नास्तिकता
By Gaurav Nigam
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About this ebook
संक्षेप
सबसे पहले तो मैं ये बता दूँ कि प्रस्तुत किताब में जो कुछ भी लिखा गया है उसका सन्दर्भ किसी कवि, लेखक, किसी धार्मिक ग्रन्थ अथवा किसी सिनेमा या धारावाहिक से नहीं लिया गया है। और न ही किसी समाज या उसके रीति रिवाज़ों से कोई सम्बन्ध रखता है। यहाँ लिखा गया सब कुछ पूर्ण रूप से मेरे अपने विचार हैं और इन्हें सही या गलत समझने का सभी को पूरा अधिकार है। और मैं जिस सिद्धांत के बारे में यहाँ बताने वाला हूँ उसके बारे में हर एक समुदाय बात करता है क्योंकि बिना उसकी बात किये कोई समाज, कोई समुदाय धर्म को समझा ही नहीं सकता। ये दृष्टिकोण भी आपको इस किताब के पढ़ लेने के बाद समझ में आ जायेगा। इस किताब में मैंने सरल से सरल भाषा का उपयोग किया है जिससे कि आज की पीढ़ी के लोग भी इससे अच्छी तरह समझ सकें। हालांकि इसे अंग्रेजी में लिखा जाता तो यह ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकती थी। परन्तु मातृभाषा हिंदी होने के कारण खुद के विचार पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए हिंदी का चयन किया है। उम्मीद है कि आपके विचारों से संपर्क करने और उन्हें सही दिशा देने की मेरी यह कोशिश कामयाब होगी।
लेखक परिचय
इस किताब के लेखक गौरव निगम मूल रूप से दिल्ली के निवासी हैं। इन्होने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से कोरियाई भाषा में ग्रेजुएशन किया है। इन्होने खुद से ही ग्राफिक डिजाइनिंग और वीडियो एडिटिंग सीखी और अपना यूट्यूब चैनल और वेबसाइट भी बनायी जहां ये कोरियाई भाषा सिखाते हैं।
इनकी वेबसाइट का नाम www.gauravnigam.in है । यह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं। यह किताब इनका पहला प्रकाशन नहीं है। इससे पहले बचपन में भी इनकी लिखी कहानियों की किताब प्रकाशित हुई है। भारत में प्रकाशित होने वाली कोरियाई प्रत्रिका 'नमस्ते इंडिया' में भी इनके लिखे कई लेख छपे हैं। इनके तमाम शौक जैसे कहानियाँ और कविताएँ लिखना, डिजाइनिंग, गाना इत्यादि भी आप इनकी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं।
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Book preview
नास्तिकता - Gaurav Nigam
नास्तिकता: सृष्टि का एकमात्र धर्म
लेखक: गौरव निगम
प्रकाशक:
ऑथर्स ट्री पब्लिशिंग हॉउस
Authors Tree Publishing House
W/13, Near Housing Board Colony
Bilaspur, Chhattisgarh 495001
Published By Authors Tree Publishing 2024
Copyright © [GAURAV NIGAM] [2024]
All Rights Reserved.
ISBN: 978-93-94807-85-3
भाषा: हिंदी
सर्वाधिकार: गौरव निगम
प्रथम संस्करण: 2024
मूल्य: Rs.225/- प्रति
यह पुस्तक इस शर्त पर विक्रय की जा रही है कि लेखक या प्रकाशक की लिखित पूर्वानुमति के बिना इसका व्यावसायिक अथवा अन्य किसी भी रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता। इसे पुनःप्रकाशित कर बेचा या किराए पर नहीं दिया जा सकता तथा जिल्द बंद या खुले किसी भी अन्य रूप में पाठकों के मध्य इसका परिचालन नहीं किया जा सकता। ये सभी शर्तें पुस्तक के खरीदार पर भी लागू होंगी। इस संदर्भ में सभी प्रकाशनाधिकार सुरक्षित हैं।
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नास्तिकता
सृष्टि का एकमात्र धर्म
गौरव निगम
अनुक्रमणिका
लेखक परिचय
इ
स किताब के लेखक गौरव निगम का जन्म दिल्ली में हुआ। उन्हें बचपन से ही कहानियाँ, कविताएँ लिखने का, चित्रकारी और गाना गाने का शौक था। वह स्कूली दिनों में पढाई में बहुत अच्छे नहीं थे। बारहवीं के बाद उन्होंने बी कौम करने के लिए एक कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन लगातार दो साल तक फेल होने के बाद उन्होंने उसे बीच में ही छोड़ दिया। उनकी माता जी दिल्ली विश्वविद्यालय आर्ट्स फैकल्टी में नौकरी करती थीं। उन दिनों आर्ट्स फैकल्टी के भाषा विभाग के दफ्तर में एक क्लर्क की अस्थायी नौकरी निकली थी। इन्होने वहाँ इंटरव्यू दिया और चुन लिए गए। इन्होने छः महीने उस दफ्तर में काम किया। उस दौरान वहाँ एशियाई भाषाओँ में सिर्फ चीनी और जापानी भाषा में डिप्लोमा होता था। जिस दौरान यह वह काम कर रहे थे उसी दौरान कोरियाई भाषा की शुरुआत हुई। इनकी माता जी के वहाँ कार्यरत होने के कारण इन्हें आसानी से उसमें दाखिला मिल गया। कोरियाई भाषा में इन्हें इतनी रूचि हुई कि तीन साल के कोर्स में लगातार हर साल अव्वल आये और तीनों साल कोरिया भी गए। आखिरी साल में इन्हें एक साल दिल्ली विश्वविद्यालय में कोरियाई भाषा पढ़ाने का भी अवसर मिला और ग्यारहवें विश्व कोरियाई भाषण प्रतियोगिता जो फिलीपीन्स में आयोजित हुई थी उसमें भी इन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा गया जहाँ इन्हें प्रथम पुरूस्कार मिला। उसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इन्होने कोरियाई भाषा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद से अनेकों कोरियाई कंपनियों में यह काम करते आये हैं। चित्रकारी के कारण इन्हें ग्राफ़िक डिजाइनिंग में भी रूचि हुई और इन्होने खुद से ही ग्राफ़िक डिजाइनिंग और वीडियो एडिटिंग सीखी और अपना यूट्यूब चैनल और वेबसाइट भी बनायी जहां ये कोरियाई भाषा सिखाते हैं। इनकी वेबसाइट का नाम www.gauravnigam.in है। यह अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं। यह किताब इनका पहला प्रकाशन नहीं है। इससे पहले बचपन में भी इनकी लिखी कहानियों की किताब प्रकाशित हुई है। भारत में प्रकाशित होने वाली कोरियाई प्रत्रिका 'नमस्ते इंडिया' में भी इनके लिखे कई लेख छपे हैं। इनके तमाम शौक जैसे कहानियाँ और कविताएँ लिखना, डिजाइनिंग, गाना इत्यादि भी आप इनकी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं।
संक्षेप
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बसे पहले तो मैं