Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

किताबें कहती हैं
किताबें कहती हैं
किताबें कहती हैं
Ebook156 pages33 minutes

किताबें कहती हैं

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

मेरे ग़ज़ल संग्रह के बारे में आदरणीय शरद तैलंग जी के विचार-
जिस प्रकार कोई विमान पृथ्वी से उड़ान भरने के लिये पहले मंथर फिर तेज़ गति से हवाई पट्टी पर चलता है फिर एकाएक ऊपर उठते हुए आकाश को छूने लगता है, कल्पना जी की रचना प्रक्रिया भी कुछ इसी तरह की है जिसे हम लोग ज़मीन से उठकर आसमान को छूता हुआ देखते जा रहे हैं।

इनकी ग़ज़लों में विभिन्न विषयोँ की भरमार है जो इनकी समाज, देश, धर्म, राजनीति, पाखण्ड, अराजकता, भक्ति भाव, प्रदूषण, पर्यावरण, मानवीय रिश्तोँ, पर्व और न जाने कितने अनेक विषयोँ पर पाठकों को एक ज्ञान प्रदान करने वाली पाठशाला के समान प्रतीत होती है, जिन्हेँ पढकर ऐसा लगता है कि साहित्य अर्थात सबके हित का असली मंत्र इन ग़ज़लों में ही समाया है। इनकी ग़ज़लों के किसी शे’र को यहाँ उद्धृत करना मेरे लिये अत्यंत कठिन कार्य प्रतीत हो रहा है क्योंकि ग़ज़लोँ मे इतनी विविधता है कि मुँह से सिर्फ ‘वाह वाह’ ही निकल सकती है। आप इन्हें कोई भी भले वह नीरस ही क्यों न हो, विषय दे दीजिये उस पर इनकी कलम एक सरस काव्य रचना का निर्माण कर देती है।

अत्यंत अल्प समय में ग़ज़ल जैसी विधा की बारीकियों को आपने जिस प्रवीणता से आत्मसात किया तथा उन्हें समझा है वैसी निपुणता तो आज के दौर के कई जाने माने ग़ज़लकारों में भी नहीं पाई जाती है। यह बात सिर्फ इनकी ग़ज़लों के बारे में ही नहीं बल्कि साहित्य के अन्य विविध छंदों जैसे, गीत, नवगीत, दोहे, कुण्डलिया आदि पर भी इनकी कलम कमाल करती है।
इनकी रचनाओँ मेँ भाषा के प्रयोग, छन्दों के कथ्य तथा शिल्प पर पैनी पकड, ज्ञान वर्धक एवं सहज भाषा, तथा उद्देश्यपूर्ण विषय पाठकोँ को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी संत का प्रवचन सुन रहे हैं।

Languageहिन्दी
Release dateSep 9, 2019
ISBN9780463728987
किताबें कहती हैं
Author

कल्पना रामानी

६ जून १९५१ को उज्जैन में जन्म। कंप्यूटर से जुड़ने के बाद रचनात्मक सक्रियता। कहानियाँ, लघुकथाओं के अलावा गीत, गजल आदि छंद विधाओं में रुचि.लेखन की शुरुवात -सितम्बर २०११ सेरचनाएँ अनेक स्तरीय मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं के साथ ही अंतर्जाल पर लगातार प्रकाशित होती रहती हैं।*प्रकाशित कृतियाँ-१)नवगीत संग्रह- “हौसलों के पंख”(२०१३-अंजुमन प्रकाशन)३)गीत-नवगीत- संग्रह-“खेतों ने ख़त लिखा”(२०१६-अयन प्रकाशन)४)ग़ज़ल संग्रह- संग्रह मैं ‘ग़ज़ल कहती रहूँगी’(२०१६ अयन प्रकाशन)*पुरस्कार व सम्मान-पूर्णिमा वर्मन(संपादक वेब पत्रिका-“अभिव्यक्ति-अनुभूति”)द्वारा मेरे प्रथम नवगीत संग्रह पर नवांकुर पुरस्कार से सम्मानित-कहानी प्रधान पत्रिका कथाबिम्ब में प्रकाशित कहानी 'कसाईखाना' कमलेश्वर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित- कहानी 'अपने-अपने हिस्से की धूप" प्रतिलिपि कहानी प्रतियोगिता में प्रथम व लघुकथा "दासता के दाग" के लिए लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित*सम्प्रतिवर्तमान में वेब पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका- अभिव्यक्ति-अनुभूति(संपादक/पूर्णिमा वर्मन) के सह-संपादक पद पर कार्यरत।

Read more from कल्पना रामानी

Related to किताबें कहती हैं

Related ebooks

Related categories

Reviews for किताबें कहती हैं

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    किताबें कहती हैं - कल्पना रामानी

    cbook_preview_excerpt.htmlYKnFJl4|d$9@ 4Y9) - 6U9IUW(R6DvWի.uykiobdz?*˟b߽87;&];5[ذyS|/".IHwyMc6}vt@y1/je<2kRzDgȐzϰzlk)5.;kz} lyf^.6ﴲ>ʆ]BFBvK7 )ݜ;2FcUJ=uI8|gU8:Ͷ6-1E 3eJ1"p]2]Zq"rDE%[i"gK?N)mB$صsGj!# B>Im`F?7ˋ)Lb$jVj7-ҳ'RX4ό'PwuVq&  >p=4FMW2LRc4 oR@}\4o;#o(||_Q@f[4" 6?=VK1yaZ2ʣWuE?I;@VӣLhK s6hR^5F&+%TaaH-bB^"++Kya524"k~|]?♍tYC1M-NhM2,K-C By5=rBǣA6mv-͍˰'CIRL0dy^ۇH)2CDK&rm@P۶"L>#c£p@:WPݘ#64h3PP{vB9>rEDFp-`@ZJ-tX1C#0귤1U-γ3hd9 slv{'8\{2 Q{,#@֞mm`f&'iSS{!۝QGӊ2sR +elKPy%Eͻ9F*u-,x<7! .W-CFPgu̵hDz Hzk9+۶=I(ޅ:޾^h1~?i.>^(kJeK'V!i&2-|oDsstoW kHbG;m95bMi9ēc˘6s&5Bk u ֶ:W$}70R7v3-ꈄmLj3puԞ^FkSшwqܓ6apK{4i+ ™LʉwX<`0s$9UQ?KZ7N][' {%R|vB*xY@^#&oXqc@dOO{ Wb܄PLY!>Q_0Ty,CwELCܛ+VhJ:t/{m ":1b1U@oS}$lBVtyJȄV?1 QeUTPKeG[#/w}\tҏ /s=~ЌQ &HG;`z s0j*,AqGXFzeA޺E/qAsI=,e5&$_Ī$TJ
    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1