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अलंकरण
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Ebook104 pages32 minutes

अलंकरण

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About this ebook

मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए

सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए

सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए

सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|

Languageहिन्दी
Release dateMay 21, 2018
ISBN9780463872185
अलंकरण
Author

वर्जिन साहित्यपीठ

सम्पादक के पद पर कार्यरत

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    अलंकरण - वर्जिन साहित्यपीठ

    लेखक/संपादक मित्रों के लिए सुनहरा अवसर!!!

    ईबुक प्रकाशन ISBN नंबर के साथ (बिना किसी लागत के)

    अगर कोई लेखक/संपादक बिना किसी लागत के अपनी ईबुक प्रकाशित करवाना चाहते हैं, तो अपनी पाण्डुलिपि वर्ड फाइल में sonylalit@gmail.com पर भेजें।

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    महत्वपूर्ण एवं ध्यान देने योग्य बिंदु:

    1. पाण्डुलिपि वर्ड फाइल में भेजें

    2. फॉण्ट यूनिकोड/मंगल होना चाहिए

    3. पाण्डुलिपि के साथ फोटो और संक्षिप्त परिचय भी अवश्य भेजें

    4. भेजने से पूर्व अशुद्धि अवश्य जाँच लें

    5. ईमेल में इसकी उद्घोषणा करें कि उनकी रचना मौलिक है और किसी भी तरह के कॉपीराइट विवाद के लिए वे जिम्मेवार होंगे।

    रॉयल्टी: रॉयल्टी 70% प्रदान की जाएगी (नोट: पुस्तक की पहली 10 प्रति की बिक्री का लाभ प्रकाशक का होगा। 11वीं प्रति की बिक्री से लेखक और संपादक को रॉयल्टी मिलनी शुरू होगी। बाकि रॉयल्टी का प्रतिशत वही रहेगा अर्थात 70% लेखक का और 30% प्रकाशक का।

    अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: ललित नारायण मिश्र (वर्जिन साहित्यपीठ) 9868429241

    प्रकाशक

    वर्जिन साहित्यपीठ

    78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,

    नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043

    सर्वाधिकार सुरक्षित

    प्रथम संस्करण - मई 2018

    ISBN

    कॉपीराइट © 2018

    वर्जिन साहित्यपीठ

    कॉपीराइट

    इस प्रकाशन में दी गई सामग्री कॉपीराइट के अधीन है। इस प्रकाशन के किसी भी भाग का, किसी भी रूप में, किसी भी माध्यम से - कागज या इलेक्ट्रॉनिक - पुनरुत्पादन, संग्रहण या वितरण तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा अधिकृत नहीं किया जाता।

    अलंकरण

    (काव्य संग्रह)
    लेखक

    अंकित बाजपेई

    आप सभी पढ़ने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद!!

    ईश्वर की असीम अनुकम्पा से ये रचनाएं एक संग्रह के रूप में आपके सम्मुख हैं, बेशक कुछ गलतियाँ होंगी, और ये मानवीय स्वभाव से होनी भी बनती हैं, मगर दोबारा न हो इसके लिए आप अपने सुझाव और आशीर्वाद मुझे फेसबुक प्रोफाइल या 8299470141 पर दे सकते हैं, या फिर ankitbajpai031@gmail.com पर मेल कर सकते हैं! मैं ये बात कहना चाहूँगा कि मेरी कविताओं में भावों की ही प्रमुखता मिलेगी, शायद मेरे लिए सबसे जरूरी हैं मेरे भाव, मुझे पता है मेरी हर भावना को आप भी महसूस कर पाएँगे मेरी कविताओं के माध्यम से। मैंने कई सारे भाव अपनी कविताओं के जरिये आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। आपको अच्छी लगें तो मुझे मेरे नंबर पर

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