कहीं तो होगी वो
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फेलीपे अफ्रीका के इक्वेटोरियल गिनी में रहने वाला एक लड़का है। उसे इस बात का पूरा यकीन है कि अपनी राह रोके खड़ीं चुनौतयों से अपने दम पर पार पाकर दुनिया के कहीं किसी कोने में वह अपनी मनचाही ख़ुशी को हासिल कर लेगा।
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Book preview
कहीं तो होगी वो - Erick Carballo
इस पुस्तक में प्रस्तुत कहानी एक काल्पनिक कथा है। कुछ नाम, पात्र, स्थान व घटनायें या तो लेखक की कल्पना की उपज हैं या फ़िर उनका उपयोग कल्पित मात्र है। अतः वास्तविकता से उनका कोई सरोकार नहीं है। किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति, वास्तविक घटनाओं, स्थानों अथवा संस्थाओं से कोई भी समानता संयोग मात्र है।
सारांश
फेलीपे अफ्रीका के इक्वेटोरियल गिनी में रहने वाला एक लड़का है। उसे इस बात का पूरा यकीन है कि अपनी राह रोके खड़ीं चुनौतयों से अपने दम पर पार पाकर दुनिया के कहीं किसी कोने में वह अपनी मनचाही ख़ुशी को हासिल कर लेगा।
प्रस्तावना
मार्च के एक आम शनिवार की वह एक आम दोपहर थी। शहर की सबसे भीड़-भाड़ वाली सड़कों में से एक पर लोग का आना-जाना लगा हुआ था। अपने माता-पिता की नज़रों के सामने स्केटिंग करते हुए खुशहाल बच्चे, अपने मोबाइल फ़ोन पर गेम्स खेलते, मेसेज भेजते या फ़ोन पर किसी से बात करते हुए या फ़िर अपने हाथों में कोई न कोई किताब थामे चलते हुए नौजवान।
सड़क के किनारे खड़ा कोई कलाकार अपने गिटार पर एक मधुर धुन बजा रहा था। कुछ पल रूककर उस धुन को सुनने की फुर्सत किसी के पास नहीं थी। हर कोई अपने आप में मस्त-सा होकर अपने रास्ते चले जा रहा था। उसके ठीक पीछे खड़ा एक लड़का अपने फ़ोन पर कुछ मेसेज भेज रहा था। बगल में खड़े दो प्रेमी एक-दूसरे को मदहोशी से चूम रहे थे। उस मार्ग में तो लोगों का तांता-सा लगा हुआ था। चारों तरफ शान्ति और निश्चिंतता का माहौल था।
कुछ लोग, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक ही थे, अपनी नज़रों को आसपास दौड़ाते हुए अनजान जगहों के बार में कई तरह के सवाल-जवाब कर रहे थे।
चौक पर कई सारे शौपिंग मॉल्स, रेस्तरां, बार्ज़ और फ़ास्ट फ़ूड जॉइंट्स थे। उन सभी के अपने-अपने चबूतरे थे, जहाँ बैठे जवान और बुज़ुर्ग लोग गप्पे लड़ाते-लड़ाते अपनी-अपनी कॉफ़ी, वाइन या बियर का लुत्फ़ उठा रहे थे।
अध्याय I
एक लाल बत्ती वाली गाड़ी वहां आ रुकी। केवल पैदल चलने वाले लोगों के लिए बनी उस सड़क पर किसी गाड़ी, मोटरसाइकिल या साइकिल के आवागमन को रोकने के लिए दो गश्त लगाने वाले पुलिसवाले उस गाड़ी से बाहर आ गए। तभी साइकिल पर सवार एक डिलीवरी बॉय को वहां से गुज़रता देख उनमें से एक पुलिसवाले ने अपने कदम उसकी तरफ बढ़ा दिए, जबकि दूसरा वहीँ खड़ा अपने आसपास नज़रें घुमाने लगा।
अरे भाई! ज़रा एक मिनट रुको!
जी, कहिए
अपनी साइकिल को रोकते हुए उस डिलीवरी बॉय ने कहा।
जी कहिए मतलब क्या? तुम्हें नहीं पता कि इस गली में गाड़ी चलाना मना है?
उसे एकटक देखते हुए पुलिसकर्मी ने पूछा।
जी, नहीं। मुझे नहीं पता था
उस लड़के की हैरानी उसकी जवाब में साफ़ झलक रही थी।
ये कानून पिछले साल अक्टूबर में ही लागू हुआ है
अपनी जेब से ट्रैफिक नियमों की पुस्तिका निकालते हुए उस पुलिसवाले ने पूछा, तो अब तो तुम्हें इस बात का पता लग गया है न?
जी, हाँ।
इस गली से सिर्फ़ पैदल ही गुज़रा जा सकता है। अगर तुम किसी गाड़ी का इस्तेमाल करना चाहते हो तो तुम्हें पास ही की किसी और गली से गुज़रना होगा।
ठीक है, सर। इस जानकारी के लिए धन्यवाद
यह कहकर वह वहां से चल दिया।
उस पुलिसवाले के आदेश को ध्यान में रखकर वह डिलीवरी बॉय अपने रास्ते पर आगे बढ़ गया। हाँ, इस वजह से डिलीवरी करने में उसे कुछ मिनट की देरी ज़रूर हो चुकी थी।
दस मिनट बाद...
फ़ोन की घंटी बज रही थी। कुछ पल बाद एक युवती ने फ़ोन उठाकर जवाब दिया।
हेल्लो?
हेल्लो! जी, मैं डिलीवरी बॉय बोल रहा हूँ। आपका ऑर्डर लेकर मैं दरवाज़े पर खड़ा हूँ
।
उसी समय दरवाज़ा खुलने की घंटी के साथ-साथ डिलीवरी बॉय को एक रिकॉर्डिंग भी सुनाई दी। आपके लिए दरवाज़ा खोल दिया गया है। प्रवेश करते-करते कृपया उसे बंद करते आएं
।
बिल्डिंग में प्रवेश कर डिलीवरी बॉय