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Kaun Hai Woh?
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Kaun Hai Woh?

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About this ebook

कौन है वो?, सस्पेन्स से भरी एक मर्डर मिस्ट्री है, जयपुर शहर के शास्त्री नगर इलाके में रहने वाली नंदिनी के अचानक हुए कत्ल के बाद उसके कातिल तक पहुँचने की पुलिस की कोशिशें, और फिर कातिल तक पहुँचने में सफलता हासिल होती है या नहीं, ये सभी बातें आपकी इस उपन्यास में रुचि कायम रखेगी, नंदिनी के कातिल के इर्द-गिर्द घूमने वाला सस्पेन्स के भरा ये उपन्यास आपको जरूर पसंद आएगा।

----

 

राजस्थान के जयपुर शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी दीपिका जैन, यूँ तो इन्होंने शिक्षा कॉमर्स विषय में प्राप्त की थी, लेकिन हिन्दी भाषा में कहानियाँ व कविताएँ लिखना इन्हे बचपन से ही बेहद प्रिय है, 'काव्या', 'कुछ लम्हे ज़िंदगी के' 'कैसा है ये प्यार' 'संग तेरे हमेशा' एवं 'प्रकृति-काव्य' जैसी किताबें आप तक पहुँचाने वाली दीपिका साल 2014 से ब्लॉगिंग भी कर रहीं है, इनका एक ब्लॉग हिन्दी कविताओं का एवं दूसरा हिन्दी कहानियों का है, एवं ये उन्हे पिछले नौ सालों से सफलतापूर्वक चला रहीं है । 

Languageहिन्दी
Release dateNov 1, 2023
ISBN9798223111436
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    Kaun Hai Woh? - Deepika Jain

    1. कत्ल

    जून का महीना चल रहा है, सूरज जल्द ही आसमान पे चढ़ अपना प्रचंड तेज धरती पे बिखेरना शुरू कर देता है, जिसमें राजस्थान के जयपुर शहर में तो लू और आँधी का कभी भी तांडव शुरू कर देना आम बात है, ऐसे में ज़ाहिर-सी बात है लोग बेवजह घरों से निकलने में आनाकानी तो करेंगे ही, और जिन्हे निकलना पड़ता है उनकी मजबूरी उनसे ज्यादा शायद ही कोई समझ सकता है, कुसुम का भी कुछ ऐसा ही हाल है, वो एक Maid है, आज जब वो काम करने के इरादे से शास्त्री नगर स्थित स्वर्गीय अरुण गुप्ता जी के बंगले सुख-सागर के मुख्य द्वार के पास आई, अरे ये ड्रॉइंग रूम का दरवाजा क्यों खुला हुआ है, भाभी, भाभी" सुबह के तकरीबन साढ़े दस बजे जैसे ही कुसुम बड़बड़ाते हुए घर के अंदर प्रवेश हुई किसी बड़ी चीज से टकराकर गिर पड़ी।

    भाभी! भाभी! क्या हुआ आपको, खून....ये खून कैसा, भाभी, भाभी उठो, अरे कोई है देखो तो सही भाभी को क्या हो गया, किसने किया ये, अरे कहाँ मर गए सब, कोई तो सुनो? कुछ ही देर बाद कुसुम का चिल्लाना सुन,

    कुसुम क्या हुआ, क्यों चिल्ला रही है? इतने में ही उस घर की मालकिन सुलोचना ने मैन गेट में घुसते हुए पूछा।

    माँजी देखिए ना भाभी को क्या हो गया है।

    क्या हुआ? सुलोचना घबराती हुई तेजी से कुसुम की ओर बढ़ने लगी।  

    भाभी

    क्या हुआ नंदिनी को?

    खून

    खून! अरी कहना क्या चाहती है?

    माँजी, देखो भाभी जमीन पर खून से लथपथ पड़ी है।

    क्या! सुलोचना इतना कहते ही नंदिनी की ओर दौड़ी।  

    चाकू! ......ये कहाँ से आया...... किसने मारा नंदिनी को......कौन आया था यहाँ......नंदिनी, नंदिनी उठ बेटा, कुछ नहीं हुआ है तुझे, कुसुम जल्दी से एम्बुलेंस बुला, इसे जल्द से जल्द अस्पताल लेकर जाना होगा, ऐसा कर राघव को फोन कर घबराहट की वजह से सुलोचना की आवाज काँपने लगी। 

    माँजी, भाभी की सांसें नहीं चल रहीं, किसी ने भाभी का खून कर दिया। कुसुम ने नंदिनी की धड़कने सुनने का प्रयास करते हुए कहा।

    चुपकर, कुछ भी बोले जा रही है, कुछ नहीं हुआ है इसे, नंदिनी, नंदिनी उठ बेटा......डॉक्टर, डॉक्टर को बुला, कुछ नहीं हुआ है इसे, ये ठीक है, फोन कर राघव को नंदिनी को झकझोरती हुई वो लगातार रोए जा रही थी।

    ‘माँजी, मैं पहले पुलिस को फोन करती हूँ।"

    डॉक्टर को फोन कर, पुलिस इलाज करेगी क्या इसका सुलोचना जोर से चिल्लाई।

    भाभी मर चुकी है माँजी, इनकी सांसें नहीं चल रहीं हैं, इनका खून हुआ है, देखिए चाकू मारा है किसी ने इनके पेट में कुसुम एकाएक सुलोचना पर चिल्लाई।

    तू ज्यादा समझती है क्या, बुला डॉक्टर को सुलोचना ने क्रोधित होते हुआ कहा।

    हाँ, हाँ आप शांत हो जाईये, मैं फोन करती हूँ राघव भैया को और फिर कुसुम फोन लगाने लगी।

    फोन करने के कुछ ही देर बाद जैसे ही राघव आया, जमीन पर पड़ी खून से लथपथ नंदिनी को देखते ही उसने पूछा, खून! आंटी, ये क्या हुआ नंदिनी को, और ये चाकू किसने मारा इसे....? राघव घबराहट में सवालिया नज़रों से कभी नंदिनी की ओर तो कभी सुलोचना की ओर देखने लगा।

    राघव, अच्छा हुआ बेटा तू आ गया, तू देख ना नंदिनी को, ये उठ क्यो नहीं रही है। सुलोचना के कहते ही राघव ने नंदिनी की नब्ज देखी और फूट-फूटकर रोने लगा.

    नंदिनी.....नंदिनी, नहीं नंदिनी तुम ऐसे नही जा सकती, उठो नंदिनी, प्लीज उठो, अरे मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, कम से कम ये बात तो मान लो मेरी,  तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम, प्लीज नंदिनी, प्लीज राघव के कहते ही,  

    क्या हुआ बेटा? सुलोचना ने काँपते हुए स्वर में पूछा।

    आंटी, नंदिनी अब नहीं रही।

    अरे अच्छे से देख ना, कुछ नहीं हुआ होगा इसे, लेकिन इससे पहले रोना बंद कर

    आंटी, आप खुद को संभालिए, किसी ने कत्ल कर दिया है नंदिनी का

    कत्ल! अरे नहीं, ये तो बहुत प्यारी बिटिया है, क्यो कोई इसे मारेगा....कुसुम किसी दूसरे डॉक्टर को बुला, जो अच्छा इलाज करता हो, ये राघव अच्छा डॉक्टर नहीं है। सुलोचना धीरे-धीरे अपने होश खोने लगी।

    कुसुम पुलिस को इत्तला करो, ये पुलिस केस है। राघव ने मुश्किल से खुद को संभालते हुए कहा।

    नहीं ऐसा नहीं हो सकता, मैं अपने बेटे विक्रम को क्या मुँह दिखाऊँगी, हे ईश्वर कैसी सास हूँ मैं, अपनी बहु की रक्षा तक नहीं कर पायी। इतना कह सुलोचना दहाड़े मार-मारकर रोने लगी।  

    माँजी खुद को दोष देना बंद कीजिए........हैलो, पुलिस कुसुम ने मुश्किल से सुलोचना को संभालते हुई पुलिस को फोन लगाया।

    हाँ बोल रहा हूँ। दूसरी ओर से आवाज आयी।

    जी मैं..... इतना कह कुसुम ने जितना मालूम थी, उतनी घटना से पुलिस को अवगत करवा दिया।

    माँजी ये क्या हो गया, कौन आया होगा, किसने भाभी को मारा होगा? कुसुम कुछ न कुछ बोले जा रही थी लेकिन सुलोचना कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी, बस लगातार रोए जा रही थी।

    कुसुम, नौ बजे तक तो मैं भी यहीं था, उस वक्त तक भी सबकुछ ठीक था। डॉ राघव के कहते ही,

    आपको अच्छे से याद है ना कि उस दौरान कोई नहीं आया था।

    हाँ कुसुम, कोई नहीं आया था, अगर ऐसा होता तो मैं नंदिनी को अकेला छोड़कर नहीं जाता डॉ राघव ने कुसुम को विश्वास दिलाने की कोशिश की।

    आप थोड़ी देर और रुक जाते ना भैया, मैं और माँजी आने ही वाले थे। कुसुम के कहते ही,

    कुसुम, patient का कॉल था, जाना जरूरी था, और मुझे क्या पता था कि कोई नंदिनी को इतनी बेरहमी से..... कहते-कहते डॉ राघव चुप हो गए।

    विक्रम, विक्रम, अरे कोई विक्रम को तो इत्तला करो। जहाँ एक तरफ कुसुम और राघव में बहस हो रही थी, वहीं दूसरी ओर बीच-बीच में बेसुध सुलोचना अपने बेटे का नाम ले रही थी।

    अरे हाँ, मैं फोन करती हूँ भैया को ऐसा कह जैसे ही कुसुम विक्रम को फोन लगाने लगी।

    अरे मैं क्या मुँह दिखाऊँगी विक्रम को, मेरी बहु को क्या हो गया कुसुम, क्यों छोड़ा हमने इसे घर में अकेला, हे भगवान तूने मुझे क्यों नहीं उठा लिया।

    माँजी, ऐसा मत बोलिए, बस हिम्मत से काम लीजिए, अब विक्रम भैया आयेंगे तो आप ही को संभालना है उन्हे जहाँ कुसुम सुलोचना को संभालने की हर संभव कोशिश कर रही थी, वहीं राघव नंदिनी के मृत शरीर की ओर देखे जा रहा था।

    2. तहकीकात

    दोपहर के बारह बज रहे हैं, कुसुम और राघव की नजरें बार-बार मैन गेट की ओर देख रहीं हैं कि अचानक से एक पुलिस की जीप घर के बाहर आकर रुकी, और अगले ही पल उसमें से एक लंबे कद, बड़ी-बड़ी मूँछों वाले, साँवले रंग के एक पुलिस अफसर ने उतर रौबदार आवाज में पूछा, मैं इन्स्पेक्टर रावत, क्या हुआ है यहाँ पर, किसने फोन किया था? पुलिस की जीप का सायरन सुन आस-पड़ोस वाले भी आनन-फानन में अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए।

    जी, जी मैंने कुसुम ने घबराते हुए जवाब दिया।

    किसका खून हुआ है?

    जी, मेरी मालकिन नंदिनी भाभी का कुसुम के कहते ही,

    और ये कौन है? इन्स्पेक्टर साहब ने पास ही खड़े राघव के लिए पूछा,

    जी मैं डॉ राघव, नंदिनी का दोस्त, मुझे इसकी जाँच के लिए बुलाया गया था।

    हम्म, लाश कहाँ है?

    खून! नंदिनी का! कैसे, कब, किसी को पता कैसे नहीं चला? पुलिस और कुसुम की बातें सुन आस-पड़ोस वालों में कानाफूसी शुरू हो गयी।  

    जी वो अंदर कमरे में इतना कह कुसुम और राघव सभी पुलिस कर्मचारियों को घटनास्थल की ओर ले जाने लगे।

    किसी ने किसी चीज को हाथ तो नहीं लगाया ना?

    नहीं सर कुसुम के कहते ही,

    इसके अलावा घर में और भी कोई दरवाजा है आने-जाने के लिए? इन्स्पेक्टर रावत ने ड्रॉइंग रूम के प्रवेश द्वार की ओर इशारा करते हुए पूछा।

    जी हाँ वो घर के पिछवाड़े से रास्ता है, लेकिन जब हम आए तो वो अंदर से बंद था।

    इसका मतलब खूनी इसी दरवाजे से बाहर गया है।

    जी, हो सकता है। कुसुम ने कहा।  

    हवलदार त्यागी, Forensic team को इत्तला करो, और हवलदार धरम ये कमरा सील कर दो, जिसमें खून हुआ है, ......और हाँ कुसुम जी जब तक पुलिस जाँच चल रही है कोई भी किसी भी चीज को हाथ ना लगाए और ना ही कोई इस कमरे में दाखिल हो ......सब इन्स्पेक्टर रवि, तलाशी लो पूरे घर की और पता करो की ये खून लुटपाट के इरादे से हुआ है या फिर सिर्फ खून करने के इरादे से

    यस सर और फिर तीनों ही पुलिसकर्मी इन्स्पेक्टर रावत का ऑर्डर फॉलो करने के लिए चल पड़े।

    कौन-कौन रहता है इस घर में? इन्स्पेक्टर रावत ने चारों ओर नजरें घुमाते हुए पूछा।

    जी बस भाभी और माँजी, क्योंकि भैया मुंबई में रहते है, और महीने-दो महीने में ही आते है।

    माँजी मतलब?

    नंदिनी भाभी की सास

    हम्म, कहाँ है नंदिनी की सास? इन्स्पेक्टर द्वारा कुसुम से नंदिनी की सास के बारे में पूछते ही,

    जी ये माँजी है, सुलोचना देवी, इस घर की मालकिन और नंदिनी भाभी की सास, बड़ा गहरा सदमा लगा है इन्हे कुसुम ने जवाब दिया।

    हम्म, वैसे कैसे सम्बन्ध थे सास-बहु में? इन्स्पेक्टर रावत ने अपनी पूछताछ जारी रखी।

    जी बहुत अच्छे, बिल्कुल माँ-बेटी के जैसे। कुसुम के कहते ही,

    वो सब तो दिखावा भी हो सकता है।

    नहीं सर, ऐसा कुछ नहीं है, सच में दोनों के बीच सम्बन्ध बहुत अच्छे है।

    वैसे तुम कब से काम कर रही हो यहाँ पर?

    ‘पाँच साल से, भैया-भाभी की शादी के पहले से, पहले मुझे माँजी ने अपनी देखभाल के लिए रखा था, फिर भैया की शादी हुई और भाभी भी आ गयी।"

    इसका मतलब नंदिनी जी के पति शादी से पहले भी मुंबई में ही रहते थे।

    जी

    तो फिर ये क्यों नहीं गयी अपने पति के साथ?

    साहब, भैया वहाँ कुछ लड़कों के साथ रूम शेयर करते है, भाभी को ले जा सके ऐसा बंदोबस्त नहीं हो पाया है, कोशिश चल रही है लेकिन वहाँ इतनी महंगाई है कि एक अलग घर खरीदना या किराए पर लेना Possible नहीं हो पा रहा है, और माँजी यहाँ अकेली रह जायेंगी इसलिए भी नहीं  ले जाते भाभी को

    तो ये ख्याल पहले क्यों नहीं आया, जब खुद अपनी माँ को अकेला छोड़कर मुंबई रह रहा था, वैसे नंदिनी के अपने पति के साथ सम्बन्ध कैसे थे, और इनकी शादी को कितना वक्त हो चुका है?

    दस महीने हुए है साहब शादी को, और सम्बन्ध भी अच्छे हैं, भैया-भाभी रोजाना facetime पर घंटों बातें करते हैं, और जब भी भैया आते है, दोनों साथ में खूब सारा वक्त गुजारते हैं, और हाँ कल रात ही भैया से बात हुई।

    ओह, और कुछ बता सकती है आप, जैसे की कौन-कौन आता था यहाँ, आस-पड़ोस वालों से कैसे रिश्ते हैं इन लोगों के?

    रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है, और मिलने वाले तो आते ही रहते हैं, कभी कोई रिश्तेदार तो कभी कोई, पड़ोस की औरतें भी मिलने आती रहती हैं।

    पिछले दिनों में किसी से कोई झगड़ा-वगड़ा हुआ हो।

    अरे नहीं सर, ऐसा कुछ नहीं हुआ है, बल्कि इस घर में तो सबका ही स्वभाव बेहद ही शांत है।

    Okay, कोई बात नहीं हम सब पता कर लेंगे, वैसे आपके माथे पर ये पसीना क्यों? इन्स्पेक्टर रावत ने कुसुम के माथे पर उबर आयी पसीने की बूँदें देख पूछा।

    "जी नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है, शायद गर्मी

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