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ArdhViram
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Ebook107 pages27 minutes

ArdhViram

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About this ebook

आज; कल का अर्ध विराम। जना इंसान; संतोषजनक एक पूर्ण विराम की लालसा से ज़िंदा। "अर्ध विराम" मेरा तीसरा संग्रह; मेरी आज की सोच का सार। एक सोच जो सालों के अध्यन, मनन और अनुभवों का निचोड़ है।

 

शब्दों के माध्यम से इस संग्रह में प्रस्तुत मेरा आज तक का सच।

 

--

 

हिन्दी लेखक अनुज कुमार मूल रूप से दिल्ली के हैं और इस वक़्त इंग्लैंड में रह रहे हैं. दिल्ली में ही अनुज कुमार की स्कूलिंग हुई, बाद में उच्चशिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में हुई थी। उसके बाद भारतीय जन संचार संस्थान, दिल्ली (IIMC) से एडवरटाइजिंग की शिक्षा हासिल की और अंततः इंग्लैंड से इन्होंने मार्केटिंग में मास्टर्ज़ की डिग्री प्राप्त की। अनुज जी २० साल से इंग्लंड मैं ही हैं। अनुज कुमार हिंदी और अंग्रेज़ी साहित्य के बेहद शौक़ीन हैं। कविताओं के साथ-साथ ख़ूबसूरत चित्रकारी भी करते हैं।

Languageहिन्दी
Release dateAug 28, 2023
ISBN9798223804598
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    ArdhViram - Anuj Kumar

    बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर ।

    पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ।।

    - कबीर

    अर्ध विराम

    ————————————-

    अनुज कुमार

    D:\R PUblishers\R PUB\B-W-Logo.png

    राजमंगल प्रकाशन

    An Imprint of Rajmangal Publishers

    ISBN: 978-8119251339

    Published by:

    Rajmangal Publishers

    Rajmangal Prakashan Building,

    1st Street, Ozone, Quarsi, Ramghat Road

    Aligarh-202001, (UP) INDIA

    Cont. No. +91- 7017993445

    www.rajmangalpublishers.com

    rajmangalpublishers@gmail.com

    sampadak@rajmangalpublishers.in

    ——————————————————————-

    प्रथम संस्करण: जुलाई 2023 – पेपरबैक

    प्रकाशक: राजमंगल प्रकाशन

    राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,

    ओजोन, क्वार्सी, रामघाट रोड,

    अलीगढ़, उप्र. – 202001, भारत

    फ़ोन : +91 - 7017993445

    ——————————————————————-

    First Published: July 2023 - Paperback

    Printed by : Thomson Press India LTD, Repro India LTD & Manipal Tech LTD

    eBook by: Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)

    Copyright © अनुज कुमार

    यह एक काल्पनिक कृति है। नाम, पात्र, व्यवसाय, स्थान और घटनाएँ या तो लेखक की कल्पना के उत्पाद हैं या काल्पनिक तरीके से उपयोग किए जाते हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है। यह पुस्तक इस शर्त के अधीन बेची जाती है कि इसे प्रकाशक की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी रूप में मुद्रित, प्रसारित-प्रचारित या विक्रय नहीं किया जा सकेगा। किसी भी परिस्थिति में इस पुस्तक के किसी भी भाग को पुनर्विक्रय के लिए फोटोकॉपी नहीं किया जा सकता है। इस पुस्तक में लेखक द्वारा व्यक्त किए गए विचार के लिए इस पुस्तक के मुद्रक/प्रकाशक/वितरक किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं हैं। सभी विवाद मध्यस्थता के अधीन हैं, किसी भी तरह के कानूनी वाद-विवाद की स्थिति में न्यायालय क्षेत्र अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत ही होगा।

    समर्पण

    हर जिज्ञासु इंसान के नाम

    जिसने कुछ करने,

    कुछ बदलने की कल्पना की है

    प्रस्तावना

    आज; कल का अर्ध विराम। जना इंसान; संतोषजनक एक पूर्ण विराम की लालसा से ज़िंदा। सभी हम जीवित, भ्रमित यह मानते की हम समझते हैं, समझ गये हैं, समझा सकते हैं हम सब कुछ।

    कौन गुणी यहाँ, कौन अज्ञानी कोई नहीं जानता। बस अपने में जीते, अपने अपने विचारों, फ़लोसफ़ों, कर्मों और सपनों को ढोहते हम तुम पूर्णता की तड़प में, खोजते हैं जीने के मक़सद। 

    अर्ध विराम मेरा तीसरा संग्रह; मेरी आज की सोच का सार। एक सोच जो सालों के अध्यन, मनन और अनुभवों का निचोड़ है। परत पे परत जुड़ते बन जाती है जैसे धरती की नयी सतह वैसे ही मेरी सोच पे मेरे

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