पॉलिटीशिया का ड्रैगन
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’पॉलिटीशिया का ड्रैगन’ एक क्रांतिकारी एवं प्रतीकात्मक हिंदी उपन्यास है जिसमें ’पॉलिटीशिया’ नामक एक काल्पनिक देश के माध्यम से उन सभी देशों की कहानी कही गई है जहां की राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्था सड़ चुकी है और एक भीषण परिवर्तन की जरूरत है। यह पूरी कहानी पॉलिटीशिया नामक काल्पनिक द्वीप पर घटित होती है जो एक समुद्र के पास स्थित एक बहुत ही छोटा और स्वतंत्र देश है और जिसकी दूसरी ओर डौंडाला नामक एक पर्वत है। इस द्वीप के अधिकांश लोग नैतिक अध:पतन के जीते-जागते प्रमाण हैं जिनका समय फालतू की गप्पबाजी, अपराध, पाखंड, अव्यवस्था और महिलाओं के प्रति लम्पटपना दर्शाने में ही बीतता है। एक समय था जब बड़ा भव्य था यह द्वीप, मगर वर्तमान परिदृश्य तो बिल्कुल विपरीत है। रोज के निकम्मेपन में डूबे, तम्बाकू, अफीम, ड्रग और नशे की दुनिया में निमग्न इन लोगों के लिए औरत सिर्फ सेक्स की वस्तु है। यहां की पुलिस, यहां के राजनेता, धर्मगुरु व अधिकारी लोग, और यहां तक कि स्वयं पर ’बुद्धिजीवी’ का ठप्पा लगाने वाले लोग भी अपने-अपने ’परिष्कृत’ तरीके से इसी नैतिक अवमूल्यन और सेक्स की अतृप्त भूख की गर्त में गिरे हुए हैं। फिर भी, तुर्रा यह कि अपने देश और इसकी तथाकथित ’अतीत-गरिमा’ पर बड़ा फख्र है उन्हें। ऐसे नैतिक पतन वाले देश में एक युवक रहता है—क्रूसेडो—जो बचपन में अनाथ हो गया था, जो इस छोट-से द्वीप की दुर्दशा से खिन्न है लेकिन जिसके पास इस कुव्यवस्था से लड़ने का कोई औजार नहीं है।
एक रात जब यह सारा द्वीप गहरी नींद में सो रहा था, किसी अज्ञात देश से एक विमान माउंट डौंडाला पर आकर उतरता है और क्रोध का देवता—रैडो—उस विमान में एक ड्रैगन को लेकर आता है और उसे अपना मिशन पूरा करने के लिए डौंडाला पर्वत पर छोड़कर वापस चला जाता है। कहानी के मुख्य पात्र क्रूसेडो और अदृश्य लोक से आए ड्रैगन के माध्यम से पॉलिटीशिया की किस्मत एकदिन बदलती है, लेकिन अनेक नाटकीय घटनाक्रमों के बाद...
Suniti Chandra Mishra
I am involved in writing poems, novels, stories and other useful books since my early youth. After graduating from Mithila University (India), I adopted a career as a language teacher and served at several schools. I further served as Office Secretary of the Continental Board of Baha’i Counsellors in Asia (Gwalior office) where I was responsible for independently handling correspondence with Baha’i and non-Baha’i international institutions and developing study materials. I also served, during the same time, on the Translation & Review Committee of the National Spiritual Assembly of the Baha’is of India and translated a number of books including the Most Holy Book of the Baha’i Faith (by Baha’u’llah), Covenant (by Lowell Johnson), The Bab – The Herald of the Day of Days (H.M. Balyuji) among others.I am presently collaborating with a number of reputed translation agencies of India and abroad as a freelance writer and translator and have served in that capacity scores of international clients and companies of Australia, Canada, India, UK and USA. My books “Did I Exist Before ....?” published by Pustak Mahal (www.pustakmahal.com) and “A Writer’s Manual” published by V&S Publishers, New Delhi, are carving out a niche in the market. For link of my write-ups please follow: http://www.boloji.com/index.cfm?md=Content&sd=Writers&WriterID=1537
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पॉलिटीशिया का ड्रैगन - Suniti Chandra Mishra
भूमिका
मैं एक ड्रैगन हूँ—एक भयंकर अजदहा, और ऐसी कोई बात नहीं कि मैं इन्सान होना चाहूँ। मैं एक ड्रैगन हूँ—पता नहीं किस देश का, क्योंकि देश और ऐसी तमाम सीमाएँ सिर्फ इन्सानों की होती हैं। किन्तु मैं तो एक ड्रैगन हूँ जो सिर्फ आग उगलता है और अपनी लपलपाती हुई जीभ से चट कर जाता है उन कुकर्मी इन्सानों की बस्तियाँ जिनके आदिम पुरखों को कभी ईश्वर ने रचा था—इतने प्यार से, इतने जतन से, कि उसने देवदूतों से भी कहा था: झुको, यह मेरी रचना है। यह है मेरे असीम प्यार की कृति, मेरा मानव, मेरा आदम, नतमस्तक हो जाओ
। परन्तु लगता है कालक्रम में बहुतेरे इन्सानों ने उसी इब्लिस से हाथ मिला लिया जिसने उसके सामने सिर झुकाने से इन्कार कर दिया था। खौफ़नाक यह इन्सान...इब्लिस से भी बदतर!
मैं एक ड्रैगन हूँ! कहा न, पता नहीं किस देश का हूँ। परन्तु जानता हूँ, तुम हो निरे इन्सान। व्यापक इयत्ता की सोच तो तुममें से बहुतों के पास है ही नहीं। तुम किसी यथार्थ को जान ही नहीं सकते, जबतक कि उसे ’सीमा’ का एक नाम ना दे दो। कौन हो तुम? क्या नाम है तेरा? उमर कितनी? शादी-शुदा हो? बच्चे हैं? कहाँ के हो? इन सवालों से ऊपर तो तुम उठ ही नहीं सकते। तो सुनो...तुम्हारी तसल्ली के लिए मैं भी अपने देश का एक नाम गढ़ लेता हूँ—पॉलिटीशिया। ओह, तुम्हारी जिज्ञासा अभी भी खत्म नहीं हुई? तो जाओ...तुम इन्सान हो ना! सुना है तुम्हारे पास नक्शे हैं, बड़े-बड़े ग्लोब...भूगोल की मोटी किताबें। ढूँढो, कहाँ है पॉलिटीशिया...और अगर ना मिले तो उस जमीन को ही समझ लेना जो शायद तुम्हारे पैरों के नीचे कराह रही है।
मैं एक ड्रैगन हूँ। मैं पॉलिटीशिया द्वीप के एक सुन्दर से गाँव में पैदा लिया था—वेल्सफेयर में। वह गाँव जो कभी एक एस्टेट था—एक छोटे-से राजा का एक छोटा-सा एस्टेट। राजा तो सभी छोटे ही होते हैं क्योंकि अधिकार और सत्ता की नन्ही-सी दुनिया के आगे उनका न कोई अर्थ होता है, न कोई साम्राज्य। मगर वे सब अपने को बहुत बड़ा मानते हैं। मेरे एस्टेट का राजा भी एक ऐसा ही छोटा-सा राजा था जो एक दिन एक छोटी-सी कब्र में समा गया। अपने पीछे छोड़ गया वह एक खंडहरनुमा महल, उम्र की अन्तिम दहलीज पर खड़ी दो स्वनामधन्य रानियाँ जो अपने अतीत-गौरव के पोपले मुँह पर वर्तमान के अभाव की झाइयाँ लिए अपने वातायनों से गाँव का चरागाह निहारा करती थीं, जहाँ ढोर वाले बच्चे अपनी भेड़-बकरियों के बीच बाँसुरी बजाया करते थे। एक पगला-सा राजकुमार भी था। भारी-भरकम नाम था उसका—विक्टर हॉटपीटर ऑफ वेल्सफेयर एस्टेट। बिल्कुल पागल था वो, लेकिन कहीं न कहीं उसके अन्दर इन्सानों से कहीं बेहतर दिल था। बच्चे उसके पीछे दौड़ते और हँसते थे, क्योंकि बच्चों के लिए कौन कहाँ का राजा और कौन कैसा राजकुमार!
प्रिंस हॉटपीटर ऑफ वेल्सफेयर एस्टेट, जिनकी काली-उजली खिचड़ी दाढ़ी, धूल सने बाल और लाल-लाल नेत्र उनके पागल व्यक्तित्व में चार चाँद लगाते थे, एक अदा और भी पालते थे। उनके हाथों में होती थी लोहे की एक वजनी जंजीर जिसे घसीटते हुए गाँव की खाक छानना और कहीं बूढ़े-बुजुर्गों के चौपाल में बैठकर अतीत-कथा सुनाना उनका प्राय: रोज का काम था। उस भारी-भरकम जंजीर में सौ साल पहले उनके परमपूज्य पिता किंग डोंगर डल्लास विक्टर का प्यारा-सा विशाल हाथी माटुंगा बँधा रहता था और यह मतवाला माटुंगा उनके दादा किंग आर्क बापुनो डल्लास के हथशाल के सबसे ताकतवर हाथी जुनूनो की सन्तान था, और जुनूनो का बाप जिब्राल्टर—ओ बाबा! जब वो चलता था तो धरती दलकती थी! बड़ी-बड़ी कहानियाँ थीं हॉटपीटर के पास। किस लड़ाई में जिब्राल्टर ने कितनों के दाँत खट्टे किए, कैसे एक अलैक्जेंडर नामक शूरमा को पछाड़ा, कैसे एक हथिनी से उसे प्यार हुआ और जुनूनो पैदा हुआ...फिर जुनूनो ने कितने गुल खिलाए...कितनी लड़ाइयों में कितनों के सिर कुचले...कितने महारथी आर्यन घोड़ों को अपनी सूँढ़ में लपेटकर फेंक मारा...कितने अरेबियन अश्वारोहों को धूल चटाई...और फिर माटुंगा के अविश्वसनीय कारनामे...पुरखों की विजय-गाथा की ढोल! बस यही सब कहते-कहते प्रिंस हॉटपीटर ऑफ वेल्सफेयर एस्टेट उन चौपालों में तबतक डटे रहते थे जबतक ऊबकर और उन्हें विदा करने की गरज से कोई रोटी के दो टुकड़े उनके सामने न डाल दे। कोई-कोई दरियादिल ’राजकुमार’ के सम्मान में शराब भी परोस देता था।....और अपने लड़खड़ाते पैरों से कुमार विक्टर हॉटपीटर अपने खंडहर....ओह…’महल’...की ओर चल देते थे।
समझे? तो मैं पॉलिटीशिया देश के एक ऐसे ही गाँव में पैदा हुआ था, और एकदिन मैं मर गया। मगर ड्रैगन कभी मरता नहीं है—मैं फिर जी उठा हूँ, फिर अपने पॉलिटीशिया लौट आया हूँ। सच्चाई तो यह है कि सारा का सारा पॉलिटीशिया मेरे ही गाँव की संस्कृति का दर्पण है। यहाँ सब के सब प्रिंस हॉटपीटर हैं...चुके हुए, पिछड़े हुए, मगर गाल बजाते हुए।
आज न वो जिब्राल्टर है, न जुनूनो, न माटुंगा...सारे के सारे हाथी मर चुके...अतीत का विजयी कारवाँ विस्मृति की गोधूलि में खो चुका है...न वो महल है...न वो राजा...न वो रानियाँ...न वो छमक...न वो नृत्य...न वे मुनादियाँ...न वे तुरही के घनेरे घोष...न लश्कर...न काफिला...सिर्फ एक जंजीर है...एक वजनी जंजीर। हाथी मर चुके, पॉलिटीशिया के सारे हॉटपीटर सिर्फ जंजीर लिए घूम रहे हैं...शान से मगर इस फिराक में कि कोई एक रोटी तो डाल दे, जरा-सी मदिरा की एक घूँट उनके हलक में उतार दे। मैं उसी पॉलिटीशिया का ड्रैगन हूँ। मैं फिर मरूँगा, मगर जबतक यह विकृत पॉलिटीशिया आबाद है, मैं जन्म लेता रहूँगा...लेता रहूँगा।
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कथा सारांश
यह पूरी कहानी पॉलिटीशिया नामक काल्पनिक द्वीप पर घटित होती है जो एक समुद्र के पास स्थित एक बहुत ही छोटा और स्वतंत्र देश है और जिसकी दूसरी ओर डौंडाला नामक एक पर्वत है। इस द्वीप के अधिकांश लोग नैतिक अध:पतन के जीते-जागते प्रमाण हैं जिनका समय फालतू की गप्पबाजी, अपराध, पाखंड, अव्यवस्था और महिलाओं के प्रति लम्पटपना दर्शाने में ही बीतता है। एक समय था जब बड़ा भव्य था यह द्वीप, मगर वर्तमान परिदृश्य तो बिल्कुल विपरीत है। रोज के निकम्मेपन में डूबे, तम्बाकू, अफीम, ड्रग और नशे की दुनिया में निमग्न इन लोगों के लिए औरत सिर्फ सेक्स की वस्तु है। यहां की पुलिस, यहां के राजनेता, धर्मगुरु व अधिकारी लोग, और यहां तक कि स्वयं पर ’बुद्धिजीवी’ का ठप्पा लगाने वाले लोग भी अपने-अपने ’परिष्कृत’ तरीके से इसी नैतिक अवमूल्यन और सेक्स की अतृप्त भूख की गर्त में गिरे हुए हैं। फिर भी, तुर्रा यह कि अपने देश और इसकी तथाकथित ’अतीत-गरिमा’ पर बड़ा फख्र है उन्हें। ऐसे नैतिक पतन वाले देश में एक युवक रहता है—क्रूसेडो—जो बचपन में अनाथ हो गया था, जो इस छोट-से द्वीप की दुर्दशा से खिन्न है लेकिन जिसके पास इस कुव्यवस्था से लड़ने का कोई औजार नहीं है।
एक रात जब यह सारा द्वीप गहरी नींद में सो रहा था, किसी अज्ञात देश से एक विमान माउंट डौंडाला पर आकर उतरता है और क्रोध का देवता—रैडो—उस विमान में एक ड्रैगन को लेकर आता है और उसे अपना मिशन पूरा करने के लिए डौंडाला पर्वत पर छोड़कर वापस चला जाता है।
एक रात प्रकृति का कोप एक जबर्दस्त आंधी के रूप में प्रकट होता है और वह भयावह ड्रैगन अपनी नींद से जागता है। पहली बार वह पॉलिटीशिया के लोगों को अपनी झलक दिखाता है। अगली रात वही ड्रैगन क्रूसेडो के सामने आता है और यह कहकर उसे अपना मित्र बना लेता है कि ’सुपरमाइंड’ (ईश्वर) ने उसे पॉलिटीशिया की तकदीर बदलने के लिए यहां भेजा है, और चूंकि क्रूसेडो एक अच्छा इन्सान है इसलिए ’सुपरमाइंड’ ने उसे इस परिवर्तन के एक साधन के रूप में चुना है। लेकिन इसके लिए क्रूसेडो को अपने भीतर एक दर्द की प्रक्रिया से गुजरना होता है। हालांकि क्रूसेडो के मन में इस दर्द से डर जरूर है लेकिन उसे अपने देश से प्यार है और इसलिए वह यह दर्द झेलने को तैयार हो जाता है। दूसरी ओर, ड्रैगन उसे ’सुपरमाइंड’ की ओर से एक ’मधुर उपहार’ का आश्वासन भी देता है।
इस कहानी के साथ ही एक समानांतर कथा फ्रांस देश से शुरू होती है जहां मि. जैक्विस ड्यूपौंट दर्शनशास्त्र के एक प्रोफेसर हैं और पोस्ट-ग्रैज्युएट छात्रों के सामने अपना लेक्चर दे रहे हैं। अपने इस व्याख्यान के दौरान प्रोफेसर ड्यूपौंट पॉलिटीशिया देश का उल्लेख करते हैं जो उनकी दृष्टि में दार्शनिक विचारों और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत वाला देश है। उनके छात्रों में से एक है वान्या लीलैंड, एक खूबसूरत युवा विधवा, जिसका पति अनातोले 18 साल पहले एक जहाज दुर्घटना में मारा गया था। पॉलिटीशिया के बारे में प्रोफेसर ड्यूपौंट के विचारों से प्रभावित वान्या आध्यात्मिक तृष्णा से भर जाती है और पॉलिटीशिया द्वीप की यात्रा के लिए लालायित हो उठती है। लेकिन अपनी बेटी बीट्रिश के साथ पॉलिटीशिया के ओल्ड चिली एयरपोर्ट पर उतरते ही उसके मन में समाई पॉलिटीशिया की भव्य छवि धराशायी होने लगती है। वह और उसकी बेटी दो टैक्सी ड्राइवरों की वासना की शिकार होने से बचती हैं। उन्हें बचाते हैं पॉलिटीशिया के एक उपमंत्री और उनके अधिकारी—ताकि वे दोनों उनकी वासना के शिकार बन सकें।
एक रात ड्रैगन फिर क्रूसेडो के सामने ’अवतरित’ होता है और स्वयं को मनुष्य के रूप में बदल लेता है। ड्रैगन और क्रूसेडो मिलकर उन अपराधों पर से पर्दा उठाते है जिनका शिकार इन दो फ्रांसीसी पर्यटकों को होना पड़ता है। बाकी कहानी मंत्री (पेस्टर मौंटो), उसके बेटे और अधिकारियों के हाथों इन दो महिलाओं की यातनाओं और शोषण के कहानी है—और ड्रैगन के प्रतिशोध की!
जब यह सबकुछ हो रहा है तो उधर क्रूसेडो के मन में एक मीठी-सी हलचल भी उठ रही थी। यही वह दौर है जब एक खूबसूरत परी—अतूसा—मानवी रूप में उसके सामने प्रकट होती है और इस तरह क्रूसेडो को ’सुपरमाइंड’ द्वारा प्रतिज्ञापित ’मधुर उपहार’ मिलता है।
यातनाओं से ऊबकर फ्रांसीसी पर्यटक (मां-बेटी) फ्रांस लौटने के लिए बाध्य हो जाती हैं मगर अतूसा उनसे कहती है कि इस तरह जाना कायरता होगी और बलात्कारियों को दंड मिलना ही चाहिए। दुष्टों को सजा दिलाने के लिए सब एकजुट होते हैं। अतूसा क्रूसेडो से यह भी कहती है कि इस ड्रैगन स्टाइल में भ्रष्ट लोगों से लड़ने से काम नहीं चलेगा, पूरी प्रणाली बदलनी होगी। वह क्रूसेडो को राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए मनाती है। वह क्रूसेडो को बिल्कुल बदल देती है और स्वयं को एक ऐसी नारी साबित करती है जो पुरुष की प्रेरणा हुआ करती है।
इन बातों के दौरान, ड्रैगन एकबार फिर क्रूसेडो के सामने प्रकट होता है और कहता है कि ’मैं तो सुपरमाइंड के हाथों रचा हुआ एक छोटा-सा ड्रैगन हूँ, लेकिन असली ड्रैगन तो इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे धरती की सबसे विशाल ताकत को भी मटियामेट कर सकते हैं।’ कौन हैं वे असली ड्रैगन??
ड्रैगन और क्रूसेडो के पास एक वीडियो रील है जिससे मंत्री पेस्टर मौंटो की काली करतूतों का पर्दाफाश हो सकता है। पेस्टर को इस बात का भी डर है कि लोगों के मन में क्रूसेडो के प्रति बहुत आदर भावना थी। तो ऐसी बहुत सी घटनाएं होती हैं जिन्हें वह भ्रष्ट मंत्री अपनी इज्जत बचाने और अपने दुश्मनों
का सफाया करने के लिए अंजाम देता है। इस कार्य के लिए वह अपने आध्यात्मिक संरक्षक ढोंगर बाशा की भी मदद लेता है जो उसे यह सलाह देता है कि फ्रेंच औरतों के बलात्कार मामले से लोगों का ध्यान हटाने के लिए वह साम्प्रदायिक और जातीय घृणा फैलाए। अंतत:, ड्रैगन और क्रूसेडो मिलकर उसका पर्दाफाश कर देते हैं। लोग पेस्टर मौंटो की जान लेने पर आमादा हैं लेकिन ड्रैगन उन्हें रोकता है और कहता है कि वे उसे चुनाव में हराकर बदला लें।
बिल्कुल हताश और निरुपाय वह मंत्री अपराधी तत्वों की शरण में जाता है और धन या बाहुबल से चुनाव जीतने का हथकंडा अपनाता है। लेकिन अब लोग वही करते हैं जो क्रूसेडो और ड्रैगन चाहते हैं। जब धन-बल हार गया तो बाहु-बल आजमाया जाता है। वोट के दिन, लोगों को डराने-धमकाने के लिए मंत्री और उसके अपराधी तत्व अनेक चुनाव बूथों पर जाते हैं। अन्तिम पॉलिंग बूथ महिलाओं के लिए है....घटना की एक निर्णायक और नाटकीय परिणति में...सभी महिलाएं ड्रैगन में बदल जाती हैं और मंत्री और उसके गुर्गों पर झपट पड़ती हैं। सब ड्रैगन बन जाते हैं और उस पापी मंत्री के पीछे पड़ जाते हैं। चुनाव के परिणाम आते हैं। क्रूसेडो चुनाव जीत जाता है और राष्ट्रपति बनता है। पॉलिटीशिया के कल्याण के लिए शपथ लेते हुए, वह लोगों को भी तीन कसमें खाने को कहता हैं। क्या हैं ये तीन कसमें??
घटनाओं के समस्त ताने-बाने के बीच, एक विदेशी भिखमंगा भी है जो बहुत दिनों से पॉलिटीशिया में रहता आ रहा है और कोई उसके बारे में कुछ नहीं जानता। वह पागल दिखता है और कुछ नहीं बोलता। जब क्रूसेडो राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले रहा है और लोगों की भीड़ उमड़ आई है तो वह विदेशी भी भिखमंगों की जमात में खड़ा है और अब अपनी गिटार बजाते हुए कुछ गा रहा है। कौन है यह विदेशी भिखमंगा...अपनी गिटार पर प्यार की धुन छेड़ने वाला? क्या समय बीतने के साथ प्यार की खुशबू भी खो जाती है?
उस द्वीप पर एक और पगला है—हॉटपीटर। बहुत पहले...उसके बाप-दादाओं की एक छोटी-सी रियासत थी, बड़े सुख भरे थे वे दिन, मगर अब कहां! मानसिक रूप से वह पगला उसी गौरवमय अतीत में जिया करता है लेकिन उसका वर्तमान इतना दुखद है कि जरा-सी शराब के लिए उसे लोगों के तलवे चाटने पड़ते हैं। लोग उसे चिढ़ाते हैं, बच्चे मसखरी करते हैं। वह भी कहानी का एक रोचक चरित्र है जिसके पास अपने ’हाथी’ के बारे में एक-से-एक मजेदार किस्से हैं।
और अब ड्रैगन का मिशन पूरा हो चुका है। अबतक वह उस द्वीप के लोगों के प्यार में डूब चुका है। क्या वह उस द्वीप से चला जाता है? क्या अंजाम होता है उसका? कहानी दुख और सुख की एक मिली-जुली अनुभूति के साथ समाप्त होती है और लगता है कि कहानी खत्म हो भी गई और नहीं भी।
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रैडो
यह एक निस्तब्ध रात की बात है। सारा पॉलिटीशिया द्वीप सोया पड़ा है। कोई हजार वर्ग किलोमीटर में फैला एक छोटा-सा बहुरंगा द्वीप। चारों ओर खामोशी है किन्तु विशाल समुद्र की गर्जमान लहरें रह-रहकर इस समस्त वातावरण को अपने हुंकार से भर रही हैं। जहाँतक देखो न कोई ओर है न छोर है। बस विशाल समुद्र का साम्राज्य और उसकी भयभीत करती गर्जना। तारों भरे आकाश में अर्द्धाकार चन्द्रमा अपनी पूरी भव्यता के साथ विभासित है और उसकी सुनहली किरणें दूर-दूर तक फैले विस्तीर्ण सागर पर अठखेलियाँ करती हुईं एक अलौकिक प्रेम, एक रहस्यमय आनन्द के तरल लोक में निमग्न होती जा रही हैं। ऐसे में उस विस्तीर्ण सागर की लहरों पर दूर...बहुत दूर...पाल फहराए एक नौका किसी अनजान यात्रा की ओर जा रही है और ’अदृश्य’ के इस विमोहक सौन्दर्य को देखकर किसी विह्वल हृदय से फूट पड़े हैं ये गान:
विश्व के कपोल पर लुटी हुई विभा
यामिनी सुरम्य गान छेड़ने लगी
खिल उठे हैं ज्योति के असंख्य ये सुमन
चाँदनी विमुग्ध स्नेह फेरने लगी।
प्रकट हुई है किस परम विभा से यह छटा?
ये किस अदृश्य चेतना का ताम-झाम है?
तारकों के देश के विराट देवते!
धूलि के निमेष का तुम्हें प्रणाम है।
सो रहा जगत किसी विशाल गोद में
जग रहे हैं पर किसी के अनगिनत नयन
हे महान! हे परम! जगत-निधान हे!
निरीह विश्व का तुम्हें है कोटिश: नमन।
तू अनादि, तू अनन्त, चिर निगूढ़ तू
तू प्रफुल्ल ज्योत्स्ना, तू पूर्णकाम है
तारकों के देश के विराट देवते!
धूलि के निमेष का तुम्हें प्रणाम है।
अथाह जल अतल, असीम आसमान है
तुम्हीं से यह सकल जगत प्रकाशमान है
ये रूप, रंग, गंध, रस, ये ताल, गति, ये लय
तुम्हीं से हो रहा है चेतना का यह उदय।
यह अनवरत जो चल रहा है चक्र कर्म का
तुम्हीं से जागता, तुम्हीं में फिर विराम है
तारकों के देश के विराट देवते!
धूलि के निमेष का तुम्हें प्रणाम है।
ऐसे विशाल सागर की गोद में एक त्रिभुज की तरह सोया पड़ा पॉलिटीशिया द्वीप आकाश से देखने पर कितना छोटा जान पड़ता है—अनन्त विस्तार में एक तुच्छ अस्तित्व की तरह! इसकी उन्नत इमारतों के कंगूरे अब दूर से ही दिखलाई पड़ने लगे हैं...आसमान में सिर उठाते अहंकार के मस्तकों की तरह! सिर उठाकर ऊपर देखो, ओ गर्व के पुतलों! देखो...इस निस्तब्ध चन्द्र-निशा में एक एलियन क्राफ्ट बड़ी तेजी से इसी पॉलिटीशिया के ऊपर बढ़ा चला आ रहा है। लगता है कोई विशालकाय ह्वेल आकाश में तैरता हुआ चला आ रहा हो। लेकिन यह ह्वेल नहीं, क्रोध के देवता रैडो का विमान है जो बड़ी तेजी से नीचे, और नीचे उतरता चला आ रहा है।
क्रेटर!
भयानक लाल चेहरे वाले रैडो ने अपने पास सिकुड़ कर लेटे हुए उस विचित्र, विद्रूप ड्रैगन को जगाया, किन्तु वह सोया रहा। क्रेटर!
अपने रोबोटनुमा इस्पाती हाथों से रैडो ने उसकी मोटी, कंक्रीट-सी चमड़ी को लगभग खरोंचते हुए उसे फिर जगाया, किन्तु क्रेटर सोया रहा। उदग्र क्रोध का साक्षात अवतार रैडो अपने सिर के अगले हिस्से में बने असंख्य माइक्रो छिद्रों को क्रेटर की ओर संकेन्द्रित करते हुए गुर्रा उठा: क्रेटर!
वह इतना जोर से दहाड़ा कि पूरा विमान हिल उठा। उन असंख्य छिद्रों से निकलकर बैगनी लेजर किरणें लपलपा कर क्रेटर की ओर बढ़ीं और एक ही क्षण में करोड़ों मेगावाट की शक्तिशाली विद्युत-धारा के मात्र एक झटके से चिहुँककर क्रेटर अपने चार छोटे-छोटे पैरों पर उछलकर बैठ गया। उस भयंकर सर्पनुमा राक्षस ने अपनी गर्दन घुमाई, छोटी किन्तु धृष्ट आँखों से रैडो की ओर देखा, अपने पैरों को सीधा करते हुए उसने चील जैसे चंगुलों से अपनी खुरदरी पीठ खुजलाई और जमुहाई लेते हुए आग की एक लम्बी लपट छोड़ते हुए घड़घड़ाती हुई आवाज में बोला: हाँ, रैडो! क्या हम आ गए?
क्राफ्ट के नीचे बनी गटर जैसी सुराख से अपनी लम्बी गर्दन निकालते हुए उसने अथाह समुद्र की हुंकार भरती लहरों पर आग का एक बड़ा-सा शोला फेंका और शान्त, सुषुप्त पॉलिटीशिया की गगनचुम्बी इमारतों पर एक वंकिम दृष्टिपात करते हुए बोला: खूबसूरत द्वीप है, यहाँ की नवयुवतियाँ कितनी अच्छी होंगी!
तुम बस वह सोचो जो तुम यहाँ करने आए हो
, रैडो ने खा जाने वाली नजरों से उसे घूरते हुए एक गंभीर चेतावनी दी और अगले ही क्षण वह क्राफ्ट पॉलिटीशिया के एकमात्र पर्वत—डौन्डाला—की एक सपाट सतह