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निबंध सरिता
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निबंध सरिता

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'निबंध सरिता' यानि 'निबंधों की नदी' हिंदी साहित्य में 40 लोकप्रिय पुस्तकों के लेखक और प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. तारा सिंह द्वारा संकलित दूसरी निबंध-पुस्तक है। हर भाषा को सदियों से सामाजिक सोच के बदलते तरीके के साथ-साथ सांस्कृतिक परिवर्तनों से भी जूझना पड़ता है। हम उन्हें मध्यकालीन युग का इतिहास और उसके बाद वर्तमान युग का इतिहास कह सकते हैं। निबंध-पुस्तकें मानव समाज की सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ जीवन के तरीकों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण परिवर्तनों का विवरण प्रस्तुत करती हैं जो युगों से होते हैं। किसी विशेष क्षेत्र / देश में प्रचलित धर्म और समुदाय विभिन्न महासागरों, पहाड़ों, पहाड़ी क्षेत्रों, ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों, प्राकृतिक संसाधनों और सीमाओं से घिरे होने के कारण एक अलग इकाई के रूप में अपनी मान्यता को गौरवान्वित करते हैं।

निबंध-पुस्तकें (निबंध) पूरी दुनिया में पुरानी और नई विविधताओं, राष्ट्रीय त्योहारों, पर्यटन, व्यापार के अवसरों, देशों के विदेशी संबंधों का विवरण प्रस्तुत करती हैं। भारतेंदु और उनके सहयोगियों ने भारत में पहली ऐसी हिंदी निबंध-पुस्तक संकलित की। डॉ. तारा सिंह ने अपनी दूसरी निबंध-पुस्तक, 'निबंध सरिता' की गणना करते हुए सबसे वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया है। हमें पूरी उम्मीद है कि इसे पाठकों द्वारा खूब सराहा और पसंद किया जाएगा।

Languageहिन्दी
Release dateJan 16, 2021
ISBN9781639407453
निबंध सरिता
Author

डॉ. तारा सिंह

Dr. Tara Singh, well known Hindi Litterateur, a versatile writer, taking keen interests in writing Poems, Short Stories, Novels, Ghazals, Filmy Songs and Essay Books.She always deals with real facts and original aspects of a relationships between individuals / family members / friends. Thus, she illustrates not only the pleasant love but also sometimes resulting development like despair, betrayals and disloyalties.With publication of 46 books (Novels-4, poetry books-20, story books-15, Ghazal books-7), she is presently working as the Editor-in-Chief and Administrator of www.swargvibha.com (A leading Hindi Website) and the Swargvibha Hindi quarterly magazine. She has gotten wide applauses for her emotional and thoughtful Poems, Stories and Ghazals, while dealing with Social and Family issues, Personal and Social delicacies, Philosophy of life and Reality, Birth and Death Cycles, etc.Dr. Tara Singh's outstanding works have been duly recognized and she has already been awarded 255 awards / felicitations / trophies from both National and International Organizations of repute. Her writings / books are now available at www.swargvibha.com and www.kukufm.com (As Audiobooks), Google books, www.amazon.in, www.flipkart.com, Insta Publish, Suman Publications, www.pothi.com, Central and State Libraries in India and 30 other websites world over, etc. Her Biography, “TARA SINGH AUTHOR” has been published by Barnes and Noble (USA 2011) and also by Rifacimento International, 9 times in Who's Who (2006-2019) and Wikipedia. Her writings are always full of serious thoughts, topics, pace of happenings and philosophy of life.

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    निबंध सरिता - डॉ. तारा सिंह

    निबंध सरिता

    आलेख – संग्रह

    डॉ. तारा सिंह

    निबंध सरिता

    आलेख – संग्रह

    Author: Dr. Tara Singh

    Published: May 2021

    First Edition

    Printer Details: Paperback

    Copyright: Dr. Tara Singh

    All rights reserved including reproduction whole or in part in any form.

    ISBN: 978-16-394074-5-3

    Publisher: Swargvibha Publishing House

    Publisher Address: A-1601, Sea Queen Heritage, Plot-6, Sector-18, Sanpada, Navi Mumbai, Maharashtra – 400705

    अपनी बात

    ‘निबंध सरिता’, मेरे निबंध की दूसरी कड़ी है| इसके पहले मैं आपलोगों के समक्ष ‘रम्यतटी’ निबंध-संग्रह आपकी सेवा में पेश कर चुकी हूँ| पहले तो मैं बताना चाहूँगी, निबंध क्या है? निबंध गद्य लेखन की एक विधा हैदुनिया की प्रत्येक भाषा के साहित्य के अतीत और वर्तमान में, काल-प्रवाह के साथ वैचारिक और सांस्कृतिक परिणतियों के फलस्वरूप कुछ शताब्दियों के बाद, प्राचीन और नवीन का भेद स्पष्टत: लक्षित होने लगता है| जिसे हम मध्यकालीन इतिहास या आधुनिक इतिहास कहते हैं| हिंदी साहित्य के आधुनिक युग में ‘भारतेन्दु’ और उनके सहयोगियों से निबन्ध लिखने की परम्परा का आरंभ होता है|

    निबंध लिखने का मुख्य उद्देश्य, देश तथा दुनिया केऐसे व्यक्तिव, तथा उससे जुड़े ऐसी बातों को जानना होता हैजिस पर मानव समाज को गर्व, अथवा अत्यंत घृणा होती हैया फिर ईश्वर प्रदत्त ऐसी चीजें जो हर प्राणी को जीवित रहने के लिए जरूरी है| ईश्वर ने इस दुनिया को सुंदर, सुघड़ बनाने के लिये, कितने ही रंग बिखेरे हैंऋतुओं का रंगीला यह संसार, जिसमें गोरी, काली, चिकनी, रेतीली, हर रंग की मिट्टियाँ विद्यमान हैं| स्वस्थ और साफ़ रखने के लिये, वायु, पहाड़नदियाँ, सागर, समुद्र, गर्म से गर्मशुष्क से शुष्क, तर से तर आदि-आदि क्या कुछ हमें ईश्वर ने ज़िंदा रहने के लिये नहीं दिया है|

    ‘व्यवसाय’ जो हमें आत्म निर्भर बनाता है, निरक्षरता, और औद्योगिक पिछडापन, आज दुनिया में एक विकट समस्या बनकर खड़ी है| ऐसा क्यों? धर्म और सम्प्रदाय क्या है? सभ्यता और संस्कृतिकिसी भी देश के मानव समाज को एक अलग पहचान क्यों देती है?

    प्रकृति ने दुनिया की भूमि को विविध आयामों में जैसे मैदान, पहाड़, नदियों, समुद्रों में बाँट रखी है क्यों? इसमें ऋतुएँ और मौसमजो स्वयं ही विविधताओं को जन्म देते हैं, कैसे? समाज का आईना कहलाने वाला, आज का युवावर्ग, जिसमें समाज अपना अतीतवर्तमान, और भविष्य देख सकते हैं| उनके बद से बदतर हो रही स्थिति के लिए दायी कौन है? हमारे राष्ट्र-पर्व कौन-कौन से हैं? इन्हें हम क्यों मनाते हैं? आलस्यवाद क्या है और उसके मूल सिद्धांत क्या हैं? इन्हीं सब ज्वलंत विषयों पर, मैं अपना विचार निबंध के माध्यम से प्रकट करने की कोशिश की हूँआशा है, आप सब को पसंद आएगी| इस निबंध संबंधी कोई त्रुटि रह गई होतो माफ़ करेंगे| फिर मिलूँगी, एक नये निबंध के साथ|

    - तारा सिंह

    अनुक्रम

    माँ……………………………………………………………

    आलस्यवाद……………………………………………….

    गंगा……………………….…………………………………

    गुरुनानकदेव जी…………………………………………

    मेरी जीवनाकांक्षा………………………………………...

    परोपकार…………………………………………………..

    हिंदी साहित्य और उसकी विधाएँ……………………

    शिक्षा और संस्कार………………………………………

    वृद्धाश्रम…………………………………………………….

    मित्रता……………………………………………………….

    हिंदी दलित साहित्य का इतिहास और विकास…..

    भगीरथ……………………………………………………...

    बुढ़ापा……………………………………………………….

    शांति………………………………………………………...

    हड़ताल……………………………………………………..

    माँ

    नारी के लिए, माँ शब्द बड़ा ही अनूठा है; अनूठा हो भी क्यों नहीं, नारीप्रकृति जो कही गई है| कहते हैं, नारी स्वर्ग और धरती के बीच वह महासेतु है, जिस पर होकर आदमी उस अदृश्य लोक से दुनिया में आता है|

    संतान सुख के लिए गरल पीने वाली, तथा प्रसव वेदना सहनेवाली माँ जब अपने संतान के दुख से दुखी होकर चीखती है, तो उसके पुकार पर व्योम का हृदय दरक जाता है, सूरज सहम उठता है| जब वह जानती है कि वह माँ बनने वाली है, तब उस आगत के कल्पना-सुख में उसकी जागृति और स्वप्न की दूरी मिट जाती है| अपना सुख तृणवत नगण्य लगने लगता हैवह अपने गर्भ में पलने वाले संतान के लिए कल्पना शृंग पर चढ़कर कहती है, ‘हे देव! मैंने कभी सुरम्य उत्तुंग स्वप्न को नहीं छुआ| मैं चाहती हूँ, सूर्य की किरणों को समेटकर विधु की कोमल रश्मि-तारकों की पवित्र आभा को पी लूँ, जिससे अपरूप अमर ज्योतियाँ मेरे गर्भ में पल रहे संतान के शोणित मेहृदय प्राणों में समा जाय| त्रिलोक में जो शुभ,सुंदर है; सब एक साथ मेरे आँचल में बरस जाये, जिसे मैं समेटकर अपने आने वाले संतान के अधरों में जड़ दूँ|

    मातृपद को पाकर भी एक माँ कितना क्लेश सहती है; संतान की देखभाल करते-करते तन शिथिल हो जाता है, यौवन गल जाता हैममता के रस में प्राणों का वेग पिघल जाता है| बावजूद प्राणों में इन्द्रधनुषी उमंग कम नहीं होता है; आँखों से सोई, स्वप्न कुंजों में जगी रहती है; माँ न तो गरीब होती हैन ही अमीर; न ही सवर्ण और अछूत होती है| माँ की कोई जाति नहीं होती, माँ के आँचल में स्वर्ग की हवा खेलती हैके कदमों को चूमना, मंदिर के चौकठ को चूमने समान है| दुनिया में वह बड़ा तकदीर वाला हैजिसे माँ की खिदमत का मौका मिला| माँ जब बूढ़ी हो जाती है, तब भी उसकी डूबती आँखों में संतान के लिए ममता का सागर उमड़ता रहता है| औलाद की हर गलती को माफ़ करने वाली माँ, कभी अपने संतान के साथ सौतेला व्यवहार नहीं कर सकती; संतान भले सौतेला हो जायके बारे में लगभग सभी धर्मों में एक विचार है; माँ का स्थान पिता से ऊँचा है|

    कहते हैं, हुजूर नबी अकरम ने एक बार देखा कि एक महिला बिल्कुल बदहवास रोती, विलखती दौड़ी भागी जा रही है, उसे अपने सर के दुपट्टे तक का होश नहीं है| हुजूर नबी अकरम ने सहाबा किरान से पूछा, ‘यह औरत इतनी परेशान क्यों है?’ सहाबा ने बताया, हुजूर! उसका बेटा गुम हो गया है| वह बेटे के लिए पागल हो चुकी है, और परेशान भी| वह हर किसी से अपने बेटे के बारे में पूछ रही है कि उसके बेटे को किसी ने देखा है?’ हुजूर नबी अकरम ने कहा, ‘क्या इसका बेटा अगर मिल जाय तो क्या उसे

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