्यादि को देखकर उनके आधार पर भविष्य बताया जाता है। वस्तुतः चेहरे के विभिन्न भाग, विभिन्न आयुओं को प्रतिबिम्बित करते हैं। ऊपरी भाग बचपन और युवावस्था, मध्य भाग प्रौढ़ावस्था तथा निचला भाग वृद्धावस्था को बताता है।
14. चीनी वास्तु शास्त्र (फेंगश्वे): किसी स्थान की ऊर्जा, वायु और जल के आधार पर भविष्य कथन करना।
15. गरूड़ विद्या (गैस्ट्रोमैंसी): पेट के आकार और उसमें होनेवाली आवाजों के आधार पर भविष्य बताना।
16. हस्तलेख विज्ञान (ग्राफोलॉजी): हस्तलेख अथवा हस्ताक्षरों के अध्ययन से भविष्यवाणी करना।
17. रमल (जियोमैंसी): हवा में रंगीन धूल, छोटे पत्थर अथवा विशेष प्रकार के पासे उछाल कर उनसे बननेवाली आकृति से भविष्य का अनुमान लगाना।
रमल
18. बलि लक्षण शास्त्र (हारूस्पाइसी): पवित्र स्थानों में बलि के बाद जानवरों के जिगर से भविष्य बताना।
19. प्रश्न ज्योतिष (हौरेरी एस्ट्रॉलोजी): पूछे गए प्रश्न के समय के अनुसार गणना करके भविष्य बताना।
20. वरूण विद्या (हाईडोमैंसी): अभिमंत्रित पानी की सतह और उसकी हलचल को देखकर भविष्यवाणी करना।
21. सहस्त्रपर्णी ज्ञान (आई चिंग): विशेष प्रकार की लम्बी तीलियों अथवा सिक्कों को हवा में उछाल कर नीचे निर्धारित क्षेत्र में बने प्रतीकों के आधार पर भविष्यवाणी की चीनी विद्या।
22. प्रेत विद्या (नैक्रोमैंसी): अनेक प्रकार से किसी आत्मा को बुला कर उससे भविष्य जानना।।
23. अंक ज्योतिष (न्यूमेरोलॉजी): विभिन्न तरीकों से चुने गए अंकों के माध्यम से भविष्य बताना।
24. स्वप्न ज्योतिष (ऑनीरोमैंसी): स्वपनों के विवरण को समझ कर उनके विश्लेष्ण से भविष्य जानना।
25. नाम विश्लेषण (ओनोमैन्सी): किसी व्यक्ति के नाम को अंकों में विभक्त करके विभिन्न आधारों पर परखना तथा उससे भविष्य बताना।
पैंडुलम ज्योतिष
26. दोलन ज्योतिष (पैंडुलम रीडिंग): किसी डोरे में लटकी वस्तु को एक ज्योतिषीय आकृति पर पैंडुलम की तरह दायें-बाएं चलाकर उनकी गति-दिशा से भविष्य कथन करना।
27. अग्नि लक्षण ज्ञान (पायरोमैंसी): विशेष अनुष्ठान से प्रज्ज्वलित पवित्र अग्नि की लपटों की आकृतियों तथा दिशा समझ कर भविष्य जानना।
28. दंड ज्योतिष (रैब्डोमैन्सी): लचीली धातु अथवा लकड़ी से बनी कमानी जैसे विशेष यंत्र को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके कम्पन तथा मानसिक आभास के उपयोग से किसी स्थान विशेष के बारे में जाना जाता है।
29. पाषाण ज्योतिष (रूनिक डिवीनेशन): यह वस्तुतः अरब के रमल विज्ञान का पूर्वज है। इसमें विशेष चिन्हित पासों जैसे अनगढ़ पत्थरों का उपयोग करके भविष्य बताया जाता है।
30. प्रतिछाया ज्योतिष (स्क्राइंग): लगभग लुप्तप्रायः हो चुकी यह विद्या स्फटिक ज्योतिष का प्राचीन स्वरूप है, जिसमें किसी भी व्यक्ति के शरीर के किसी हिस्से, आसपास की चमकदार वस्तुओं और यहाँ तक कि सर के ऊपर मंडराते बादलों की तरफ देख कर भविष्य बताया जाता था।
31. टैरो ज्योतिष (टैरोमैंसी): विशेष प्रतीकों चिन्हों, आकृतियों और चित्रों वाले टैरो कार्डों द्वारा भविष्य कथन।
32. चाय ज्योतिष (टैसियोमैंसी): उबले पानी में चाय की पत्तियों या पिसे बीजों वाली काली कॉफी डालकर, प्रश्नकर्ता को विशेष ज्योतिषीय प्रतीकों वाले प्याले में पिलाते हैं। चाय या कॉफी खत्म होने के बाद प्याले की तली में पत्तियों या कॉफी बीजों से बनी आकृतियों से भविष्य बांचा जाता है।
चाय ज्योतिष
नास्त्रेदमस की समझ
विदेशी व्याख्याकारों ने नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को मनमर्जी तोड़ा मरोड़ा है, मगर इस पुस्तक में ऐसे किसी भी प्रयास से पूरी तरह बचा गया है। यदि किसी भविष्यवाणी में कोई शब्द अस्पष्ट है तो उस शब्द को यथावत रहने दिया गया है, ताकि पाठक अपने स्तर पर अर्थ समझ सकें। ऐसे मामलों में अगर कोई भी व्याख्या उपलब्ध है, तो बिना किसी पूर्वाग्रह के उसे शामिल किया गया है। आपको जो व्याख्या ठीक लगे आप उसे अपना सकते हैं। जिन भविष्यवाणियों में कोई ऐतिहासिक सन्दर्भ जरूरी हैं, वहां ऐतिहासिक घटनाओं की अनावश्यक व्याख्या के बिना, इसलिए कम से कम शब्दों में सम्बन्धित सन्दर्भ बता दिया गया है, क्योंकि यदि किसी मामले की पाठकों को अधिक जानकारी लेनी ही होगी, तो उनके पास इन्टरनेट जैसे व्यापक साधन मौजूद हैं ही।
सीजर नास्त्रेदसम
पाठक नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को खुद भी कोशिश करके समझ सकें इसके लिए मेरी संस्तुति है कि आप नास्त्रेदमस की मूल भविष्यवाणियों को एक बार खुद भी देखें। मूल फ्रेंच में नास्त्रेदमस की सभी भविष्यवाणियाँ आप बहुत आसानी से गूगल करके डाउनलोड कर सकते हैं। भविष्यवाणियों की व्याख्या करते समय आपको यह ध्यान रखना होगा कि नास्त्रेदमस मध्ययुगीन फ्रांस में पैदा हुए थे और उनके समय में फ्रांसीसी भाषा पर लातीनी भाषा का गहरा असर था। जिन पाठकों को नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों पर खुद काम करने का मन है, उनको मेरा सुझाव है कि गूगल पर प्राचीन फ्रांसीसी-अंग्रेजी शब्दकोश (ओल्ड फ्रेंच-इंग्लिश डिक्शनरी) खोजें। यह शब्दकोश ऑनलाइन भी हैं और आप इनको पीडीएफ के रूप में डाउनलोड भी कर सकते हैं। जिस शब्द का आपको अर्थ देखना हो, आप ऑनलाइन या पीडीएफ संदर्भ का इस्तेमाल करें।
यहाँ मैं नास्त्रेदमस की तरफ से एक रोचक चेतावनी भी देना चाहता हूँ। उन्होंने अपनी भविष्यवाणियाँ के छठे अध्याय (सैंचुरी) के अंत में एक अलग पृष्ठ जुड़वा कर पाठकों को इस तरह से आगाह किया थाः
वे जो इन भविष्यवाणियों को पढ़ें, परिपक्व दिमाग से ही सोचें। नास्तिक, अविश्वासी, बुरे और अज्ञानी लोगों के लिए ये सब नहीं किया गया है। सभी नक्षत्रशास्त्री, मूर्ख और बेरहम लोग इन भविष्यवाणियों से दूर रहें। जो भी ऐसा नहीं करेगा, उसका बुरा अंजाम होगा।
ठीक यही सलाह नास्त्रेदमस ने अपने बेटे सीज़र नास्त्रेदमस को भी बाकायदा एक वसीयतनुमा पत्र में दी थी। कहते हैं कि सीजर ने अपने महान पिता की सलाह पर अमल नहीं किया। कहा जाता है कि नास्त्रेदमस की मौत के बाद लोगों ने सीज़र से यह सोच कर सलाह मशविरा करना शुरू किया कि अपने महान पिता के कुछ ज्योतिषीय गुण तो सीजर में होंगे ही।
सीज़र बहुत अच्छा चित्रकार तो था, मगर उसमें अपने पिता जैसी अलौकिक ज्योतिषीय प्रतिभा नहीं थी। लोकोक्तियों के अनुसार उसने लोगों पर रौब जताने के लिए एक बार यह कह दिया कि दक्षिण फ्रांस का पौजिन कस्बा (अब विवारेस) आग में जल कर खाक हो जाएगा। अपनी भविष्यवाणी को सच कर दिखाने के लिए सीज़र ने 1629 में वेश बदल कर पौजिन के कुछ मकानों को फूंकने की कोशिश की। शाही सैनिकों ने उसे घेर कर मौके पर ही मार दिया। सीज़र की लाश के मुंह से जब कपड़ा हटाया गया तो लोग सदमे में आ गए। लेकिन तब कुछ किया भी नहीं जा सकता था। काफी खून बह जाने के कारण सीज़र की मौत लोगों द्वारा पहचाने जाने से पहले ही हो चुकी थी।
बहुत से नास्त्रेदमस विशेषज्ञ इन लोकोक्तियों को असत्य मानते हैं। इसकी चर्चा आगे करूंगा।
निराधार व्याख्याएं
नास्त्रेदमस ने सही ही कहा था कि दुष्टता, स्वार्थ और बुरे उद्देश्य से यदि कोई भी भविष्यवाणियों का उपयोग करेगा तो उसका अंजाम बुरा ही होगा। दूसरे विश्वयुद्ध में लगातार जीतते जा रहे हिटलर ने जब अपने प्रचार मंत्री गोएबल्स की सलाह पर अपने शत्रू राष्ट्रों का मनोबल तोड़ने के लिए नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को मनमाने ढंग से तोड़-मरोड़ कर पेश किया, तो अचानक उसके पतन का दौर शुरू हो गया। अंततः हिटलर को एक भूमिगत सुरंग में खुद को गोली मारकर आत्म हत्या करनी पड़ी।
साम्प्रदायिकता के आधार पर जन्मा पाकिस्तान, जो अपने जन्म के कुछ ही समय बाद एक विभाजन झेल चुका है, उसकी भविष्यकथन की वेब साइटों पर हिन्दुओं और ईसाइयों की तबाही, पूरी दुनिया पर दबदबे और गैर-मुस्लिमों के सर्वनाश को लेकर हर तरह की भविष्यवाणियों की मनमानी व्याख्याओं की भरमार है।
इन्टरनेट पर पिछले कुछ समय से भविष्यवाणियों की ऐसी बेहूदी व्याख्याओं का बोलबाला है। चीनी वेबसाइटों में सातवीं शताब्दी में टैंग साम्राज्य के दो दरबारी इतिहासकारों और ज्योतिषियों युआन तिआगंग तथा लाई चुनफेंग द्वारा लिखित 60 रंगीन चित्रों से सज्जित पहेलीनुमा कविताओं में रचित भविष्यवाणियों की दुर्लभ पुस्तक तुई बेई तू (Tui Bei Tu) का बोलबाला है। इसके अलावा ज्योतिष प्रेमियों के लिए संचालित प्रमुख चीनी तथा अमरीकी वेब साइटों पर नास्त्रेदमस से दो सौ साल पहले हो चुके तथा चीन के नास्त्रेदमस कहे जाने वाले भविष्यवक्ता लिऊ जी की भविष्यवाणियों के आधार पर बताया जा रहा है कि आनेवाला समय चीन को दुनिया में सर्वशक्तिमान बना देगा। पांच बड़े देश चीन के अधीन हो जायेंगे। दूसरी ओर इस्लाम के दीवाने, खासतौर से पाकिस्तानी शौकीनों द्वारा रचित भविष्यवाणियों की वेब साइटों, फेसबुक पेजों और यूट्यूब चौनलों पर कहा जा रहा है कि हदीसों के अलावा भी बहुत से इस्लामी नजूमियों ने बहुत पहले ही ग्यारहवीं शताब्दी से यह बताना शुरू कर दिया था कि किस तरह जेहादी योद्धा पहले हिन्दुस्तान को और उसके बाद पूरी ईसाई राष्ट्रों को रौंद कर मुसलमान बना लेंगे।
तमाम जातियों-उपजातियों में बंटे हिन्दू सिरफिरे कहाँ कम हैं। विभिन्न भविष्यवाणियों के बारे में वे भी अपने आकलन कई फेसबुक पेजों, वेब साइटों और यूट्यूब चैनलों पर मनमानी व्याख्याओं के साथ परोसे जा रहे हैं। जिसको जो समझ में आ रहा है, भविष्य को उसी रंग में रंग कर पेश कर रहा है। ईसाइयों की आध्यात्मिक और ज्योतिषीय वेब साइटें, फेसबुक पेज तथा यूट्यूब चौनल विश्वव्यापी नरसंहार और युद्धों के कारण आपस में मारकाट के कारण अंततः ईसाई धर्म के पुनरूत्थान, इस्लाम की तबाही और मानवता के अस्तित्व पर खतरों के तर्क दे रही हैं। दूसरी ओर पर्यावरणविद एक ऐसी चेतावनी दे रहे हैं जिसे कोई सुनना समझना ही नहीं चाह रहा कि ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण तथा घटे जल संसाधनों के कारण मानवता का अंत अपेक्षा से कहीं अधिक तेज गति से हमारी ओर आ रहा है।
2009 में डायमंड बुक्स द्वारा
प्रकाशित बेस्टसेलर
भविष्यकथन में जब लालच, घृणा और राजनीति घुस जाती है, तब तो यह खतरनाक और जानलेवा भी बन जाती है। यही बात नास्त्रेदमस ने अपनी चेतावनी में भी कही है। याद कीजिये कुछ समय पहले तक सारे भविष्यवक्ता एक साथ चिल्ला रहे थे कि 1999 में मानव सभ्यता का अंत हो जाएगा। चीनी और ईसाई भविष्यवक्ता इस शोरगुल में सबसे आगे थे। इसके बाद कहा गया कि माया सभ्यता की भविष्यवाणी के मुताबिक 21 दिसम्बर, पूरी दुनिया में बवाल मच गया कि उनके धर्म में भी ऐसे उद्धारण मिलते हैं। इस पर हॉलीवुड ने फिल्म बना कर खरबों डॉलर कमाए। लेकिन क्या दुनिया ख़त्म हुई?
जब पूरी दुनिया कह रही थी 21 दिसम्बर, 2012 को प्रलय होगी। प्रलय होगी। पहाड़ जितनी उल्का धरती पर गिरेगी और धरती पर जीवन तथा मानव सभ्यता समाप्त हो जाएगा। उस वक्त मैंने डायमंड बुक्स से प्रकाशित अपनी पुस्तक 2012 : महाविनाश अथवा नये युग का आरंभ
में कहा था कि 21 दिसम्बर 2012 का दिन हर तरह से एक आम दिन होगा। सूरज उगेगा। अस्त होगा। लेकिन कोई महाविनाश नहीं होगा। यह किताब आज भी इन्टरनेट पर उपलब्ध है और ऑनलाइन मुफ्त भी पढ़ी जा सकती है।
बदकिस्मती से अधिकतर लोग यही मानते हैं कि निकट भविष्य में पृथ्वी का अंत निश्चित है। पिछले तीन हजार सालों के लिखित इतिहास में वैदिक, ईसाई, माया, बेबीलोन, मैसोपोटामिया, एजटेक, सुमेरियन तथा इंका सभ्यताओं के सैकड़ों भविष्यवक्ताओं ने अंतिम दिन (कयामत) की भविष्यवाणियाँ 1193 बार की। लेकिन उनमें से किसी ने भी दुनिया का चेहरा बदल देने वाले किसी आविष्कार, नए राष्ट्रों के निर्माण, लोकतंत्र के जन्म, औपनिवेशवाद, कागज-प्लास्टिक और इलेक्ट्रानिक मुद्रा, सर्जरी, अन्तरिक्ष यात्राओं, इलैक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर, आधुनिक विज्ञान और धार्मिक आतंकवाद की भविष्यवाणी नहीं की। क्या धर्म पर आधारित ज्ञान भविष्य को देखने की हमारी क्षमताओं पर पर्दा डाल देता है या हमारे कर्म ही वाकई हमारे भविष्य को बनाते बिगाड़ते हैं?
भविष्यवाणियों की दुनिया इसलिए बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं कही जा सकती, क्योंकि भविष्य केवल दुनिया को बनानेवाली उस ताकत के हाथों में है, जिसे हर धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से पूरी श्रद्धा से याद करते व मानते हैं। वह सबका है, तो जाहिर है कि सभी के साथ वही करेगा जिसके हम हकदार होंगे। ज्योतिष के कार्मिक सिद्धांत (कार्मिक थ्योरी ऑफ डेस्टिनी) के मुताबिक भी हम जैसे कार्य करते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। उसी तरह का हमारा भविष्य बन जाता है। ज्योतिष के कार्मिक सिद्धान्त के अनुसार अच्छे कर्म हमारे भाग्य को प्रभावित एवं सुधार सकते है। इससे हम अपने पहले से निर्धारित भाग्य को बदल सकते है।
खुद समझें भविष्यवाणियाँ
ज्योतिष में किसी के भी बारे में भविष्यवाणी करने के लिए सबसे पहले उसके जन्मदिन, माह, वर्ष और जन्म स्थान के आधार पर उसकी जन्मपत्री बनाई जाती है। तभी जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं की भाविष्यवाणी की जाती है। नास्त्रेदमस ने भविष्यकथन की जो शैली अपनाई, वह विलक्षण थी। उन्होंने ग्रह दशाओं, परिस्थितियों और घटनाओं को पहेलियों की तरह इस तरह लिखा, जिसमें किसी भी मामले में यदि कोई भी दो या तीन तथ्य पूरे हो जाएँ तो हम भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों को अगर आप ध्यान से पढ़ें तो पायेंगे कि उनकी ज्यादातर भविष्यवाणियों में देश, काल तथा व्यक्तियों के नाम नहीं हैं। यदि हैं भी तो प्राचीन फ्रांसीसी कानूनों से खुद को बचाने के लिए नास्त्रेदमस ने उन्हें पहेली जैसा बना दिया है। उन्होंने विभिन्न स्थानों, ग्रह-स्थितियों, घटनाओं और परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा