ROG PAHCHANEIN UPCHAR JANE
2.5/5
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About this ebook
This is a health and medical awareness book. It helps to easily identify diseases and explains the symptoms. It also indicates that in the daily routine what precautions are taken, cause of diseases, measures to avoid, things to consider, have been well contained. Moreover, “How to change the life style”, etc. have also been scientifically detailed in the book.
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ROG PAHCHANEIN UPCHAR JANE - SUDARSHAN BHATIA
होंगे।
गहरी, मीठी नींद बहुत ज़रूरी है सबसे लिए
नींद ईश्वर की ओर से दी हुई एक नियामत है। प्रकृति ने नीद को हमारे जीवन का हिस्सा बनाकर हम पर बड़ा उपकार किया है। दिन-भर काम करने के बाद, रात को गहरी, मीठी नींद सोने से सारी थकावट दूर हो जाती है। खोई हुई शक्ति लौट आती है। शरीर के सभी अंग तरोताजा महसूस होने लगते हैं। काम करने की इच्छा होती है। पिछले दिन से भी अधिक काम करने की प्रवृति जागती है। अपने साथियों के साथ होड़ या मुकाबला करने, आगे निकल जाने, दूसरों को पछाड़ने का मन होता है। जो काम सामने आ जाए, उसे तुरंत निपटाने का मन करता है। पूरा शरीर, पूरा ही दिन स्फूर्ति से भरा रहता है।
इसके उलट यदि दिन-भर काम करने के बाद रात को ठीक से सोना न मिले, नीद न आए, तो शरीर टूटा-टूटा रहता है। पड़े रहने को मन करता है। उठने की इच्छा ही नहीं होती। दिन का काम हाथ में लेने का भी मन नहीं करता। देखते-ही-देखते बाकी लोग आगे निकलने लगते हैं और खुद पीछे रहने लग जाते हैं। काम ठीक नहीं हो पाता और न ही लक्ष्य पूरा हो पाता है। थके-थके बदन से काम कम निकलता है। ऐसे से आर्थिक रूप से भी पिछड़ना पड़ जाता है। इस प्रकार रात को ठीक नींद न ले सकने की बड़ी सजा़ भुगतनी पड़ जाती है।
नींद न आने का मतलब है अनिद्रा-रोग। इससे बचना जरूरी है। एक-आध रात नहीं सो सके, तो कोई बात नहीं। यदि हर रात नींद नहीं आएगी, तो यह रोग बन जाएगा, जो अनेक परेशानियां खड़ी कर देगा।
नींद न आने के कुल कारण
ठीक से नींद न आने के कईं कारण हो सकते हैं। ये हर व्यक्ति के लिए भिन्न भी हो सकते है, फिर भी कुछ मुख्य है:
1. कोई मानसिक बात परेशान कर रही हो, हो सकता है व्यक्ति तनाव से चल रहा हो।
2. जब शारीरिक क्षमता या मानसिक क्षमता से अधिक काम करना पड़े, तो भी सो पाना कठिन होता है। भले ही शरीर थका हुआ क्यों न हो।
3. कोई चिंता रहना जैसे-काम की, साधनों की, पैसे की, मार्केंटिंग की, धनाभाव आदि ऐसे अनेक कारण हो सकते है, जो टेंशन तो नहीं देते, पर छोटे-छोटे झटके लगाते रहते हैं तथा चिंता दिए रहते है।
4. घर का माहौल ठीक न होना अर्थात् पत्नी, भाई, माता-पिता, बच्चों आदि का व्यवहार व्यक्ति को ठीक से सोने नहीं देता। न तो वह खुलकर कह सकता है ओर न ही सहन ही कर सकता है।
5. कोई बीमारी होना तथा उस बीमारी के कारणों तथा परिणामों में झूलते हुए नींद गंवा बैठना।
अनिद्रा के लक्षण
जो व्यक्ति रात से ठीक प्रकार से सो नहीं पाता, जिसके कारण उसे दिन-भर कुछ न कुछ परेशानियां झेलनी पड़ती है। इनमें से कुछ लक्षण ये है:
• ऐसे व्यक्ति को कब्ज रहती है।
• खट्टी डकारें आती हैं। दिन भर बदहजमी सी रहती है।
• पूरे दिन सुस्ती रहती है। काम में मन नहीं लगता।
• ऐसा लगता है, जैसे ज्वर सा बना रहता हो।
दिनचर्या में सावधानियां
अपनी जिंदगी की दिनचर्या में कुछ छोटे-छोटे परिवर्तन कर लेने चाहिए। रहन-सहन से बदलाव लाने तथा थोड़ी सावधानियां रखने से अच्छी नींद आने की संभावना बन जाती है:
1. रात को सोने से पूर्व पैरों को धोना चाहिए। गर्मी के दिनो में ताजे पानी से तथा सर्दी के दिनों में हलके गरम पानी से पैर धोएं तथा पैरों को पोंछकर एवं सुखाकर तलवों पर सरसों के तेल की हलकी मालिश करें। इससे गहरी नींद आएगी।
2. प्रति रात आंवले के तेल से सिर की मालिश करें।
3. ब्राह्मी का तेल भी इस मालिश के लिए उपयोगी होता है।
4. बादाम रोगन भी दिमाग की ताजगी देता है, अत: कभी-कभी सिर की मालिश बादाम रोगन से भी करना चाहिए।
5. अपने डिनर में यदि आप एक कच्चा प्याज खाना शुरू कर दे, तो भी रात को अच्छी नींद ले सकेंगे।
6. कानों में सरसों के तेल की दो-दो बूंदें डालकर, रूई से कान बंद करके सोने से अच्छी नींद आती है।
उपचार
नींद न आने के कुछ घरेलू उपचार भी कर लेने चाहिए। अव्वल तो जो 6 सावधानियां ऊपर दी हैं, इनको अपना लेने से ही अच्छी नींद आ जाएगी। फिर भी अनिद्रा-रोग को पूरी तरह बाहर निकालने के लिए निम्न बताए गए उपचारों में से, जो आपको सहज सुलभ हो तथा उपयोगी लगे, उसे ज़रूर अपनाएं। लाभ होगा:
1. आपको सोने से पूर्व एक पाव गरम दूध पीने की आदत डालनी चाहिए। इस दूध को मीठा करने के लिए दो चम्मच शहद डालें। इससे अधिक फायदा होगा।
2. गरी की बनी मिठाई खाने से भी अच्छी नींद आती है।
3. पनीर भी नींद लाने में मदद करता है। रात को पनीर के तीन-चार टूकड़े खाकर एक कप गरम दूध पिएं।
4. 50 ग्राम सेब का मुरब्बा गरम दूध के साथ लेने से जल्दी नींद आती है।
5. इन उपचारो से भी अधिक लाभ के लिए 8 ग्राम खसखस को 200 ग्राम पानी में पीसकर छान लें। इस छने घोल में बारीक पीसी हुई मिसरी मिलाकर प्रतिदिन पीने से कुछ दिनों से ही खूब नींद आने लगेगी।
6. अपने दैनिक आहार में कुछ मीठे फल-खजूर, अंगूर, आम, मीठा तरबूज़, मीठा खरबूजा आदि जो भी उपलब्ध हो, खाने से भी रात को अच्छी नींद आएगी।
7. प्रेरणादायक तथा अच्छे संस्कार देने वाले साहित्य की कोई अच्छी पुस्तक रखें। नींद न आने पर उसे पढ़ें, मगर दिमाग पर जोर न डालें। जब नींद आने लगें, तो किताब बंद करके सोने का प्रयत्न करें। अच्छी नींद आएगी।
8. रात को सोते समय पुदीने की चाय अच्छी नींद लाने में सहायक होती है। डेढ़ कप पानी में पुदीना की सात पत्तियां डालकर उबालें, जब एक कप रह जाए तो छान लें। जब यह छना पानी गुनगुना रह जाए, तो इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर पी लें। पन्द्रह दिन तक नियमित लेने के बाद आपको गहरी नींद आएगी।
9. सफेद खसखस तथा तरबूज़ के बीच की गिरी, समान मात्रा में लेकर अलग-अलग पीसें तथा दोनों अलग-अलग शीशियों मेँ रख लें। प्रात: खाना खाने के बाद दोनों से से 2-2 ग्राम की मात्रा लेकर दूध के साथ लें। इसे दिन में दो बार भी ले सकते हैं। यह भी गहरी नींद के लिए लाभप्रद है।
कुछ और भी
उपर्युक्त बातों के अतिरिक्त कुछ और भी बातें है, जिनका ध्यान रखने से अधिक लाम हो सकता है:
• रात का भोजन थोड़ा जल्दी करें।
• रात के भोजन के बाद कुछ देर खुले वातावरण में टहलें या घूमें। घूमना या टहलना गहरी नींद लाने के लिए ही नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है।
• भोजन सन्तुलित, हलका एवं सुपाच्य हो। पूरा पेट भरकर न खाएं। थोड़ा भूखा रहना स्वास्थ्य के लिए हितकर है।
• डीप फ्राई, फ्राई, अधिक मक्खन, घी, तेल आदि से युक्त सब्जियों से बचें।
• बहुत जरूरी है कि सोने से पूर्व-
(i) आप ईश्वर की प्रार्थना करें कि अच्छी नींद आए।
(ii) सोते समय दिन भर आई सभी परेशानियों को भुलाकर सोएं।
(iii) अपनी कमियां, अपने भय, अपने अभाव, अपनी चिंताएं, अपनी असफलताएं आदि सब ईश्वर पर छोड़कर, पूर्ण निश्चिंत होकर सोने का प्रयत्न करें। ईश्वर-कृपा से गहरी नींद आएगी। इसे दैनिक नियम बना लें।
अधिक नींद आना
जहां मीठी, गहरी, अच्छी नींद न आना रोग है, वहीं अधिक नींद आना भी रोग है। अधिक नींद कोई अच्छी बात नहीं है। अत: आपकी चुस्त, दुरुस्त, सफल व्यक्ति बनकर अपनी जिम्मेवारियां पूरी करने के लिए अधिक नींद से छुटकारा पाना आवश्यक है।
जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद भी सोते रहते है, वे अपने समय, स्वास्थ्य तथा उन्नति, तीनों का नुकसान करते हैं। आलस्य छोड़कर समय पर उठना व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है।
बिना दूध, नीबू की चाय अधिक मीठा डालकर प्रात: तथा सायं पीने से आलस्य नहीं रहता। शरीर चुस्त रहता है और काम में मन लगता है।
लड़ाई की जड़ हंसी-बीमारी की जड़ खांसी
बड़े-बुजुर्ग समझाते आए हैं कि किसी का मजाक मत उड़ाओ। किसी पर हंसो मत। कहने को तो आपने मामूली-सी हंसी से बात शुरू की, मगर सामने वाले ने इसे कैसे लिया, इस पर सब निर्भर करता है। यदि उसने भी हलकेपन से लिया हो, तब तो बात आई-गईं हो जाएगी, वरना यह मामूली-सा मजाक, मामूली सी हंसी, लड़ाई का कारण बन सकती है। आप मजाक उड़ाते समय भले ही गंभीर न रहे हों, मगर बाद में व्याकुल कर देने वाला इसका रूप बड़ा ही कष्टप्रद हो सकता है। यहां तक कि कईं बार हंसी किसी को अपंग कर देने या जान से मार देने तक भी पहुंचा सकती है, अत: इस तरह की हंसी से बचें।
देखा न, मामूली हंसी व्यक्ति को हत्या तक पहुंचा देती है। ठीक यही चरित्र खांसी का भी है। हालांकि आप सोच सकते हैं कि मामूली-सी खासीं क्या बिगाड़ सकती है? यह कैसे किसी बीमारी या फिर असाध्य रोग तक पहुंचा सकती है। मगर वैद्य और हकीम सदा से यही कहते आए हैं कि अपने शरीर में खांसी को मत आने दो। इसे जरा-सी भी जगह न दें, वरना यह ऐसे पांव पसारती है कि छोटी-छोटी व्याधियां तो छोडिए, टी.बी. और अस्थमा जैसे प्राणलेवा रोगों को लाकर बिठा देती है, अत: इसका तुरंत इलाज करें। इसे जड़ से उखाड़ फेंकें। अपने सारे काम छोड़कर पहले इससे निपटें।
आइए, खांसी से छुटकारा पाने के लिए घरेलू इलाजों का सहारा लें। प्राकृतिक पदार्थों का लाभ उठाएं।
खांसी के प्रकार
1. सूखी खांसी
2. तर खांसी
3. कफ़युक्त खांसी
4. काली खांसी
5. सांस की खांसी
1. सूखी खांसी— इसमें काफी खांसना पड़ता है। मुंह में चीनी आदि रखकर, जल या पेय पदार्थ लेने से आराम मिलता है। सूखा गला कुछ ठीक हो जाता है।
2. तर खांसी— इसमेँ गला थोड़ा गीला रहने से खांसना कुछ आसान होता है। खांसने में थकावट भी कम होती है।
3. कफ युघत खांसी— यह तीसरी स्टेज है। छाती से कफ बनता है। खांसने से कफ कभी उखड़कर बाहर आ जाता है, तो कभी अधिक परेशान करता है। यदि कफ़ अधिक चिपचिपा या जमा हुआ न हो, तो खांसने में अधिक परेशानी नहीं होती। कफ कच्चा हो, तो तकलीफ अधिक होती है। पक्का कफ यदि पीलापन लिए हो, तो खांसने में कुछ आसानी होती है।
4. काली खांसी— यह खांसी अक्सर बच्चों को होती है। बच्चे खांसते- खांसते हांफने लग जाते है। उनका मुंह लाल हो जाता है और वे बुरी तरह थक जाते है। बच्चों के लिए यह बहुत कष्टदायक खांसी होती है।
5. सांस की खांसी— इसमें सांस फूलती है। यह सूखी, तर कफ़युक्त कैसी भी हो सकती है, मगर इसमें सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती है। यह ब्रांकाइटस, टी बी., अस्थमा जैसे रोगों की पूर्व अवस्था होती है, छाती को हानि पहुंचाने वाली है। और भी रोग इससे उत्पन्न हो जाते है।
खांसी होने के कारण
• खांसी मुख्यत: गलत खान-पान तथा गलत मौसम के कारण होती है। मौसम बदलते ही थोड़ा भी परहेज न किए जाने पर भी खांसी हो जाती है।
• कभी पेट साफ नहीं रहता। अकसर कब्जा रहता है, जिसके कारण भी खांसी हो जाती है।
• कई बार भूल से अधिक भोजन खा लेने से भी खांसी आनी शुरू हो जाती है। अधिक खाने से अपच हो जाती है और कई प्रकार के तेजाब वगैरह बनने लगते है। भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए। वेदृगें का कहना है कि आधा पेट भोजन करें, एक चौथाई पानी के लिए रहने दे और शेष बचा एक चौथाई हवा के लिए सुरक्षित रखें। मगर हम जीभ के इतने गुलाम हो जाते हैं कि पेट भरकर खा होते है। कई बार अपने पेट की सीमा से भी अधिक भोजन करने के कारण कई अन्य रोगों के साथ-साथ खांसी भी पैदा हो जाती है।
• पाचन-शक्ति कमजोर होने पर खट्टी चीजें, मैदे के खाद्य पदार्थ, अचार, खट्टा दही, खट्टी लस्सी आदि लेने से गले और फिर छाती में प्रभाव पड़ता है, फिर खांसी की शुरुआत हो जाती है।
• प्रदूषित वातावरण, दमघोंटु वातावरण, धुआं, धूम्रपान आदि भी खांसी पैदा करते हैं। इनसे बचते हुए शुद्ध वायु मेँ जाकर लंबी-लंबी सांस लेनी चाहिए। खांसी होने के ऐसे ही कुछ और कारण भी हो सकते हैं, जो हमारी नासमझी या लापरवाही से बनते है।
ध्यान दें
सभी प्रकार की खांसियां एक-दूसरे की जन्मदाता है, मिलते-जुलते कारण हैं तथा मिलते-जुलते लक्षण भी। कई बार एक ही समय एक से अधिक प्रकार की खांसियां हो जाती है। इनमें भिन्नता करना आम व्यक्ति के लिए कठिन हो जाता है, अत: हम यहां पर खांसी के लिए अब तक उपलब्ध सभी प्रकार के घरेलू उपचार दे रहे है। जो उपचार रोगी को सुलभ हो या जो उचित लगे, आप उसे अपनी सुविधानुसार अपना सकते हैं।
विविध उपचार
• शहद और अदरक खांसी से लाभदायक होते हैं। शहद मेँ अदरक का ताजा रस मिलाकर चाटने से खांसी नष्ट हो जाती है। इस चटनी का दिन में तीन से चार बार सेवन करें।
• छुहारा लें। इसकी गुठली निकालकर फेंक दें और उसमें तीन लौंग, 3 काली मिर्च (साबुत) भर दें। फिर छुहारे को अरंड के पत्ते में लपेटकर आंच पर जला लें। जो राख प्राप्त हो, उसे शहद में मिलाकर चाटने से चिपका कफ उखड़कर बाहर आ जाएगा और खांसी से छुटकारा मिलेगा।
• मुलेठी को पीसकर चूर्ण बना लें। एक बड़ा चम्मच चूर्ण, पौन चम्मच शहद में मिलाकर अवलेह बनाएं। इस अवलेह को धीरे-धीरे दिन में तीन बार चाटें। खांसी नहीं रहेगी।
• चाय बनाएं, लेकिन चाय की जगह पुदीने की 4-5 पत्तियां डालें। इसमें नमक या नमक की जगह मीठा डालें, जैसा स्वाद पसंद करें। इसे पीने से खांसी नहीं रहती।
• मुंह में छोटी इलायची धीरे-धीरे चबाते रहें और रस चूसते रहें। इससे लाभ होगा।
• यदि खांसी के साथ सांस भी फूलती है, तो नीबू में पिसी काली मिर्च व नमक भरकर। धीरे-धीरे चूसें। इससे फायदा होगा और सांस भी ठीक चलने लगेगी।
• मुनक्का का सेवन खांसी ठीक करता है। इसके बीज निकालकर फेंक दें और मुनक्के में 2 साबुत काली मिर्च रखें। इसे धीरे-धीरे चबाने से लाभ मिलेगा।
• रात को सोते समय काली मिर्च वाले मुनक्के को मुंह में रखकर सो सकते है। इसका धीरे-धीरे रस गले से उतरता जाएगा और खांसी पर नियंत्रण होता जाएगा। दो-चार दिन इसी तरह करे।
• रात को सोते समय मुंह में अदरक का टुकड़ा रखकर सोने से भी खांसी पर नियंत्रण रहता है। इसका रस अदर पहुंचकर बलगम को उखाड़ता है और राहत मिलती है।
• अदरक की जगह बहेड़ा के छिलके को भी मुंह में रखकर लाभ उठाया जा सकता है।
• पीपलामूल, पीपल, बहेड़ा तथा सोंठ-सभी बराबर मात्रा में पीसकर तैयार किए गए चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से काकी लाभ होता है।
• छोटी पीपल का बारीक चूर्ण शहद के साथ मिलाकर बच्चे को चटाएं। यह बच्चों की खांसी को दूर करेगा, साथ ही बुखार, हिचकी, अफारा आदि में भी लाभ पहुँचाएगा।
• प्याज के एक चम्मच रस को एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटें। इससे खांसी खत्म हो जाएगी।
• एक गिलास पानी में छोटा तीन चम्मच सौंफ डालकर उबालें। आधा पानी रह जाने पर उतारें और छानकर गुनगुना कर ले। इसमें आवश्यकता के अनुसार शहद मिलाकर पीने से भी खांसी खत्म हो जाती है।
• दो चम्मच शुद्ध देसी घी में थोड़ा गुड़ मिलाकर अवलेह बना ले, इसे गरम करके खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
• यदि खांसी के साथ खून जाता हो, तो अंगूर या द्राक्षासव का एक कप (छोटा) रस खाना खाने के बाद लें। कुछ दिनों तक सेवन करने में लाभ होगा।
• इन सबको बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाएं (i) देशी अजवायन (ii) सोंठ, (iii) काला मिर्च, (iv) जायफ़ल, (v) कांकड़ा सिंगी, (vi) पोहकर, (vii) पीपल। चूर्ण को छानकर शीशी में रखें। शहद में दो चुटकी चूर्ण मिलाकर चाटें। लाभ होगा
• नहाने से पूर्व सरसों के तेल की दो-चार बूंदें नथुनों से ऊपर की ओर खींचें। इससे खांसी से होने वाली तकलीफ तथा आवाज में कमी आती है। खांसी न भी हो, तो भी यह क्रिया लाभप्रद है।
• घी और सेंधा नमक मिलाकर छाती पर धीरे-धीरे मालिश करने से खांसी से आराम मिलता है। मालिश करते समय हवा न लगने दें।
• जिन्हें रात को खांसी परेशान करती है, उन्हें गरम पानी पीकर, ढक-लपेटकर सोने से फायदा होता है।
• मिसरी तथा काली मिर्च समान वजन से लेकर इकट्ठा पीसें। उसने देसी घी डालकर काबुली चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखा ले। गोलियां छाया में सुखाएं, धूप में नहीं। हर 6 घंटे के बाद एक गोली चूसें। खांसी शांत हो जाएगी। जिन्हें खांसने से सांस चढ जाता है, उनके लिए भी ये गोलियां लाभकारी हैँ।
• अनार का रस आधा पौना गिलास ले। इसमें 15 बूंद लहसुन का रस डालकर शरबत पीने से खांसी जड़ से समाप्त हो जाती है।
• खूब पका सेब के रस में थोड़ी पिंसी मिसरी मिठास बढाने के लिए मिलाकर पीने से खांसी शांत हो जाती है। यदि खांसी बहुत पुरानी है, तो कुछ दिनो तक रस को नियमित पीने से ठीक हो जाती है।
• अंगूर का रस भी खांसी पर नियंत्रण करता है तथा सहन-शक्ति में सहायक होता है। एक कप मीठे अंगूर का रस निकालकर (इसमें जरूरत के मुताबिक पिसी मिसरी भी मिलाएं) पीने से खांसी जड़ से समाप्त हो जाती है।
• चीनी तथा भुनी हुई फिटकिरी, दोनों एक-एक रत्ती बराबर मिलाकर गुनगुने पानी से प्रात: सायं ले। 4-5 दिनों में काली खांसी नहीं रहेगी।
• काली मिर्च का बारीक पाउडर तथा इससे पांच गुना ज्यादा गुड़ मिलाकर काले चने के बराबर की गोलियां बनाएं। गोलियों को हर 4 घंटे बाद चूसने से काफी फायदा होता है।
• यदि बच्चा खांसी से परेशान हो रहा है, तो उसकी छाती पर सरसों के तेल की मालिश करें। यदि इस तेल मेँ सेंधा नमक मिला लें, तो और भी अधिक आराम मिलेगा।
• काली मिर्च का बारीक चूर्ण तथा उसमें बराबर की मात्रा में मिसरी मिलाकर शहद के साथ चाटने से रोगी की खांसी तथा कफ समाप्त हो जाते हैं।
• जिसे खांसी की शिकायत रहती है, वह जरा खानपान में परिवर्तन करके देखे, काफी लाभ होगा:
1. भोजन सदा हलका हो। आसानी से पचने वाला हो। बासी न हो।
2. अपने आहार में अंगूर, मीठा सेब, अनन्नास, चकोतरा-इसमें से कुछ भी सम्मिलित करें।
3. गरम पानी से नीबू का रस निचोड़कर पिएं।
4. किसी प्रकार से थोड़ा काला नमक खाएं, इसे आप नीबू-पानी में मिलाकर भी ले सकते हैं।
5. यदि कब्ज के साथ खांसी भी हो, तो कभी-कभी एनिमा लें।
6. रात को सोते वक्त एक चम्मच त्रिफला खाएं।
7. कभी पेट भरकर मत खाएं। कुछ भूख हमेशा रहने दें।
8. सप्ताह में एक बार उपवास करें। उपवास तोड़ते समय भी हलका भोजन करें।
• आधा गिलास अनार के रस के साथ दो रती बेल पर्पटी खाने से तुरंत आराम मिलता है।
खांसी तग न करें, बार-बार न हो या कोई अन्य बड़ा रोग न बने, इसलिए खांसी को जड़ से उखाड़ने के लिए ऊपर दर्जनों इलाज दिए हैं। इनमें से जो सहज सुलभ हों, उसको अपनाएं। जब तक खांसी पूरी तरह हट न जाए, तब तक उपचार करते रहे।
कुछ ‘दर्द’ जो जीने नहीँ देते चैन से
दर्द कम होता है, तो भी किसी काम में मन नहीं लगता और यदि दर्द अधिक होता है, तो बेचैनी की कोई सीमा नहीं रहती। दर्द की मात्रा कितनी भी हो, इस पर काबू पाए बिना चैन नहीं। दर्द दिल का हो, तो इसका इलाज ऊपर वाले के पास है। वहीं शांति दे सकता है। वहीं संतोष दे सकता है। वहीं राहत दे सकता है।
यहां हम शरीर के विभिन्न अंगों के दर्दों, उनके कारणों तथा उपचारों की बात करेंगें। घरेलू उपचारों में प्रयोग होने वाले फलों, सब्जियों तथा जड़ी-बूटियों की बात करेंगें। आप अपने साधनों के अनुसार उपचार करके लाभ उठा सकेंगे।
कमर का दर्द
कारण
ये कारण संभव है
1. यह दर्द अपनी शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाने या ढोने से हो सकता है।
2. खानपान ग़लत हो जाने से शरीर में वायु प्रकोप होता है, और यही कमर के दर्द का कारण बन जाता है।
3. पर्याप्त पौष्टिक आहार के अभाव से शारीरिक दुर्बलता वहुत बढ जाती हे, जिसके कारण कमर से दर्द होने लता है।
4. किसी बीमारी के लंबे समय तक रहने के कारण कमजोरी आ जाती है जो कमर दर्द का कारण बन जाती है।
उपचार
1. सरसों के तेल की मालिश उपयोगी हो सकती है। सरसों के तेल में कुछ लहसुन के दानों (ज़वों) को अच्छी तरह भूनें। ठंडा करके इस तेल से कमर की मालिश करने से दर्द ठीक हो जाता है।
2. सरसों के तेल से लहसुन के दानों के बजाय सोंठ भी डालकर मालिश कर सकते। है।
3. सरसों के तेल की बजाय यदि तारपीन का तेल प्रयोग में लाएं, तो तेजी से फायदा हो सकता है।
4. यदि अखरोट की गिरी एक सप्ताह तक रोजाना खाएं, तो भी कमर का दर्द दूर हो जाता है। एक बार में कम-से-कम चार अखरोट की गिरी बना जरूरी है।
5. कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए घर में चूर्ण बनाकर लाभ उठा सकते है। खसखस और मिसरी बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ एक बड़ा चम्मच चूर्ण खाए। इसे 8-10 दिन तक खाने से कमर का दर्द ठीक हो जाएगा।
6. पचास ग्राम गेहूं को रात के समय पानी में भिगो दें। प्रात: पानी निकालकर गीले गेहुंओँ में 25 ग्रा. खसखस तथा 25 ग्रा. धनिया मिलाकर तथा कूट-पीसकर चटनी-सी (अवलेह) बना ले। अब एक गिलास दूध में एक चम्मम अवलेह को डालकर उबालें। इसे ठंडा करके पीने से शरीर पुष्ट होता है तथा कमर दर्द जाता रहता है।
7. दो चम्मच अदरक के रस में इतना ही घी मिलाकर चाटने से कमर का दर्द दूर हो जाता है।
8. गेहूं की राख भी कमर दर्द में आराम देती है। दस ग्राम गेहुओँ को ज़लाकर तैयार की राख को एक बड़े चम्मच