अलंकरण
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मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए
सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए
सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
मुझे ऐसे शहर में घर नही चाहिए
सिलवटों में चादरों की बिक जाए प्यार जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
स्पर्शों में हवस हो सम्मान की ना हो जगह,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
गूंजती रहीं हों जहाँ सिसकियाँ सन्नाटों में,
फंस गयी हों हिचकियाँ शोरगुल के काँटों में,
उम्मीद ने तोड़ा हो दम विश्वास की छाया में जहाँ,
मुझे ऐसे शहर में घर नहीं चाहिए|
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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अलंकरण - वर्जिन साहित्यपीठ
लेखक/संपादक मित्रों के लिए सुनहरा अवसर!!!
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अगर कोई लेखक/संपादक बिना किसी लागत के अपनी ईबुक प्रकाशित करवाना चाहते हैं, तो अपनी पाण्डुलिपि वर्ड फाइल में sonylalit@gmail.com पर भेजें।
भाषा: ईबुक हिंदी, इंग्लिश, भोजपुरी, मैथिली इत्यादि रोमन या देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली किसी भी भाषा में प्रकाशित करवाई जा सकती है।
ईबुक गूगल बुक, गूगल प्ले स्टोर और अमेज़न में प्रकाशित की जाएगी। पाण्डुलिपि भेजने से पूर्व निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर ध्यान दें:
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2. फॉण्ट यूनिकोड/मंगल होना चाहिए
3. पाण्डुलिपि के साथ फोटो और संक्षिप्त परिचय भी अवश्य भेजें
4. भेजने से पूर्व अशुद्धि अवश्य जाँच लें
5. ईमेल में इसकी उद्घोषणा करें कि उनकी रचना मौलिक है और किसी भी तरह के कॉपीराइट विवाद के लिए वे जिम्मेवार होंगे।
रॉयल्टी: रॉयल्टी 70% प्रदान की जाएगी (नोट: पुस्तक की पहली 10 प्रति की बिक्री का लाभ प्रकाशक का होगा। 11वीं प्रति की बिक्री से लेखक और संपादक को रॉयल्टी मिलनी शुरू होगी। बाकि रॉयल्टी का प्रतिशत वही रहेगा अर्थात 70% लेखक का और 30% प्रकाशक का।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: ललित नारायण मिश्र (वर्जिन साहित्यपीठ) 9868429241
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
78ए, अजय पार्क, गली नंबर 7, नया बाजार,
नजफगढ़, नयी दिल्ली 110043
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - मई 2018
ISBN
कॉपीराइट © 2018
वर्जिन साहित्यपीठ
कॉपीराइट
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अलंकरण
(काव्य संग्रह)
लेखक
अंकित बाजपेई
आप सभी पढ़ने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद!!
ईश्वर की असीम अनुकम्पा से ये रचनाएं एक संग्रह के रूप में आपके सम्मुख हैं, बेशक कुछ गलतियाँ होंगी, और ये मानवीय स्वभाव से होनी भी बनती हैं, मगर दोबारा न हो इसके लिए आप अपने सुझाव और आशीर्वाद मुझे फेसबुक प्रोफाइल या 8299470141 पर दे सकते हैं, या फिर ankitbajpai031@gmail.com पर मेल कर सकते हैं! मैं ये बात कहना चाहूँगा कि मेरी कविताओं में भावों की ही प्रमुखता मिलेगी, शायद मेरे लिए सबसे जरूरी हैं मेरे भाव, मुझे पता है मेरी हर भावना को आप भी महसूस कर पाएँगे मेरी कविताओं के माध्यम से। मैंने कई सारे भाव अपनी कविताओं के जरिये आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। आपको अच्छी लगें तो मुझे मेरे नंबर पर